Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
विकास की होड़ में पर्यावरण का विनाश

विकास की होड़ में पर्यावरण का विनाश

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेषप्रकाश उप्रेती भारत में विकास की होड़ ने पर्यावरण के संकट को जन्म दिया. विकास के मॉडल का परिणाम ही है कि आज हर स्तर पर पर्यावरणीय संकट मौजूद है. विकास के मॉडल को because लेकर आजाद भारत में दो तरह की सोच और नीतियाँ रहीं हैं. एक जिसे नेहरू का विकास मॉडल कहा गया. जिसका ज़ोर मानव श्रम से ज़्यादा मशीनी संचालन में था जिसका आधार औद्योगिक और तकनीकी को बढ़ाव देना था, तो वहीं दूसरा मॉडल गांधी का था जोकि कुटीर और लघु उद्योगों के साथ मानव श्रम पर ज़ोर देता है. लेकिन भारत ने नेहरू के विकास मॉडल को अपनाया और गांधी धीरे-धीरे पीछे छूटते गए. अब यह पूँजी आधारित और संचालित विकास मॉडल धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट करने को आमादा है. इसका परिणाम पर्यावरण को लेकर उभरे अनेक आंदोलन और संघर्ष हैं.राजनैतिकविकास की आँधी में जल, जंगल और ज़मीन के अंधाधुंध दोहन ने पर्यावरण के प्रति ठ...
वैदिक संस्कृति का अनुपालन ही पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम विकल्प है

वैदिक संस्कृति का अनुपालन ही पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम विकल्प है

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेषभुवन चंद्र पंत पूरा विश्व आज पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है, इसमें दो राय नहीं कि इस समस्या के पीछे हमारी अतिभोगवादी मनोवृत्ति रही है. अति का इति निश्चित है. ’ईट, ड्रिंक एण्ड बी because मैरी’ का विचार पश्चिम की देन है, हमारी विचारधारा तो वैदिक काल से लेकर महात्मा गान्धी तक अपरिग्रह की पोषक रही है. उन्होंने भोग में सुख तलाशा है, तो सनातन संस्कृति ने त्याग में वास्तविक सुख को प्रमुखता दी है. मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि आज की पर्यावरण की समस्या के लिए पश्चिम की भोगवादी संस्कृति उत्तरदायी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज हम उसी संस्कृति का अनुकरण कर और तथाकथित आधुनिक बनकर स्वयं को भी मुसीबत की ओर धकेल रहे हैं.नैनीतालहवि में गाय का घी एक प्रमुख घटक है, इसके अतिरिक्त विभिन्न औषधीय वनस्पतियों व आम के लकड़ियों का प्रयोग बताया गया है. ये सभी घट...
पहाड़ों में शिकार पर फ़िरंगी राजकुमार: 1876

पहाड़ों में शिकार पर फ़िरंगी राजकुमार: 1876

इतिहास
स्वीटी टिंड्डे हिंदुस्तान के कई हिस्सों के आलीशान राजाओं और उनके दरबारों का मजा लेते हुए राजकुमार 7 फरवरी 1876 में ट्रेन से मुरादाबाद, नैनीताल और कुमाऊं होते हुए नेपाल because तराई के घने जंगलों में बाघ और हाथी का शिकार करते हुए गुजरना था जो डाकुओं, बाग़ियों, so और ख़ूँख़ार जानवरों के लिए जाना जाता था. नाना साहब समेत 1857 के तमाम बाग़ी (स्वतंत्रता सेनानी) हारने के बाद इन्हीं जंगलों में आकर छुपे और और उनमे से ज्यादातर इस ख़ूँख़ार जंगल के भेंट चढ़ गए थे. नैनीतालदावा किया जाता है कि इस शिकार के दौरान राजकुमार ने एक ही दिन में 6 बाघ मार डाले जिनमें से दो बाघ तो एक ही गोली से मर गए थे बिना निशाना चुके. because राजकुमार इतने मंझे हुए शिकारी थे कि हाथी को पकड़कर पहले सजाया जाता था, रंग लगाया जाता था फ़र फिर जंगल में शिकार होने के लिए छोड़ जाता था और राजकुमार उसे ढूँढकर शिकार करते थे.नैन...
कोरोनाकाल में मदद को आगे आ रहे सामाजिक संगठन

