Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

पर्यटन
बेनीताल: प्रकृति की गोद में बसा बुग्यालकमलेश चंद्र जोशीउत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से विविधताओं से भरा प्रदेश है. हालाँकि पर्यटकों के बीच इसकी पहचान चार धाम यात्रा के रूप में अधिक मशहूर है लेकिन यात्रा पर्यटन के सिवाय उत्तराखंड में बहुत कुछ ऐसा है जिन तक अभी सीमित व नियमित पर्यटकों का पहुँचना बाकी है. एक गंतव्य के तौर पर उत्तराखंड के बुग्यालों को पर्यटन में अब तक because वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो पारंपरिक गंतव्यों को है. बुग्यालों को पर्यटन से जोड़ने के इतर समय-समय पर बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण व बैकपैकर्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं जिसकी वजह से बुग्यालों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जगह उन्हें संरक्षित करने के लिए यात्रियों के रात्रि विश्राम व टेंट लगाने पर रोक जैसे सख़्त कदम प्रशासन को उठाने पड़ते हैं. बुग्यालसमुद्र तल से 8-10 हजार फ...
9 से 15 जुलाई तक चलेगा बीज बम अभियान  

9 से 15 जुलाई तक चलेगा बीज बम अभियान  

देहरादून
हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादूनहिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी विभिन्न स्वैछिक संगठनो, पंचायतो, सरकारी विभागो, स्कूलों व शिक्षको के साथ मिल कर विगत 2017 से बीज बम अभियान चला रहा है. अभियान में जन भागीदारीता बढाने हेतू वर्ष 2019 से उत्तराखण्ड के साथ देश के अन्य राज्यो में प्रति वर्ष 9 जुलाई से 15 जुलाई तक बीज बम अभियान सप्ताह मनाया जाता है. इस वर्ष बीज बम अभियान सप्ताह को 15 राज्यो मे विभिन्न स्वैछिक संगठनो, सरकारी विभाग, पंचायत व शिक्षक साथियों के because साथ मनाया जायेगा. इस वर्ष बीज बम अभियान सप्ताह का लाईव शुभारम्भ सामाजिक कार्यकर्ता श्री जयंत कुमार जी करेगें. सप्ताह के दौरान बीज बम बना कर खाली स्थानों व वनों मे फेके जायेगें. शिक्षक साथियों के द्वारा छात्र छात्राओं को घर गावँ मे ही बीज बम अभियान सप्ताह मनाने के लिये प्रेरित किया जायेगा. संस्कृति अभियान के प्रणेता द्वारिका प्...
भारत में सिनेमा की यात्रा के पड़ाव

भारत में सिनेमा की यात्रा के पड़ाव

साहित्‍य-संस्कृति
भारत में सिनेमा के सवा सौ साल (7 जुलाई, 2021) होने के अवसर पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्रआज सिनेमा ज्ञान, चेतना because और सामाजिक जागरूकता, मूल्य बोध, परवरिश के तौर तरीकों को आकार देने वाली शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है. भारत में नाटकों की परम्परा तो पुरानी है, लगभग दो हजार साल पहले से संस्कृत और प्राकृत के नाटक मिलते हैं. कालिदास, शूद्रक, विशाखदत्त, भास और भवभूति के नाटक अद्भुत हैं. पर यथार्थ की चाक्षुष और श्रव्य कथात्मक अभिव्यक्ति करता सिनेमा समाज की सांस जैसा सिनेमा दर्पण का काम करता है और उसे देख क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है इसका पता चलता है.संस्कृति सिनेमा के जरिये साथ एक समानांतर संस्कृति विकसित हो रही है जो मनोरंजन के साथ साथ, वेश-भूषा और फैशन की प्रवृत्ति को तय करने के साथ  बहुत सारे विषयों पर नजरिये को भी प्रभावित करती है. मसलन प्रेम, सेक्स, आपसी रिश्ते,...
निर्धनों, वंचितों और समाज के शोषितों के न्याय प्रदाता राजा ग्वेल

