Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
सामाजिक समता के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर

सामाजिक समता के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर

स्मृति-शेष
अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस पर विशेष      डॉ. मोहन चंद तिवारीभारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर भारत में एक ऐसे वर्ग विहीन समाज की संरचना चाहते थे जिसमें जातिवाद, वर्गवाद, सम्प्रदायवाद तथा because ऊँच-नीच का भेद नहीं हो और प्रत्येक मनुष्य अपनी अपनी योग्यता के अनुसार सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए स्वाभिमान और सम्मानपूर्ण जीवन जी सके. दलितों को स्वावलम्बी बनाने के लिए अम्बेडकर ने दलित समाज को त्रिसूत्री आचार संहिता प्रदान की जिसके तीन सूत्र हैं - शिक्षित बनो, संगठित होओ तथा संघर्ष करो. बाबा साहेब ने इस त्रिसूत्री आन्दोलन के माध्यम से समाज के उपेक्षित, कमजोर तथा so सदियों से सामाजिक शोषण से संत्रस्त दलित वर्ग को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य ही नहीं किया बल्कि एक समाज सुधारक विधिवेत्ता की हैसियत से भी उन्होंने दलितवर्ग को भारतीय...
स्मृतियों के उस पार…

स्मृतियों के उस पार…

संस्मरण
सुनीता भट्ट पैन्यूलीकोई अदृश्य शक्ति किसी because हादसे के उपरांत स्वयं को संबल देने या मज़बूत बनाने की प्रक्रिया के अंतर्गत भावनाओं का उत्स है, यह किसी अदृश्य, दैवीय शक्ति को नकारने वालों का मत हो सकता है किंतु अपने संदर्भ में कहूं तो मेरा हृदय सहर्ष स्वीकार करता है कि मैंने जिंदगी में किसी अदृश्य शक्ति को  अपने जीवन में बार-बार महसूस किया है. ब्रह्मांड ईश्वर और अदृश्य शक्ति एक हैं नहीं जानती ह़ूं but किंतु ब्रह्मांड तक किसी दुखी दिल की आवाज़ पहुंचती है यह बहुत अच्छे से जानती हूं मैं बशर्ते आवाज़ किसी दूसरे दिल की अतल  से नि:स्वार्थ  निकल रही हो. बात उन दिनों की है जब पिता को गये साल भर हो चला था वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था,मेरी ज़िन्दगी की गाड़ी भी कभी पीछे मुड़ती कभी आगे देखती अपनी दिशा में गतिमान हो रही थी.so हुआ यूं कि पहले वायरल  और फिर डेंगू के चपेट में आ जाने से घर ही घ...
न्यायदेवता ग्वेलज्यू की जन्मभूमि कहां? धूमाकोट में, चंपावत में या नेपाल में?

न्यायदेवता ग्वेलज्यू की जन्मभूमि कहां? धूमाकोट में, चंपावत में या नेपाल में?

अल्‍मोड़ा
डॉ. मोहन चन्द तिवारीउत्तराखंड के न्याय देवता ग्वेलज्यू के जन्म से सम्बंधित विभिन्न जनश्रुतियां एवं जागर कथाएं इतनी विविधताओं को लिए हुए हैं कि ग्वेल देवता की वास्तविक जन्मभूमि निर्धारित करना आज भी बहुत कठिन है. because न्याय देवता की जन्मभूमि धूमाकोट में है,चम्पावत में है या फिर नेपाल में? इस सम्बंध में भिन्न भिन्न लोक मान्यताएं प्रचलित हैं. कहीं ग्वेल देवता को ग्वालियर कोट चम्पावत में राजा झालराई का पुत्र कहा गया है तो किसी जागर कथा में उन्हें नेपाल के हालराई का पुत्र बताया जाता है. विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित पारम्परिक जागर कथाओं और लोकश्रुतियों में भी but न्यायदेवता ग्वेल की जन्मभूमि के बारे में अनिश्चयता की स्थिति देखने में आती है. पिछले कुछ वर्षों में जो ग्वेल देवता से सम्बंधित लिखित साहित्य सामने आया है,उसमें भी जन्मभूमि के सम्बंध में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. उदाहरण के लिए मथ...
ब्रिटेन की जलवायु नीति ने बनाया तमाम देशों पर सही फ़ैसले लेने का दबाव

