हिमाचल-प्रदेश

उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, विधायक भी नामजद

उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, विधायक भी नामजद

हिमाचल-प्रदेश
शिमला : हिमाचल के राजनीतिक तूफान का कनेक्शन उत्तराखंड से जुड़ गया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के खिलाफ शिमला में मुकदमा दर्ज किया गया है। हिमाचल कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ ही निर्दलीय विधायक भी हैं।हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर छाया राजनीतिक संकट नया रूप लेने लगा है। कांग्रेस के दो विधायकों भुवनेश्वर गौड़ व संजय अवस्थी ने निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा व अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस के विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी करवा दी। राकेश शर्मा उत्तराखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं। इस बीच कांग्रेस ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सुझाव पर समन्वय समिति का गठन कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर व राम लाल ठाकुर क...
आपदा पीड़ितों की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन ने बढ़ाया हाथ

आपदा पीड़ितों की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन ने बढ़ाया हाथ

हिमाचल-प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की पांच करोड़ रुपये सहायता राशि हिमाचल इस समय भारी तबाही का सामना कर रहा है. बाढ़ और बारिश से इसके चलते यहां जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. लोगों के घर मलबे में तब्दील हो गए,जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते हिमाचल प्रदेश में हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को 'प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र' घोषित कर दिया है. प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हिमाचल प्रदेश को इस आपदा से उबारने के लिए केंद्र सरकार,कई राज्यों की सरकारों के साथ तमाम सामाजिक संगठनों ने आपदा प्रभावित हिमाचल की मदद के लिए हाथ बढ़ाए. इस क्रम में आपदा प्रभावित की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन आगे आया है. द हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत माताश्री मंगला एवं श्री भोले जी महाराज ने हिमाचल आपदा पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदन...
क्यों पिछड़ गयी हिमाचल की हिंदी कविता?

क्यों पिछड़ गयी हिमाचल की हिंदी कविता?

पुस्तक-समीक्षा, हिमाचल-प्रदेश
पुस्तक समीक्षा गगनदीप सिंह  हिमाचल प्रदेश में लगभग 35 सालों से लगातार छप रही सरकारी हिंदी त्रैमासिक पत्रिका 'विपाशा' की साहित्यक हलकों में ठीक-ठाक शाख है. हिमाचल के साहित्यकारों को और देश की 'मुख्यधारा’ के साहित्यकारों के बीच एक पुल का काम यह लंबे समय से निभाती आ रही है. हिमाचल के हिंदी साहित्य पर हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की छाप पूरी तरह से देखी जा सकती है. एक तरह से कहा जा सकता है कि हिमचाल का साहित्य सरकारी छत्रछाय में पला बढ़ा है. इस विभाग द्वारा हर साल जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक कई कार्यक्रम आयोजित और प्रायोजित किये जाते हैं. साहित्यकारों को मिलने वाली मानदेय की सुविधा इनकी बहुत मदद करती है. पिछले 35 सालों में छपे विशेषांकों और खासकर कविता विशेषांकों से अगर तुलना की जाए तो इस बार का कविता विशेषांक केवल रस्मी तौर पर विशेषांक नहीं था बल्कि यह सचमु...
पहाड़ और स्वयं के भीतरी तापमान को समझने में नाकाम रही बीजेपी

पहाड़ और स्वयं के भीतरी तापमान को समझने में नाकाम रही बीजेपी

हिमाचल-प्रदेश
प्रकाश उप्रेती पहाड़ों में गिरते तापमान के बीच चुनाव परिणामों ने हिमाचल के मौसम में गर्माहट पैदा कर दी है. इस बार के चुनाव परिणामों ने नब्बे के दशक से चले आ रहे पैटर्न को दोहराते हुए भी कई बड़े संकेत दिए हैं. इन संकेतों को “पाँच साल कांग्रेस और फिर पाँच साल बीजेपी” वाले फार्मूले से हटकर देखने की जरूरत हैं क्योंकि एक तरफ जहां बीजेपी राष्ट्रीय मुद्दों और चेहरों के साथ राज्य-दर-राज्य जीत रही है वहीं कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है. साथ ही इधर के कुछ वर्षों में बीजेपी ने जिस तरह से चुनाव लड़े हैं उसे देखकर भी इन परिणामों को सिर्फ पैटर्न के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. बीजेपी निकाय से लेकर लोकसभा तक के चुनावों को पूरी ताकत से लड़ती है. हिमाचल में तो पाँच साल उसकी सरकार रही है और केंद्र में अनुराग ठाकुर जैसे बड़े कद के मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसी प्रदेश से आते हैं. ऐसे में हिमाचल में बीजेपी क...
हिमाचल: करसोग में दिखाए गए विलुप्त होते पुराने अनाजों के बीज और खिलाए गए व्यंजन

