अभिनव पहल

सीएम ने किया 40 करोड़ की 14 विकास योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण

सीएम ने किया 40 करोड़ की 14 विकास योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण

अभिनव पहल, उत्तराखंड हलचल, देहरादून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रपुर में आयोजित गल्ला मंडी से मेन बाजार होते हुए भव्य रोड शो के साथ कार्यक्रम स्थल गांधी पार्क पहुंचे। रोड शो में मुख्यमंत्री का रूद्रपुर की जनता, जनमानस, विभिन्न संगठनों, जनप्रतिनिधियों ने पुष्प वर्षा, फूल मालाओं, पुष्पगुच्छ से भव्य स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने गांधी पार्क रूद्रपुर में आयोजित सरकार के सेवा, सुशासन एवं विकास के 3 वर्ष पूर्ण होने पर जन सेवा थीम पर आधारित भव्य बहुउद्देशीय एवं चिकित्सा शिविर का भी अवकलोकन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लगभग 40 करोड़ की विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया जिसमें लगभग 30 करोड़ की 7 योजनाओं का शिलान्यास तथा 10 करोड़ की 7 योजनाओं का लोकार्पण शामिल है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नें वेंडिंग जोन में 15 गरीब रेडी, ठेली वालों को दुकानों की चाबियां सौपी। मुख्यमंत्री ने सेवा सुशासन एवं विकास के 3 स...
‘व्हाट्सएप’ : फोन खुला रहने पर भी कोई नहीं देख पाएगा मैसेज, इस सेटिंग से हो जाएंगे ‘लॉक’

‘व्हाट्सएप’ : फोन खुला रहने पर भी कोई नहीं देख पाएगा मैसेज, इस सेटिंग से हो जाएंगे ‘लॉक’

अभिनव पहल
टेक्नोलॉजी: व्हाट्सएप (Whatsapp) आजकल सभी चलाते हैं। यह लाइफ का अहम हिस्सा बन गया है। हर जरूरी मैसेज हम व्हाट्सएप (Whatsapp) के जरिए ही अपनों को भेजते हैं। लेकिन, कई मैसे ऐते होते हैं, जिनको हम किसी को भी नहीं दिखाना चाहते। इनको कैसे प्राइवेट रखा जाए, इसके लिए व्हाट्सएप में लॉक सिस्टम दिया गया है। अगर आपका फोन खुला भी रह जाता है और कोई आपका व्हाट्सएप (Whatsapp) देख भी लेता है, लेकिन इसके बाद भी कोई आपके प्राइवेट मैसेज नहीं देख पाएगा। उसके लिए आपको बस कुछ स्टेप को पूरा करना होगा। इसके जरिए आपके मैसेज लॉक फाइल में लॉक हो जाएंगे और फिर उनको आपकी अपुमति के बगैर कोई नहीं देख पाएगा। आप एंड्रॉइड और आईफोन पर, आप अपनी सबसे निजी चैट को पासवर्ड से सुरक्षित रखने के लिए चैट लॉक सुविधा चालू कर सकते हैं। संदेशों को पढ़ने या भेजने के लिए, आपको अपने फोन पासकोड, फेस आईडी या फिंगरप्रिंट जैसे डिवाइस प्रमाणी...
बचपन से देखी गरीबी, जंगल ने पेंटिंग सिखाई और बुरांश ने रंग भरना

बचपन से देखी गरीबी, जंगल ने पेंटिंग सिखाई और बुरांश ने रंग भरना

अभिनव पहल
पहाड़ की बेटियां — एक Himantar Web Desk नव वर्ष पर ‘हिमांतर पत्रिका एवं वेबसाइट’ की विशेष सीरीज़’ ‘पहाड़ की बेटियां’ में हम आपको 24 साल की एक ऐसी प्रतिभावान लड़की की कहानी बता रहे हैं, जो निम्न मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुई और बचपन से ही पहाड़ का संघर्ष देखा एवं उसे अभी भी जी रही है. पर कला के प्रति पूरी तरह से समर्पित है, because और उत्तराखंड की लोक कला ऐपण को देशभर के दूसरे राज्यों की लोक कलाओं के साथ जोड़कर सुंदर कलाकृतियां बना रही है. जिन्हें कला प्रेमी खूब पसंद कर रहे हैं. अभिनय का शौक है. कई कार्यक्रमों के लिए शूट कर चुकी हैं. इस लड़की का नाम है हिमानी कबडवाल. जलविज्ञान बचपन में जंगल की मिट्टी में उकेरती थी कलाकृतियां हिमानी कबडवाल कहती हैं कि उन्हें कलाकार because प्रकृति ने बनाया. जंगल ने पेंटिंग सीखाई. बुरांश ने रंग भरना और चीड़ के पेड़ से लीसा निकालने वाली तकनीक ने ...
पहाड़ी वास्तुशिल्प का चितेरा- वास्तुविद कृष्ण चंद्र कुड़ियाल

