Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
पहाड़ की खूबसूरती को बबार्द करते ये कूड़े के ढेर!  

पहाड़ की खूबसूरती को बबार्द करते ये कूड़े के ढेर!  

पर्यावरण
पहाड़ में कूड़ा निस्तारण एक गंभीर समस्‍या!भावना मासीवाल पहाड़ की समस्याओं पर जब भी चर्चा होती है तो उसमें रोजगार और पलायन मुख्य मुद्दा बनकर आता है. यह मुद्दा तो पहाड़ की केंद्रीय समस्याओं की धूरी तो है ही. इसके साथ ही अन्य समस्याएं भी so पहाड़ के जीवन को प्रभावित कर रही है. इनमें एक समस्या है कूड़े का निस्तारण. आप भी सोचेंगे भला रोजगार और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों को छोड़कर कहा एक कूड़े के निस्तारण के मुद्दे पर चर्चा हो रही है. यह विषय देखने में जितना छोटा व गैर जरूरी लगता है. दरअसल उतना है नहीं. कूड़ा निस्तारण की समस्या पूरे विश्व की समस्या है.पलायनहमारा देश भारत स्वयं भी प्रति दिन उत्सर्जित लाखों टन कूड़े के निस्तारण की समस्या से जूझ रहा है. हमारे देश में 1.50 लाख मेट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है. इसमें से भी कुछ so प्रतिशत कूड़े का ही निस्तारण हो पाता है. शेष कूड़ा महानगरों में शहर ...
हिन्दू धर्म विश्व का सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रवादी धर्म है

हिन्दू धर्म विश्व का सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रवादी धर्म है

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी जी का राष्ट्रवाद-1डॉ. मोहन चंद तिवारी(दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में 'इंडिया ऑफ माय ड्रीम्स' पर आयोजित ग्यारह दिन (9जुलाई -19 जुलाई, 2018 ) के समर स्कूल के अंतर्गत गांधी जी के राष्ट्रवाद because और समाजवाद पर दिए गए मेरे व्याख्यान का सारपूर्ण लेख,जो आज भी प्रासंगिक है) गांधी जी के अनुसार दुनिया के जितने भी धर्म हैं उनमें हिन्दूधर्म ही एकमात्र ऐसा राष्ट्रवादी धर्म है,जिसमें कट्टरता का अभाव है और जो सब से अधिक सहिष्णु है. because गांधी जी के अनुसार "हिन्दूधर्म न केवल मनुष्यमात्र की बल्कि प्राणिमात्र की एकता में विश्वास रखता है." - (यंग इंडिया,20-10-1927)ज्योतिष गौरतलब है कि 13 जुलाई, 1947 में because 'हरिजन सेवक' पत्रिका में समाजवादी कौन है? इस विषय पर लिखते हुए गांधी जी ने कहा था- “सारी दुनिया के समाज पर नज़र डालें तो हम देखेंगे कि हर जगह द्वैत ही द्वैत है. ए...
अरे! ये तो कॉन्ट्रास्ट का ज़माना है…

अरे! ये तो कॉन्ट्रास्ट का ज़माना है…

किस्से-कहानियां
कहानी- कॉन्ट्रास्टपार्वती जोशी पूनम ने अपनी साड़ियों की अल्मारी खोली और थोड़ी देर तक सोचती रही कि कौन-सी साड़ी निकालूँ. आज उसकी भाँजी रितु की शादी है. सोचा ससुराल पक्ष के सब लोग वहाँ उपस्थित होंगे. so उसे भी खूब सज धज कर वहाँ जाना होगा. उनमें से कोई भी साड़ी उसे पसंद नहीं आई. फिर भारी साड़ियों का बॉक्स खोला, हाल ही में उसने उन साड़ियों की तह खोलकर, उलट-पलट कर उन्हें बाहर हवा में रखा था.ग़रीब भाईवे उसके पास आकर बोले “बैनी! तेरा ये ग़रीब भाई तुझे क्या दे सकता है, ये तेरे सुहाग की चूड़ियाँ हैं, अल्ला ताला से दुआ माँगता हूँ कि तेरा सुहाग सदा बना रहे.” डबडबाई because आँखों से पूनम ने उनका हाथ पकड़ा. रुँधे गले से वह केवल इतना ही कह पाई,” नज़र भइया! ये मेरी शादी का सबसे खूबसूरत और क़ीमती तोहफ़ा है, इसे मैं हमेशा सँभाल कर अपने पास रखूँगी.”साड़ियों साल में एक बार वह उन साड़ियों को...
हरेला : कोरोना काल में एक दूसरे की मदद को प्रेरित करता त्योहार

