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वैश्विक तथा आर्थिक दबावो ने तैयार किया ‘अग्निपथ’!

वैश्विक तथा आर्थिक दबावो ने तैयार किया ‘अग्निपथ’!

देश—विदेश
प्रमोद साह यद्यपि विश्व में साम्राज्य के विस्तार का because इतिहास, मजबूत सेनाओं के इतिहास से जुडा़ रहा है. सेनाओं की मजबूती हमेशा उनके आर्थिक तथा सामाजिक हितों की सुरक्षा से ही प्राप्त होती रही हैं. माना जाता है कि अक्कादियन साम्राज्य के संस्थापक  अक्कड़ के सरगोन  ने पहली स्थायी पेशेवर सेना बनाई थी. असीरिया के तिग्लाथ -पिलेसर III (शासनकाल 745-727 ईसा पूर्व) ने पहली असीरिया की स्थायी सेना बनाई. ज्योतिष हालांकि उनके राज्य में भी अस्थाई और ठेके की सेना भी थी, लेकिन आर्थिक सुरक्षा ने स्थाई सेना की क्षमता को परिष्कृत किया. भारत में घननंद ने स्थाई सेना रखने की परंपरा प्रारंभ की उसकी सेना एक लाख से अधिक थी. becauseजब चंद्रगुप्त मौर्य ने साम्राज्य की स्थापना की तो चाणक्य ने सबसे पहले स्थाई और विश्वसनीय सेना पर जोर दिया, तब मौर्य वंश की सेना की संख्या 6लाख से अधिक हो गई थी .जिसने पूरे हिंदुस्ता...
जानिये कौन हैं राकेश नैथानी जिनका PM मोदी के सामने महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने किया धन्यवाद

जानिये कौन हैं राकेश नैथानी जिनका PM मोदी के सामने महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने किया धन्यवाद

देश—विदेश
हिमांतर ब्यूरो, मुंबई    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब महाराष्ट्र राजभवन के कार्यक्रम में उपस्थिति रहे तब मंच से महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक व्यक्ति का दो -दो बार धन्यवाद दिया. इसके बाद वो नाम चर्चा में आ गया है. यह नाम है राकेश नैथानी. because आइये जानते हैं कौन हैं राकेश नैथानी और भगत सिंह कोश्यारी ने क्यों किया उनका मंच से धन्यवाद. ज्योतिष तीन दशकों से अधिक के  विधायी और प्रशासनिक अनुभव के साथ भारतीय संसद के दोनों सदनों (लोकसभा एवं राज्यसभा) में नैथानी का उत्कृष्ट कार्यकाल रहा है. परिवर्तनकारी और प्रणालीगत बदलावों  के लिए कई अग्रणी  एवं ऐतिहासिक नीतिगत पहलों के because अभिन्न अंग के रूप में विभिन्न मंत्रालयों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए योजनाओं के सृजन और क्रियान्वयन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नैथानी सितंबर 2019 से  महामहिम राज्यपाल महाराष्ट...
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

योग-साधना
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2022)  पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  आज के सामाजिक जीवन को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हर कोई सुख, स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि के साथ जीवन में प्रमुदित और प्रफुल्लित अनुभव करना चाहता है. इसे ही जीवन का उद्देश्य स्वीकार कर मन में इसकी अभिलाषा लिए because आत्यंतिक सुख की तलाश में सभी व्यग्र हैं और सुख है कि अक्सर दूर-दूर भागता नजर आता है. आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब हर कोई किसी न किसी आरोपित पहचान की ओट में मिलता है. दुनियावी व्यवहार के लिए पहचान का टैग चाहिए पर टैग का उद्देश्य अलग-अलग चीजों के बीच अपने सामान को खोने से बचाने के लिए होता है. टैग जिस पर लगा होता है उसकी विशेषता से उसका कोई लेना-देना नहीं होता. ज्योतिष आज हमारे जीवन में टैगों का अम्बार लगा हुआ है और टैग से जन्मी इतनी सारी भिन्नताएं हम सब ढोते चल रहे हैं. मत, पंथ, पार्टी, जाति,...
लोक साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित हुए रवांई के कई साहित्याकार

लोक साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित हुए रवांई के कई साहित्याकार

