पर्यटन

केदारकांठा ट्रेक : चांद के किस्से-कहानियों का सफ़र जारी है   

केदारकांठा ट्रेक : चांद के किस्से-कहानियों का सफ़र जारी है  

पर्यटन
जे पी मैठाणी उत्तराखंड में अनेक ऐसे अनाम ट्रेकिंग रूट हैं जिनके बारे में शेष दुनिया को बहुत अधिक जानकारी नहीं है. ऐसे ही एक ट्रेकिंग रूट का नाम है- केदारकांठा ट्रेक जो देहरादून से सुदूर उत्तरकाशी के गोविन्द पशुविहार के आंगन में स्थित है. देहरादून से मसूरी-कैम्पटी फाल, यमुना पुल, नैनबाग, पुरोला, मोरी, नैटवाड़ से आगे शानदार सेब के बगीचों के बीच से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तरकाशी के अंतिम गांव सांकरी फिर सांकरी गांव से ही केदारकांठा का ट्रेक शुरू होता है. गोविन्द पशु विहार का बफर जोन भी यहीं से शुरू हो जाता है. दिन भर की थकान भरी यात्रा के बाद अगर आप हिमालय के एक गांव सांकरी के आस पास शाम की सैर करने को निकलें और संध्या के अंधेरे के साथ आसमान को देखें तो काले आसमान पर चमकते तारे और उन सबके बीच सुदूर बेहद  चमकीला - शाम का सबसे अधिक चमकता शुक्र दिखेगा और आप सिर्फ मंत्रमुग्ध...
पर्यटन आधारित कार्यक्रमों के नियोजन करने की तकनीक और उसके प्रचार-प्रसार  के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी : पंकज कुमार

पर्यटन आधारित कार्यक्रमों के नियोजन करने की तकनीक और उसके प्रचार-प्रसार के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी : पंकज कुमार

चमोली, पर्यटन
तृतीय दिवस नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व के निदेशक पंकज कुमार ( आई ऍफ़ एस )  ने नेचर टूरिज्म प्रशिक्षण के तृतीय दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित होकर नेचर  गाइड और प्रशिक्षणार्थियों को  संबोधित करते हुए कहा कि, हम सभी को अपने क्षेत्र के पर्यटन आधारित कार्यक्रमों के नियोजन करने की तकनीक और उसके प्रचार प्रसार  के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए .  साथ नेचर टूरिज्म को बढाने के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराने के बारे में विस्तार से जानकारी दी. निदेशक पंकज कुमार ने कहा कि हमें गंभीरता से अपने क्षेत्र के विषयों को जानना आवश्यक है उन्होंने कहा कि प्रकृति पर्यटन आधारित टूरिज्म की उर्गम घाटी में काफी संभावना है और मैंने आज प्रतिभागियों के द्वारा ट्रैकिंग रूटो के बारे में विस्तार पूर्वक दी गयी जानकारी  और मानचित्र बनाने का जो प्रयास और अभ्यास किया है उससे मुझे बहुत खुशी हुई. उन्होंने पंच केदार और पंच बद्...
जनपद चमोली का शानदार ट्रेक है- देवाल विकास खंड का मोनाल ट्रेक

जनपद चमोली का शानदार ट्रेक है- देवाल विकास खंड का मोनाल ट्रेक

पर्यटन
मोनाल पक्षियों का शानदार आशियाना है - मोनाल टॉप जे . पी. मैठाणी सभी फोटो - हीरा सिंह बिष्ट जनपद चमोली के सीमान्त विकास खंड में देवाल में मोनाल ट्रेक एक नए ट्रेक के रूप में रूप में उभर रहा है, इस ट्रेक की समुद्र तल से उंचाई लगभग 12000 फीट है. उत्तराखंड के पर्यटक और टूरिज्म के नक़्शे पर तेजी  से उभरते हुए इस ट्रेक को गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली और देवेन्द्र सिंह ने  सबसे पहले प्रचारित-प्रसारित किया.  वर्तमान में जिला पर्यटन विभाग के जनार्जन थपलियाल ने जिला पर्यटन अधिकारी और जिलाधिकारी चमोली के सहयोग से 30 युवक युवतियों को शामिल कर  प्रथम मोनाल ट्रेक का सफलता पूर्वक आयोजन किया. ये टीम आज ही मोनाल ट्रेक को संपन्न  कर वाण गांव वापस पहुंचे हैं. जैसा कि नाम से विदित है मोनाल ट्रेक पर सबसे अधिक मोनाल दिखाई दे रहे हैं इसकी एक वजह इस क्षेत्र में मानवीय  हस्तक्षेप का बहुत कम होना भ...
‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

