Tag: श्रीदेव सुमन

अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन को पुष्पांजलि

अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन को पुष्पांजलि

दिल्ली-एनसीआर
नई दिल्ली के रामकृष्ण पुरम सेक्टर-3 मार्केट में स्वतंत्रता सेनानी और 84 दिन तक देश की आजादी के लिए भूख हड़ताल करने वाले अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता ये रही कि श्रीदेव सुमन जी पर चर्चा के बाद कार्यकर्ताओं ने भंडारे की भी समुचित व्यवस्था की थी,जिसमें लोगों ने बड़ी संख्या में प्रसाद लिया. भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्वतीय लोकविकास समिति के चेयरमैन और भाजपा के वरिष्ठ नेता चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली थे. अपने संबोधन में श्री पैन्यूली ने कहा कि हमें अपने इतिहास नायकों का स्मरण करना चाहिए,यह देखकर आनंद की अनुभूति हो रही है कि भाजपा उत्तराखंड प्रकोष्ठ ने सुमन जी को न केवल अपने कार्यक्रम से ही जोड़ा है बल्कि इसमें भंडारे को जोड़कर आमजन को ठोस इतिहास से जोड़ने का का...
अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 80वे बलिदान दिवस पर स्मृति सभा व भजन संध्या का आयोजन

अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 80वे बलिदान दिवस पर स्मृति सभा व भजन संध्या का आयोजन

दिल्ली-एनसीआर
टिहरी-उत्तरकाशी जन विकास परिषद द्वारा किया गया आयोजन सी एम पपनैं नई दिल्ली. अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 80वे बलिदान दिवस पर टिहरी-उत्तरकाशी जन विकास परिषद द्वारा गढ़वाल भवन में 25 जुलाई को स्मृति सभा व भजन संध्या का आयोजन किया गया. आयोजित आयोजन के इस अवसर पर विगत दिनों कश्मीर में हुई अनेकों आतंकवादी घटनाओं में शहीद हुए भारतीय वीर जवानों को भी खचाखच भरे सभागार में श्रद्धांजलि अर्पित की गई. आयोजित स्मृति व श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी समाज सेवियों, राजनीतिज्ञों, विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े संस्कृति कर्मियों, फिल्मकारों, साहित्यकारो व मीडिया कर्मियों में प्रमुख रूप से उपस्थित रमेश घिल्डियाल, राठी राम डबराल, टी एस भंडारी, आजाद सिंह नेगी, बृज मोहन उप्रेती, दुर्गा सिंह भंडारी, कुसुम बिष्ट, विकास चमोली, जीत सिंह भंडारी, चंद्र मोहन पपनैं, मनमोहन शाह, महा...
अध्यात्म, शौर्य, साहस और कर्तव्यपालन देवभूमि की पहचान : कृपा शंकर

अध्यात्म, शौर्य, साहस और कर्तव्यपालन देवभूमि की पहचान : कृपा शंकर

दिल्ली-एनसीआर
नई दिल्ली : देवभूमि उत्तराखंड अपने अध्यात्म, शौर्य, साहस और कर्तव्यपालन के लिए भारत में ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध है. चारधामों सहित यहां अनेकों दिव्य सिद्धपीठ हैं जो आत्मिक शांति के केंद्र हैं. देशरक्षा हेतु सीमाओं पर डटे सैनिक वीरता के पर्याय हैं तो आज भी घर और बाहर दोनों जगह पुरुषार्थ में लगी माता-बहनें शक्ति का स्रोत हैं. यह सब सात्त्विक गुण इस पावन भूमि को विरासत में मिले हैं. इसी का प्रभाव है कि आज भी देवभूमि की प्रतिभाशाली संतानें प्रत्येक क्षेत्र में अपनी महत्ता और विश्वसनीयता प्रमाणित कर रही हैं. स्वतंत्रता सेनानी श्रीदेव सुमन जैसे इतिहास पुरुष के पराक्रम को विद्यालयी पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी अपने महान पूर्वजों के यश से परिचित हो सके. ये विचार गढ़वाल भवन, झंडेवालान नई दिल्ली में अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर आयोजित  कार्यक्रम में वरेण्...
हिमालय की एक परंपरा का जाना है पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी का अवसान

