Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही पत्रकार का धर्म

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही पत्रकार का धर्म

समसामयिक
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेषडॉ. राकेश रयालहिंदी भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' के नाम से पहला समाचार पत्र आज के ही दिन 30 मई 1826 में निकाला गया था. इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है. because हिंदी भाषा के प्रथम पत्रकार (सम्पादक)  पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कोलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था. इसके प्रकाशक और संपादक भी वे खुद थे. इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता की जगत में विशेष नाम और सम्मान है.कोलकत्ता का हिंदी भाषा बाहुल्य क्षेत्र न because होने तथा हिंदी भाषा के कम पाठकों के चलते यह समाचार एक वर्ष कुछ माह ही प्रकाशित हो पाया. पत्र को हिंदी भषा क्षेत्रों में भेजने के लिए डाक सेवा का सहयोग लिया जाता था, लेकिन राजस्व के अभाव में उन्हें इसे बंद करना पड़ा.अंक शास्त...
साप्ताहिक राशिफल: जून के प्रथम सप्ताह में क्या कहते हैं आपके ​सितारे

साप्ताहिक राशिफल: जून के प्रथम सप्ताह में क्या कहते हैं आपके ​सितारे

साप्ताहिक राशिफल
अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 31 मई से 6 जून, 2021 कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक) अंक शास्त्र साप्ताहिक राशिफल जानने के लिए सबसे पहले आपको आपना अंक ज्योतिष मूलांक जानना जरूरी है. मूलांक व्यक्ति के जीवन का बेहद महत्वपूर्ण अंक माना गया है. जातक का जन्म महीने की जिस भी तारीख को होता है, उस अंक को इकाई के अंक में बदलने के बाद जो भी अंक बनता है, वह जातक का मूलांक कहलाता है. because मूलांक 1 से 9 अंक तक कोई भी हो सकता है, उदाहरण के तौर पर – आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख को हुआ है तो आपका मूलांक 1 + 0 यानी 1 होगा. इसी तरह किसी भी महीने की 1 तारीख से लेकर 31 तारीख तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है. इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं. अंक शास्त्र अंक शास्त्र का हमारे जीवन पर गहरा because प्रभाव देखने को मिलता है, क्...
तिलाड़ी कांड: जब यमुना किनारे निहत्थों पर बरसाई गईं गोलियां

तिलाड़ी कांड: जब यमुना किनारे निहत्थों पर बरसाई गईं गोलियां

इतिहास
तिलाड़ी कांड 30 मई पर विशेषसुनीता भट्ट पैन्यूलीसीमांत जनपद उत्तरकाशी के रवांई घाटी के बड़कोट नगरपालिका के अन्तर्गत यमुना नदी के तट पर बसा हुआ एक स्थान है तिलाड़ी, जो अपने नैसर्गिक सौंदर्य और सघन वन because संपदा के लिए प्रसिद्ध है किंतु दु:ख कि बात है कि तिलाड़ी अपनी दूसरी वजह से हिन्दुस्तान के प्रमुख समाचार पत्रों विशेषकर गढ़वाल और कुमाऊं के साप्ताहिक पत्रों में सुर्खियों में आया जिसके 30 मई 1930 के रक्त रंजित इतिहास से हम उत्तराखंड के अधिकांश बाशिंदे शायद आज भी अनभिज्ञ हैं.आजादीउत्तराखंड के तिलाड़ी कांड के उस काले धब्बेनुमा इतिहास की मेरे सामान्य ज्ञान में अभिवृद्धि नहीं हो पाती यदि मैंने बृज भूषण गैरोला की “रियासती षड्यंत्रों का इतिहास” और स्व. विद्यासागर नौटियाल का “यमुना के बागी बेटे” न पढ़ा होता सोचा तिलाड़ी because कांड का इतिहास उससे जुड़े लोगों की शहादत, उनके अपन...
सीएम तीरथ सिंह रावत ने उत्तरकाशी में विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास, बड़कोट में कोविड केयर सेंटर का किया निरीक्षण

सीएम तीरथ सिंह रावत ने उत्तरकाशी में विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास, बड़कोट में कोविड केयर सेंटर का किया निरीक्षण

