Tag: उत्तराखंड

उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा : ‘संकट की घड़ी’ में शाह के ‘भरोसे’ पर खरे उतरे धामी

उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा : ‘संकट की घड़ी’ में शाह के ‘भरोसे’ पर खरे उतरे धामी

देहरादून
हवाई सर्वेक्षण और उच्च स्तरीय बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में आपदा की स्थिति का लिया जायजा हिमांतर ब्यूरो, देहरादून केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपदा के समय ‘बचाव और राहत अभियान’ की कमान खुद संभालने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जमकर तारीफ की है. because उन्होंने कहा कि ‘केंद्र से जारी चेतावनी के बाद राज्य सरकार की तत्परता और सतर्कता से अतिवृष्टि के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में सफलता मिली है. धामी संकट की घड़ी में पूरी तरह से खरे उतरे, उन्होंने स्थिति को बहुत अच्छे तरीके से संभाला’. ज्योतिष आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने गढ़वाल से कुमाऊं तक कई तूफानी दौरे किए. पीड़ितों को ढांढस बंधाने में उन्होंने रात–दिन एक कर दिया. because हर पीड़ित के पास पहुंचने को वह आतुर दिखे. जलभराव के कारण कई जगहों पर उन्हे...
मृत्यु तक स्वयं से जूझती रही वह

मृत्यु तक स्वयं से जूझती रही वह

किस्से-कहानियां
त्याग: सत्य घटना पर आधारित कहानी प्रभा पाण्डेय आज से पन्द्रह-बीस साल पहले तक हमारे पहाड़ की महिलाओं की स्थिति बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं थी क्योंकि मैंने अपने ही गांव में अनेक महिलाओं को इन परिस्थितियों की भेंट चढ़ते देखा. रामदेव नाम के एक व्यक्ति का सबसे बड़ा एक बेटा और चार छोटी बेटियां थी, बहुत कम पढ़ा-लिखा और स्वभाव से कुछ अहंकारी होने के because कारण रामदेव बेकार था. परन्तु समय ने उसे ऐसा सबक सिखाया कि उसने पण्डिताई का काम शुरू कर दिया.इस काम में उसे अधिकतर घर से बाहर रहना पड़ता. चारों तेज तर्रार बेटियां, तेज तर्रार माँ के साथ अपनी  थोड़ी बहुत पुश्तैनी खेती के साथ-साथ दूसरों के खेतों में मजदूरी कर  अपना गुजारा कर लेते थे जैसे-तैसे दो बड़ी बेटियों का विवाह भी हो गया. ज्योतिष एक दिन रामदेव का छोटा भाई अपने बच्चों व पत्नी सहित पुश्तैनी घर आ गया. वह  भी भाबर क्षेत्र में रहकर पण्डिताई ...
मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

देहरादून
राज्य आन्दोलनकारियों को राजकीय मेडिकल कालेजों में मिलेगी मुफ्त उपचार की सुविधा : मुख्यमंत्री  हिमांतर ब्यूरो, देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आन्दोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ायेगी. जनता सरकार के भाव को समझे. यह बात उन्होंने उत्तराखंड शहीद स्मारक रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों की पुण्य स्मृति पर because उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते हुए कही. उन्होंने राज्य आन्दोलनकारियों के हित में कई घोषणायें कीं, जिनमें राज्य आन्दोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आन्दोलकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने और विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आन्दोलनकारियों को हटाये जाने ...
जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

कला-रंगमंच
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव मौंडा है. यह हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है. एक तरह से उत्तरकाशी जिले का अंतिम छोर . मौंडा गाँव से एक लड़का कला (आर्ट) का पीछा because करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है. जिस दौर में इस लड़के ने कला का पीछा किया उस दौर में पहाड़ के ज्यादातर लड़कों की दौड़ सड़क से शुरू होकर सेना तक पहुँचती थी. इसलिए लंदन से लौटने पर उसके पिता ने भी उससे पूछा- बेटा विदेश से आ गया है... ये बता कोई सरकारी नौकरी इस पढ़ाई से लगेगी कि नहीं ? पहाड़ के हर पिता की चिंता अपने बेटे के लिए एक अदत सरकारी नौकरी की होती थी. ज्योतिष वह नहीं जानते थे कि उनका लड़का जो कर रहा है उसमें वह सरकारी नौकरी की दौड़ से बहुत दूर अपनी दुनिया में चला गया है. उसकी दुनिया, रंगों की दुनिया है. उसकी दुनिया because भविष्य को रेखाओं के माध्यम से रचने की दुनिया है. उ...
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जल उपलब्धता का संकट और संभावित निदान!