ब्रिटेन की जलवायु नीति ने बनाया तमाम देशों पर सही फ़ैसले लेने का दबाव

पर्यावरण
12 दिसंबर को आयोजित होगा 'क्लाइमेट एम्बिशन समिट' निशांतजलवायु को लेकर ब्रिटेन के ऊंचे लक्ष्‍यों के कारण दुनिया के बाकी देशों पर आगामी 12 दिसम्‍बर को आयोजित होने वाली क्‍लाइमेट एम्‍बीशन समिट से पहले जलवायु सम्‍बन्‍धी चुनौती के सामने उठ खड़े होने का दबाव बढ़ गया है. ब्रिटेन ने सही दिशा में आगे बढ़ने का मौका लपक लिया है. उम्मीद है कि इससे अन्य देशों को भी वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरणा मिलेगी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्सर्जन में कटौती करने के ब्रिटेन के 2030 तक के लक्ष्य में उल्लेखनीय बढ़ोत्‍तरी करेंगे, ताकि अगले दशक में कार्बन मुक्ति के प्रयासों को तेज किया जा सके और अगले साल ग्लासगो में आयोजित होने जा रही सीओपी 26 में जलवायु परिवर्तन से निपटने की दौड़ की वैश्विक अगुव...
हिप्पू का साहस

हिप्पू का साहस

बाल-चौपाल
बाल कहानीललित शौर्य“तुम्हें अभी वहां नहीं जाना चाहिए. because वहां बहुत खतरा है.”, हिप्पू हाथी की माँ ने कहा. “नहीं माँ, मुझे जाने दो. मुझे अपने दोस्त but की जान बचानी है.वो चार दिन से भूखे प्यासे हैं.”, हिप्पू ने कहा. खतरा दरअसल भयंकर बारिस और बाढ़ के कारण because हिप्पू के दोस्त जंगल के एक टीले पर फंसे हुए थे. हिप्पू को जब ये बात पता चली वो तब से बहुत परेशान था. वो अपने दोस्तों को बचाना चाहता था. हिप्पू के पापा दूसरे जंगल में किसी काम से गए हुए थे. वो भी भारी बारिस के कारण because उधर ही फंसे हुए थे. माँ के मना करने पर हिप्पू ने माँ को बहुत समझाया. आखिर में माँ ने उसे मदद के लिए भेज ही दिया. हाथी की माँसबसे पहले हिप्पू ने because अपने खेतों से केले की बड़ी–बड़ी घड़ियाँ काट ली. वो उन्हें अपनी पीठ पर लाद कर चल दिया. हाथी की माँ पूरे जंगल में ये बात आग की तरह फ़ैल चुकी...
चक्रपाणि मिश्र के अनुसार भारत के पांच भौगोलिक जलागम क्षेत्रों का पारिस्थिकी तंत्र 

चक्रपाणि मिश्र के अनुसार भारत के पांच भौगोलिक जलागम क्षेत्रों का पारिस्थिकी तंत्र 

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-28डॉ. मोहन चंद तिवारीचक्रपाणि मिश्र ने ‘विश्ववल्लभ-वृक्षायुर्वेद’ में भारतवर्ष के विविध प्रदेशों को जलवैज्ञानिक धरातल पर विभिन्न वर्गों में विभक्त करके वहां की वानस्पतिक तथा भूगर्भीय विशेषताओं को पृथक् पृथक् रूप because से चिह्नित किया है जो वर्त्तमान सन्दर्भ में आधुनिक जलवैज्ञानिकों के लिए भी अत्यन्त प्रासंगिक है. चक्रपाणि के अनुसार जलवैज्ञानिक एवं भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारत के पांच जलागम क्षेत्र इस प्रकार हैं-जलविज्ञान 1. ‘मरु देश’- जहां रेतीली मिट्टी है because और हाथी की सूंड के समान भूमि में जल की शिराएं हैं उसे ‘मरु प्रदेश’ कहते हैं. इस क्षेत्र में जलागम को प्रेरित करने वाली वृक्ष वनस्पतियों में पीलू (अखरोट) शमी, पलाश, बेल, करील, रोहिड़, अर्जुन, अमलतास और बेर के पेड़ मुख्य हैं. जलविज्ञान 2. ‘जांगल देश’ -मरुदेश की because अपेक्षा जांगल देश में जल की ...
पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति: सामुदायिक पुस्तकालय

पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति: सामुदायिक पुस्तकालय

शिक्षा
कमलेश चंद्र जोशीकोरोना महामारी के इस कठिन दौर में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो प्रभावित न हुआ हो लेकिन उन तमाम क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला एक क्षेत्र है शिक्षा. पिछले 8-9 महीनों से because शिक्षण संस्थान बंद हैं और ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं जो नाकाफी प्रतीत हो रही हैं. बच्चे, अध्यापक और अभिभावक इस सच्चाई को महसूस कर चुके हैं कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी क्लास रूम का विकल्प so नहीं हो सकती. उत्तराखंड राज्य के दूर दराज के गांवों की स्थिति बेहद चिंताजनक है जहां  बच्चों के पास न तो स्मार्ट फोन हैं, न इंटरनेट की उपलब्धता और न ही इंटरनेट की स्पीड. अभिभावक इतने पढ़े-लिखे भी नहीं हैं कि वो स्वयं स्कूल का विकल्प बन सकें.आदत कोरोना से उत्पन्न इन विपरीत परिस्थितियों के बीच उम्मीद की एक किरण जगाई है उत्तराखंड के पिथौरागढ़, रामनगर व नानकमत्ता के उन तम...
“मैं तुम्हें इतना प्यार करती हूं और तुम लोगों ने मुझे वोट नहीं दिया”

