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लोक पर्व-त्योहार
मौण मेला : आस्था, परम्परा और प्रकृति का जश्न
बचन सिंह नेगी उत्तरकाशी जिले के पांच गांव – नानई, बिंगसारी, खरसाड़ी, रमाल गांव और डोभाल गांव के लोग कई सदियों से बड़ी धूमधाम व खुशी से परम्परागत रीति-रिवाज के साथ मौण मेला मनाते हैं. यह मेला हर वर्ष जेठ के महीने में 20 गते अर्थात 2 या 3 जून को पड़ता है. यह मेला […]
स्याल्दे बिखौती : कत्युरीकाल की सांस्कृतिक
कुमाऊं में आज भी संरक्षित है
बैतूल में पांडवों के वंशज’, कांटों की सेज पर
छठ: भारतराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा लोकपर्व
शिक्षा
अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!
बदलता शैक्षिक परिदृश्य प्रो. गिरीश्वर मिश्र शिक्षा का मूल्य इस अर्थ में जगजाहिर है कि व्यापार, स्वास्थ्य, सामरिक तैयारी, यातायात, संचार, कृषि, नागरिक सुरक्षा यानी जीवन कोई भी क्षेत्र लें उसमें हमारी प्रगति so सिर्फ और सिर्फ इसी बात पर टिकी हुई है कि हम ज्ञान की दृष्टि से कहाँ पर स्थित हैं. हम अपना और […]
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आपके पेशाब में कोरोना वायरस सूंघ सकते हैं
April 16, 2021 -
मातृभाषा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण
February 22, 2021 -
युवाओं की पहल पर डीडीहाट में सार्वजनिक
January 15, 2021 -
स्वामी विवेकानंद जंयती पर विशेष : आध्यात्म से
January 11, 2021
संस्मरण
चोखी ढाणी देखने के बाद आमेर किले (आंबेर) की सैर
सुनीता भट्ट पैन्यूली सुबह के साढ़े दस बजे हैं हम घर से निकल गये हैं. मुश्क़िल यह है कि मुझे हर हाल में आमेर का किला देखना है और समय हमारे पास कम है और पतिदेव ने समय सीमा बता दी है कि दो बजे तक किसी भी सूरत में देहरादून के लिए निकलना है […]
साहित्यिक हलचल
हिमालयी राज्य
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त्रिजुगी नारायण के अवतार माने जाते हैं कौल देवता!
दिनेश सिंह रावत लोक मान्यतानुसार कौंल देवता का संबंध केदारनाथ से है. इन्हें त्रिजुगी नारायण का अवतार माना जाता है और इसी के चलते हर बारहवें वर्ष कौंल देवता
जहां विराजते हैं सूर्य सुता यमुना व शनि
— दिनेश रावत देवभूमि उत्तराखंड के दिव्यधाम सदियों के लोगों के आस्था एवं विश्वास के केन्द्र रहे हैं. सांसारिक मोह-माया में फंसा व्यक्ति, आत्मीकशांति की राह
लोक के विविध रंगों से रंगा एक महोत्सव
– दिनेश रावत उत्तराखंड का रवांई क्षेत्र अपने सांस्कृतिक वैशिष्टय के लिए सदैव विख्यात रहा है. लोकपर्व, त्योहार, उत्सव, मेले, थोले यहां की संस्कृति