उत्तरकाशी

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने किया ‘Hello बड़कोट-यमुनोत्री’ का विमोचन

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने किया ‘Hello बड़कोट-यमुनोत्री’ का विमोचन

उत्तरकाशी
तीर्थाटन और पर्यटन के लिए आने वाले लोगों के लिए यह एक पथ प्रदर्शक का कार्य करेगी सूचना निदर्शिनी : योगेश भट्ट बड़कोट. राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने यमुनोत्री प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुनील थपलियाल द्वारा प्रकाशित/संपादित 'हेलो बड़कोट-यमुनोत्री' सूचना निदर्शिनी के प्रवेशांक का डायट सभागार में बतौर मुख्य अतिथि विमोचन किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य में तीर्थाटन और पर्यटन के लिए आने वाले लोगों के लिए यह एक पथ प्रदर्शक का कार्य करेगी. प्रत्येक वर्ष इसके नवीन अंक को भी प्रकाशित किया जाना चाहिए. विमोचन के उपरांत सूचना आयुक्त ने 'सूचना के अधिकार' अधिनियम के हर पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला. विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. के.एल.तलवाड़ ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस पत्रिका में यमुनोत्री आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा की हर जानकारी मुहैय्या करवाई गई है. विशिष्ट अति...
रवांई की पहली पढ़ी-लिखी लड़की ‘सत्यभामा’ का सफर

रवांई की पहली पढ़ी-लिखी लड़की ‘सत्यभामा’ का सफर

उत्तरकाशी
ध्यान सिंह रावत ‘ध्यानी’, शिक्षक एवं साहित्यकार भारत जब पराधीनता की जंजीरों को तोड़ देने के अंतिम पायदान पर आ खड़ा हुआ था तो देशी रियासतों का विलय भारतसंघ में एक बड़ी चुनौती से कम न थी. टिहरी रियासत की जनता भी अपने को इस कड़ी से जुड़ने के लिए चिर निद्रा से उठ खड़ी हुई थी और स्वतंत्रता के दो वर्षों के बाद अर्थात सन् 1949 को संयुक्तप्रान्त उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा बनी. रियासत काल में शिक्षा की दशा और दिशा संतोषप्रद नहीं थी. महाराजा प्रतापशाह ने कुछेक स्कूल तो खोले किन्तु महाराजा कीर्तिशाह ने प्रत्येक पट्टी में एक-एक प्राईमरी पाठशाला खोली थी. रवांई परगने में महाराजा नरेन्द्रशाह के शासन काल में कीर्ति आधारिक विद्यालय उत्तरकाशी, प्राइमरी पाठशाला राजगढ़ी, पुरोला, ठडियार आदि गिने-चुने स्कूल खुल चुके थे. यद्पि महाराजा नरेन्द्र शाह के शासन काल में इस ओर कुछ सुधार अवश्य हुआ किन्तु तत्कालीन समय में पहा...
गंगनाणी कुंड : यहां है उत्तराखंड का प्रयागराज, लोगों की आस्था का केंद्र, इतिहास के लिए पहेली

गंगनाणी कुंड : यहां है उत्तराखंड का प्रयागराज, लोगों की आस्था का केंद्र, इतिहास के लिए पहेली

उत्तरकाशी
गंगनाणी कुंड: धार्मिक मान्यताएं और 1826-1838 के बीच की ऐतिहासिक घटना। प्रदीप रावत (रवांल्टा) ‘प्रयागराज’ के बारे में आप जानते सभी जानते हैं कि प्रयागराज उत्तर प्रदेश में है। लेकिन, कम ही लोग यह जानते हैं कि उत्तराखंड में भी ‘प्रयागराज’ है, जहां ‘प्रयागराज’ पहुंचने से पहले मां गंगा और मां यमुना का दिव्य संगम होता है। इसको और खास बनाता है इन दोनों पवित्र नदियों के साथ केदार गंगा का संगम। ‘प्रयागराज’ और त्रिवेणी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में है। अब हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। क्योंकि यह ‘प्रयागराज’ जितना लोगों के लिए आस्था और मान्यताओं के लिहाज से महत्वपूर्ण है, उतना ही इतिहासकारों के लिए इतिहास के नजरिए से भी है। हालांकि, यह आज तक इतिहासकारों के लिए एक पहेली ही बना हुआ है। इस पहेली को सुलझाने का प्रयास डाकपत्थर डिग्री कॉलेज में तैनात इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता डॉ...
उत्तरकाशी : मोरी, पुरोला में अग्निकांड, मकान जलकर राख