हिमाचल: करसोग में दिखाए गए विलुप्त होते पुराने अनाजों के बीज और खिलाए गए व्यंजन

हिमाचल-प्रदेश
करसोग में बनाया जाएगा जैविक कृषि के लिए बाजार बनेगा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन हिमांतर, करसोग एक समय था जब हमारे देश में अनाज की कमी हो गई थी. उस समय सरकारों ने अपने देशी बीजों को विकसित करने की बजाए विदेशी हाइब्रिड बीजों को तवज्जो दी गई. इन बीजों से अनाज की कमी तो पूरी हो गई लेकिन इन बीजों के कारण हमारे देश की खेती विदेशी कंपनियों के हाथों का खिलौना बन गई. बाहर से जो बीज आए उनके लिए भरी मात्रा में रासायनिक खाद और दवाइयों का इस्तेमाल भी किया गया. अत्यधिक पानी का दोहन किया गया। इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि हमारे देश की मिट्टी बर्बाद हो गई, इंसानों में कई किस्म की बीमारियों को बढ़ावा मिला. इन सबके बुरे परिणाम हुए उनको ठीक करने की कोशिश के तहत पर्वतीय टिकाऊ खेती अभियान के तहत हिमाचल प्रदेश द्वारा पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. महिला मंडलों के साथ मिलकर पुराने अनाजो...
सुकेत रियासत के राजा के सामंती शोषण के खिलाफ लड़ने वाले दो क्रांतिकारी विद्रोही, जिनको भूल चुकी है सरकार

सुकेत रियासत के राजा के सामंती शोषण के खिलाफ लड़ने वाले दो क्रांतिकारी विद्रोही, जिनको भूल चुकी है सरकार

हिमाचल-प्रदेश
मनदीप कुमार हिमाचल प्रदेश की सुकेत रियासत के राजाओं का शासन बेहद क्रूर और आम जनता का शोषण करने वाला रहा है. 8वीं शताब्दी में बंगाल से आए सेन वंशी राजाओं ने यहां पर निवास because करने वाली डूंगर जाति नरसंहार कर अपनी रियासत की स्थापना की थी. स्थानीय राजाओं, ठाकुरों को उन्होंने आपसी फूट के कारण हरा दिया था. लगभग 1300 सालों सुकेत रियासत में राजाओं का शासन रहा. इसके खिलाफ बहुत सारे लोग लड़े, इन्हीं में सो दो विद्रोही क्रांतिकारी हुए हैं भनेरा गांव के तांती राम और न्हारू राम, जिनका जिक्र न तो हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी पुस्तक में है न उनको कभी स्वतंत्रता सेनानी होने का प्रमाण पत्र मिला. ज्योतिष क्रांतिकारी तांती राम, गांव भनेरा इस बात में कोई संदेह नहीं है कि because राजाओं के शासन काल में आम जनता पर खूब अत्याचार होते थे. इन अत्याचारों में राजाओं के कारकुन, प्यादे, चौधरी, नंबरदार आद...
देव कन्या ने उतारा ‘देवभूमि हिमाचल’ का नकाब!

देव कन्या ने उतारा ‘देवभूमि हिमाचल’ का नकाब!

पुस्तक-समीक्षा, हिमाचल-प्रदेश
गगनदीप सिंह इस किताब की सबसे बड़ी सफलता ये हैं कि इसका विमोचन हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने हाथों से किया था. मुख्यमंत्री ने लेखिका के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लेखिका ने अपनी कहानियों के माध्यम से पहाड़ी महिलाओं के संघर्षों और मनोदशाओं को चित्रित करने में सफलता प्राप्त की है. उन्होंने कहा कि because कहानियां अच्छी तरह से तैयार की गई हैं और भाषा, शैली और स्वर में सरल हैं, और लेखक ने पहाड़ियों में प्रचलित कलात्मक प्रयोग, परंपराओं और रीति-रिवाजों को एक नई ऊंचाई दी है. ज्योतिष देव कन्या ठाकुर ने अपनी कहानियों में जो विषय चुना है, उस पर हिमाचल में आम तौर पर चर्चा वर्जित हैं, वर्जित इस रूप में हैं कि अगर आप इस विषय पर खुल कर बोलोगे, because रीति-रिवाज के नाम से थोपे जा रहे सामंती मूल्यों के खिलाफ बोलोगे तो इसके नतीजे आपको भुगतने होंगे. ज्योतिष देव कन्या ठा...
भारत में पहली बार ‘मॉन्क फल’ की खेती

