Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
पहाड़ के बेटे ने विज्ञापन इंडस्ट्री में मचाया धमाल  

पहाड़ के बेटे ने विज्ञापन इंडस्ट्री में मचाया धमाल  

देश—विदेश
पहलवान बजरंग पूनिया के बचपन के किरदार की जमकर हो रही है तारीफधीरज भट्ट, नई दिल्‍लीमूल रूप से उत्तराखंड के चंपावत जिले के बालातड़ी, जमलेक से ताल्लुक रखने वाले निर्मल भट्ट को बड़ी so उपलब्धि मिली है. 14 साल के निर्मल भट्ट ने एक ऐसे विज्ञापन में एक्टिंग की है जो पहलवान बजरंग पूनिया के जीवन पर बना है. विज्ञापन में बजरंग पूनिया के बचपन का रोल निर्मल ने किया है. यह विज्ञापन दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक कोका-कोला के मशहूर पेय ब्रांड थंब्स-अप के लिए बनाया गया है.शिक्षा बड़ी बात ये है कि इस विज्ञापन के लिए आवाज भोजपुरी सिनेमा के नामी कलाकार और गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने दी है. विज्ञापन टोक्यो में चल रहे ओलंपिक को so ध्यान में रखकर जारी किए गए हैं. विज्ञापन को थंब्स-अप ने अपने आफिशियल यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया है. अब तक इसके दो वर्जन आ चुके हैं.शिक्षा  10 लाख से ज्या...
संत कबीर दास का गुरु स्मरण

संत कबीर दास का गुरु स्मरण

साहित्‍य-संस्कृति
गुरु पूर्णिमा (24 जुलाई) पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्र  निर्गुण संत परम्परा के काव्य में गुरु की महिमा पर विशेष ध्यान दिया गया है और शिष्य या साधक के उन्नयन में उसकी भूमिका को बड़े आदर से देखा गया है. गुरु को ‘सद्गुरु’ भी कहा गया है और सद्गुरु को ईश्वर या परमात्मा के रूप में भी व्यक्त किया गया है. सामान्यत: संतों द्वारा  गुरु को प्रकाश के श्रोत के रूप में लिया गया है जो अन्धकार से आवृत्त शिष्य को सामर्थ्य देता है और उसे मिथ्या और भ्रम से निजात दिलाता है. गुरु वह  दृष्टि देता है जिससे यथार्थ so दृष्टिगत हो पाता है. गुरु की कृपा से शिष्य यथार्थ ज्ञान और बोध के स्तर पर संचरित होता है और दृष्टि बदलने से दृश्य और उसका अभिप्राय भी बदल जाता है. निर्गुण परमात्मा की ओर अभिमुख दृष्टि के आलोक में  व्यक्ति का अनुभव, कर्म और दुनिया से सम्बन्ध नया आकार ग्रहण करता है.शिक्षा यद्यपि भारत में गुरु, ...
अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

शिक्षा
बदलता शैक्षिक परिदृश्यप्रो. गिरीश्वर मिश्र शिक्षा का मूल्य इस अर्थ में  जगजाहिर है कि व्यापार, स्वास्थ्य, सामरिक तैयारी, यातायात, संचार, कृषि, नागरिक सुरक्षा यानी जीवन कोई भी  क्षेत्र लें उसमें  हमारी प्रगति so सिर्फ और  सिर्फ इसी  बात पर टिकी हुई है कि हम ज्ञान की दृष्टि से कहाँ पर स्थित हैं. हम अपना और दूसरों का भला भी तभी कर पाते हैं जब उसके लिए जरूरी ज्ञान उपलब्ध हो. आज सूचना, ज्ञान और तकनीक के साथ ही एक देश दूसरे से बढ़त पा रहे हैं. ज्ञान के साथ प्रामाणिकता जुड़ी रहती है अर्थात हम उसी  पर भरोसा कर सकते हैं जो विश्वसनीय हो. उसमें झूठ-फरेब से बात नहीं बनती है. इसीलिए भगवद्गीता में ज्ञान को धरती पर सबसे पवित्र कहा गया है- न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रं इह विद्यते. शिक्षा ज्ञान का प्रकाश, आलोक और दृष्टि से गहरा रिश्ता है. अज्ञान को तिमिर या अन्धकार भी कहते हैं जिसे विद्या के प्रकाश से दू...
आगाज़ फैडरेशन ने स्वास्थ्य विभाग चमोली को उपलब्ध कराई 3 लाख 20 हजार रूपये मूल्य की चिकित्सा सामग्री!

आगाज़ फैडरेशन ने स्वास्थ्य विभाग चमोली को उपलब्ध कराई 3 लाख 20 हजार रूपये मूल्य की चिकित्सा सामग्री!