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जल उपलब्धता का संकट और संभावित निदान!

पर्यावरण
डॉ. दिनेश सती भूविज्ञान/भू-अभियांत्रिकी विशेषज्ञ दुनिया की कुल जनसंख्या का 10% भाग के साथ हमारे देश में मीठे पानी की उपलब्धता दुनिया का मात्र 4% ही है, जो कि पर्याप्त नहीं है. जल संसाधन मंत्रालय (MoWR) के एक अनुमान के अनुसार हमारे पास वर्तमान में प्रति व्यक्ति 1,545 घन मी. (m3) ही जल उपलब्ध है, जो यह बताता है कि because हमारा देश पहले ही पानी की कमी की (Water Stressed) स्थिति में पहुंच चुका है. इसी अनुमान के अनुसार यदि हम समस्त जल का उपयोग भी ठीक से कर पाएं, तभी भी सन 2050 तक हमारे देश में पानी की कमी (Water Scarced) हो जाएगी, जो वाकई एक बुरी स्थिति को दिखाता है! गणेश अफसोसजनक बात तब हो जाती है जब उत्तराखंड प्रदेश, जहां से देश की सबसे बड़ी नदियां - गंगा और यमुना निकलती हैं और जो देश के मैदानी इलाकों (Indo-gangetic plains) में करोड़ो की प्यास बुझाती हैं, उनकी गोद में बसे कई क्षेत्र अभी...
हरताली’: सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व

हरताली’: सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व

लोक पर्व-त्योहार
एक धर्मशास्त्रीय विवेचन डॉ. मोहन चंद तिवारी  इस बार 9 सितंबर,2021 (भादो 24 पैट) because को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया  तिथि और हस्त नक्षत्र के पावन अवसर पर हरताली तीज और सामवेदी ब्राह्मणों का उपाकर्म का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन अखंड सौभाग्य व उत्तम वर की कामना से महिलाएं व युवतियां निर्जल निराहार रहकर शिव-पार्वती का पूजन करती हैं. कोलकाता धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन हस्त नक्षत्र के अवसर पर कुमाऊं उत्तराखंड के सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों द्वारा यज्ञोपवीत धारण तथा रक्षासूत्र बंधन का पर्व 'हरताली' मनाया जाता है. सदियों से चली आ रही इस 'हरताली' की परम्परागत मान्यता के अनुसार because कुमाऊं में तिवारी, तिवाड़ी, तेवारी, तेवाड़ी, त्रिपाठी, त्रिवेदी आदि उपनामों से प्रचलित सामवेदी ब्राह्मण ‘हस्त’ नक्षत्र में ही ‘हरताली’ तीज पर जनेऊ धारण करते हैं. हरताली के दिन प्रा...
द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी आज तक संजीवनी क्यों नहीं मिली क्योंकि संजीवनी बूटी का जो वास्तविक पर्वत द्वाराहाट स्थित दुनागिरि है, वहां इस दुर्लभ बूटी को खोजने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ. दूसरी खास so बात यह है कि उत्तराखंड सरकार हो या पतंजलि योगपीठ इन्होंने कभी रामायण, महाभारत, पुराण आदि ग्रन्थों में संजीवनी बूटी के पौराणिक भूगोल और रामायण की घटनाओं का गम्भीरता से अध्ययन ही नहीं किया. इतिहास बताता है कि संजीवनी बूटी तो महाभारत काल में ही लुप्त हो चुकी थी. फिर भी संजीवनी बूटी की खोज में रुचि रखने वाले टीवी चैनलों और विद्वानों के लिए आज भी प्रासंगिक है मेरा चार वर्ष पहले लिखा गया यह लेख. नेता जी 29 सितंबर, 2008 को टीवी चैनल- आईबीएन-7 के माध्यम से जब योगगुरु बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के स्वामी बालकृष्ण द्वारा गढ़वाल जिले के 'द्रोणागिरी' पर्वत पर जाकर रामायणकालीन संजीवनी बूटी के मि...
शशि थरूर के बाद हरदा ने क्यों की निशंक के कार्यों की तारीफ? जानिए क्या हैं इसके मायने