पहाड़ी वास्तुशिल्प का चितेरा- वास्तुविद कृष्ण चंद्र कुड़ियाल

अभिनव पहल
 इन्द्र सिंह नेगी उत्तराखंड आध्यात्म एवं स्थापत्य की विशिष्ट शैली के लिए वैश्विक पटल पर जाना जाता है, यहाँ गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ, केदार नाथ, हनोल सहित अनेक देवालाय है जिसके दर्शनार्थ प्रति वर्ष आध्यात्मिक जगत के लोगों का तांता लगा रहा है जिससे ना केवल लोग अपनी आध्यात्मिक क्षुदा ना केवल शांत करते हैं बल्कि इसके साथ-साथ यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य से भी आनंदित होतें है. इस पहाड़ी प्रदेश के लोगों की जीविका का आध्यात्मिक-पर्यटन मजबूत आधार हैं जिससे अनेकों लोग जुड़े हुये हैं. यहाँ के देवालय नागर, कत्युरी, हिमान्द्री, नाग/गुर्जर प्रतिहार, हयूण, द्रविड, फास्णा, बलभी, पंचायण, राजस्थानी, दक्षिण भारतीय, केदार नाथ आदि मंदिर स्थापत्य मंदिर शैलियाँ है. टोंस-यमुना घाटी के जनवासों और देवालयों को यहाँ अलग तरह से देखा जा रहा है, इन घाटियों में देवदार की अधिकता के कारण जनवास और देवालयों में पत्थर ...
भरत सिंह राणा: बुरांश के जूस से लेकर सेब के बाग तक का सफर

भरत सिंह राणा: बुरांश के जूस से लेकर सेब के बाग तक का सफर

अभिनव पहल
बुरांश को बनाया रोजगार का जरिया प्रेम पंचोली उत्‍तराखंड की यमुना घाटी का हरेक किसान अपनी खेती-किसानी के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है. इस घाटी में लोग खेती-किसानी को ही महत्व देते हैं. उन्हें सरकार इसके लिए प्रोत्साहन करे because या न करे उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है. यही वजह है कि आज राज्य की एक मात्र यमुनाघाटी है जहां से पलायन का दूर-दूर तलक कोई वास्ता नहीं है. नेता जी यहां हम ऐसे ही एक शख्स से परिचय कराना चाहते हैं जिन्होंने बिना सरकारी सहायता के वह चमत्कार करके दिखाया जिसके लिए सरकारें व कम्पनियां बड़ी-बड़ी डीपीआर (डिटियेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाती हैं. हो-हल्ला होता है. विज्ञापन ईजाद किये जाते हैं. सपने दिखाये जाते हैं. रोजगार का डंका पीटा जाता है. इसके अलावा प्रचार-प्रसार के because सभी हथकण्डे ये सरकारी-गैर सरकारी लोग अपनाते हैं. मगर इसके इतर जो उत्तरकाशी जनपद के दूरस्थ गां...
उत्तराखंड की लोककला ऐपण को नए कैनवास पर उकेर कर बनाया ब्रांड ‘चेली ऐपण’

उत्तराखंड की लोककला ऐपण को नए कैनवास पर उकेर कर बनाया ब्रांड ‘चेली ऐपण’

अभिनव पहल
आशिता डोभाल संस्कृति और सभ्यताओं because का समागम अगर दुनिया में कहीं है तो वह हमारी देवभूमि उत्तराखंड में है, जो हमारी देश—दुनिया में एक विशेष पहचान बनाते हैं, इसके संरक्षण का जिम्मा वैसे तो यहां के हर वासी का है पर इस लोक में जन्मे कुछ ऐसे साधक और संवाहक हैं जो इनको संजोने और संवारने की कवायद में जुटे हुए हैं. संस्कृति हम जब कहीं जाते हैं, तो वहां की संस्कृति और सभ्यता को देखने की ललक जब हमारे मन को लालायित करती है, सबसे पहले हम वहां देखते हैं कि लोक के प्राणदायक because वो कर्मयोगी कौन हैं जिनके तप और संकल्प से ये पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पास धरोहर के रूप रहती है. ऐसे ही एक संस्कृति के सच्चे साधकों में है— नमिता तिवारी, जो पिछले दो दशक से अपने काम को नए—नए कलेवर और कैनवास पर अपनी कला के हुनर की छाप छोड़ रही है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत है प्रेरणादायक सिद्ध होगी. परिवार 'संकल्प...
सराहनीय पहल: आवारा बेजुबान जानवरों को हर रोज रोटी व चारा बांट रहे ‘जय हो ग्रुप’ के युवा

सराहनीय पहल: आवारा बेजुबान जानवरों को हर रोज रोटी व चारा बांट रहे ‘जय हो ग्रुप’ के युवा