हरेला : कोरोना काल में एक दूसरे की मदद को प्रेरित करता त्योहार

लोक पर्व-त्योहार
सुख समृद्धि की कामना का पर्व हरेलाऋतु खंडूरी विधायक, यमकेश्वर हरेला. यानी हर्याव. सुख समृद्धि की कामना का पर्व. दूसरों को आशीवर्चन देने का पर्व. खिलखिलाने का पर्व. दूसरों को खुश देखकर खुद खुश होने का पर्व. ऐसे ही तो कई संदेश छिपे हैं because उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला में. इसे स्थानीय बोली में हर्याव भी कहते हैं. मूलत: कुमाऊं क्षेत्र में मनाये जाने वाला यह पर्व आज विश्वव्यापी है. यूं तो साल में तीन बार हरेला पर्व मनाया जाता है, लेकिन सावन मास की शुरुआत में मनाये जाने वाले इस पर्व का विशेष महत्व है. नेता जी सावन यानी हरियाली की शुरुआत. हरियाली यानी सुख-समृद्धि. इस शुरुआत पर हरेला का त्योहार मनाकर हम जहां अपने because परिवेश में खुशहाली की कामना करते हैं, वहीं दूर देश में जा बसे अपने अपनों की भी समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं. बहनें चहकती हैं कि भाई को आशीर्वचन स्वरूप हरेला लगाए...
बेटा! हरेला बोना कभी नहीं छोड़ना!

बेटा! हरेला बोना कभी नहीं छोड़ना!

लोक पर्व-त्योहार
आज हरेला है, ईजा की बहुत याद आती है…डॉ. मोहन चंद तिवारी आज श्रावण संक्रांति के दिन हरेले का  त्योहार है. सुबह से ही ईजा (मां) की और कॉलेज की बहुत याद आ रही है.आज मुझे हरेला लगाने के लिए न तो मेरी मां जीवित है because और न ही कॉलेज जाने की कोई जल्दी!कॉलेज से सेवानिवृत्त हुए लगभग आठ साल हो गए हैं.ईजा के बिना हरेले का त्योहार कुछ सूना सूना सा लग रहा है.त्योहार की खुशी बहुत है किंतु आत्मतुष्टि बिल्कुल भी नहीं.पर मुझे संतोष है कि मातृत्वभाव का आशीर्वाद दिलाने वाला यह हरेला का त्यौहार आज भी मेरे और मेरे परिवारजनों के पास धरोहर के रूप में संरक्षित है.नेता जी मुझे याद है कि गर्मियों की छुट्टी के बाद हर साल 16 जुलाई को दिल्ली विश्वविद्यालय में कालेज खुलते थे तो संयोग से उसी दिन हरेले का त्यौहार भी होता था.मेरी मां मुझे because रात से ही सचेत करते हुए कहती- "च्यला यौ त्यौर कौलीज लै कौस छू ...
अनुराग ठाकुर के खेल व राजनीति के व्यापक अनुभव से संवरेंगे भारतीय खेल

अनुराग ठाकुर के खेल व राजनीति के व्यापक अनुभव से संवरेंगे भारतीय खेल

देश—विदेश
अरविन्द मालगुड़ीजब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, तो भारतीय खेलों की विरासत संभाल रहे खिलाड़ियों के अलावा एक चेहरे ने सबका ध्यान खींचा because था. जो भारत के सबसे युवा नए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर हैं. ओलंपिक से 16 दिन पहले  जब प्रधानमंत्री मोदी ने खेल मंत्रालय को किसी और हाथों में सौंपने  का फैसला लिया होगा, तो उनके लिए ये फैसला लेने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई होगी, क्योंकि उनकी टीम  में  खेल और राजनीती दोनों में  खासा अनुभव रखने वाले अनुराग ठाकुर इस ज़िम्मेदारी में फिट बैठने वाले मंत्री के रूप में पहले से मौजूद  थे.खेल मंत्रालयसिर्फ़ युवा मंत्री  होना ही अनुराग की ख़ूबी नहीं है, क्यूंकि पिछले मंत्री किरन रीजिजू और  पहले के खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर भी युवा ही थे. पर अनुराग ठाकुर  के युवा होने के साथ उनका खेल और ख...
मेरे लायक…

मेरे लायक…

किस्से-कहानियां
लघु कथाडॉ. कुसुम जोशी         सिगरेट सुलगा कर वो चारों सिगरेट का कश खींचते हुये सड़क के किनारे लगी बैंच में बैठ गये. एक ने घड़ी देखी, बोला- “चार बज कर बीस मिनट” बस स्कूल की छुट्टी का समय हो गया है. सौणी कुड़िया अब आती ही होंगी”.  बाकि तीन बेशर्म हंसी हंसने लगे. दूसरा बोला “इतनी सारी लड़कियां ऐसे आती हैं, जैसे बाड़ा तोड़ कर भेड़ बकरियाँ”. समझ में नही आती कि इनमें से मेरे लायक कौन सी है, किसे फाईनल करुं यार..." तीसरा बोला, “अभी तो सभी को अपने लायक समझा कर, बाकि देख वक्त के साथ देख लेगें”, और सभी ने तेज कहकहा लगाया. चौथा मुस्कुराता हुआ बोला, “देख लो..जी भर के... नेत्रसुख ले लो... अभी तो यही बहुत है.  इतना सीरियस होने की जरुरत नही... अभी तक कभी पिटे नही, यही मेहरबानी है. पांचवां शख्स जो समान रूप से चारों के अन्दर विद्यमान था और उन्हें बरसों से जानता था वो अनायास ही बोल पड़ा, “जैसी तु...
रसगुल्लों का कोलम्बस:  तोमार… रोसोगुल्ला…  औऱ तोमार… शौक्तो…