शशि थरूर के बाद हरदा ने क्यों की निशंक के कार्यों की तारीफ? जानिए क्या हैं इसके मायने

देश—विदेश
अरविंद मालगुड़ी डॉक्टर रमेश पोखरियल निशंक द्वारा हाल ही में स्वास्थ्य कारणों के चलते शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया गया. अच्छा होता कि बेहतरीन ऐतिहासिक शिक्षा नीति देश को देकर निशंक ही because उसे क्रियान्वित करते लेकिन सूत्रों की माने तो वे अपने स्वास्थ्य को इस महत्वपूर्ण मिशन में बाधक नहीं बनना देना चाहते थे. दरअसल शिक्षा नीति की सफलता के लिए समय बद्धता ज़रूरी है. ऐसे में निशंक ने कार्य मुक्त होने का निर्णय लिया. बुग्याल भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने और विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने के उनके प्रयासों को देश विदेश  में जमकर सराहा गया. मुझे नहीं लगता भारत के इतिहास में पहले because ऐसा हुआ हो. सतत संवाद और विश्व के सबसे बड़े परामर्श या कहें मुक्त नवाचार से बनी इस नीति ने सभी हितधारकों की अपेक्षाओं को पूरा किया. कांग्रेसी नेताओं ने भी नीति की प्रशंसा की. शशि थरूर के बाद...
बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

पर्यटन
बेनीताल: प्रकृति की गोद में बसा बुग्याल कमलेश चंद्र जोशी उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से विविधताओं से भरा प्रदेश है. हालाँकि पर्यटकों के बीच इसकी पहचान चार धाम यात्रा के रूप में अधिक मशहूर है लेकिन यात्रा पर्यटन के सिवाय उत्तराखंड में बहुत कुछ ऐसा है जिन तक अभी सीमित व नियमित पर्यटकों का पहुँचना बाकी है. एक गंतव्य के तौर पर उत्तराखंड के बुग्यालों को पर्यटन में अब तक because वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो पारंपरिक गंतव्यों को है. बुग्यालों को पर्यटन से जोड़ने के इतर समय-समय पर बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण व बैकपैकर्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं जिसकी वजह से बुग्यालों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जगह उन्हें संरक्षित करने के लिए यात्रियों के रात्रि विश्राम व टेंट लगाने पर रोक जैसे सख़्त कदम प्रशासन को उठाने पड़ते हैं. बुग्याल समुद्र तल से 8-10 हजार फ...
जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने वाले उत्तराखण्ड के जलपुरुष व जलनारियां

जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने वाले उत्तराखण्ड के जलपुरुष व जलनारियां

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-35 डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-6 प्रस्तुत लेख 1 जुलाई, 2017 को 'प्रज्ञान फाउंडेसन' द्वारा नई दिल्ली स्थित अल्मोड़ा भवन में 'उत्तराखंड में पानी की समस्या तथा समाधान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी because में दिए गए मेरे वक्तव्य का संशोधित तथा परिवर्धित सार है, जो वर्त्तमान सन्दर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक, उपयोगी और गम्भीरता से विचारणीय है. वाटर हारवैस्टिंग इस लेख के द्वारा दूधातोली के जलपुरुष सच्चिदानन्द भारती और अल्मोडा जिले की जलनारी बसंती बहन भुवाली के जगदीश नेगी और नैनीताल के चंदन सिंह नयाल द्वारा अत्यंत विषम परिस्थियों में भी जल संरक्षण और पर्यावरण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए विशेष योगदान से जन सामान्य को अवगत कराया गया है और यह भी because बताया गया है कि अनेक प्रकार की चुनौतियों और संघर्षों से जूझते हुए इन उत्तराखंड के जल पुरुषों और ज...