उत्तरकाशी
नीरज उत्तराखंडी, उत्तरकाशीमुख्यमंत्री  तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को उत्तरकाशी में लगभग 52 करोड़ 37 लाख रूपये की 26 योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया. जिसमें से 17 करोड़ 41 लाख रूपये की 12 योजनाओं का लोकार्पण  एवं 34 करोड़ 46 लाख रूपये की 14 योजनाओं के शिलान्यास किये गये. मुख्यमंत्री रावत ने जिन योजनाओं का लोकार्पण किया  उनमें 3 करोड़ 20 लाख रूपये की जनपद के विभिन्न मोटर मार्गों पर बिटुमिन्स कंक्रीट द्वारा सतह सुधारीकरण का कार्य, 2 करोड़ 94 लाख की लागत के उत्तरकाशी घनसाली तिलवाड़ा मोटर मार्ग पर बिटुमिन्स कंक्रीट द्वारा सतह सुधारीकरण का कार्य, 2 करोड़ 74 लाख की लागत के ज्ञानसू साल्ड मोटर मार्ग से ज्ञानसू उपला बस्ती मोटर मार्ग का निर्माण, 2 करोड़ 05 लाख की लागत के गंगोत्री में वरूणाघाटी में भराणगांव-उपरीकोट मोटर मार्ग के 5 किमी में 30 मीटर स्पान के 1.50 लेन स्टील गर्डर सेतु का निर्माण, 1 करो...
पहाड़ में महिलाओं के मासिक धर्म के वो पांच दिन

पहाड़ में महिलाओं के मासिक धर्म के वो पांच दिन

सेहत
मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (28 मई) पर विशेषनीलम पांडेय ‘नील’कुछ सालों पहले उत्तराखण्ड के गाँवों में कोई नई दुल्हन जब ससुराल में प्रवेश करती थी – उसकी पहली माहवारी, जिसे लोक भाषा में धिंगाड़ होना, छूत होना, अलग होना, because दिन होना या मासिक आदि नामों से जाना जाता है, के लिए एक अलग ही माहौल तैयार किया जाता था.माहवारी माहवारी के पहले दिन से ही उसे पता चल जाता था कि अब जब भी उसे माहवारी आती रहेगी, उसको माहवारी के नियमों को ओढ़ना होगा और खुद को उसमें रचना, बसाना होगा. because अपने दर्द और स्त्री सम्मान को भूलकर उसे अपनी सदियों से चली आ रही परंपराएं जीवित रखनी होंगी. शायद इन्हीं परंपराओं के कारण उस स्त्री को कभी अपने दर्द और सम्मान का अहसास भी नहीं हुआ या उसको उस समय इन नियमों के विरूद्ध जाने की हिम्मत नहीं हुई होगी.माहवारीगावों में इन प्रथाओं को खूब अच्छे से मानने वाली, ...
जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने वाले उत्तराखण्ड के जलपुरुष व जलनारियां

जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने वाले उत्तराखण्ड के जलपुरुष व जलनारियां

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-35डॉ. मोहन चंद तिवारीउत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-6 प्रस्तुत लेख 1 जुलाई, 2017 को 'प्रज्ञान फाउंडेसन' द्वारा नई दिल्ली स्थित अल्मोड़ा भवन में 'उत्तराखंड में पानी की समस्या तथा समाधान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी because में दिए गए मेरे वक्तव्य का संशोधित तथा परिवर्धित सार है, जो वर्त्तमान सन्दर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक, उपयोगी और गम्भीरता से विचारणीय है.वाटर हारवैस्टिंग इस लेख के द्वारा दूधातोली के जलपुरुष सच्चिदानन्द भारती और अल्मोडा जिले की जलनारी बसंती बहन भुवाली के जगदीश नेगी और नैनीताल के चंदन सिंह नयाल द्वारा अत्यंत विषम परिस्थियों में भी जल संरक्षण और पर्यावरण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए विशेष योगदान से जन सामान्य को अवगत कराया गया है और यह भी because बताया गया है कि अनेक प्रकार की चुनौतियों और संघर्षों से जूझते हुए इन उत्तराखंड के जल पुरुषों और ज...
सराहनीय पहल: आवारा बेजुबान जानवरों को हर रोज रोटी व चारा बांट रहे ‘जय हो ग्रुप’ के युवा

सराहनीय पहल: आवारा बेजुबान जानवरों को हर रोज रोटी व चारा बांट रहे ‘जय हो ग्रुप’ के युवा

अभिनव पहल
हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट जब भी कोई बड़ी आपदा या विपदा हमारे समाज पर आती हैं, तो उसका असर हम सभी के जीवन पर पड़ता है. वह हमारी दिनचर्या को बिगाड़ देती है. जब भी समाज या देश पर कोई संकट अथवा महामारी आती है, तो उसके विश्वव्यापी प्रभाव से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह गड़बड़ा जाती है. because हमारा पूरा का पूरा तंत्र प्रभावित होता है. अभी हम कोरोना संक्रमण की पहली लहर से उभरे भी नहीं थे कि दूसरी लहर ने हमारे पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थायें इस महामारी के सामने बौनी साबित हुई.  इस कोरोना महामारी से जितना आम इंसान का जीवन प्रभावित हुआ, उससे ज्यादा इसका असर बहमारे बेजुबान मवेशियों पर पड़ा. यूसर्कयदि हम गांव देहात की बात करें तो वहां लोगों ने अपने प्राणों की रक्षा करते हुए अपने मवेशियों का भी उतना ही ध्यान रखा जितना कि अपना. लेकिन यदि हम बात हमारे बाजा...
दुदबोलि के पहरू थे मथुरा दत्त मठपाल