उत्तरकाशी
दिनेश रावत के रवांल्टी कविता संग्रह 'का न हंदू' का लोकार्पण हिमांतर ब्यूरो, पुरोला लोक भाषा संस्कृति को बचाने  एवं नवांकुर लोक कवियों को मंच प्रदान करने  के उद्देश्य से अखिल भारतीय लोक साहित्यिक मंच द्वारा उत्कृष्ट राइका पुरोला में आयोजित वार्षिक अधिवेशन एवं सम्मान  समारोह में दो दर्जन से अधिक  कवियों ने रवांल्टी, बावरी-जौनसारी लोक भाषा में लोक के विभिन्न  रंगों को कविताओं के माध्यम से रेखाकिंत किया. इस दौरान दिनेश रावत के कविता संग्रह 'का न हंदू' का उपस्थित अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया. उल्लेखनीय है कि यह दिनेश रावत की छटवीं और रवांल्टी का पहला संग्रह है. लोकार्पण की कड़ी मे लोक गायक श्याम सिंह चौहान कृत  जौनसारी एल्बम "हांऊ माईए" गीत को भी लोकार्पित किया गया. अखिल भारतीय लोक साहित्य मंच के वार्षिक अधिवेशन में पहुंचे रवांई, जौनसार, बावर की साहित्यिक हस्तियों का सम्मान समार...
एक नए भारत की ओर, नरेंद्र मोदी शासन के 8 साल

एक नए भारत की ओर, नरेंद्र मोदी शासन के 8 साल

देहरादून
नरेश  बंसल, सासंद राज्यसभा कुछ लोग अपने शौर्य, पराक्रम, संकल्प और शानदार कार्य प्रदर्शन से इतिहास में गरिमामयी स्थान पाते हैं और कुछ अपनी शख़्सियत से इतिहास बनाते हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र - भारत के संसदीय इतिहास में 14 मई 2014 का दिन एक स्वर्णिम दिवस है जब भारतीय संसद में पहली बार चुने गए। नरेंद्र मोदी ने अपना पहला कदम लोकतंत्र के मंदिर में रखा और पहली सीढ़ी पर अपना सिर नवाकर ईश्वर की कृपा और 135 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद के लिए अपना सम्मान अभिव्यक्त किया. भारत के 14 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी ने संसद के सदस्य के रूप में अपने पहले ही अवसर पर प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली जो पूरे विश्व में एक विस्मरणीय घटना है. 26 मई, 2014 को कार्य भार ग्रहण करने वाले नरेन्द्र मोदी का एकमात्र लक्ष्य माँ भारती का सम्मान और गौरव है और संकल्प है देश के हर नागरिक की ख़ुशहाली। ...
मौण मेला : आस्था, परम्परा और प्रकृति का जश्न

मौण मेला : आस्था, परम्परा और प्रकृति का जश्न

लोक पर्व-त्योहार
बचन सिंह नेगी उत्तरकाशी जिले के पांच गांव - नानई, बिंगसारी, खरसाड़ी, रमाल गांव और डोभाल गांव के लोग कई सदियों से बड़ी धूमधाम व खुशी से परम्परागत रीति-रिवाज के साथ मौण मेला मनाते हैं. यह मेला हर वर्ष जेठ के महीने में 20  गते अर्थात 2 या 3 जून को पड़ता है. यह मेला मां रेणुका देवी के नाम पर होता है. अब इस मेले का महत्व घटता जा रहा है क्योंकि लोग विशेष रुचि नहीं ले रहे हैं. लेकिन नानई गांव के लोगों को यह मेला मनाना जरूरी है. यदि नहीं मनाते हैं तो देवी प्रकोप हो जाता है. फसलें नष्ट हो जाती हैं, सूखा, भूखमरी जैसी समस्याएं आती हैं, इसलिए मौण मेले को जीवित रखना जरूरी है. रेणुका देवी का मंदिर नानई गांव में स्थित है जिसकी बड़ी मान्यता है. यह मेला कई सौ वर्षों से मनाया जाता है. कहते हैं कि पुराने लोगों ने इस मेले को बारिश के मेले के नाम से मनाया था. उस समय पर जेठ यानी जून-जुलाई के महीनों में...
चोखी ढाणी देखने के बाद आमेर किले (आंबेर) की सैर

चोखी ढाणी देखने के बाद आमेर किले (आंबेर) की सैर

संस्मरण
सुनीता भट्ट पैन्यूली सुबह के साढ़े दस बजे हैं हम घर से निकल गये हैं. मुश्क़िल यह है कि मुझे हर हाल में आमेर का किला देखना है और समय हमारे पास कम है और पतिदेव ने समय सीमा बता दी है कि दो बजे तक किसी भी सूरत में देहरादून के लिए निकलना है मुझे भली-भांति ज्ञात है सीमित समय में इतना विराट और भव्य दुर्ग नहीं देखा जा सकता है.सरसरी नज़र से पहले भी आमेर देख चुकी हूं किंतु इस बार मैं आमेर किले के because बारे में थोड़ा बहुत पढ़कर आयी हूं ताकि भारत की इस विशालकाय यूनेस्को की धरोहर को इतिहास की उसी ड्योढ़ी पर बैठकर उस समृद्ध,अनुशासित,वैभव और कीर्ति के काल को केंद्रित दृष्टि से जीवंत महसूस कर सकूं और थोड़ा बहुत आमेर के बारे में लिख पाऊं. ज्योतिष अपनी धरोहरों के माध्यम से ही इतिहास अपने वैभव, because अपनी कीर्ति अपनी संस्कृति को समय की तरंगों पर बसा सकता है. मेरा अपना अनुभव है कि जिस जगह  भ्रमण के ...
रवांई क्षेत्र में पत्रकारिता की अविरल लौ जलाते रहे राजेन्द्र असवाल

