Tag: हिमाचल

बड़ी खबर: कांग्रेस का बड़ा एक्शन, 6 विधायकों की सदस्यता रद्द

उत्तराखंड हलचल
हिमाचल: राज्यसभा चुनाव में क्रांस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों के खिलाफ कांग्रेस की सख्ती देखने को मिली है। सभी 6 विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। हालांकि, विधायकों ने दावा किया है कि वो इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस फैसले सरकार के बहुमत का आंकड़ा भी बदल गया है। कांग्रेस के छह बागी विधायकों के भविष्य पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुना दिया है। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी। स्पीकर ने कल दोनों पक्षों को सुना था। आज स्पीकर ने फैसला सुनाया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी। 6 विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दलबदल विरोधी क...
आपदा पीड़ितों की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन ने बढ़ाया हाथ

आपदा पीड़ितों की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन ने बढ़ाया हाथ

हिमाचल-प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की पांच करोड़ रुपये सहायता राशि हिमाचल इस समय भारी तबाही का सामना कर रहा है. बाढ़ और बारिश से इसके चलते यहां जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. लोगों के घर मलबे में तब्दील हो गए,जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते हिमाचल प्रदेश में हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को 'प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र' घोषित कर दिया है. प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हिमाचल प्रदेश को इस आपदा से उबारने के लिए केंद्र सरकार,कई राज्यों की सरकारों के साथ तमाम सामाजिक संगठनों ने आपदा प्रभावित हिमाचल की मदद के लिए हाथ बढ़ाए. इस क्रम में आपदा प्रभावित की मदद के लिए द हंस फाउंडेशन आगे आया है. द हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत माताश्री मंगला एवं श्री भोले जी महाराज ने हिमाचल आपदा पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदन...
बारिश का कहर: मकान गिरने से दो की मौत, उफनती नदी में बही कारें

बारिश का कहर: मकान गिरने से दो की मौत, उफनती नदी में बही कारें

हिमाचल-प्रदेश
पिछले दो दिन से लगातार मूसलाधार बारिश के कारण लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन से भारी तबाही हुई है. शिमला जिला के कोटगढ़ इलाके में मलबे में दबने से दम्पति और बच्चे की मौत और दो अन्य चोटिल हुए हैं. भूस्खलन की ये घटना ठियोग-कुमारसैन विधानसभा क्षेत्र की उप तहसील कोटगढ़ के ग्राम पंचायत मधावनी के पानेवली गांव में हुई. भारी वर्षा के कारण चट्टान युक्त मलबा मकान पर गिर पड़ा. मकान में पांच लोगों का परिवार रह रहा था. इस मकान में दम्पति समेत छह लोग सो रहे थे. इसमें अनिल (32) पुत्र जयचंद, किरण (31) पत्नी अनिल और स्वप्निल (11) पुत्र अनिल की मलबे में दबने के कारण मौत हो गई है.तीनों के शवों को निकाल दिया गया है.परिवार के अन्य सदस्यों जयचंद और उनकी पत्नी बीना देवी को हल्की चोटें आई है. हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में शुक्रवार देर रात से लगातार जारी बारिश से आम जन...
पहाड़ के रंग, मशहूर चित्रकार जगमोहन बंगाणी के संग

पहाड़ के रंग, मशहूर चित्रकार जगमोहन बंगाणी के संग

कला-रंगमंच
शशि मोहन रवांल्टा दिल्ली के हौजखास विलेज में लोकायता आर्ट गैलरी (Lokayata Art Gallery) में 4 और 5 मार्च को एक चित्रकला प्रदर्शनी आयोजित होने जा रही है, जिसमें पहाड़ के दूर—दराज गांवों से आए हुए 20 युवा because नवोदित चित्रकार प्रदर्शनी के माध्यम से अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे. इस प्रदर्शनी का आयोजन 'उद्यम' नाम की एक सामाजिक संस्था के सहयोग से किया जा रहा है. ज्योतिष 'पहाड़ के रंग' नाम से आयोजित चित्र प्रदर्शनी में because उत्तराखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के अलग—अलग गांवों से आए हुए नवोदित चित्रकार इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रदर्शनी में मुख्य भूमिका में उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी के मौंडा गांव के मशहूर चित्रकार जगमोहन बंगाणी हैं. ज्योतिष जगमोहन बंगाणी ने पिछले एक साल में उत्तराखंड के अल्मोड़ा, ऋषिकेश और मुक्तेश्वर में चित्रकला की दस—दस दिवसीय कला कार्यशाला...
पहाड़ और स्वयं के भीतरी तापमान को समझने में नाकाम रही बीजेपी