चमोली
संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सामाजिक संस्था आगाज़ फैडरेशन पीपलकोटी ने स्वास्थ्य विभाग को दी जीवनरक्षक दवायें और स्वास्थ्य सामग्री  हिमांतर ब्‍यूरो, चमोलीकोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए जनपद चमोली के स्वास्थ्य विभाग और क्षेत्र में कार्यरत् सामाजिक संस्था आगाज़ फैडरेशन द्वारा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक चमोली so को जीवनरक्षक दवायें और स्वास्थ्य सामग्री उपलब्ध करायी गयीं. सामाजिक संस्था आगाज़ फैडरेशन पीपलकोटी की देहरादून की समाजसेवी एवं ह्यूमैनिटेरियन संगठनों - अमाया (सोशियल सर्विस इनीशिएटिव),  देहरादून राउंड टेबल 51 और देहरादून लेडीज़ सर्कल 106 के माध्यम से लगभग 3 लाख 20 हजार रूपये मूल्य की चिकित्सा सामग्री स्वास्थ्य विभाग चमोली को उपलब्ध कराई गयी.शिवसामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती उषा रावत एवं आगाज़ फैडरेशन के अध्यक्ष जेपी मैठाणी को मुख्य चिक...
पश्चाताप और क्षमा का कोई विकल्प नहीं होता!

पश्चाताप और क्षमा का कोई विकल्प नहीं होता!

संस्मरण
स्मृतियों के उस  पारसुनीता भट्ट पैन्यूली पश्चाताप और क्षमा का कोई विकल्प नहीं होता. यह केवल एक भ्रम ही है जो संवेदनाओं के उत्स से मानवीय त्वचा को गीला रखता है. किसी घटना का पश्चाताप कैसे हो सकता है? जिस अबोध जीव के अल्प जीवन की  स्मृतियों के सूक्ष्म अवशेष भी नहीं रख छोड़े हैं अपने ज़ेहन में, मैंने सिवा इस चित्तबोध के कि घोर अन्याय हुआ था उस रोज हमसे टिन-टिन पर. हालांकि यह सामूहिक रुप से बरपाया गया कहर था उस जीव पर, नहीं जानती कि उस घटना के उपरांत  अन्य लोगों के हृदय का रंग वही प्राकृत  बना रहा  या मेरी तरह पश्चाताप की भट्टी में तपकर अभी तक रंग बदल रहा है? यद्यपि यह संस्मरण एक अदने से जीव के बारे में है. इसलिए हमारे साथ क्या हुआ? क्यों हुआ? फलत: हमने क्या किया? ऐसी किसी जवाबदेही की मांग नहीं करता, किंतु मेरा  अंतर्मन उस संपूर्ण विवरण को कलम से कागज़ पर उड़ेलकर एक न्यायसंगत विमर्श की मां...
गांधी जी का राष्ट्रवाद जो आज भी सपना बनकर रह गया

गांधी जी का राष्ट्रवाद जो आज भी सपना बनकर रह गया

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी जी का राष्ट्रवाद-2डॉ. मोहन चंद तिवारी (दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में so 'इंडिया ऑफ माय ड्रीम्स' पर आयोजित ग्यारह दिन (9जुलाई -19 जुलाई, 2018 ) के समर स्कूल के अंतर्गत गांधी जी के राष्ट्रवाद और समाजवाद पर दिए गए मेरे व्याख्यान का द्वितीय भाग, जिसमें वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी जी के 'राष्ट्रवाद' की अवधारणा पर विचार किया गया है.)शिव     टीवी चैनलों में 'राष्ट्रवाद' पर आजकल जिस तरह बेमतलब की गैर जिम्मेदार बहस से लोगों को भरमाया जाता है, so उससे जाहिर है कि आजादी मिलने के 73 साल के बाद आज भी हमारा देश 'राष्ट्रवाद' के बारे में कितना अनभिज्ञ बना हुआ है.शिव हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि ब्रिटिश काल की साम्राज्यवादी इतिहास चेतना के अनुरूप आज भी स्कूलों और विश्व विद्यालयों की पाठ्यपुस्तकों में छात्रों को 'नेशनलिज्म' के जो पाठ so पढ़ाए जाते हैं उनमें यही बताया जात...
उत्‍तराखं में पर्यटन एवं होटल व्‍यवसाय के लिए 200 करोड़ का राहत पैकेज!

उत्‍तराखं में पर्यटन एवं होटल व्‍यवसाय के लिए 200 करोड़ का राहत पैकेज!