भारत में पहली बार ‘मॉन्क फल’ की खेती

खेती-बाड़ी, हिमाचल-प्रदेश
सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर द्वारा की पहल जे.पी. मैठाणी/हिमाचल ब्यूरो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 422 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं. अतिरिक्त गन्ना शर्करा के सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 मधुमेह, यकृत की समस्याएं, चयापचय सिंड्रोम, हृदय रोग आदि जैसी अनेक जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इस संबंध में, कम कैलोरी मान के कई सिंथेटिक because मिठास वाले पदार्थ हाल ही में फार्मास्युटिकल और खाद्य उद्योगों ने बाज़ार में उतारे हैं. हालांकि, आम तौर पर उनके संभावित स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते उनकी व्यापक स्वीकार्यता को सीमित करती है. इसलिए, दुनिया भर के वैज्ञानिक सुरक्षित और गैर-पोषक प्राकृतिक मिठास के विकास पर लगातार काम कर रहे हैं. ज्योतिष यह पौधा लगभग 16-20 डिग्री सेल्सियस के वार्षिक औसत तापमान और आर्द्र प...
स्‍त्री देह आकार और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विख्‍यात है रेणुका झील

स्‍त्री देह आकार और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विख्‍यात है रेणुका झील

हिमाचल-प्रदेश
दीपा कौशलम हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सिरमौर जिले में रेणुका झील एक रमणीय और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. ये एक लंबाकार झील है जो नाहन और संगराह के बीच स्थित है. रेणुका झील (Renuka Lake) अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पर्यटकों को आकर्षित करने वाला स्थान है जहां चारों तरफ फैली हरियाली मन मोह because लेती है. रेणुका झील समुद्र तल से 672 मीटर उपर एक आद्रभूमि है जहां झील के अतिरिक्त सैंचुरी और चिड़ियाघर भी है जिसमें विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों को देखा जा सकता है. सन् 1987 में इस जगह को वाइल्ड लाइफ सैंचुरी घोषित किया गया और सन्  2005 में अद्वितीय जैव विविधता के कारण रामसर क्षेत्र में शामिल कर दिया गया. हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों से पर्यटक इस झील को देखने आते हैं . आसपास क्षेत्रीय लोगों के अनुसार रेणुका झील की उत्पत्ति की धार्मिक कथा इस प्रकार है- रेणु न...
अद्भुत प्राकृतिक छटा, बौद्ध सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है लाहौल-स्पीति 

अद्भुत प्राकृतिक छटा, बौद्ध सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है लाहौल-स्पीति 

हिमाचल-प्रदेश
आदिकाल से देवताओं, गन्धर्वों, किन्नरों और मनुष्यों की मिली जुली जातियों का संगम स्थल रहा है लाहुल सुनीता भट्ट पैन्यूली देवभूमि हिमाचल प्रदेश जहां अपने because नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रचलित है वहीं इसी प्रदेश का एक विश्व-प्रसिद्ध पर्यटक स्थल लाहौल-स्पीति अपनी अद्भुत प्राकृतिक छटा, बौद्ध सभ्यता और संस्कृति के लिए जाना जाता है. हिमाचल लाहौल और स्पीति  भारत का एक ऐसा क्षेत्र so जिसके अस्तित्व की भारत के मानक-चित्र में उपस्थिति की जानकारी  संभवतः बहुत कम लोगों को है, हिमाचल प्रदेश की दो पृथक हिमालयी घाटियां लाहौल और स्पीति हैं जो भारत तिब्बत सीमा पर स्थित हैं. लाहौल घाटी जहां प्राकृतिक रूप से समृद्ध, चंद्र but और भागा नदियों द्वारा पोषित व फलीभूत है वहीं स्पीति अपने विस्तीर्ण बर्फीले रेगिस्तानों, लुभावने ट्रैक, घाटियों और मठों के लिए प्रसिद्ध है. रोहतांग दर्रे को पार करते ...