पर्यटन
भारत चौहान चकराता से 20 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लोखंडी दो पर्वतों के बीच की एक घाटी है. जो दो जंगलों को आपस में जोड़ती है- बुधेर जंगल और देवबन जंगल. यह स्थान प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर है. यहां से हिमाचल के सिरमौर क्षेत्र के दर्शन आसानी से होते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां  पारियों (आछरियों) का वास होता है. जिनको 'अगाशी देवी' अर्थात् आकाश की देवी और 'वन देवी' के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय बुजुर्गों का मानना है कि जहां देवियां वास करती है वह स्थान अत्यंत पवित्र रहना चाहिए, वहां किसी प्रकार की गंदगी या ऊंची आवाज में चिल्लाना खतरे से खाली नहीं होता है. अर्थात देवी उस आदमी पर प्रकट हो जाती है और वह तरह-तरह के कृत्य और नृत्य करने लग जाता है. (इसलिए पर्यटकों से विशेष आग्रह रहता हैं कि इस प्रकार के पवित्र स्थान पर किसी प्रकार का शोरगुल अथवा गं...
रहस्य रोमांच एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है सतोपंथ ट्रैक

रहस्य रोमांच एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है सतोपंथ ट्रैक

पर्यटन
जे. पी. मैठाणी सभी फोटो : अनुज नम्बूद्री आपको पता है सत्य की राह पर चलने का रास्ता भी बेहद दुर्गम, रोमांचक और प्रकृति के अनेक रहस्यों से भरा है अगर नहीं तो चलिए सतोपंथ ट्रैक यानी सत्य के पथ पर. कहाँ है सतोपंथ ट्रैक भारत के चार धामों में प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम से लगभग 24 किमी0 की दूरी तय करके आप गहरे हरे और कभी कभी साफ नीले पानी की एक झील के निकट पहुँचते हैं जिसका नाम सतोपंथ झील है. हिन्दु धर्मग्रंथों के अनुसार महाभारत के युद्ध के पश्चात् लगभग 36 वर्षों तक राजकाज संभालने के बाद मोक्ष प्राप्ति हेतु और शिव को क्षमा सहित प्रसन्न करने के प्रयासों के बीच पाण्डव सतोपंथ के रास्ते ही स्वर्गारोहणी की तरफ गये. संभवतः इस यात्रा का नेतृत्व हमेशा सत्य बोलने वाले युधिष्ठिर कर रहे हों इसलिए इसे सतोपंथ कहा जाता होगा. सतोपंथ झील का आकार उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र में मौजूद सभी प्रकार के ...
पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन
डेस्टिनेशन उत्तराखंड का नया आकर्षण केंद्र बनती टिहरी झील, तैयार हो जाईये एक और शानदार आयोजन के लिए टिहरी झील में आगामी 24 नवंबर से शुरू होने जा रहा टिहरी अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है उत्तराखंड की धामी सरकार देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में टिहरी झील सबसे तेजी से उभरता हुआ नया स्थल है। एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यह स्थान हॉट फेवरेट साबित हो रहा है। यही वजह है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के अंतर्गत राज्य की धामी सरकार द्वारा यहां नियमित रूप से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब टिहरी झील में 24 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023 का आयोजन होने जा रहा है। उत्तराखंड में साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि डे...
ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