“मैं तुम्हें इतना प्यार करती हूं और तुम लोगों ने मुझे वोट नहीं दिया”

संस्मरण
स्व. कला बिष्ट की एथेंस (यूनान) यात्रा का रोचक वृत्तांत, अंतिम भागस्व. कला बिष्ट 11 अक्टूबर,1992 आज क्रूज का दिन है. because क्रूज अर्थात समुद्र यात्रा. हमारे दल में श्रीमती कमला चन्द नासिक से आई हैं. कुछ वर्ष पूर्व में समाजसेवा भ्रमण में सीढ़ियां से गिर पड़ी थी. रीढ़ की हड्डी में चोट आई, जिसके कारण वह पैरों से लंगड़ाती चलती हैं. पैंरों में केवल मोजे पहनती हैं. श्रीमती डॉ. आशा वालेलकर के भरोसे आई हैं. आशा बहुत अच्छी हैं. पूरी-पूरी मदद कमला जी की कर रही हैं.8 बजे जहाज भूमध्य सागर की यात्रा पर रवाना होता है. but तीन द्वीपों की यात्रा हमने करनी है. समुद्री यात्रा बहुत रोमांचक लगी. जहाज श्वेत-रजत मार्ग बनाता जा रहा है. समुद्र में मन्द-मन्द लहरें चल रही हैं पानी नीला, फिर काई फिर गहरा स्लेटी सा लगता है. जहाज के अन्दर बहुत आरामदायक सोफे लगे हैं. भोजन-नाश्ते की बहुत सुन्दर व्यवस्था है. जह...
उत्तराखंड में पर्यटन से रोजगार की अपार संभावनाएं!

उत्तराखंड में पर्यटन से रोजगार की अपार संभावनाएं!

ट्रैवलॉग
आशिता डोभालयूं तो हमारे पहाड़ों में because ऊपर वाले ने हर एक चीज को इतनी खूसूरती से बनाया है जिसकी सुंदरता को दर्शाने के लिए शब्दकोश के शब्द भी कम पड़ जाते हैं या यूं कहें की ऊपर वाले ने कुछ चीजों को मानो सोच विचार कर बनाया हो बस कमी है तो मानव सभ्यता की जो उन चीज़ों को ज्यों का त्यों नहीं रख सकती है. पर्यटन राज्य का दर्जा भर मिलने से हम खुश हो जाते हैं और अपने को गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं और हम लोगों की लगातार कोशिशें भी रहती हैं कि हम बाहर से आने वाले पर्यटकों को लुभाने का प्रयास समय—समय पर अलग—अलग तरीकों से करते आए हैं, पर so अफसोस की बात है कि बहुत सारी चीजें अभी भी हमारे पर्यटन के लिहाज से अछूती हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि संस्कृति सम्पन्न प्रदेश आज भी संस्कृति को बचाने की कवायद करने को मजबूर है. पयर्टन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी आज कई जगहों को पर्यटक मानचित्र पर...
घड़ी परीक्षा की  है पर हिम्मत न हारें  

घड़ी परीक्षा की  है पर हिम्मत न हारें  

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्रआज कोरोना की महामारी ने ठण्ड because और प्रदूषण के साथ मिल कर आम आदमी की जिन्दगी की मुश्किलों को बहुत बढ़ा दिया है. बहुत कुछ अचानक हो रहा है और उसके साथ जुड़ी चिंता, परेशानी, कुंठा, व्यथा  दुःख की विभीषिका की तरह चल रही है. प्रिय जन को खोना, नौकरी छूट जाना, गंभीर रोग, दुर्घटना, त्रासदी जैसे भयानक अनुभव से गुजर कर उठना और आगे बढ़ना एक कठिन चुनौती होती है पर वह असंभव नहीं है. इस दौरान ऎसी कई कहानियां भी सुनने, पढने या देखने को मिल रही हैं जिनमें लोग कठिन परिस्थिति से उबर कर आगे बढ़ते हैं. so ऐसी स्थिति में जब खुद को पाते हैं तो क्या करें? अपनी व्यथा से कैसे पेश आएं?  ऐसे सवालों का कोई सीधे-सीधे उत्तर नहीं है. इस हाल में प्रतिरोध या जूझने की क्षमता (रेसीलिएंस) का विचार मदद करता है. जूझने का दम हो तो आदमी जीवन की कठिन परिस्थिति मे या कहें तनाव या त्रासद घड़ी से उबर कर  वापस ...