कोरोनाकाल में मदद को आगे आ रहे सामाजिक संगठन

चमोली
हिमांतर ब्यूरो, चमोलीकोरोना के इस संकटकाल में जनपद चमोली के सुदूरवर्ती विकासखण्ड घाट स्थित सामुदायिक चिकित्सालय के प्रभारी डाॅ मुकेश पाल और पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती उषा रावत, पिलंग वार्ड दशोली द्वारा दूरस्थ गाँवों के लिए स्वास्थ्य सुविधायें जुटाने का प्रयास किया जा रहा है. उनके इन प्रयासों को सहयोग करने के लिए सामाजिक संगठन उनका साथ दे रहे हैं. इसी क्रम में आगाज़ फैडरेशन पीपलकोटी के आग्रह पर देहरादून स्थित सामाजिक संस्था आसरा ट्रस्ट ने सामुदायिक चिकित्सालय घाट को 2 आक्सीजन कंसन्ट्रेटर इनवर्टर के साथ, कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक उपकरण जैसे- ग्लव्स, मास्क, फेस शील्ड, सेनिटाइज़र, दवायें, हेयर नेट, थर्मामीटर, पल्स आक्सीमीटर, पीपीई किट सहित 28 से अधिक दवायें और उपकरण घाट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को उपलब्ध कराये गये. आसरा ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमित बलोदी ने ...
DRDO ने हल्द्वानी में तीन हफ्ते में तैयार किया 500 बेड का ‘जनरल बीसी जोशी कोविड केयर सेंटर’

DRDO ने हल्द्वानी में तीन हफ्ते में तैयार किया 500 बेड का ‘जनरल बीसी जोशी कोविड केयर सेंटर’

नैनीताल
हिमांतर ब्‍यूरो, हल्द्वानीरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ (DRDO) ने तीन सफ्ताह के भीतर हल्द्वानी में 500 बेड का अस्थायी कोविड केयर सेंटर तैयार कर दिया है. इस सेंटर को उत्तराखंड मूल के पहले थलसेना अध्यक्ष जनरल विपिन चंद्र जोशी का नाम दिया गया है. because सीएम तीरथ सिंह रावत रावत ने इस सेंटर का वर्चुअल उद्घाटन किया. 10 हजार वर्गफीट में बनाए गए इस आधुनिक सुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर में 375 ऑक्सीजन बेड, 125 आईसीयू एवं वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है. बच्चों के लिए अलग because वार्ड के साथ ही उनके अभिभावकों के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है. इसमें ब्लैक फंगस (म्यूकरमायोसिस) के मरीजों के लिए भी अलग वार्ड बनाया गया है. इस सेंटर का क्लीनिकल मैनेजमेंट डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल द्वारा किया जाएगा. सुशीला तिवारीमुख्यमंत्री तीरथ सिंह के मुताबिक, केंद्र एवं राज्य के समन्वित प्रया...
जल आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानन्द भारती: आधुनिक वराहमिहिर

जल आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानन्द भारती: आधुनिक वराहमिहिर

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-36डॉ. मोहन चंद तिवारीउत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-7 (12मार्च,2014 को because ‘उत्तराखंड संस्कृत अकादमी’, हरिद्वार द्वारा ‘आई आई टी’ रुड़की में आयोजित विज्ञान से जुड़े छात्रों व जलविज्ञान के अनुसंधानकर्ता विद्वानों के समक्ष मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्य ‘प्राचीन भारत में जलविज्ञान‚जलसंरक्षण और जलप्रबंधन’ से सम्बद्ध ‘भारतीय जलविज्ञान’ पर संशोधित लेख का सार)वाटर हारवैस्टिंग वृक्षों, वनस्पतियों द्वारा भूमिगत जल because नाड़ियों को सक्रिय करते हुए केवल तीन दशकों में ही सात सौ हेक्टेयर हिमालय भूमि पर जंगल उगाने और तीस हजार तालाब पुनर्जीवित करने वाले 'पाणी राखो' आंदोलन के प्रणेता उत्तराखण्ड के सच्चिदानन्द भारती को यदि आधुनिक वराहमिहिर की संज्ञा दी जाए तो अत्युक्ति नहीं होगी.वाटर हारवैस्टिंग उत्तराखण्ड के दूधातोली क्षेत्र में सच्चिदानन्द भारती ने प्राचीन जलवैज्ञान...
मानवता की मिसाल बना उत्तराखंड पुलिस का ‘मिशन हौसला’

मानवता की मिसाल बना उत्तराखंड पुलिस का ‘मिशन हौसला’

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादूनकोरोना संक्रमण काल में उत्तराखंड पुलिस ने सेवा की एक नई मिसाल कायम की है. पहाड़ के दुर्गम इलाके हों या सुदूर गांव सब जगह पुलिसकर्मी मदद पहुंचाने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं. because उत्तराखंड पुलिस ने डीजीपी अशोक कुमार के नेतृत्व में पहली मई से 'मिशन हौसला' की शुरुआत की थी. कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस की भूमिका इसलिए भी अहम रही क्योंकि पहले लॉकडाउन, फिर महाकुंभ because और उसके बाद कोरोना कर्फ्यू के दौरान लोगों को मदद पहुंचाने के लिए जबरदस्त काम किया गया. डीजीपी अशोक कुमार लगातार अपने बल की हौसलाअफजाई करते रहे, साथ ही यह भी ताकीद करते रहे कि हमें किसी भी हाल में इंसानियत नहीं छोड़नी है. जितनी मदद हम लोगों की कर सकते हैं, उतनी हम करते रहें. अंक शास्त्रमिशन हौसला के तहत उत्तराखंड के हर जिले एवं बाटालियन में कोविड कंट्रोल रूम स्थापित कर उनके नंबर जारी किए गए...
इतिहास के पन्नों से : दिल्ली, दून और नहर की लड़ाई