पर्यटन
जेपी मैठाणी सरकार की उदासीनता के बावजूद शोध अध्ययन कर किया जा रहा है प्रचारित-प्रसारित देहरादून से लगभग 265 किमी0 की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 4000 फीट (1300 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है एक पर्यटक स्थल पीपलकोटी. पीपलकोटी अपनी खूबसूरत घाटी, पीपल के पेड़ों,  सीढ़ीनुमा खेतों के साथ-साथ अच्छी व्यवस्था वाले होटलों, ढाबों, पर्यटक आवास गृह के लिए जाना जाता है. because पीपलकोटी में ही प्रदेश के पहले बायोटूरिज़्म पार्क (जिसकी स्थापना 1999-2001 में हुई थी) भी स्थित है. पुरातन समय से ही पीपलकोटी बद्रीनाथ यात्रा मार्ग की एक प्रमुख चट्टी/ पड़ाव रहा है. ज्योतिष पीपलकोटी से अनेक ट्रैकिंग रूट्स जो कि कम जाने जाते हैं या नहीं जाने जाते हैं उनका प्रचार-प्रसार एवं मार्केटिंग का कार्य आगाज़ संस्था कर रही है. इन्हीं में से एक because महत्वपूर्ण ट्रैकिंग पीपलकोटी से हस्तशिल्प ग्राम किरूली होते हुए...
साकार होता खतलिंग पांचवां धाम  का इंद्रमणि बडोनी का स्वप्न

साकार होता खतलिंग पांचवां धाम  का इंद्रमणि बडोनी का स्वप्न

पर्यटन
हिमालय दिवस (9 सितंबर) पर विशेष कवि बीर सिंह राणा 2 सितंबर 2021 का दिन वास्तव में  भिलंगना घाटी के लिए अविस्मरणीय और गौरवमय इतिहास का साक्षी बन गया. जहां पिछले ढाई दशक से सजग मातृशक्ति because और ऊर्जावान युवाओं का आह्वान किया जाता रहा कि खतलिंग को पांचवां धाम स्वार्थी और सत्तालोलूप नेता नहीं स्थानीय जनशक्ति बनाएगी और वो भी तब जब  घुत्तू में मेले  तक सीमित ऐतिहासिक कोलकाता महायात्रा  बडोनी जी वाले स्वरूप में लौटेगी. घाटी के युवा ही नहीं माता -  बहनें 2015 से लगातार खतलिंग सहस्रताल तक की यात्रा करने वाले आधे दर्जन लोगों के जुनून से वाकिफ भी थे ,सहानुभूति केक्साथ सहयोग और बराबर रुचि भी ले रहें थे  . 2016 से जब दिल्ली से बडोनी जी की खतलिंग महायात्रा को पद्मविभूषण because सुंदरलाल बहुगुणा जी की प्रेरणा से हिमालय जागरण से जोड़ा गया,सोशल मीडिया,पत्र पत्रिकाओं और विभिन्न मंत्रालयों और सरका...
बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

पर्यटन
बेनीताल: प्रकृति की गोद में बसा बुग्याल कमलेश चंद्र जोशी उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से विविधताओं से भरा प्रदेश है. हालाँकि पर्यटकों के बीच इसकी पहचान चार धाम यात्रा के रूप में अधिक मशहूर है लेकिन यात्रा पर्यटन के सिवाय उत्तराखंड में बहुत कुछ ऐसा है जिन तक अभी सीमित व नियमित पर्यटकों का पहुँचना बाकी है. एक गंतव्य के तौर पर उत्तराखंड के बुग्यालों को पर्यटन में अब तक because वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो पारंपरिक गंतव्यों को है. बुग्यालों को पर्यटन से जोड़ने के इतर समय-समय पर बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण व बैकपैकर्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं जिसकी वजह से बुग्यालों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जगह उन्हें संरक्षित करने के लिए यात्रियों के रात्रि विश्राम व टेंट लगाने पर रोक जैसे सख़्त कदम प्रशासन को उठाने पड़ते हैं. बुग्याल समुद्र तल से 8-10 हजार फ...
पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पर्यटन
कण्वाश्रम एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसका प्राचीन और समृद्ध इतिहास रहा है. महर्षि कण्व के काल में कण्वाश्रम शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. because उस समय वहां दस हजार छात्र शिक्षा लेते थे. वैदिक काल में कण्वाश्रम शिक्षा और संस्कृति कर बड़ा गढ़ था. स्वरोजगार विजय भट्ट भारत की आजादी के बाद वर्ष 1955 में रूस दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब रूस में महर्षि कण्व ऋषि की तपस्थली because और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम के बारे में सुना तो उनको इस ऐतिहासिक स्थल को जानने की जिज्ञासा हुई. स्वरोजगार हुआ यूं कि प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू1955 में रूस यात्रा पर गए थे. उस दौरान उनके स्वागत में रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. जिससे उन्हें भी इस ऐतिहासिक स्थल के जानने की जिज्ञासा हुई. वापस भ...