
हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट
जब भी कोई बड़ी आपदा या विपदा हमारे समाज पर आती हैं, तो उसका असर हम सभी के जीवन पर पड़ता है. वह हमारी दिनचर्या को बिगाड़ देती है. जब भी समाज या देश पर कोई संकट अथवा महामारी आती है, तो उसके विश्वव्यापी प्रभाव से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह गड़बड़ा जाती है.
हमारा पूरा का पूरा तंत्र प्रभावित होता है. अभी हम कोरोना संक्रमण की पहली लहर से उभरे भी नहीं थे कि दूसरी लहर ने हमारे पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थायें इस महामारी के सामने बौनी साबित हुई. इस कोरोना महामारी से जितना आम इंसान का जीवन प्रभावित हुआ, उससे ज्यादा इसका असर बहमारे बेजुबान मवेशियों पर पड़ा.यूसर्क
यदि हम गांव देहात की बात करें तो वहां लोगों ने अपने प्राणों की रक्षा करते हुए अपने मवेशियों का भी उतना ही ध्यान रखा जितना कि अपना. लेकिन यदि हम बात हमारे बाजार
अथवा कस्बों की करें तो वहां इन मवेशियों के सामने खाने का बहुत बड़ा संकट देखा गया.यूसर्क
कोविड कर्फ्यू होने और बाजार बंद होने के कारण गाय, कुत्ता आदि आवारा मवेशियों के सामने चारे का बड़ा संकट हो जाता है. क्योंकि यदि बाजार खुले रहते हैं तो उनको होटल या सब्जियों की दुकानों से आदि से चारा मिल जाया करता है. इस समय कोविड कर्फ्यू होने के कारण इन मवेशियों को रोटी व चारा नहीं मिल पा रहा था. साथ ही बाजार बंद होने के कारण पानी की भी समस्या देखी गई.
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इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए नगर पालिका बड़कोट के कुछ उत्साही युवाओं के एक ग्रुप सामाजिक चेतना की बुलन्द आवाज “जय हो” ने इन मवेशियों के चारा
और पानी की व्यवस्था का जिम्मा उठाया. जय हो ग्रुप के सभी युवाओं ने मिलकर तय किया किया क्यों न इन बेजुबान मवेशियों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था की जाए और जुट गए अपने मुहिम में. पहले सभी साथियों ने आपसी सहयोग से इनके चारे की व्यवस्था की, धीरे—धीरे करवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए. आज जय हो ग्रुप की इस मुहिम को क्षेत्र के तमाम लोगों को सहयोग मिल रहा है. इस नेक कार्य में हर कोई सहयोग कर रहा है.यूसर्क
जय हो ग्रुप हर रोज इन मवेशियों के लिए खाने की व्यवस्था कर रहा है. नगर के वार्ड नं 5 की महिलाओं द्वारा आये आटा दान से रोटियां बनाई जा रही हैं तो वहीं जय
हो ग्रुप के स्वयंसेवियों द्वारा शहर के हर वार्ड घूम कर हर रोज इस चारा रोटी को मवेशियों को खिलाने का काम रह रहे हैं. साथ ही जरूरत मंदों, असहायों के लिए राशन भी दे रहे हैं. बिगत 11 मई से लगातार ग्रुप अपनी सेवाएं दे रहा है.यूसर्क
ग्रुप सभी युवा किसी ना किसी काम से जुड़ हुए हैं इनमें नौकरी पेशा से लेकर व्यवसाय करने तक वाले कई आम व खास युवा जुड़ हुए हैं, जो सामान्य दिनों में अपने व्यवसाय
में व्यस्त रहते हैं. कोविड कर्फ्यू के बाद से ग्रुप के सदस्य इस काम में अपने आपको व्यस्त रख रहे हैं. रोज साय 7.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक ये युवा 300 रोटीयों व 30 किलो चारा लेकर पूरे शहर में जाते हैं, जहां पर आवारा मवेशी और कुत्ते बैठे रहते हैं. वहां कुत्तों को रोटी व गायों को चारा देते हैं.यूसर्क
जय हो ग्रुप के संयोजक सुनील थपलियाल ने बताया कि पिछले साल लॉक डाउन के दौरान 141 दिनों तक गायों व कुत्तो को घर—घर से रोटी दान मांगकर खिलाने का काम किया, इस
बार बाजार बंद होने व कोविड कर्फ्यू में शक्ति होने के बाद बेजुबान जानवर भूखे प्यासे नजर आने लगे, कोरोना पॉजिटिव के अधिक मामले आने के बाद एक ही जगह रोटियां बनवा कर आपसी सहयोग से भूखे आवारा जानवरों को चारा व रोटी खिलाने का सिलसिला जारी है. उनका कहना है कि नगर पालिका से कई लोगों का ग्रुप को सहयोग मिल रहा है. रोटियों के लिए आटा दान में दर्जनों लोगों ने सहयोग किया है.यूसर्क
उन्होंने बताया कि मवेशियों के लिए करीब दो बोरा चारा जुटाते हैं. कुत्तों के लिए करीब 10 किलो आटे की रोज 300 रोटी बनवाते हैं. इसे बनाने के लिए जागृति महिला समूह की
नीलम खन्ना, भरोषी देवी, मंजू गौड़, रूसी देवी, सविता देवी, सुनदेई, मीना राणा, अनिता रावत आदि महिलाएं सहयोग कर रही हैं. कही पर कुछ जरूरतमंद भी भूखे बैठे रहते हैं. ऐसे लोगों के लिए अलग से रोटी बनाकर रखते हैं. गाय को चारा, कुत्तों को रोटी डालते हैं. जरूरतमंदों के मिलने पर उन्हें रोटी देते हैं. रोटी वितरण में जय हो ग्रुप के संयोजक सुनील थपलियाल, प्रदीप जैन, कोषाध्यक्ष मोहित अग्रवाल, अजय रावत, मदन पैन्यूली, भगवती रतूड़ी, नितिन चौहान,रजत अधिकारी, शैलेन्द्र पीटर, इंजीनियर रमेश रावत, अमित रावत, भरत सिंह रावत,अंशुल जैन, सागर अग्रवाल,मनोज गौड़, बुद्धि सिंह राणा, सुमन रावत, दिनेश चौहान आदि लोग हर रोज रोटी वितरण में जुटे हुए है.