निर्भीक ‘निशंक’: न कोरोना तोड़ पाया, न ही डॉक्टरों की सलाह रोक पाई.. कर्तव्यपथ पर डटे रहे निशंक

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं
अरविंद मालगुड़ी, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

अरविन्द मालगुड़ी
निशंक जिसे कोई शंका या डर न हो अर्थात  निर्भीक , अपने नाम के अनुरूप ही कार्य कर रहे हैं उत्तराखंड से सांसद और वर्तमान  में केन्द्र में शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक।  कैसे,  आपको बताते हैं।  केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ अपनी जिजीविषा, दृढ़निश्चय, लगनपूर्ण  कार्य, कठोर मेहनत एवं सहृदयता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कर्तव्यनिष्ठा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अस्वस्थ होने के बाद भी वह लगातार विभागीय कार्य में जुटे हुए हैं। पिछले 23 दिनों से पोस्ट कोविड की गंभीर समस्याओं  के चलते वे एम्स दिल्ली के  आई सी यू  में भर्ती रहे हैं और कोरोन को मात दे आई सी यू  से अभी कुछ समय पहले ही बाहर आये हैं।

उनके करीबी लोग बताते हैं कि इस गंभीर स्थिति में भी निशंक जी ने काम को कभी बाधित नहीं किया और अपने मंत्रालय के सभी सहयोगियों को आई सी यू  से निर्देशित करते रहे।  उनके सहयोगी बताते हैं की एम्स के डॉक्टरों ने भी उन्हें आराम की सलाह दी पर अपनी जिम्मेदारी का वास्ता दे  शिक्षा मंत्री ने उनकी बात को थोड़ा अनसुना किया।आई सी यू  से बाहर निकलते ही निशंक ने सबसे पहले छात्रों की  परेशानी सुनने का निर्णय लिया। जबकि उनको कुछ दिन आराम की सलाह दी गई थी।  पर डॉ निशंक ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि समझा।  काम के प्रति उनका यही समर्पण भाव उनको दूसरों से अलग बनाता है।

उन्होंने बीमार होने के बाद भी करीब चार मिनट तक विद्यार्थियों को संबोधित किया और उनकी शंकाओं को दूर कर  सकारात्मकता का पाठ पढ़ाया। इतने  दिनों से एम्स में भर्ती होने के बाद भी ‘निशंक’ निडर होकर कार्य में जुटे हुए हैं, जबकि डॉक्टरों ने  उनको आराम की सलाह दी है। ‘निशंक’ को न ही कोरोना तोड़ पाया और न ही डॉक्टरों की सलाह रोक पाई….वह अपने कर्तव्यपथ पर डटे हुए हैं।

अपने नाम के  अर्थ के अनुरूप ही उनका व्यक्तित्व है वो  भीतर से न  डरे हैं , और न चीजों को लेकर घबराए न और उन्हें अपने कर्तव्य के लिए  बड़ी से बड़ी बाधाएं भी नहीं रोक पाएं । अपने इसी ‘निशंक’ नाम के अनुरूप देश के शिक्षा मंत्री बीमारी की हालत में भी लगातार जिस तरह से कार्य कर रहे हैं उसे लेकर उनकी सराहना तो बनती है। वैसे भी निशंक के बारे में प्रसिद्ध है कि वह परफेक्ट कार्य के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा मंत्री के रूप में उनकी उपलब्धियां इतनी ज्यादा हैं कि जिनके बखान के लिए वक्त कम पड़ जाता है।

नई शिक्षा नीति देकर निशंक ने सिर्फ अकादमिक जगत में नया रिफॉर्म लेकर आये हैं बल्कि विद्यार्थियों के कौशल आधारित शिक्षा एवं सर्वांगीण विकास को भी नया बल मिला है। नई शिक्षा नीति में कौशल एवं रोजगार आधारित शिक्षा पर जोर दिया है। निशंक ने जब 25 जून को छात्रों को उनकी दुविधाओं के सम्बन्ध में सम्बोधित किया, वह उस वक्त पोस्ट कोविड की गंभीर समस्याओं से गुजर रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने विद्यार्थियों की चिंताओं व शंकाओं को दूर करने के लिए उनसे संवाद किया।

उनका यही समर्पण भाव उनको दूसरों से अलग बनाता है।

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