पहाड़ और स्वयं के भीतरी तापमान को समझने में नाकाम रही बीजेपी

हिमाचल-प्रदेश
प्रकाश उप्रेती पहाड़ों में गिरते तापमान के बीच चुनाव परिणामों ने हिमाचल के मौसम में गर्माहट पैदा कर दी है. इस बार के चुनाव परिणामों ने नब्बे के दशक से चले आ रहे पैटर्न को दोहराते हुए भी कई बड़े संकेत दिए हैं. इन संकेतों को “पाँच साल कांग्रेस और फिर पाँच साल बीजेपी” वाले फार्मूले से हटकर देखने की जरूरत हैं क्योंकि एक तरफ जहां बीजेपी राष्ट्रीय मुद्दों और चेहरों के साथ राज्य-दर-राज्य जीत रही है वहीं कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है. साथ ही इधर के कुछ वर्षों में बीजेपी ने जिस तरह से चुनाव लड़े हैं उसे देखकर भी इन परिणामों को सिर्फ पैटर्न के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. बीजेपी निकाय से लेकर लोकसभा तक के चुनावों को पूरी ताकत से लड़ती है. हिमाचल में तो पाँच साल उसकी सरकार रही है और केंद्र में अनुराग ठाकुर जैसे बड़े कद के मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसी प्रदेश से आते हैं. ऐसे में हिमाचल में बीजेपी...
सियूड़िया मेला :  जहां  देव पश्वा अपने मुंह में डालते हैं लोहे व चांदी के सुये

सियूड़िया मेला :  जहां  देव पश्वा अपने मुंह में डालते हैं लोहे व चांदी के सुये

उत्तरकाशी
देव पशवा का मुंह में लोहे वचांदी की छड़ डालना रहता है मेले का मुख्य आकर्षण. रामा गांव में लगता है 12 because गांव का कैलापीर, नरसिंह एवं सियूड़ियादेवता का मेला. हिमाचल के डोडरा का है सियूड़ियादेवता, रामा सिरांई क्षेत्र का सबसे पुराना गांव है रामा.   नीरज उत्तराखंडी, पुरोला  रामा सिरांई पट्टी के 12 गांव  का सियूड़िया देवता, केलापीर एवं नरसिंह देवताओं के मेले में बुधवार को रामा गांव में क्षेत्र की भारी भीड उमडी,हर वर्ष 22 गते भाद्रपद को 7 सितंबर सियूड़िया देवता के पशवा का मुहं because में लोहे व चांदी की छड सियूडा डालना लोगों के आस्था, आकर्षक का केंद्र है जिस रोचक नजारे देखने को कमल सिरांई व मोरी त्यूणी, पर्वत क्षेत्र व नौंगाव समेत सरबडियाड़ व दूर दराज गांव से सैकडों की भीड उमड़ती है. ज्योतिष मेले के दिन केलापीर व नरसिंह देव पशवा because की मौजदूगी में सियूड़िया महाराज ...
आस्था का उमड़ा जनसैलाब, चालदा महाराज की अद्भुत प्रवास यात्रा व्यवस्था

आस्था का उमड़ा जनसैलाब, चालदा महाराज की अद्भुत प्रवास यात्रा व्यवस्था

नैनीताल
भारत चौहान जौनसार बावर, उत्तरकाशी एवं हिमाचल क्षेत्र के आराध्य महासू महाराज के प्रति यहां के स्थानीय लोगों की अपार श्रद्धा व आस्था है. विगत दिनों चालदा महाराज की मोहना मे 2 वर्ष रुकने के because पश्चात जब प्रवास यात्रा समालटा के लिए प्रस्थान की तो हजारों लोगों की आंखें नम थी, की अब महाराज वापस कब आएंगे?  यात्रा प्रारंभ हुई और 23 नवंबर की रात को चालदा महाराज समालटा गांव खत मझियारना में विराजित हुए, इस यात्रा में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा,  हजारों लोगों ने देव दर्शन किए, मन्नते मांगी व क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना की. ज्योतिष यात्रा का प्रारंभ जौनसार बावर के मोहना गांव से हुआ जहां हजारों लोगों ने चालदा महाराज को समालटा के लिए विदा किया.यात्रा के आगे - आगे देव के प्रतीक के रूप में गाडवे (देवता के नाम के बकरे) चल रहे थे उसके पीछे हजारों का जनसैलाब कंधे पर महार...
जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