हिमालय की एक परंपरा का जाना है पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी का अवसान

संस्मरण, स्मृति-शेष
'वृक्ष मानव' विश्वेश्वर दत्त सकलानी जी की जयंती (2 जून, 1922 ) पर सादर नमन चारु तिवारी प्रकृति को आत्मसात करने वाले वयोवृद्ध पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी का अवसान हिमालय की एक परंपरा का जाना है. उन्हें कई सदर्भों, कई अर्थों, कई सरोकारों के साथ जानने की जरूरत है. पिछले दिनों जब उनकी मृत्यु हुई तो सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा के समाचार माध्यमों ने उन्हें प्रमुखता के साथ प्रकाशित-प्रसारित किया. इससे पहले शायद ही उनके बारे में इतनी जानकारी लेने की कोशिश किसी ने की हो. सरकार के नुमांइदे भी अपनी तरह से उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुये. मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. जैसे भी हो यह एक तरह से ‘वृक्ष मानव’ की एक परंपरा को जानने का उपक्रम है जिसे कई बार, कई कारणों से भुलाया जाता है. 96 वर्ष की उम्र में (18 जनवरी, 2019) उन्होंने अपने गांव सकलाना पट्टी ...
आजादी के अमृत महोत्सव में गुमनाम नायकों की प्रतिष्ठा

आजादी के अमृत महोत्सव में गुमनाम नायकों की प्रतिष्ठा

देश—विदेश
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को किया गया सम्मानित हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली भारत अपनी आजादी के अमृत महोत्सव में कुशल राजनीतिक नेतृत्व के कारण सभी जगह और हर मोर्चे पर प्रतिष्ठित हो रहा है. सुनियोजित दुष्प्रचार के जरिए जो विमर्श गढ़े गए उनकी कलई खुल रही है. सत्ता के इशारे पर चाहे राजशाही ने हो या लोकतांत्रिक निरंकुशता ने, जिसने भी देश की आजादी के महानायकों को हाशिए पर पहुंचाया ,देश उनकी वास्तविकता को भांपकर अब धूल चटा रहा है. अपने एक ही जीवन में मृत्युदंड की सजा पाने वाले because वीर दामोदर सावरकर हों या 84 दिन की भूख हड़ताल कर अंग्रेजी दासता और निरंकुश राजशाही के विरुद्ध बिगुल बजाने वाले टिहरी के मुक्तिनायक अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन. इस परंपरा के  असंख्य राष्ट्रभक्तों के सत्कर्म और समर्पण कोई नहीं भुला सकता. ज्योतिष देश में नई शिक्षा नीति में म...
श्रीदेव सुमन की तरह उनकी टिहरी भी उपेक्षित और बदहाल

श्रीदेव सुमन की तरह उनकी टिहरी भी उपेक्षित और बदहाल

देश—विदेश
हिमांतर ब्‍यूरो, नई दिल्‍ली पर्वतीय लोकविकास समिति, so उत्तराखंड एकता मंच और भिलंगना क्षेत्र विकास समिति द्वारा अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन बलिदान दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन मिनी मार्केट जनकपुरी नई दिल्ली में किया गया. पर्यावरण मुख्य अतिथि शीर्ष सामाजिक कार्यकर्ता और उद्योगपति श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि सुमन जी ने पूरे देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, 84 दिन तक की भूख हड़ताल इतिहास की बड़ी so घटना है. राजशाही के विरुद्ध अलख जगाने वाले टिहरी के मुक्तिनायक श्रीदेव सुमन की घाटियां और पट्टियां आज भी विकास की राह ताक रही  हैं. भाजपा पर्वतीय प्रकोष्ठ दिल्ली के प्रभारी श्याम लाल मजेड़ा ने कहा कि श्रीदेव सुमन के योगदान का राष्ट्रीय इतिहास में भावी पीढ़ियों की प्रेरणा के लिए उचित और ठोस उल्लेख होना चाहिए. पर्यावरण भिलंगना क्षेत्र विकास समिति के महासचिव शिव सिंह राणा ने क...
“मां के पदों में सुमन-सा रख दूं समर्पण शीश को”