निर्धनों, वंचितों और समाज के शोषितों के न्याय प्रदाता राजा ग्वेल

धर्मस्थल
डॉ. मोहन चंद तिवारी राजा ग्वेल देवता खुशहाल,समतावादी और न्यायपूर्ण, राज्य व्यवस्था के प्रतिमान हैं. राजा ग्वेलदेव ने समाज के रसूखदारों और दबंगों को खबरदार करते हुए कहा मेरे राज्य में कोई भी बलवान निर्बल को और धनवान निर्धन को नहीं सता सकता-  “न दुर्बलं कोऽपि बली मनुष्यो, बलेन बाधेत मदीयराज्ये.” ज्योतिष कुमाऊंनी दुदबोली के रचनाकार लोककवियों और स्थानीय जागर गाथाओं को आधार बनाकर आधुनिक संस्कृत साहित्य के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् डा.हरिनारायण दीक्षित जी ने अपने महाकाव्य ‘श्रीग्वल्लदेवचरितम्’ में न्यायकारी महानायक ग्वेल देवता के जिस चरित्र का महामंडन किया है वह आधुनिक युगबोध की भ्रष्टाचार और शोषणपूर्ण राज्य व्यवस्था से सीधे संवाद करने वाला अति उत्तम महाकाव्य है.ज्योतिष यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हमारे स्कूल और कालेज के राजनीतिशास्त्र के विद्द्यार्थियों को यूनान और मिश्र की मृत सभ्यत...
क्या कहते हैं आपके सितारे, किसको मिलेगा भाग्य का साथ

क्या कहते हैं आपके सितारे, किसको मिलेगा भाग्य का साथ

साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल (6 से 12 जुलाई) मेष : इस सप्ताह घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन एवं सामाजिक कार्यों की व्यस्तता एवं विवशता के बावजूद भी आपका रुख सकारात्मक रहेगा. छात्रों का मन पढ़ाई से उचट सकता है. नौकरीपेशा लोगों को कार्यक्षेत्र में अतिरिक्त दायित्व मिल सकते हैं. because सप्ताह के मध्य में मित्र अथवा लव पार्टनर के साथ किसी बात को लेकर गलतफहमी हो सकती है, जो किसी वरिष्ठ व्यक्ति की मदद से दूर होगी. राजनीति में बड़ी सफलता या पद के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है. खान-पान पर विशेष ध्यान दें, पेट संबंधी दिक्कते हो सकती हैं. सरकारी कर्मचारियों का समय मिला-जुला साबित होगा.ज्योतिष उपाय: किसी धर्म स्थान पर because गरीबों को बेसन की बर्फी बांटें. साथ ही अपने ईष्टदेव की उपासना करें. वृष: वृष राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह चुनौतीपूर्ण है. करिअर-कारोबार के साथ इस सप्ताह आपको अपनी सेहत...
भरत सिंह राणा: बुरांश के जूस से लेकर सेब के बाग तक का सफर

भरत सिंह राणा: बुरांश के जूस से लेकर सेब के बाग तक का सफर

अभिनव पहल
बुरांश को बनाया रोजगार का जरियाप्रेम पंचोलीउत्‍तराखंड की यमुना घाटी का हरेक किसान अपनी खेती-किसानी के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है. इस घाटी में लोग खेती-किसानी को ही महत्व देते हैं. उन्हें सरकार इसके लिए प्रोत्साहन करे because या न करे उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है. यही वजह है कि आज राज्य की एक मात्र यमुनाघाटी है जहां से पलायन का दूर-दूर तलक कोई वास्ता नहीं है.नेता जी यहां हम ऐसे ही एक शख्स से परिचय कराना चाहते हैं जिन्होंने बिना सरकारी सहायता के वह चमत्कार करके दिखाया जिसके लिए सरकारें व कम्पनियां बड़ी-बड़ी डीपीआर (डिटियेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाती हैं. हो-हल्ला होता है. विज्ञापन ईजाद किये जाते हैं. सपने दिखाये जाते हैं. रोजगार का डंका पीटा जाता है. इसके अलावा प्रचार-प्रसार के because सभी हथकण्डे ये सरकारी-गैर सरकारी लोग अपनाते हैं. मगर इसके इतर जो उत्तरकाशी जनपद के दूरस्थ गां...
उत्तराखंड में जैविक खेती को 6100 क्लस्टर बनाये जाएंगे!

उत्तराखंड में जैविक खेती को 6100 क्लस्टर बनाये जाएंगे!

खेती-बाड़ी
डॉ. राजेंद्र कुकसालमुख्यमंत्री की कृषकों के हित में सराहनीय एवं स्वागत योग्य पहल, राज्य में गतिमान 3900 जैविक कलस्टरों की हकीकतउत्तराखंड कृषि प्रदान राज्य है जहां पर अधिकांश लोगों की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. राज्य का अधिकांश भाग पर्वतीय है जहां पर 65 प्रतिशत वन आच्छ्यादित हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में बर्षाbecause आधारित कृषि होती है साथ ही इस क्षेत्र में रसायनिक खाद का उपयोग बहुत कम यानी 5 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर ही होता है. पहाड़ी क्षेत्रों में जैविक खेती की संभावनाओं को देखते हुए 2003 में शासन द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में शत् प्रतिशत एवं मैदानी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत स्वैच्छा से  जैविक खेती करने का निर्णय लिया गया.नेता जी चर्ष 2003 में कृषि विभाग एवं उत्तरांचल because जैविक उत्पादन परिषद द्वारा गहन विचार विमर्श के बाद जैविक कृषि मार्ग निर्देशिका (रोड़ मैप) प्रकाशित ...
गोरिल के पिता हालराई थे या झालराई?