कला-रंगमंच
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव मौंडा है. यह हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है. एक तरह से उत्तरकाशी जिले का अंतिम छोर . मौंडा गाँव से एक लड़का कला (आर्ट) का पीछा because करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है. जिस दौर में इस लड़के ने कला का पीछा किया उस दौर में पहाड़ के ज्यादातर लड़कों की दौड़ सड़क से शुरू होकर सेना तक पहुँचती थी. इसलिए लंदन से लौटने पर उसके पिता ने भी उससे पूछा- बेटा विदेश से आ गया है... ये बता कोई सरकारी नौकरी इस पढ़ाई से लगेगी कि नहीं ? पहाड़ के हर पिता की चिंता अपने बेटे के लिए एक अदत सरकारी नौकरी की होती थी. ज्योतिष वह नहीं जानते थे कि उनका लड़का जो कर रहा है उसमें वह सरकारी नौकरी की दौड़ से बहुत दूर अपनी दुनिया में चला गया है. उसकी दुनिया, रंगों की दुनिया है. उसकी दुनिया because भविष्य को रेखाओं के माध्यम से रचने की दुनिया ह...
संकट में है आज हिमालय पर्यावरण

संकट में है आज हिमालय पर्यावरण

पर्यावरण
‘हिमालय दिवस’ (9 सितम्बर) पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज हिमालय दिवस है.पिछले कुछ वर्षों से देश भर में, खासकर उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में 9 सितम्बर को ‘हिमालय दिवस’ मनाया जा रहा है. हिमालय दिवस की शुरुआत 9 सितंबर,2010 को हिमालय पर्यावरण को समर्पित जाने माने पर्यावरणविदों सर्वश्री सुन्दर लाल बहुगुणा, सुरेश भाई, राजेन्द्र सिंह,पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी आदि द्वारा की गई थी. इन पर्यावरणविदों का एक मंच पर आना इसलिए हुआ था कि तब सरकारें हिमालय पर्यावरण के संरक्षण व विकास को लेकर नाकाम ही साबित हो रही थी. ये पर्यावरणविद् सम्पूर्ण हिमालय में हिमालय दिवस के माध्यम से ऐसी जन चेतना जागृत करने के लिए एक मंच पर आए थे ताकि हिमालय के प्राकृतिक संसाधनों और उसकी जैव विविधता की रक्षा की जा सके. 'हिमालय दिवस' मनाने से अति संवेदनशील हिमालय पारिस्थितिकी और पर्यावरण का कुछ भला हुआ होता तो इ...
प्राकृतिक आपदाओं से कराहते लोग…

प्राकृतिक आपदाओं से कराहते लोग…

संस्मरण
बंगाण क्षेत्र की आपदा का एक वर्ष… लोगों का दर्द और मेरे पैरों के छाले… आशिता डोभाल बंगाण क्षेत्र का नाम सुनते ही मानो दिल और दिमाग पल भर के लिए थम से जाते हैं  क्योंकि बचपन से लेकर आजतक न जाने कितनी कहानियां, दंत कथाएं वहां के सांस्कृतिक और धार्मिक परिवेश पर सुनी हैं, बस अगर कहीं कमी थी, तो वो ये कि वहां की सुन्दरता और सम्पन्नता को देखने का मौका नहीं मिल पा रहा था जो सौभाग्यवश इस भ्रमण के दौरान देखने को भी मिल गया था. विगत वर्ष दिनांक 17.08.19 व 18.08.19 को बारिश के कहर से पूरी बगांण वैली का तबाह होना या यूं कहें कि एक पूरी सभ्यता की रोजी-रोटी (स्वरोजगार) के साधनों का तबाह होना किसी भी सभ्यता के लिए अच्छे संकेत तो बिल्कूल भी नहीं थे, साधन विहीन हो चुकी बगांण वैली इस वेदना से गुजर रही थी, जिसकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं था. आसमान का कहर उनका इतने कम समय में सब कुछ खत्म कर देगा,...