रवांई क्षेत्र में पत्रकारिता की अविरल लौ जलाते रहे राजेन्द्र असवाल

देहरादून, साहित्‍य-संस्कृति
पुण्य स्मरण: पुण्य तिथि (30 मई) पर विशेष महावीर रवांल्टा रवांई क्षेत्र में पत्रकारिता की बात करें तो आज अनेक लोग इस क्षेत्र में सक्रिय हैं लेकिन इस क्षेत्र से किसी भी  नियमित पत्र का प्रकाशन नहीं हो सका सिर्फ अस्सी के दशक के पूर्वाद्ध में  बर्फिया लाल जुवांठा और शोभा because राम नौडियाल के संपादन में पुरोला से निकले 'वीर गढ़वाल' की जानकारी मिलती है. सन् 1992 ई में पुरोला से पहली बार 'रवांई मेल' (साप्ताहिक) समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ और इसके संस्थापक, प्रकाशक व संपादक थे- राजेन्द्र असवाल. अपनेपन राजेन्द्र असवाल का जन्म नौगांव विकासखंड के because बलाड़ी गांव में 1 जनवरी सन् 1964 ई को हुआ था.आपके पिता का नाम नैपाल सिंह और मां का नाम चंद्रमा देवी था.तीन भाईयों में आप घर के सबसे बड़े बेटे थे. आपकी आरंभिक शिक्षा गांव में ही हुई फिर राजकीय इंटर कालेज नौगांव से करने के बाद स्नातक ...
किताबें दुनिया की तरफ खुलने वाली खिड़कियां हैं

किताबें दुनिया की तरफ खुलने वाली खिड़कियां हैं

पिथौरागढ़
विनोद उप्रेती  ‘यायावर’ यह किताब 1967 का संस्करण है, जो 1969 में रीप्रिंट होकर आया होगा. जब यह किताब छप रही थी तब दुनिया भर के  Peace Corps volunteers नेपाल में जीवन की बेहतरी के लिए अपनी समझ के हिसाब से कुछ काम कर रहे थे. काम जो भी कर रहे होंगे, तस्वीरें बहुत उम्दा ले रहे थे. हमारे बिल्कुल पास, सुदूर पश्चिम  के बैतड़ी में भी जॉन लेन नाम का युवा घूमकर मजेदार तस्वीरें उतार रहा था. जहां जॉन फ़ोटो ले रहा था वहां से बमुश्किल डेढ़ सौ किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में जंगल के बीच कर्नाटक  से आये एक साधु ने बहुत शानदार स्कूल खोला था जहां सीरा, अस्कोट, जोहार, धारचूला के बच्चे दूर दूर से पढ़ने आते. इस स्कूल को साधु के नाम पर नारायण नगर कहा जाने लगा. इस स्कूल में हमसे पहले हमारे परिवार से हमारे चाचा पढ़ चुके थे. उनसे ही हमें यह किताब मिली. इस किताब को ग्रेट ब्रिटेन में रिचर्ड क्ले ने सफॉल्क नाम के कस्ब...
आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित  विचार मंथन सत्र आयोजित

आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित  विचार मंथन सत्र आयोजित

देहरादून
उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) (Uttarakhand Science Education and Research Centre(USERC)) द्वारा राष्ट्रीय हिमालयन अध्ययन मिशन परियोजना के अन्तर्गत राज्य में आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित काश्तकारों के सामाजिक आर्थिक उन्नयन हेतु उनके द्वारा बनाये जाने वाले पारम्परिक उत्पादों के मूल्यवर्धन, क्षमता विकास एवं विपणन हेतु श्रृंखला विकास की प्रक्रिया पर आधारित एक विचार मंथन सत्र का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में यूसर्क की निदेशक प्रो. (डा.) अनिता रावत ने कहा कि यूसर्क द्वारा बताया कि यूसर्क राज्य के विकास से सम्बन्धित विज्ञान, शिक्षा एवं तकनीकी के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं के द्वारा दुर्गम क्षेत्र तक लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने बासं व रिंगाल के संसाधनों के काश्तकारों को आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन होने के साथ पर्यावरणीय दृष्ट...