अभिनव पहल
हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट जब भी कोई बड़ी आपदा या विपदा हमारे समाज पर आती हैं, तो उसका असर हम सभी के जीवन पर पड़ता है. वह हमारी दिनचर्या को बिगाड़ देती है. जब भी समाज या देश पर कोई संकट अथवा महामारी आती है, तो उसके विश्वव्यापी प्रभाव से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह गड़बड़ा जाती है. because हमारा पूरा का पूरा तंत्र प्रभावित होता है. अभी हम कोरोना संक्रमण की पहली लहर से उभरे भी नहीं थे कि दूसरी लहर ने हमारे पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थायें इस महामारी के सामने बौनी साबित हुई.  इस कोरोना महामारी से जितना आम इंसान का जीवन प्रभावित हुआ, उससे ज्यादा इसका असर बहमारे बेजुबान मवेशियों पर पड़ा. यूसर्क यदि हम गांव देहात की बात करें तो वहां लोगों ने अपने प्राणों की रक्षा करते हुए अपने मवेशियों का भी उतना ही ध्यान रखा जितना कि अपना. लेकिन यदि हम बात हमारे बाजा...
नौकरी छोड़ होमस्टे चला रहा इंजीनियर

नौकरी छोड़ होमस्टे चला रहा इंजीनियर

अभिनव पहल
प्रियंका, शोधार्थी अभिषेक सिंह पेशे से इंजीनियर है. पौड़ी-देहरादून रूट पर होमस्टे चलाते हैं. उनका कहना है कि मेरा उद्देश्य एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देना है. जिसके जरिए मैं आस-पास के ग्रामीणों के लिए भी रोजगार सृजन कर सकूं. अभी मेरे पास चार स्थाई कर्मचारी हैं. because गर्मियों के सीजन में जैसे ही होमस्टे का कारोबार बढ़ता है, मैं आस-पास के गांवों के लोगों को भी इससे जोड़ लेता हूं, ताकि उनकी भी कमाई हो सकें. होमस्टे में आने वाले ज्यादातर टूरिस्ट कैंपिंग का मजा लेना चाहते हैं. उनके लिए पहाड़ पर बना होमस्टे किसी आश्चर्य से कम नहीं होता है. पढ़ें— प्रकृति और जैविक उत्पादों से दिखाई स्वरोजगार की राह… मैं 2016 से ही स्वरोजगार कर रहा हूं. सबसे पहले डेयरी खोली. लेकिन लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला, क्योंकि पैकेट बंद दूध खरीदने की आदत के चलते लोग इसे गोशाला कहते थे. because धीरे-धीरे मैंने इसका वि...
स्वरोजगार से 25 लोगों को रोजगार दे रहा युवा

स्वरोजगार से 25 लोगों को रोजगार दे रहा युवा

अभिनव पहल
मनीष ने डेढ़ लाख रुपए की पूंजी व सीमित संसाधनों के साथ अपना स्वरोजगार शुरू किया था और आज उनका वार्षिक टर्नओवर लगभग 24-25 लाख रुपए है. because शुरुआत में परिवार के सदस्यों ने ही स्वरोजगार के कार्य को आगे बढ़ाया. लेकिन आज वह 20-25 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. मनीष की सफलता से प्रभवित होकर आज कई युवा भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं. आरूशी, शोधार्थी किसी भी समाज एवं राष्ट्र की उन्नति व प्रगति का भर  युवाओं के कंधों  पर होता है. यही कारण है कि समाज की दशा-दिशा के निर्धारण में उनकी अहम भूमिका होती है. ऐसे ही एक युवा हैं मनीष सुंदरियाल जो पौड़ी गढ़वाल जिले के नैनीडांडा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम डुंगरी निवासी हैं और स्वरोजगार के जरिए युवाओं के because प्रेरणा स्त्रोत बन रहे हैं. मनीष 1998 से ही स्वरोजगार के जरिए स्थानीय उत्पादों को उत्तराखंड में ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी पहुंचा रहे हैं।  उन्होंने 22...
संघर्ष और मेहनत की बदौलत दिल्ली में सफल उद्यमी बना पहाड़ का बेटा

संघर्ष और मेहनत की बदौलत दिल्ली में सफल उद्यमी बना पहाड़ का बेटा

अभिनव पहल, उत्तरकाशी
शशि मोहन रवांल्‍टा उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक के तुनाल्का गांव में जन्में जगमोहन बिजल्वाण दिल्ली में एक सफल उद्यमी हैं. अपने उत्साह, संघर्ष और कारोबारी सोच की बदौलत उन्होंने खुद का सफल बिजनेस खड़ा किया. वह कहते हैं कि एक सफल कारोबार के लिए सबसे अहम है- जीवन में जोखिम लेना और बाधाओं से because बिल्कुल भी नहीं घबराना. अक्सर उद्यमी सोच के युवा भी आराम दायक नौकरी और भविष्य को सुरक्षित करने के चक्कर में अपनी रचनात्मकता और कारोबारी प्रतिभा को मार लेते हैं, जबकि होना इसके उलट चाहिए. युवाओं को अपनी प्रतिभा का उपयोग स्वरोजगार के लिए करना चाहिए, क्योंकि हम जिस वक्त में रह रहे हैं यह उद्यमशीलता का वक्त है. जो युवा जोखिम उठाते हैं, उनको सफलता जरूर मिलती है. स्वरोजगार कंपनी सेक्रेटरी की नौकरी छोड़  खड़ा किया बिजनेस जगमोहन बताते हैं कि वह एक बड़ी कंपनी में कंपनी सेक्रेटरी लीग...