उत्तरकाशी
सांस्कृतिक दलों को 2000 रूपये प्रतिमाह 05 माह तक की प्रोत्साहन धनराशि दी जायेगीनीरज उत्‍तराखंडी, उत्तरकाशीमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त क्षेत्रों के भ्रमण के पश्चात् मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि राज्य सरकार आपदा पीड़ितों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अनावश्यक परेशान न होना पड़े. यह सुनिश्चित करने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिये गये हैं. जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि जन समस्याओं का समाधान जिलों में ही करना सुनिश्चित किया जाय. उन्होंने कहा कि जिलों की समस्यायें यदि शासन स्तर पर प्राप्त होगी तो इसके लिए सम्बंधित अधिकारी उतरदायी माना जायेगा. उन्होंने कहा कि आपदा के समय त्वरित समाधान करन...
हिमालय को जानने-समझने की कोशिश

हिमालय को जानने-समझने की कोशिश

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. अरुण कुकसाल ‘हिमालय बहुत नया पहाड़ होते हुए भी मनुष्यों और उनके देवताओं के मुक़ाबले बहुत बूढ़ा है. यह मनुष्यों की भूमि पहले है, देवभूमि बाद में, क्योंकि मनुष्यों ने ही अपने विश्वासों तथा देवी-देवताओं को यहां की प्रकृति में स्थापित किया. हिमालय के सम्मोहक आकर्षण के कारण अक्सर यह बात अनदेखी रहती आयी है. यह आशा करनी so ही होगी कि हिमालय की सन्तानों और समस्त मनुष्यों को समय पर समझ आयेगी, पर यह याद रहे कि यह समझ न अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में उपलब्ध है और न कोई बैंक या बहुराष्ट्रीय कम्पनी इसे विकसित कर सकती है. यह समझ यहां के समाजों और समुदायों में है, वहीं से उसे लेना होगा. बस, हमें और हमारे नियन्ताओं को इस समझ को समझने की समझ आये.’शिव शेखर पाठक की ‘दास्तान-ए-हिमालय’ किताब में लिखी उक्त पक्तियां आम जन से लेकर अध्येताओं के हिमालय के प्रति विचार और व्यवहार को सचेत करती है. हिमालय पृथ्वी का मा...
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?

लोक पर्व-त्योहार
डॉ. मोहन चंद तिवारी 16 जुलाई को हरेला पर्व के साथ ही उत्तराखंड so में श्रावण का पवित्र महीना भी शुरु हो गया है.इस सावन के महीने में शिवाराधना बहुत ही पुण्यदायी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है.भगवान को सावन का महीना बहुत प्रिय है क्योंकि वे इसी महीने अपनी शक्ति के साथ सायुज्य प्राप्त करते हुए समस्त सृष्टि का सर्जन करते हैं.'शिव'- सर्वहारा वर्ग के संरक्षक देव शिव भारतीय परम्परा में शिव परब्रह्म,परमात्मा, रुद्र, महादेव आदि विभिन्न नामों से जाने जाते हैं. 'शिव’ शब्द की एक व्याख्या के अनुसार अनन्त तापों से संतप्त होकर प्राणी जहां विश्राम हेतु शयन करते हैं अथवा प्रलय की अवस्था में जगत् जिसमें शयन करता है उसे 'शिव’ कहते हैं -'शेरते प्राणिनो यत्र स शिवः’ अथवा 'शेते जगदस्मिन्निति शिवः.’ so भगवान् राम तथा कृष्ण का आविर्भाव क्रमशः त्रेता तथा द्वापर युग में होता है किन्तु शिव सृष्टि के...
क्या कहते हैं आपके सितारे, किसको मिलेगा भाग्य का साथ!

क्या कहते हैं आपके सितारे, किसको मिलेगा भाग्य का साथ!

साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल (19 से 25 जुलाई) मेष : मेष राशि के जातक इस सप्ताह अपने कामकाज की शुरुआत जोश-खरोश के साथ करेंगे लेकिन सप्ताह के मध्य तक पहुंचते-पहुंचते इन पर काम के बोझ और टारगेट को पूरा करने का तनाव झलकने लगेगा। ऐसे में आप जितने शांत मन से कार्य करेंगे, उतनी ही जल्दी आप अपनी because चुनौतियों से पार पा सकेंगे। सप्ताह के मध्य में नये स्थान एवं नये लोगों से संपर्क का योग बनेगा। हालांकि इस दौरान आपके खर्चे आसमान छूते हुए नजर आयेंगे। पैसे सोच-समझकर ही खर्च करें, अन्यथा उधार मांगने की भी नौबत आ सकती है। प्रेम संबंधों में लव पार्टनर के साथ नजदीकी बढ़ेगी और दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी। ज्योतिष उपाय: पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें। ‘ॐ हं हनुमते नमः’ मंत्र का जप करें। वृष : सप्ताह की शुरुआत में आप नई उर्जा के साथ अपने कार्यों की शुरुआत करेंगे। घर एवं परिवार दोनों जगह आपको लोगों से सहयोग मि...