Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी आज तक संजीवनी क्यों नहीं मिली क्योंकि संजीवनी बूटी का जो वास्तविक पर्वत द्वाराहाट स्थित दुनागिरि है, वहां इस दुर्लभ बूटी को खोजने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ. दूसरी खास so बात यह है कि उत्तराखंड सरकार हो या पतंजलि योगपीठ इन्होंने कभी रामायण, महाभारत, पुराण आदि ग्रन्थों में संजीवनी बूटी के पौराणिक भूगोल और रामायण की घटनाओं का गम्भीरता से अध्ययन ही नहीं किया. इतिहास बताता है कि संजीवनी बूटी तो महाभारत काल में ही लुप्त हो चुकी थी. फिर भी संजीवनी बूटी की खोज में रुचि रखने वाले टीवी चैनलों और विद्वानों के लिए आज भी प्रासंगिक है मेरा चार वर्ष पहले लिखा गया यह लेख. नेता जी 29 सितंबर, 2008 को टीवी चैनल- आईबीएन-7 के माध्यम से जब योगगुरु बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के स्वामी बालकृष्ण द्वारा गढ़वाल जिले के 'द्रोणागिरी' पर्वत पर जाकर रामायणकालीन संजीवनी बूटी के मि...
हिमालयी सरोकारों की तरफ बढ़ते क़दमों के निशान बिखेरती पत्रिका!

हिमालयी सरोकारों की तरफ बढ़ते क़दमों के निशान बिखेरती पत्रिका!

देहरादून
      मनोज इष्टवाल अभी कल ही की तो बात है जब कैनाल रोड स्थित एक कैफ़े में हिमांतर पत्रिका के तीसरे एडिशन का लोकार्पण हुआ. हिमांतर की टीम चूंकि इसे पर्यटन या फिर यूँ कहें यात्रा because विशेषांक के रूप में 86 पृष्ठों का एक दस्तावेज जब सामने लाया तो मन मचलता हुआ उसके मुख पृष्ठ पर गया, जहाँ खड़ी पहाड़ी चट्टान पर एक शख्स आसमान की ओर बाहें फैलाए खड़ा मानों बादलों में छुपी दूसरी चोटी कोप ललकार रहा हो कि देख इस फतह के बाद अगली फतह तुझ पर निश्चित है. सच कहूँ तो यात्राएं होती ही ऐसी हैं एक के बाद एक.... शिवालिक श्रेणियों से मध्य हिमालय और मध्य हिमालय से लेकर उतुंग हिमालय तक. ज्योतिष लगभग 30 लोगों के एक समूह का ऐसा विकल्प जो प्रश्न खड़ा करे कि क्या “हिमांतर” के साहस के आगे भी कुछ दुस्साहसी खड़े हैं? होंठ मुस्कराकर गोल हुए और सीटी बजाने लगे because क्योंकि तब तक “उत्तरा” और “पहाड़” ने आकर अपनी जुबान ख...
प्रेमचन्द का भारत-बोध

प्रेमचन्द का भारत-बोध

स्मृति-शेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं के सिद्धहस्त कथाकार मुंशी प्रेमचंद का तीन दशकों का लेखन भारत की सामुदायिक समरसता का एक अद्भुत दस्तावेज प्रस्तुत करता है. बीसवीं सदी के आरंभिक काल की उनकी रचनाएं आम आदमी की ख़ास उपस्थिति को रेखांकित करती हैं. मोहक आख्यान के कथा-सूत्रों से अपने पाठक को बाँध कर चलने वाली उनकी कहानियां आदर्श और यथार्थ के बीच आवाजाही करते हुए एक संतुलित मानवीय दृष्टि विकसित करने की कोशिश करती हैं. उनके कथा-शिल्प की कलात्मक झंकृति एक अनोखे सौन्दर्य-बोध का संकेत देती हैं . वे साधारण सी साधारण वस्तु या घटना के व्याज से सहज और सीधा होते हुए भी हृदयस्पर्शी  चित्र उअस्थित करते है. उसकी ग्र्याह्यता का दायरा समाज के बड़े व्यापक वर्ग को सहज ही अपना मुरीद बना लेता है . होरी, घीसू-माधो या हामिद जैसे उनके रचे पात्र पाठकों के  मनो जगत में अविस्मरणीय प्रतीक बन बन कर जीते रह...
कुमाऊं की परम्परागत जीवन शैली का परिधान है रंगवाली पिछौड़ा