उत्तरकाशी : मोरी, पुरोला में अग्निकांड, मकान जलकर राख

उत्तरकाशी
देहरादून: उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र में भीषण अग्निकांड हुआ है। इस अग्निकांड में दो गांव में मकान जलकर राख हो गए। गनीमत रही कि इस भीषण अग्निकांड में लोगों की जानें बच गई। देर रात करीब 2:30 बजे ग्राम नानाई मोरी के उपली नासन में श्री गजेंद्र सिंह पुत्र निंबर सिंह वाले के आवासीय लकड़ी के मकान में शर्ट सर्किट होने के कारण आग लगने से मकान पूर्ण रूप से जलकर राख हो गया है। जिसमें दो कमरे कीचन व बाथरूम होने बताए गए। एक कमरे में संजना पुत्री चैन सिंह ग्राम मसरी तथा कंचन पुत्री चतुर देव ग्राम भीतरी वाली रहते थे तथा दूसरे कमरे पर अंकुश पुत्र पंचवटी ग्राम दोनी वाला रहता था। दोनों किराएदार मकान में वर्तमान में नहीं रह रहे थे, जिससे उनका अंदर रखा सामान बर्तन-बिस्तर आदि जलकर राख हो गए। अन्य कोई जन पशु हानि नही हुई हैं। वहीं, तहसील पुरोला क्षेत्रान्तर्गत ग्राम छाड़ा में अतर सिंह के कीचन में गैस सिल...
उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी
मोरी: पांच गांवों को जोड़ने के लिए एक पुलिया 20 साल पहले बनी थी, जिसकी हालत बदहाल हो चुकी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह पुलिया लोहे या सीमेंट से नहीं बनी है, बल्कि लकड़ी से बनी हुई है। इसी पुलिया से हर दिन पांच गावों के लोग सफर करते हैं। खतरा इतना कि इस पर एक बार में दो-तीन लोगों का जाना भी खतरे से खाली है। पुलिया इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोग रोजाना जान हथेली पर रखकर इसी पुलिया से आते-जाते हैं। यह पुलिस विधायक दुर्गेश्वर लाल की विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि उनके अपने गृह क्षेत्र में ही है। यहां लोग सालों से परेशानियों से जूझ रहे हैं। लेकिन, कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है। मोरी ब्लॉक के राला से कासला को जोड़ने वाली पैदल पुलिया लंबे समय से क्षतिग्रस्त है। कई बार ग्रामीण पुलिया की जगह पर पक्के पुल की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी किसी ने नहीं सुनह। ग्रामीणों के संपर्क का पैदल सम्पर्...
उत्तरकाशी : मुख्यमंत्री के रोड शो में सड़कों पर उमड़ा अपार जनसैलाब

उत्तरकाशी : मुख्यमंत्री के रोड शो में सड़कों पर उमड़ा अपार जनसैलाब

उत्तरकाशी
मुख्यमंत्री ने  किया  291 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण तथा शिलान्यास  उत्तरकाशी : मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को उत्तरकाशी जिला मुख्यालय पर रोड-शो किया, तो जन-सैलाब सड़कों पर उमड़ आया. पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित हजारों महिलाओं ने सड़क के दोनों तरफ खड़े होकर पुष्प वर्षा कर मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया. इस आयोजन के जरिए जहां लोगों ने उत्तरकाशी जिले की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरओं के विविध रूप-रंगों का साक्षात्कार किया वहीं यह आयोजन महिलाओं के सशक्तिकरण और जिले के विकास के लिए भी अत्यधिक महतपूर्ण साबित हुआ. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने महिलाओं के ‘दीदी-भुली महोत्सव‘ में शिरकत करने के साथ ही रू. 291 करोड़ से अधिक लागत की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया. जिनमें रू. 189 करोड़ की लागत से यूजेवीएन लिमिटेड के तिलोथ विद्युतगृह के नवीनीकरण, उच्चीकरण एवं पुनरोद्धार (आर.एम.यू.) कार्य का ...
DM की मुहीम पर मुहर, उत्तरकाशी को मिला नेशनल ODOP अवार्ड

DM की मुहीम पर मुहर, उत्तरकाशी को मिला नेशनल ODOP अवार्ड

उत्तरकाशी
उत्तरकाशी/दिल्ली: दिल्ली में आयोजित नेशनल वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ODOP) अवार्ड में उत्तरकाशी जिले को दूसरा पुरस्कार मिला है। देशभर के लगभग पांच सौ जिलों के बीच उत्तरकाशी को कृषि की श्रेणी में यह सम्मान मिला है। जबकि राज्य अवार्ड में भी उत्तराखंड को दूसरा स्थान मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हासिल इस उपलब्धि से राज्य एवं जिले में खेती-किसानी को लाभदायक व्यवसाय में बदलने की सरकार की मुहिम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और सम्मान मिलने से राज्य में आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें आजीविका के नए अवसर प्रदान कराने के सरकार के अभिनव और प्रतिबद्ध प्रयाद फलीभूत हो रहे हैं । कुछ समय पहले ही उत्तराखंड के लाल धान को जीआई टैग और अब राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है। लाल धान की खेती नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में केन्द्रीय वाणिज्य ...
नरेश नौटियाल ने स्टूडेंट्स को सिखाए पहाड़ी उत्पादों के व्यवसाय और मार्केटिंग के गुर