“मां के पदों में सुमन-सा रख दूं समर्पण शीश को”

स्मृति-शेष
क्रातिकारी श्रीदेव सुमन की 77वीं पुण्यतिथि पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी अपनी जननी और जन्मभूमि के प्रति अपार श्रद्धा तथा बलिदान की भावना रखने वाले उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी, अमर शहीद श्री देव सुमन जी की आज पुण्यतिथि है. आज के ही दिन, 25 जुलाई,1944 को लगभग शाम के करीब चार बजे इस 28 वर्षीय अमर सेनानी नौजवान ने अपनी जन्मभूमि, अपने देश, अपने आदर्श की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. श्री देव सुमन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे अमर शहीद हैं जिन्होंने न केवल अंग्रेजों का विरोध किया बल्कि टिहरी गढ़वाल रियासत के राजा की प्रजा विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए सत्याग्रह और अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए. श्री देव सुमन जी की पूरी राजनीति महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों से प्रभावित थी. पर्यावरण “मैं इस बात को स्वीकार so करता हूं कि मैं जहां अपने भारत देश के ...
याद करना लोक-संस्कृति के अध्येता को

याद करना लोक-संस्कृति के अध्येता को

उत्तराखंड हलचल
डॉ. गोविन्द चातक की पुण्यतिथि (9 जून, 2007) पर विशेष चारु तिवारी ‘‘सदानीरा अलकनंदा की तरल तरंगों ने राग और स्वर देकर, उत्तुंग देवदारु के विटपों ने सुगंधिमय स्वाभिमान देकर और हिमवन्त की सौंदर्यमयी प्रकृति ने अनुभूतियां प्रदान कर गोविन्द चातक की तरुणाई का संस्कार किया है. इसलिये चातक प्रकृत कवि, कोमल भावों के उपासक, लोक जीवनके गायक और शब्द शिल्पी बने हुये हैं.’’ (सम्मेलन पत्रिकाः लोक संस्कृति अंक) गढ़वाल की लोकविधाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में ही उन्होंने अपना जीवन लगा दिया. एक गहन अध्येता, संवेदनशील लेखक, प्रतिबद्ध शिक्षक, कुशल नाटककार, गूढ़ भाषाविद, प्रबुद्ध आलोचक, लोक विधाओं के शोधकर्ता के रूप में उनका योगदान हमेशा याद किया जायेगा. गढ़वाली भाषा और साहित्य के एक ज्ञानकोश के रूप में हम सब उन्हें जानते हैं. वे अपने आप में एक पहाड़ थे. लोक साहित्य और लोकभाषा के. लोक वि...
हिमालय के साथ चलने वाला व्यक्तित्व

हिमालय के साथ चलने वाला व्यक्तित्व

संस्मरण
राजेन्द्र धस्माना की पुण्यतिथि (16 मई) पर विशेष चारु तिवारी उम्र का बड़ा फासला होने के बावजूद वे हमेशा अपने साथी जैसे लगते थे. उन्होंने कभी इस फासले का अहसास ही नहीं होने दिया. पहाड़ के कई कोनों में हम साथ रहे. एक बार हम उत्तरकाशी साथ गये. रवांई घाटी में. भाई शशि मोहन रावत 'रवांल्टा' के निमंत्रण पर. पर्यावरण दिवस पर उन्होंने एक आयोजन किया था नौंगांव में. हमारे साथ बड़े भाई और कांग्रेस के नेता पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय भी थे. रास्ते भर उन्होंने यमुना घाटी के बहुत सारे किस्से सुनाये. उन्होंने यमुना पुल की मच्छी-भात के बारे में बताया. खाते-खाते मछली के कई प्रकार और उसे बनाने की विधि भी बताते रहे. यहां की कई ऐतिहासिक बातें, लोकगाथाओं, लोककथाओं एवं लोकगीतों के माध्यम से कई अनुछुये पहलुओं के बारे में बताते रहे. एक बार हम लोग टिहरी जा रहे थे. श्रीदेव सुमन की जयन्ती पर. यह आयोजन मैंने ह...