कुमाऊं की परम्परागत जीवन शैली का परिधान है रंगवाली पिछौड़ा

साहित्‍य-संस्कृति
विरासतों का सृजनात्मक उपयोग और मौलिकता नीलम पांडेय नील उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला परिधान पिछौड़ा,परम्परागत रूप से कुमाऊं मूल के लोगों की विशिष्ट संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है. रंगवाली पिछौड़ा कुमाऊं प्रांत का because परम्परागत जीवन शैली का परिधान है. इसको हम लोग (महिलाएं) विशेष धार्मिक एवं सामाजिक उत्सव जैसे शादी विवाह अथवा परिणय, यज्ञोपवीत, नामकरण, पूजा-पाठ, संस्कार व तीज-त्यौहार आदि में ओढ़ते रहते हैं. रंगवाली पिछौड़ा यह परिधान कुमांऊ की सांस्कृतिक पहचान से मजबूती के साथ जुडा़ हुआ है. मुझे याद है, पहले से ही शादी ब्याह, काम काज में महिलाएं पिठ्या, पिछौड़ा, ऐपण आदि सब कुछ नहा धो कर, साफ वस्त्र पहन कर घर पर ही तैयार करती रही हैं क्योंकि इनको बहुत पवित्रता से बनाया जाता है. मेरी नानी, दादी, तथा घर की महिलाएं, because पिठ्या, पिछौड़ा, ऐपण आदि बनाने तक अन्न ग्रहण ...
भोलेजी महाराज के जन्मदिन पर हंस फाउंडेशन ने दान की 30 एम्बुलेंस, मुख्यमंत्री ने किया फ्लैग ऑफ

भोलेजी महाराज के जन्मदिन पर हंस फाउंडेशन ने दान की 30 एम्बुलेंस, मुख्यमंत्री ने किया फ्लैग ऑफ

देहरादून
हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में हंस फाउंडेशन द्वारा राज्य को उपलब्ध कराई गई 30 एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया. हंस फाउंडेशन के संस्थापक भोले जी महाराज का जन्मोत्सव पर हंस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड के दूरगामी क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्तराखंड को 30 एम्बुलेंस, 20 ट्रूनेट जांच मशीनें और 500 ऑक्सीजन सिलेंडर प्रदान किए गए है. इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, डा. धन सिंह रावत, हंस फाउंडेशन से विकास वर्मा उपस्थित थे. प्रदेश सरकार आम जनमानस तक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने हेतु कृत-संकल्प है. हमारे इस संकल्प के साथ हंस फाउंडेशन भी निरंतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री ने भोले जी महाराज एवं माता मंगला का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि हंस फाउंडेशन द्वारा प्रदेश के विकास में विभिन्...
यूसर्क द्वारा वृहद स्तर पर सामुदायिक बाँस के वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

यूसर्क द्वारा वृहद स्तर पर सामुदायिक बाँस के वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

देहरादून
हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा हिमालयन अध्ययन मिशन परियोजना द्वारा वित्त पोषित परियोजना के अन्तर्गत बाँस के सांसाधन को काश्तकारों की आजीविका का प्रमुख संसाधन बनाने हेतु इसके नये उत्पाद बनाने, because बाजारी करण एवं संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है. इसके पूर्व में यूसर्क द्वारा महिला समूह को आत्मनिर्भर बनाने हेतु बाँस के विभिन्न नये उत्पाद बनाने पर सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था. अतः उत्पाद बनाने के लिये बाँस के संसाधन की उपलब्धता बनाने हेतु यूसर्क द्वारा स्थानीय निवासियों एवं महिला समूह की भागीदारी के द्वारा ग्राम नागल जवालापुर, डोईवाला ब्‍लॉक में वृहद स्तर पर सामुदायिक बाँस वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जा रहा है. ज्योतिष बाँस के वृक्षारोपण कार्यक्रम के प्रथम दिवस में यूसर्क because की वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक डा...
पहाड़ की कृषि आर्थिकी को संवार सकता है मंडुआ

