शिक्षा

गर्व बच्चों पर कीजिए अंकों पर नहीं…

गर्व बच्चों पर कीजिए अंकों पर नहीं…

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प्रकाश उप्रेती CBSE ने आज 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया है. 22 जुलाई को 10वीं कक्षा का परिणाम भी घोषित किया था. इन दोनों 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणामों का बच्चों के लिए खासा महत्व होता है. इन परिणामों के आधार पर ही वह because भविष्य की राह चुनते हैं. बच्चों पर इन कक्षाओं में अच्छे अंक लाने का दबाव स्कूल से लेकर परिवार तक सबका होता है. हर टीचर और माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे टॉप ही करें. इससे कम किसी को मंजूर नहीं होता है. सोशल मीडिया पर 90% से ऊपर अंक लाने वाले बच्चों की तस्वीर है और उन पर गर्व करते माता-पिता की खुशी है. टेलीविजन के पर्दे से लेकर अखबार के पन्नों तक में 100% अंकों का ही जिक्र होता है. इनमें कहीं भी औसत अंक लाने वाले विद्यार्थी का जिक्र नहीं होता है. न उनकी तस्वीर न उन पर गर्व! आखिर ऐसा क्यों ? ज्योतिष पिछले कुछ वर्षों से अंकों के प्रतिशत से ही बच्चों की सफलता...
अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

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बदलता शैक्षिक परिदृश्य प्रो. गिरीश्वर मिश्र शिक्षा का मूल्य इस अर्थ में  जगजाहिर है कि व्यापार, स्वास्थ्य, सामरिक तैयारी, यातायात, संचार, कृषि, नागरिक सुरक्षा यानी जीवन कोई भी  क्षेत्र लें उसमें  हमारी प्रगति so सिर्फ और  सिर्फ इसी  बात पर टिकी हुई है कि हम ज्ञान की दृष्टि से कहाँ पर स्थित हैं. हम अपना और दूसरों का भला भी तभी कर पाते हैं जब उसके लिए जरूरी ज्ञान उपलब्ध हो. आज सूचना, ज्ञान और तकनीक के साथ ही एक देश दूसरे से बढ़त पा रहे हैं. ज्ञान के साथ प्रामाणिकता जुड़ी रहती है अर्थात हम उसी  पर भरोसा कर सकते हैं जो विश्वसनीय हो. उसमें झूठ-फरेब से बात नहीं बनती है. इसीलिए भगवद्गीता में ज्ञान को धरती पर सबसे पवित्र कहा गया है- न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रं इह विद्यते. शिक्षा ज्ञान का प्रकाश, आलोक और दृष्टि से गहरा रिश्ता है. अज्ञान को तिमिर या अन्धकार भी कहते हैं जिसे विद्या के प्रकाश से दू...
आपके पेशाब में कोरोना वायरस सूंघ सकते हैं प्रशिक्षित कुत्ते, शोध में खुलासा

आपके पेशाब में कोरोना वायरस सूंघ सकते हैं प्रशिक्षित कुत्ते, शोध में खुलासा

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हिमांतर ब्‍यूरो, नई दिल्‍ली क्या आप जानते हैं कि प्रशिक्षित कुत्ते आपके पेशाब में कोरोना वायरस सूंघ सकते हैं? यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन यह खुलासा एक नये शोध में हुआ है. so जिसमें कहा गया है कि प्रशिक्षित कुत्ते 96 फीसदी तक सार्स सीओवी-2 वायरस को पेशाब में सूंघ सकते हैं. दरअसल, कुत्तों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों को विशिष्ट गंध के जरिए सूंघने में सक्षम माना जाता है. शोधों में यह बात सामने Because आई है कि सार्स सीओवी- 2 की गंध काफी मजबूत होती है, जिसका कुत्ते लार और पसीने के नमूनों के जरिए पता लगा सकते हैं. यहां तक की दुबई एयरपोर्ट पर कोविड-19 (COVID -19)  का पता लगाने के लिए कुत्तों को पहले ही तैनात किया जा चुका है. हालांकि, अभी यह पूरी तरह से ज्ञात soनहीं है कि कुत्ते पेशाब के नमूनों के जरिए पूरी तरह से कोरोना वायरस का पता लगा सकते हैं कि नहीं, क्योंकि शोध का कहना है कि पेशा...
मातृभाषा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण

मातृभाषा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण

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मातृभाषा दिवस (22 फ़रवरी) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र मनुष्य इस अर्थ में भाषाजीवी कहा जा सकता है कि उसका सारा जीवन व्यापार भाषा के माध्यम से ही होता है. उसका मानस भाषा में ही बसता है और उसी से रचा जाता है.because दुनिया के साथ हमारा रिश्ता भाषा की मध्यस्थता के बिना अकल्पनीय है. इसलिए भाषा सामाजिक सशक्तीकरण के विमर्श में प्रमुख किरदार है फिर भी अक्सर उसकी भूमिका की अनदेखी की जाती है. भारत के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में ग़रीबों, किसानों, महिलाओं, जनजातियों यानि हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के उपाय को हर सरकार की विषय सूची में दुहराया जाता रहा है. शरद आत्म-निर्भरता के लिए ज़रूरी है because कि अपने स्रोतों और संसाधनों का उपयोग को पर्याप्त बनाया जाए ताकि कभी दूसरों का मुँह न जोहना पड़े. इस दृष्टि से ‘स्वदेशी’ का नारा बुलंद किया जाता है. कभी इस तरह की बातें ग़ुलाम देश को अंग्रेज़ी...
युवाओं की पहल पर डीडीहाट में सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत

युवाओं की पहल पर डीडीहाट में सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत

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कार्यक्रम का संचालन शिक्षक कमलेश उप्रेती ने एवं आभार व्यक्त कोषाध्यक्ष जयदीप कन्याल के द्वारा गया किया हिमांतर ब्‍यूरो, पिथौरागढ़ डीडीहाट नगर के अंबेडकर वार्ड में एक लक्ष्य पुस्तकालय की शुरुआत जन सहयोग से की गई. इसका उद्देश्य नगर में शिक्षा के महत्व को जन-जन because तक पहुंचाना है तथा बच्चों में पढ़ने की संस्कृति को विकसित करना है. साथ ही डीडीहाट शहर में उच्च गुणवत्ता वाली पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध करवाना है. इस मुहिम की शुरुआत सोशल मीडिया के माध्यम से जन संपर्क करके धनराशि और किताबें जुटाकर की गई. पुस्तकालय की स्थापना के लिए अनेक व्यक्तियों ने so आर्थिक मदद की और लगभग 1000 किताबें उपलब्ध कराई गई. डीडीहाट नगर because और आस पास के गांवों में किताबों से प्रेम और पढ़ने की संस्कृति को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्थापित पुस्तकालय में समय समय पर विभिन्न विषयों पर कार्यशालाएं, विज्ञ...
स्वामी विवेकानंद जंयती पर विशेष : आध्यात्म से सामाजिक सम्पोषण का स्वप्न   

स्वामी विवेकानंद जंयती पर विशेष : आध्यात्म से सामाजिक सम्पोषण का स्वप्न   

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प्रो. गिरीश्वर मिश्र ‘संन्यास’ को अक्सर दीन-दुनिया से दूर आत्मान्वेषण की गहन और निजी यात्रा से जोड़ कर देखा जाता है. मुक्ति की ऐसी उत्कट अभिलाषा स्वाभाविक रूप से मनुष्य को अंतर्यात्रा की ओर अग्रसर करती है. इस आम धारणा के विरुद्ध उन्नीसवीं सदी के because अंत में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था एक अद्भुत चमत्कारी घटना हुई जिसने भारत के प्रसुप्त स्वाभिमान को जगाया और अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया. यह घटना थी भारत भूमि पर स्वामी विवेकानंद के रूप में एक ऐसी प्रतिभा का अवतरण जिसने सन्यास के समीकरण को पुनर्परिभाषित किया और आध्यात्म के because सामाजिक आयाम को स्थापित किया. गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस के संस्पर्श से स्वामी विवेकानंद ने न केवल धर्म के अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त किया अपितु भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर मानव जाति के लिए एक नए युग का सूत्रपात किया. रामकृष्ण राजा राम मोह...
भारतीय ज्ञान परम्परा और भाषा को बंधक से छुड़ाने का अवसर

भारतीय ज्ञान परम्परा और भाषा को बंधक से छुड़ाने का अवसर

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प्रो. गिरीश्वर मिश्र  पिछले दिनों काशी में देव दीपावली because के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को, जिसे तस्करी में चुरा कर एक सदी पहले कनाडा की रेजिना यूनिवर्सिटी के संग्रहालय को पहुंचा दिया गया था, बंधक से छुड़ा कर देश को वापस सौंपे जाने की चर्चा की थी. तब वहां के कुलपति टामस चेज ने बड़ी मार्के की बात कही थी कि ’यह हमारी जिम्मेदारी है कि ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जाय because और उपनिवेशवाद के दौर में दूसरे देशों की विरासत को जो नुकसान  पहुंचा है उसे ठीक करने की हर संभव कोशिश हो’. आशा की जाती है कि इस साल के अंत होते-होते यह मूर्ति अपने मूल स्थान पर पुन: विराजित हो जायगी. कुलपति दरअसल विपन्नता की स्थिति में because अपनी बहुमूल्य संपत्ति को गिरवी रखना और स्थि ति सुधरने पर उसे छुड़ा कर वापिस लाना कोई नई बात नहीं हैं और इसका दस्तूर अभी भी जारी  है. भारत की...
भारतीय भाषाओं के लिए विश्वविद्यालय की पहल स्वागत योग्य है

