अपने अस्तित्व और जीवन के सार को बचाने के लिये सामूहिक रूप से प्रकृति के संरक्षण हेतु जुटना होगा – डॉ. जोशी

“हिमालय और प्रकृति” की थीम पर मनाया जाएगा 11वां हिमालय दिवस

  • हिमांतर ब्‍यूरो

जीवन और अर्थव्यवस्था के परिग्रह के परिणामस्वरूप ही विश्व पर कोविड-19 महामारी की मार पड़ी है. मानव इतिहास में अब तक की सबसे खराब इस महामारी ने पूरे विश्व को पंगु बना दिया है और हर तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी. हमेशा की तरह इस बार भी दुनिया भर में प्रकृति की बिगड़ते हालातों पर केवल बहस ही हुई है. इसी बीच सोशल मीडिया पर प्रकृति के सुधरते हालातों से संबंधित विभिन्न खबरें भी वायरल हुईं.

कहीं ना कहीं हमें ये तो पता है कि हमने प्रकृति के साथ जो भी ज्‍यादतियां की हैं कोरोना उसी का नतीजा है. हम इस तथ्य को समझने में पूरी तरह असफल रहे हैं कि आखिरकार वो प्रकृति ही है जो हमारे भाग्य को निर्धारित करती है और अगर हम अपनी सीमाओं को पार करेंगे तो प्रकृति ही उसका हिसाब करेगी. इस दौरान खासतौर से जब कोविड-19 एक असाधारण वैश्विक आपदा बन कर उभरा, तब प्रकृति ने आम जनमानस का ध्यान खींचा. ये भी सच है कि मनुष्य ने अपने लालच व विलासिताओं के लिये प्रकृति का दोहन करने की सारी सीमाओं को पार कर दिया है. अब समय आ गया है कि जब हम सबको अपने अस्तित्व और जीवन के सार को बचाने के लिये सामूहिक रूप से प्रकृति के संरक्षण हेतु जुटना होगा. इसके अलावा विभिन्न पारिस्थितिकी इकाईयां जिनका मानव सभ्यता के विकास में अभूतपूर्व योगदान है उन्हें बचाने के लिये समझबूझ और जोश के साथ आगे आना होगा वरना हम उन्हें हमेशा के लिये खो देंगे. जैसे कि अंटार्कटिका और हिमालय का उदाहरण हमारे सामने है जो कि आज विघटन की कगार पर हैं.

हिमालय सदियों से विभिन्न जीवन सहायक संसाधनों का केन्द्र रहा है जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. यह अपने जल, मृदा और वायु से बहुत से देशों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सेवा करता है. कृषि को बढ़ावा देकर, विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों को विकसित कर और अपने पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के माध्यम से हिमालय हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बृहद रूप से योगदान देता है.

हिमालय ने विभिन्न पारिस्थितिकी संकटों से हमारे देश की सुरक्षा की है इसलिये भी इस कोविड-19 आपदा की विभीषिका के बाद हिमालय को समझने की जरूरत ज्यादा है. हालांकि ये पारिस्थितिकी तंत्र कुछ मोर्चो पर असमर्थ भी हो चुका है पर बावजुद इसकी सेवा में अनवरत हमारे साथ हैं.

हिमालय ने अपनी प्रकृति से ही तमाम व्याधियों के प्रति कवच का काम किया हैं यहां का अनाज, जड़ी-बूटी, कंदमूल फल की व्याख्या शास्त्रों व पुराणों में हैं. यहां शुरूआती दौर में वनौषधि व भोजन ही सभी तरह की बिमारियों से दूर रखता रहा है. हिमालय ने यह भी दर्शाया है कि वो मात्र देश का मुकुट व सीमाओं की रक्षा नहीं करता बल्कि मानव समाज की प्रतिरक्षा में भी प्रमुख है.

इसीलिये इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित होगी. वर्तमान कोविड-19 की महामारी और उससे संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए हिमालय को संरक्षित करने की आवश्यकता है तभी हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा.

हिमालय ने अपनी प्रकृति से ही तमाम व्याधियों के प्रति कवच का काम किया हैं यहां का अनाज, जड़ी-बूटी, कंदमूल फल की व्याख्या शास्त्रों व पुराणों में हैं. यहां शुरूआती दौर में वनौषधि व भोजन ही सभी तरह की बिमारियों से दूर रखता रहा है. हिमालय ने यह भी दर्शाया है कि वो मात्र देश का मुकुट व सीमाओं की रक्षा नहीं करता बल्कि मानव समाज की प्रतिरक्षा में भी प्रमुख है.

इस बार का हिमालय दिवस इसकी महिमा जो देश व स्थानीय लोगों की अस्मिता, आस्था व आर्थिकी पर केन्द्रित रहेगी. इन्ही चर्चाओं के बीच में हिमालय के प्रति सामूहिक कार्य जो यहां के संस्थानों व संगठनों द्वारा किये जाने चाहिये की भी पहल होगी. उत्तर-पूर्वी व पश्चिमी हिमालय के निवासी, सामाजिक, राजनैतिक व वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की आज बड़ी आवश्यकता हैं. सामूहिक प्रयत्नों से ही हिमालय की रक्षा संभव है.