पहाड़ की कृषि आर्थिकी को संवार सकता है मंडुआ

खेती-बाड़ी
चन्द्रशेखर तिवारी उत्तराखण्ड में पृथक राज्य की मांग के लिए जब व्यापक जन-आंदोलन चल रहा था तब उस समय यह नारा सर्वाधिक चर्चित रहा था - ’मंडुआ बाड़ी खायंगे उत्तराखण्ड राज्य बनायेंगे'. because स्थानीय लोगों के अथक संघर्ष व शहादत से अलग पर्वतीय राज्य तो हासिल हुआ परन्तु विडम्बना यह रही कि राज्य बनने के बाद यहां के गांवों में न तो पहले की तरह मंडुआ-बाड़ी खाने वाले युवाओं की तादात बची रही और नहीं मंडुआ की बालियों से लहलहाते सीढ़ीदार खेतों के आम दृश्य. ज्योतिष राज्य बन जाने के बाद खेती-बाड़ी और पशुपालन से जुड़े ग्रामीण युवाओं के रोजगार की तलाश में मैदानी इलाकों के शहरों व महानगरों की ओर रुख करने से यहां मडुआ जैसी कई because परम्परागत फसलें हाशिये की ओर चली गयीं. मंडुआ की घटती खेती को कृषि विभाग के आंकडे़ भी तस्दीक करते हैं. उत्तराखण्ड में वर्ष 2004-2005 के दौरान 131003 हेक्टेयर में मडुआ की खेती ह...
कैसा रहेगा जुलाई का आखिरी सप्ताह आपके लिए?

कैसा रहेगा जुलाई का आखिरी सप्ताह आपके लिए?

साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल (27 जुलाई से 1 अगस्त) मेष राशि: इस सप्ताह अपने नेटवर्क को मजबूत बनाने पर फोकस करना होगा. ऑफिस के कार्यों को लेकर कुछ मानसिक चिंता रहेगी, लेकिन कूल रहेंगे तो स्थितियां आपके फेवर में होगी. सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत लोगों को सप्ताह में एक्टिव रहने की विशेष सलाह है. because जो लोग कम्युनिकेशन से संबंधित व्यापार शुरू करने की योजना बना रहें है वह कागजी कार्यवाही में ढील न दें. पेट में जलन की समस्या को लेकर परेशान रह सकते हैं, गर्भवती महिला अपना ध्यान भी रखें. घर पर बड़ों के साथ समय व्यतीत करें, उनकी जरूरतों में धन खर्च होगा. किसी तीसरे की बातों पर भरोसा करने से पहले आपस में बातचीत कर लें. ज्योतिष वृषभ राशि: इस सप्ताह महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझ कर ही लेना आपके लिए श्रेयस्कर रहेगा, तो वहीं दूसरी ओर गुरु व गुरुतुल्य के सानिध्य में रहना चाहिए. कलात्मक बोली से आप दूसरों के आकर्...
कारगिल के वीर सपूतों को भारतराष्ट्र का कोटि कोटि नमन

कारगिल के वीर सपूतों को भारतराष्ट्र का कोटि कोटि नमन

स्मृति-शेष
कारगिल ‘विजय दिवस’ पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज पूरे भारत में कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।आज के ही दिन 26 जुलाई,1999 को जम्मू और कश्मीर राज्य में नियंत्रण रेखा से लगी कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमाए आतंकियों और उनके वेश में घुस आए पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा मार भगाया गया था। उसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष '26 जुलाई' का दिन ‘विजय दिवस’ के रूप में याद किया  जाता है और पूरा देश उन वीर और जाबांज जवानों को इस दिन श्रद्धापूर्वक नमन करता है। भारतीय सेना का यह ऑपरेशन विजय 8 मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था। इस कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। कारगिल के इस युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने में उत्तराखंड के 75 जवानों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी। दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ...
श्रीदेव सुमन की तरह उनकी टिहरी भी उपेक्षित और बदहाल

श्रीदेव सुमन की तरह उनकी टिहरी भी उपेक्षित और बदहाल

देश—विदेश
हिमांतर ब्‍यूरो, नई दिल्‍ली पर्वतीय लोकविकास समिति, so उत्तराखंड एकता मंच और भिलंगना क्षेत्र विकास समिति द्वारा अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन बलिदान दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन मिनी मार्केट जनकपुरी नई दिल्ली में किया गया. पर्यावरण मुख्य अतिथि शीर्ष सामाजिक कार्यकर्ता और उद्योगपति श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि सुमन जी ने पूरे देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, 84 दिन तक की भूख हड़ताल इतिहास की बड़ी so घटना है. राजशाही के विरुद्ध अलख जगाने वाले टिहरी के मुक्तिनायक श्रीदेव सुमन की घाटियां और पट्टियां आज भी विकास की राह ताक रही  हैं. भाजपा पर्वतीय प्रकोष्ठ दिल्ली के प्रभारी श्याम लाल मजेड़ा ने कहा कि श्रीदेव सुमन के योगदान का राष्ट्रीय इतिहास में भावी पीढ़ियों की प्रेरणा के लिए उचित और ठोस उल्लेख होना चाहिए. पर्यावरण भिलंगना क्षेत्र विकास समिति के महासचिव शिव सिंह राणा ने कहा क...