चम्‍पावत

अनूठी पहल: फ्रांस से उच्च शिक्षा ग्रहण कर नीरज ने ठानी पहाड़ की राह

अनूठी पहल: फ्रांस से उच्च शिक्षा ग्रहण कर नीरज ने ठानी पहाड़ की राह

चम्‍पावत
रिवर्स माइग्रेशन की पेश की मिसाल   चम्पावत के पाटी ब्लॉक में स्थित सुदूर ग्राम करौली निवासी नीरज जोशी ने फ्रांस से उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपनी पैतृक भूमि पर होमस्टे का निर्माण कर गांव में रोजगार के स्रोतों को विकसित कर रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल कायम की.  नीरज की प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा गोशन स्कूल नानकमत्ता व जवाहर नवोदय विद्यालय रुद्रपुर एवं उच्च शिक्षा डी०एस०बी० कैंपस नैनीताल (B.Sc.), पंतनगर विश्विद्यालय पंतनगर (M.Sc.) एवं मोंटपेलियर सुपएग्रो फ्रांस (M.S.) से हुई. नीरज ने अधिकांश समय महानगरों की चकाचोंद में बिताने के पश्च्यात, 30 वर्षों से पूर्वजों द्वारा छोड़ी गयी बंजर भूमि को आबाद करने का निर्णय लिया. विगत तीन वर्षों से लगातार विभिन्न विभागों के सहयोग से, वे कृषि सम्बंधित कार्यों का विश्लेषण कर आय के स्रोतों का लाभ ग्रामीणों को साझा कर पहाड़ों से हो रहा पलायन को रोकने का अथक प्रयास कर...
चम्पात: 12 जवानों को लेकर जा रही आईटीबीपी की बस खाई में गिरी

चम्पात: 12 जवानों को लेकर जा रही आईटीबीपी की बस खाई में गिरी

चम्‍पावत
चंपावत जिले में सुबह-सुबह हादसा हो गया. 12 जवानों को लेकर जा रही आईटीबीपी की बस खाई में गिर गई. राहत-बचाव कार्य में जारी है. प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंच गई है. जानकारी के अनुसार सभी जावन सुरक्षित है. गुरुवार सुबह टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे परआईटीबीपी की बस हादसे का शिकार हो गई. आईटीबीपी की 14वीं वाहिनी की बस 12 जवानों को लेकर पिथौरागढ़ के जाजरदेवल जा रही थी. तभी बस खाई में लुढ़कने वक्त पेड़ में अटकने से बड़ा हादसा बच गया. प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच चुकी है. राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है. जख्मी जवानों का सिन्याड़ी से पांच किमी दूर चल्थी के सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. सभी जवान खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं....
सुदूर गाँव के लड़के का सेना में अफ़सर बनने का सफ़र

सुदूर गाँव के लड़के का सेना में अफ़सर बनने का सफ़र

चम्‍पावत
कमलेश चंद्र जोशी उत्तराखंड के युवा हमेशा से ही भारतीय सेना में अपनी सेवाएँ दिये जाने के लिए जाने जाते रहे हैं. खासकर गरीब व मध्यम परिवारों के बच्चे जब अपनी ऑफिसर because ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना की पासिंग आउट परेड से गुजरते हैं तो वह क्षण न सिर्फ देश व राज्य के लिए गौरव का पल होता है बल्कि उन अफसरों के माता-पिता के लिए जिंदगी बदलने वाला सबसे अनमोल पल भी होता है जिनके लिए सेना में अफसर होना एक तरह का स्वप्न जैसा है. हर वर्ष ‘इंडियन मिलिट्री अकादमी’ (IMA) से ऐसे सैकड़ों ऑफ़िसर because निकलते हैं जो राष्ट्र की सेवा के लिए ट्रेनिंग ले रहे होते हैं. पासिंग आउट परेड इस वर्ष की पासिंग आउट परेड के बाद देश को 341 जाबांज अफसर मिले हैं जिनमें से 37 उत्तराखंड राज्य से ही हैं. ऑफिसर बनने के इस सफर का सबका अपना-अपना संघर्ष व दुश्वारियाँ होती हैं because लेकिन जब कोई बच्चा उत्तराखंड के किस...