प्रकाश उप्रेती चिपको आंदोलन कुछ युवकों द्वारा ‘दशौली ग्राम स्वराज्य संघ’ बनाने की कहानी से शुरू होता है. चिपको के दस साल पहले कुछ पहाड़ी नौजवानों ने चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में ‘दशौली ग्राम स्वराज्य संघ’ बनाया. जिसका मकसद था वनों के नजदीक रहने वाले लोगों को वन सम्पदा के माध्यम से
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—61 प्रकाश उप्रेती गाँव में किसी को कानों-कान खबर नहीं थी. शाम को नोह पानी लेने के लिए जमा हुए बच्चों के बीच में जरूर गहमागहमी थी- ‘हरि कुक भो टेलीविजन आमो बल’ because (हरीश लोगों के घर में कल टेलीविजन आ रहा है). भुवन ‘का’ (चाचा) की इस […]
प्रकाश उप्रेती मूलत: उत्तराखंड के कुमाऊँ से हैं. पहाड़ों में इनका बचपन गुजरा है, उसके बाद पढ़ाई पूरी करने व करियर बनाने की दौड़ में शामिल होने दिल्ली जैसे महानगर की ओर रुख़ करते हैं. पहाड़ से निकलते जरूर हैं लेकिन पहाड़ इनमें हमेशा बसा रहता है। शहरों की भाग-दौड़ और कोलाहल के बीच इनमें ठेठ […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—57 प्रकाश उप्रेती पहाड़ की संरचना में लकड़ी कई रूपों में उपस्थित है. वहाँ लकड़ी सिर्फ लकड़ी नहीं रहती. उसके कई रूप, नाम और प्रयोग हो जाते हैं. इसलिए जंगलों पर निर्भरता पर्यावरण के कारण नहीं बल्कि जीवन के कारण होती है. because जंगल, जमीन, जल, सबका संबंध जीवन […]
प्रकाश उप्रेती मूलत: उत्तराखंड के कुमाऊँ से हैं. पहाड़ों में इनका बचपन गुजरा है, उसके बाद पढ़ाई पूरी करने व करियर बनाने की दौड़ में शामिल होने दिल्ली जैसे महानगर की ओर रुख़ करते हैं. पहाड़ से निकलते जरूर हैं लेकिन पहाड़ इनमें हमेशा बसा रहता है. शहरों की भाग-दौड़ और कोलाहल के बीच इनमें […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—55 प्रकाश उप्रेती पहाड़ में पड़ाव का बड़ा महत्व है. इस बात को हमसे ज्यादा वो समझते थे जिनकी समझ को हम नासमझ मानते हैं. हर रास्ते पर बैठने के लिए कुछ पड़ाव होते थे ताकि पथिक वहाँ बैठकर सुस्ता सके. दुकान से आने वाले रास्ते से लेकर पानी, […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—54 प्रकाश उप्रेती सर्दियों के दिन थे.because हम सभी गोठ में चूल्हे के पास बैठे हुए थे. ईजा रोटी बना रही थीं. हम आग ‘ताप’ रहे थे. हाथ से ज्यादा ठंड मुझे पाँव में लगती थी. मैं थोड़ी-थोड़ी देर में चूल्हे में जल रही आग की तरफ दोनों पैरों […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—53 प्रकाश उप्रेती पहाड़ में पानी और ‘नौह’ की because बात मैंने पहले भी की है लेकिन आज उस नोह की बात जिसे मैंने डब-ड़बा कर छलकते हुए देखा है. उसके बाद गिलास से पानी भरते हुए और कई सालों से बूँद-बूँद के लिए तरसते हुए भी देखा है. […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—52 प्रकाश उप्रेती तब कैमरे का फ्लैश चमकना भी चमत्कार लगता था. कैमरा देख लेना ही चाक्षुष तृप्ति का चरम था. देखने के लिए हम सभी बच्चों की भीड़ इकट्ठा हो जाया करती थी और कैमरे को लेकर हम becauseअपना गूढ़ ज्ञान आपस में साझा करते थे. हम सबकी […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—50 प्रकाश उप्रेती हुडुक बुबू ने नीचे ही टांग रखा था लेकिन किसी ने उसे उठा कर ऊपर रख दिया था. बुबू ने हुडुक झोले से निकाला और हल्के से उसमें हाथ फेरा, वह ठीक था. उसके बाद वापस झोले में रख दिया. so हुडुक रखने के लिए एक […]
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