
लकड़ी जो लकड़ी को “फोड़ने” में सहारा देती
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—57
प्रकाश उप्रेती
पहाड़ की संरचना में लकड़ी कई रूपों में उपस्थित है. वहाँ लकड़ी सिर्फ लकड़ी नहीं रहती. उसके कई रूप, नाम और प्रयोग हो जाते हैं. इसलिए जंगलों पर निर्भरता पर्यावरण के कारण नहीं बल्कि जीवन के कारण होती है. because जंगल, जमीन, जल, सबका संबंध जीवन से है. जीवन, जीव और जंगलातों के बीच अन्योश्रित संबंध होता है. इन्हें अलग-अलग करके पहाड़ को नहीं समझा जा सकता. इन सबसे ही पहाड़ और वहाँ का जीवन बनता है.
पहाड़
आज बात उस लकड़ी की जो लकड़ी को ही 'फोड़ने' (फाड़ने) में सहारा देती थी. इसके बिना घर पर आप लकड़ी फोड़ ही नहीं सकते थे. इसका मसला वैसे ही था जैसा कबीर कहते हैं न- “अंदर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट”. ईजा तो इसे कभी 'गोठ' (घर के नीचे वाला हिस्सा) तो कभी “छन” (जहां गाय-भैंस बाँधी जाती) के अंदर संभाल कर because रखती थीं. इसका काम सिर्फ लकड़ी को सहारा देने ...