इतिहास के पन्नों से : दिल्ली, दून और नहर की लड़ाई

इतिहास
स्वीटी टिंड्डे  वर्ष था 1841, देहरादून का वो हिस्सा जो यमुना और सीतला नदी के बीच का था वो बंजर था, न खेती और न ही जंगल. कृषि विकास में अंग्रेजों का जमींदारों पर because से विश्वास ख़त्म हो चुका था और सरकार धड़ल्ले से नहर की खुदाई करवा रही थी. देहरादून में ही एक नहर (बीजापुर) बन चुका था दूसरा (राजपुर) बन रहा था और तीसरे पर विचार हो रहा था. ये तीसरा था, कुत्था पुत्थौरbecause नहर जिससे 17000 एकड़ जमीन की सिंचाई होने वाली थी. भू-राजस्व विभाग ने अप्रैल में योजना बनाई, जुलाई में दिल्ली-करनाल क्षेत्र के राजस्व विभाग ने आपत्ति जाहिर की, अक्टूबर में मेरठ के कमिश्नर ने स्वीकृति दी, अगले साल अप्रैल तक राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी. बीजापुर90307 रुपए का खर्च बताया, सरकार ने एक लाख स्वीकृत कर दी. पाँच आने प्रति बीघा की दर से सिंचाई कर लगती जिससे सरकार को 7000 रुपए वार्षिक की आमदनी because होनी...
विवाद आयुर्वेद और एलोपैथी का नहीं ऊँची नाक व हनक का है…

विवाद आयुर्वेद और एलोपैथी का नहीं ऊँची नाक व हनक का है…

देश—विदेश
प्रकाश उप्रेतीबाबा, विवाद और बडबोलेपन का पुराना नाता है. योग के जरिए घर-घर तक पहचाने जाने वाले बाबा ने इसी ‘पहचान’ को धीरे-धीरे शक्ति के केंद्र में बदल लिया. वह योग शिविरों में आने वाले लोगों को ‘भीड़’ बताकर राजनैतिक गलियारों में पैठ मजबूत करते रहे.वोट बैंक नेताओं का लालच था तो शक्ति अर्जित करना बाबा की महत्वकांक्षा. इसी गठजोड़ के बल पर because बाबा योग से आयुर्वेद की तरफ मुड़े और फिर एक साम्राज्य स्थापित कर लिया. इसी साम्राज्य की शक्ति के बलपर ही बाबा भारतीय कानून व्यवस्था को भी चुनौती देने का साहस कर जाते हैं. राजनैतिक2014 में तहलका के लिए मनोज रावत की लिखी रिपोर्ट तफसील से बाबा और सत्ता के गठजोड़ की ‘जमीनी’ तह उजागर करती है. मनोज की रिपोर्ट का एक अंश-“साल 2004 की बात है. बाबा because रामदेव योगगुरु के रूप में मशहूर हुए ही थे. चारों तरफ उनकी चर्चा हो रही थी. टीवी चैनलों पर उनकी धूम ...
हिंदी पत्रकारिता का काल, कंकाल और महाकाल

हिंदी पत्रकारिता का काल, कंकाल और महाकाल

समसामयिक
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेषप्रकाश उप्रेतीहिन्दी पत्रकारिता का सफर कई उतार-चढाव से होकर गुजरा है. उसका कोई स्वर्ण काल जैसा नहीं रहा है और होना भी नहीं चाहिए लेकिन पत्रकारिता का भक्तिकाल शाश्वत सत्य है. वह लगभग इन 200 वर्षों की यात्रा में नजर आता है.मासिक, साप्ताहिक और दैनिक से लेकर 24x7 तक सफर कई तरह की विषम परिस्थितियों से गुजरा है. because बंगाल गज़ट से उदंत मार्तण्ड, सरस्वती, आज,  नई दुनिया, हिंदुस्तान से लेकर जनसत्ता तक प्रिंट मीडिया का सफर रहा तो वहीं दूरदर्शन से लेकर आजतक और फिर 24x7 तक इलोक्ट्रोनिक मीडिया ने अपनी यात्रा तय की. इस यात्रा के दौरान पत्रकारिता ने एक तरफ जहाँ ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होकर जनपक्षधरता दिखाई तो वहीं  मीडिया ने आजादी के आंदोलन में  भी महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई. लेकिन आजाद भारत में सरकार ने आपातकाल घोषणा के साथ ही पत्रकारिता का गला भी घोंट डाला. स...