भारतीय भाषाओं के लिए विश्वविद्यालय की पहल स्वागत योग्य है

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प्रो. गिरीश्वर मिश्र भारतवर्ष  भाषाओं की दृष्टि से एक अत्यंत समृद्ध देश है. यहां की भाषाई  विविधता अनोखी  है  और उनमें अपार संभावनाएं  विद्यमान हैं यह उनकी आतंरिक जीवनशक्ति और लोक-जीवन में व्यवहार  में  प्रयोग ही था कि   विदेशी आक्रांताओं  द्वारा विविध प्रकार से सतत हानि पहुंचाये जाने के बावजूद  भी  वे  बची  रहीं. because पिछली कुछ सदियों इन भाषाओं को सतत संघर्ष करना पड़ा था. मुगल शासन काल में फारसी  को  महत्व मिला.  फिर  अंग्रेजों के उपनिवेश के दौर में अंग्रेजी को निर्भ्रान्त प्रश्रय दिया गया और  उसे नौकरी चाकरी से  जोड़  दिया गया. परन्तु यह भी सत्य है कि स्वतंत्रता संग्राम में लोक संवाद के साथ  देश को एक साथ ले चलने में हिन्दी  और अन्य भारतीय भाषाओं ने विशेष  भूमिका निभाई. so स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अंग्रेजों के दौर की नीतियों के अनुसरण करते रहने के फलस्वरूप अंग्रेजी का प्रभुत्व ...
पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति: सामुदायिक पुस्तकालय

पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति: सामुदायिक पुस्तकालय

शिक्षा
कमलेश चंद्र जोशी कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो प्रभावित न हुआ हो लेकिन उन तमाम क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला एक क्षेत्र है शिक्षा. पिछले 8-9 महीनों से because शिक्षण संस्थान बंद हैं और ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं जो नाकाफी प्रतीत हो रही हैं. बच्चे, अध्यापक और अभिभावक इस सच्चाई को महसूस कर चुके हैं कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी क्लास रूम का विकल्प so नहीं हो सकती. उत्तराखंड राज्य के दूर दराज के गांवों की स्थिति बेहद चिंताजनक है जहां  बच्चों के पास न तो स्मार्ट फोन हैं, न इंटरनेट की उपलब्धता और न ही इंटरनेट की स्पीड. अभिभावक इतने पढ़े-लिखे भी नहीं हैं कि वो स्वयं स्कूल का विकल्प बन सकें. आदत कोरोना से उत्पन्न इन विपरीत परिस्थितियों के बीच उम्मीद की एक किरण जगाई है उत्तराखंड के पिथौरागढ़, रामनगर व नानकमत्ता के उ...
आजाद का शैक्षिक स्वप्न और आज का सत्य

आजाद का शैक्षिक स्वप्न और आज का सत्य

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (11 नवम्बर) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र मौलाना अबुल कलाम आजाद ने देश के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में संस्कृति और सभ्यता के व्यापक सन्दर्भ में  समग्र भारत के लिए शिक्षा का स्वप्न  देखा था. उनकी जन्म तिथि को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के because रूप में स्मरण करते हुए हमारी दृष्टि आधुनिक भारत में शिक्षा के आरंभिक ढाँचे पर जाती है. मूलत: इस्लामी पृष्ठभूमि में शिक्षा-दीक्षा होने के बावजूद मौलाना भारत और आधुनिक पश्चिमी ज्ञान परम्परा से भलीभांति परिचित थे. स्वातंत्र्य आन्दोलन में उन्होंने अविभाजित भारत because की तरफदारी की थी और यहाँ की सांस्कृतिक विरासत और भारतीयता के गौरव बोध को भी उन्होंने अनेक अवसरों पर व्यक्त किया था. विभाजन की पीड़ा उन्हें सालती थी. इसे वह राजनैतिक हार मानते थे पर वे सांस्कृतिक हार के लिए तैयार न थे. प्रवासी एक कवि, विद्वान, पत्रकार so और...