नरेश नौटियाल ने स्टूडेंट्स को सिखाए पहाड़ी उत्पादों के व्यवसाय और मार्केटिंग के गुर

उत्तरकाशी
पुरोला: भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद (Entrepreneurship Development Institute Of India) व उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड सरकार के सहयोग से बर्फिया लाल जुवांठा स्नातकोत्तर महाविद्यालय पुरोला में देवभूमि उद्यमिता कैम्प की स्थापना और दो दिवसीय बूट कैम्प के प्रथम दिवस में भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद गुजरात के विशेषज्ञ गौतम कुमार, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एके तिवारी और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. विनय नौटियाल, छात्र संघ के अध्यक्ष अजय और ऋतिक ने द्वीप प्रज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया। प्रथम दिवस में छात्रों को उद्यमिता और विचारों को उद्यम में परिवर्तित और नये विचारों से रोजगार सृजन के बारे में विस्तार से बताया गया। छात्रों को व्यवसायिक कैनवास पर व्यवसायिक मॉडल बनाने के टिप्स दिये गए और छात्रों द्वारा व्यवसायिक विचारों का कैनवास तैयार किया गया। द्वितीय दिवस के अवसर पर मुख...
उत्तरकाशी: देवलांग महापर्व मड़केश्वर मंदिर में हवन के संपन्न

उत्तरकाशी: देवलांग महापर्व मड़केश्वर मंदिर में हवन के संपन्न

उत्तरकाशी
उत्तरकाशी। रवांई घाटी के गैर बनाल में देवलांग का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। देवलांग का यह पर्व रवांई घाटी की बनाल पट्टी के गैर गांव में राजा रघुनाथ मंदिर में मनाया जाता है। देवलांग उत्सव में शामिल होने के लिए ग्रामीणों का भारी हुजूम उमड़ा। रात भर ग्रामीण देवलांग के पारंपरिक गीतों पर नाचते रहे। बुधवार सुबह पौ फटने के साथ देवलांग को खड़ा प्रज्वलित किया गया। जिसके बाद देवलांग उत्सव में हजारों श्रद्धालु झूम उठे। देवलांग उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में रवांई के खास त्योहार में शामिल है। जो आज भी अपनी पौराणिकता को समेटे हुए है। इस पर्व को मनाने की परंपराएं ही इसे खास बनाती है। यूं तो इस उत्सव की तैयारियां एक माह पहले से हो जाती हैं। परंतु इस उत्सव की तिथि मंगसीर अमावस्या है। यानि मंगलवार की सुबह (12 दिसंबर की रात 13 दिसंबर की सुबह) को देवलांग उत्सव शुरू हुआ। इस उत्सव की तैयारियों के सभी क...
उत्तराखंड : 65-70 गांवों के दो थोकों साठी और पानशाई का साझा पर्व है देवलांग, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

उत्तराखंड : 65-70 गांवों के दो थोकों साठी और पानशाई का साझा पर्व है देवलांग, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

उत्तरकाशी
गैर (बनाल): देवलांग महा पर्व। यह कोई आम पर्व नहीं। यह पर्व लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा पर्व है। इसमें 65 से 70 गांवों के लोगों के साथ रवांई घाटी के हजारों-हजार लोग पहुंचते हैं। देवलांग का रोमांच ही कुछ ऐसा है कि इसे एक बार देखने के बाद लोग बार-बार यहां खिंचा चला आता है। नौगांव ब्लाक की बनाल पट्टी के गैर गांव में होने वाला यह देव पर्व कई सदियों से चला आ रहा है। आरोध्य देव राजा रघुनाथ के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। इस बार यह देव पर्व 12 दिसंबर की मध्य रात्रि के बाद शुरू हो कर 13 दिसंबर की सुबह 6 से 7 बजे के बीच संपन्न होगा। देवलांग महापर्व हमेशा ही दिव्य और भव्य होता है। देवलांग पर्व के बारे में कोटी बनाल निवासी शिक्षक और साहित्यकार राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता दिनेश रावत ने अपनी पुस्तक में विस्तार से दिखा है। उन्होंने अपनी पुस्तक में देवलांग पर्व के पौराणिक होने के भी कई प्...