प्रेस वार्ता में ‘हिमालयन यूनिटी मिशन’ (हम) के पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, भूगर्भ वैज्ञानिक विनोद थापी, महिला वैज्ञानिक शालीनी नेगी एवं हम के समन्‍वयक जेपी मैठाणी व राजेश रावत आदि उपस्थित थे.

पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने बताया कि 11वां हिमालय दिवस गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जायेगा. इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु “हिमालय और प्रकृति” है जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दुनिया भर में ये कोरोना की बड़ी भारी मार के पीछे वो प्रकृति के साथ मानवीय छेड़छाड़ ही है. हिमालय दुनिया का वो अखण्ड हिस्सा है जहां से प्रकृति के सारे संसाधनों का उद्गम होता है. देश की जलवायु, वर्षा, तापक्रम को निर्धारित करने में भी हिमालय की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है इसीलिये इस वर्ष हिमालय दिवस की चर्चा हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित है. दूसरा बड़ा विषय यह भी है कोरोना के दौरान भी हिमालय ने बेहतर तरीके से कोरोना की लड़ाई लड़ी है और कहीं ना कहीं इसने आम लोगों की कोरोना से लड़ाई का भी प्राकृतिक संदेश भी दिया है खासतौर से चाहे वो उत्तर पूर्व की पहाड़ियां हो या फिर उत्तर पश्चिमी पहाड़ियां कोरोना अपनी बड़ी पकड़ पहाड़ों में नहीं बना पाया और निश्चित ही उसमें प्रकृति प्रदत्त समुदाय बहुत बड़ा सहायक रहा.

इस वर्ष हिमालय दिवस विशेष रूप से दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व प्रौद्यौगिकी मंत्रालय व अन्य कई विभागों द्वारा मनाया जायेगा जिसका नेतृत्व माननीय डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मानव संसाधन विकास मंत्री करेंगे. डॉ. हर्षवर्धन, केन्द्रीय मंत्री विज्ञान एव प्रौद्योगिकी व स्वास्थय,  जितेन्द्र प्रसाद, पीएमओ,  किरेन रिजिजू, गृहराज्य मंत्री भारत सरकार, अनुराग ठाकुर, राज्य मंत्री, वित व कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भागीदारी करेंगे. साथ में देश के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार व विभिन्न मंत्रालयों के सचिव भी सम्मिलित होंगें.

पूरे हिमालयी राज्यों में पिछले एक दशक से विधिवत रूप से हिमालय दिवस मनाया गया जिसमें कि बैठके की गई और हिमालय से संदर्भित विभिन्न विषयों पर चर्चा परिचर्चा की गई. देशभर में हिमालय दिवस लगभग 450 से ज्यादा स्थानों में मनाया जायेगा. इस वर्ष हिमालय दिवस विशेष रूप से दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व प्रौद्यौगिकी मंत्रालय व अन्य कई विभागों द्वारा मनाया जायेगा जिसका नेतृत्व माननीय डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मानव संसाधन विकास मंत्री करेंगे. डॉ. हर्षवर्धन, केन्द्रीय मंत्री विज्ञान एव प्रौद्योगिकी व स्वास्थय,  जितेन्द्र प्रसाद, पीएमओ,  किरेन रिजिजू, गृहराज्य मंत्री भारत सरकार, अनुराग ठाकुर, राज्य मंत्री, वित व कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भागीदारी करेंगे. साथ में देश के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार व विभिन्न मंत्रालयों के सचिव भी सम्मिलित होंगें. देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी अनुरोध किया जायेगा. आध्यात्म गुरू श्रीश्री रविशंकर भी इस दिवस को सम्बोधित करेंगें. साथ में स्वामी चिदानन्द परमार्थ निकेतन ने भी अपनी सहमति प्रकट की है. इसके अलावा हिमालयी राज्यों के विभिन्न जनप्रतिनिधि सांसद भी इसमें अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे. केन्द्र में होने वाले हिमालय दिवस की चर्चा मुख्य रूप से तीन विषयों पर केन्द्रित होगी पहला ये कि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिमालय के प्रति जनजागरण,  दूसरा मिशन के रूप में हिमालय हम सबकी प्राथमिकता बने क्योंकि प्रकृति के नियंत्रण के रास्ते हिमालय से ही होकर गुजरते हैं और तीसरा हिमालय के लोग जिनकी हिमालय को बचाने में प्रमुख भूमिका है उन्हें किस तरह से आर्थिक रूप में स्थिर किया जायें. दिल्ली में होने वाली इस बैठक में उत्तराखण्ड के प्रबुद्ध लोग सहभागिता करेंगे. हिमालय दिवस पर होने वाले इस समागम में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये जायेंगे जो आने वाले समय में हिमालय के संरक्षण के प्रति समर्पित होंगें.

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