दुदबोलि के पहरू थे मथुरा दत्त मठपाल

साहित्‍य-संस्कृति
कृष्ण चन्द्र मिश्राकुमाउनी भाषा के कवि और दुदबोलि के पहरू(रक्षक) मथुरादत्त मठपाल 'मनख' का जन्म 29 जून 1941 ईस्वी को हुआ. इनकी जन्म स्थली अल्मोड़ा जिला के भिक्यासैंण ब्लॉक का नौला गांव था. यह गांव पश्चिमी रामगंगा because नदी के बाएं किनारे पर बसा हुआ है. इनके पिता स्व. हरिदत्त मठपाल स्वतन्त्रा संग्राम सेनानी थे. देश आजाद होने से पहले वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे. इनकी माँ कान्ति देवी कर्मठ महिला थीं. इनका परिवार संपन्न था. मथुरादत्त मठपाल मठपाल जी की पढ़ाई गांव के प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई, सन् 1951 ई0 में प्राथमिक विद्यालय विनायक से दर्जा 5 पास किया, मानिला मिडिल स्कूल से 8 वीं कक्षा पास की. रानीखेत नेशनल हाईस्कूल से सन् 1956 ई0 में दसवीं और रानीखेत because मिशन इण्टर कॉलेज से इण्टरमीडिएट पास किया. लखनऊ विश्वविद्यालय में बी0एस0सी0 प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया किन्तु...
नैन सिंह रावत: पूर्वजों का नाम से उभरता पहाड़ का इतिहास

नैन सिंह रावत: पूर्वजों का नाम से उभरता पहाड़ का इतिहास

इतिहास
स्वीटी टिंड्डेचार सौ साल पहले आपका ‘सरनेम’ से नहीं आपके मूल नाम से पहचान होती थी. नैन सिंह (रावत) जी अपना नाम में रावत नहीं लगाते थे, उनके पिता, दादा, परदादा और उनके भी पूर्वज न तो सिंह लगाते थे और न ही रावत लगाते थे. अपने नामbecause के आगे ‘सरनेम’ तो भगवान राम से लेकर रावण, अकबर से लेकर बीरबल, सम्राट अशोक से लेकर चंद्रगुप्त और शिवाजी भी नहीं लगाते थे. जिन्हें टाइटल लेना होता था वो अपनी उपलब्धि के उपलक्ष्य में टाइटल लेते थे वो भी नाम के पहले. जैसे मर्यादा-पुरुषोत्तम, राम के लिए; सत्यवादी, हरिश्चंद्र के लिए; छत्रपति का टाइटल शिवाजी के लिए, सर का टाइटल रवींद्रनाथ टैगोर के लिए, और डॉक्टर का टाइटल PhD करने वालों के लिए. पर ये जाति का टाइटल हमने कब से लेना शुरू कर दिया. क्या हमारा आधुनिक समाज अपनी जाति के प्रति अधिक सजग व जागरूक होता गया?यूसर्क अब नैन सिंह जी के पूर्वजों के नाम को गौर ...
जलवायु परिवर्तन से जुड़े हैं तूफ़ान यास, तौकते और अम्फान के तार 

जलवायु परिवर्तन से जुड़े हैं तूफ़ान यास, तौकते और अम्फान के तार 

पर्यावरण
निशांत  भारत के नौ राज्यों में तूफ़ान तौकते के कहर का सामना करने के सिर्फ़ एक हफ्ते बाद, देश अब बंगाल की खाड़ी में अपने दूसरे चक्रवाती तूफान यास के लिए कमर कस रहा है. because तौकते की यात्रा की तरह, उष्णकटिबंधीय तूफ़ान यास भी तेज़ी से तीव्र हो रहा है. तूफ़ान यास को वर्तमान में गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में देखा जा रहा है, जो पूर्व-मध्य और उससे सटी बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य में मंथन कर रहा है, जिसकी निरंतर हवा की गति 100-115 किमी प्रति घंटे है, और 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक बढ़ जाती है (लाइव अपडेट यहां ट्रैक करें). यूसर्क वर्तमान में, तूफ़ान यास पारादीप से लगभग 320 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व, बालासोर से 430 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व और दीघा से 420 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व,और खेपुपारा से 470 किमी दक्षिण-दक्षिणपश्चिम पर है. ऋतुविज्ञानशास्रीयों (मौसम विज्ञानियों) के अनुसार, तूफ़ान यास अनुक...