मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी…

विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह (1 अगस्त से 7 अगस्त)

इस बार की थीम ‘स्‍तनपान की रक्षा करें- एक साझा जिम्‍मेदारी’ है। इस थीम का उद्देश्‍य लोगों को स्‍तनपान के लाभ बताना और उसके प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसी उपलक्ष्य नीलम पांडेय ‘नील’ की कविता

मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी…..

मां, तेरे दूध की पहली धार को,
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
प्रेम की बयार कहूंगी,
मेरे चेहरे पर होने वाली
स्नेह बारिश की,
पहली सी फुहार कहूंगी।

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
सुरक्षा का टीका कहूंगी,
आजीवन तेरे स्नेह का
मेरे लिए उपहार कहूंगी,
तेरे ममत्व को बेमिसाल कहूंगी।

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
रक्षा का चक्र कहूंगी,
जीवन को वरदान कहूंगी,
तेरे दूध की हर बूंद को
दृढ़ विश्वास कहूंगी।

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
स्तन चूसन की पीड़ा को ढक,
मन्द मन्द मुस्कान तेरी,
तेरी सूरत से मेरी सूरत है
तुझे भगवान कहूंगी

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
जीवन कहूंगी,
तुझे जीवनदायिनी कहूंगी,
तेरे आंचल को ही घर कहूंगी।

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
तेरे नाम पर झुकते हैं,
बड़े बड़ों के सर,
बुजुर्ग भी अपनी मां को याद कर
बच्चे से हो जाते हैं,
तुझे, दुनिया कहूंगी
और दुनिया की हर मां को
सलाम कहूंगी।

मां, तेरे दूध को
सिर्फ दूध नहीं कहूंगी।
विश्व स्तनपान कहूंगी,
विश्व में हर मां का सम्मान कहूंगी।

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