गोरिल के पिता हालराई थे या झालराई?

धर्मस्थल
एक गवेषणात्मक विवेचनाडॉ. मोहन चंद तिवारीन्याय देवता गोरिल से सम्बंधित चर्चा के संदर्भ में प्रायः यह जिज्ञासा प्रकट की जाती रही है कि गोरिल के पिता का नाम हालराई था अथवा झालराई? यह जिज्ञासा इसलिए भी स्वाभाविक है कि मैंने प्रो.हरि नारायण दीक्षित जी द्वारा रचित महाकाव्य ‘श्रीग्वल्लदेवचरितम्’ के संदर्भ में जो समालोचनात्मक चर्चा चलाई है,उसके अनुसार ग्वेलदेवता के पिता because का नाम हालराय ही है. किन्तु सामान्य रूप से देखा जाए तो ग्वेलदेवता के पिता के सम्बंध में दोनों प्रकार की मान्यताएं लोक प्रचलन में हैं. कहीं जागर कथाओं में ग्वेल देवता के पिता का नाम झालराई तो कहीं हालराई गाया जाता है. ग्वेलदेवता विषयक लिखित साहित्य में भी दो तरह के संस्करण प्रचलित हैं.कहीं झालराई को तो कहीं हालराई को गवेल्ज्यू का पिता कहा गया है.नेता जीइतिहासकार ई टी एटकिंसन, तारादत्त गैरोला, डा. देवसिंह पो...
कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्ताह ?

कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्ताह ?

साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल (29 जून से 4 जुलाई)  मेष: इस सप्ताह आपको घर एवं बाहर दोनों जगह धीरे-धीरे तालमेल बनता हुआ नजर आयेगा. किसी प्रभावी व्यक्ति की मदद से रास्ते में आ रही अड़चनें दूर होंगी. अटके कार्यों में गति आयेगी लेकिन एक बात का पूरा ख्याल रखें कि आपकी सफलता बहुत हद तक आपकी ईमानदारी पर टिकी है. किसी भी चीज को करते समय अपना शत प्रतिशत दें. सप्ताह के मध्य में कोई घरेलू चिंता सता सकती है. आर्थिक स्थिति में सुधार के बावजूद खर्च की अधिकता बनी रहेगी. प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे. दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी. उपाय: पक्षियों को दाना डालें. span style="display: none;">because 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:' मंत्र का जप करें.ज्योतिष वृष: वृष राशि के जातकों को इस सप्ताह तमाम चीजों को लेकर व्यस्तता बनी रहेगी. नौकरीपेशा लोगों को कार्यक्षेत्र में गुप्त शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता ह...
निर्भीक ‘निशंक’: न कोरोना तोड़ पाया, न ही डॉक्टरों की सलाह रोक पाई.. कर्तव्यपथ पर डटे रहे निशंक

निर्भीक ‘निशंक’: न कोरोना तोड़ पाया, न ही डॉक्टरों की सलाह रोक पाई.. कर्तव्यपथ पर डटे रहे निशंक

देश—विदेश
अरविन्द मालगुड़ी निशंक जिसे कोई शंका या डर न हो अर्थात  निर्भीक , अपने नाम के अनुरूप ही कार्य कर रहे हैं उत्तराखंड से सांसद और वर्तमान  में केन्द्र में शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक।  कैसे,  आपको बताते हैं।  केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल 'निशंक' अपनी जिजीविषा, दृढ़निश्चय, लगनपूर्ण  कार्य, कठोर मेहनत एवं सहृदयता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कर्तव्यनिष्ठा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अस्वस्थ होने के बाद भी वह लगातार विभागीय कार्य में जुटे हुए हैं। पिछले 23 दिनों से पोस्ट कोविड की गंभीर समस्याओं  के चलते वे एम्स दिल्ली के  आई सी यू  में भर्ती रहे हैं और कोरोन को मात दे आई सी यू  से अभी कुछ समय पहले ही बाहर आये हैं।उनके करीबी लोग बताते हैं कि इस गंभीर स्थिति में भी निशंक जी ने काम को कभी बाधित नहीं किया और अपने मंत्रालय के सभी सहयोगियों को आई सी यू  से निर्दे...