रसगुल्लों का कोलम्बस:  तोमार… रोसोगुल्ला…  औऱ तोमार… शौक्तो…

ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-16मंजू कालाउड़ी... बाबा! हुगली नदी के पूर्वी तट पर बसा, ‘सीटी आफ ज्वाय’ के नाम से मशहूर… कोलकाता कलकत्ता,  कोलकाता,  कैलकटा… because जाने कितने नामों से जानते हैं हम इस खूबसूरत शहर को. क्या? जानियेगा कि आज भी इस शहर में ट्रामैं चलती हैं. क्या मानियेगा कि  कोलकाता में अब भी हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे चलते हैं? सुनियेगा कि फ्रैंक-फर्ट पुस्तक मेला और लंदन पुस्तक मेला के बाद नम्बर आता है कोलकाता पुस्तक मेले का!  सच में...कोलकाता शांत समंदर की लहरों जैसा है यह शहर मधुर और मदिर! खूबसूरत तांत की साडियां, शंख, because सिंदूर, केले के बागान, पान के पत्ते, डोल जात्रा, पोइला बैसाख, सामूहिक थिएटर, परिणीता के इंतज़ार का शहर, ताश के पत्ते फेंटता शहर, बाउटी और रतन चूड़ा खनका कर भात... रान्धती, नारायणी का शहर, आम के बगीचे में पारो की चोटी खिंचता देवदास का शहर.कोलका...
शशि थरूर के बाद हरदा ने क्यों की निशंक के कार्यों की तारीफ? जानिए क्या हैं इसके मायने

शशि थरूर के बाद हरदा ने क्यों की निशंक के कार्यों की तारीफ? जानिए क्या हैं इसके मायने

देश—विदेश
अरविंद मालगुड़ीडॉक्टर रमेश पोखरियल निशंक द्वारा हाल ही में स्वास्थ्य कारणों के चलते शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया गया. अच्छा होता कि बेहतरीन ऐतिहासिक शिक्षा नीति देश को देकर निशंक ही because उसे क्रियान्वित करते लेकिन सूत्रों की माने तो वे अपने स्वास्थ्य को इस महत्वपूर्ण मिशन में बाधक नहीं बनना देना चाहते थे. दरअसल शिक्षा नीति की सफलता के लिए समय बद्धता ज़रूरी है. ऐसे में निशंक ने कार्य मुक्त होने का निर्णय लिया. बुग्याल भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने और विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने के उनके प्रयासों को देश विदेश  में जमकर सराहा गया. मुझे नहीं लगता भारत के इतिहास में पहले because ऐसा हुआ हो. सतत संवाद और विश्व के सबसे बड़े परामर्श या कहें मुक्त नवाचार से बनी इस नीति ने सभी हितधारकों की अपेक्षाओं को पूरा किया. कांग्रेसी नेताओं ने भी नीति की प्रशंसा की. शशि थरूर के बाद...
हरेला उत्तराखंड की हरितक्रान्ति की याद दिलाता कृषि पर्व

हरेला उत्तराखंड की हरितक्रान्ति की याद दिलाता कृषि पर्व

लोक पर्व-त्योहार
डॉ. मोहन चंद तिवारी इस साल उत्तराखंड में because कहीं 7 जुलाई से तो कहीं 8 जुलाई से हरेला बोया जा चुका है और 16 जुलाई को संक्रांति के दिन इसे काटा जाएगा. हरेला वैदिक कालीन कृषि सभ्यता  का परंपरागत लोकपर्व है. उत्तम खेती, हरियाली, धनधान्य, सुख-संपन्नता और आर्थिक खुशहाली का इस त्यौहार से घनिष्ठ सम्बंध रहा है. माना जाता है कि जिस घर में हरेले के पौधे जितने बड़े होते हैं,उसके खेतों में उस वर्ष उतनी ही अच्छी फसल होती है.बुग्याल कैसे बोया जाता है हरेला? हरेले में बोए जाने वाले बीजों को 'सतनाजा'  कहते हैं अर्थात सात प्रकार के अनाजों का बीज, जिसमें जौ, मक्का, गेहूं, धान, मूँग, गहत, रैंस, पीली सरसों, सोयाबीन because आदि फसलों से कोई भी उपलब्ध सात बीज बोए जा सकते हैं. कुमाऊं के अधिकतर क्षेत्रों में काला बीज नहीं बोया जाता है परन्तु  कई जगह मास या उड़द आदि काला बीज भी बोया जाता है. कहीं कहीं पा...