दुदबोली का सम्मान : प्रतिवर्ष सम्मानित 4 नवोदित उदयीमान लेखक

दुदबोली का सम्मान : प्रतिवर्ष सम्मानित 4 नवोदित उदयीमान लेखक

गढ़वाली-कुमाउनी एवं जौनसारी तथा हिन्दी भाषा में 4 नवोदित उदयीमान लेखकों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा- पुष्कर सिंह धामी वर्ष 2014 के बाद बुधवार को सचिवालय में पहली बार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की बैठक हुई. संस्थान की प्रबन्ध कार्यकारिणी एव साधारण सभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर […]

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 पहाड़ी लोक-जीवन की सांस्कृतिक यात्रा-नाटक ‘आमक जेवर’

पहाड़ी लोक-जीवन की सांस्कृतिक यात्रा-नाटक ‘आमक जेवर’

मीना पाण्डेय गढ़वाली, कुमाउनी एवं जौनसारी अकादमी-दिल्ली सरकार के तत्वावधान में 3 जुलाई 2022 से 9 जुलाई 2022 तक पहली बार आयोजित “बाल उत्सव-2022” (बच्चों की उमंग लोकभाषा के संग) के अंतर्गत 7 जुलाई 2022 को नाटक ‘आमक जेवर’ देखने का अवसर मिला. भाषाविद रमेश हितैषी द्वारा लिखित कहानी को मंच पर अपने निर्देशन के […]

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 गढ़वाल की प्रमुख बोलियाँ एवं उपबोलियाँ

गढ़वाल की प्रमुख बोलियाँ एवं उपबोलियाँ

संकलनकर्ता : नवीन नौटियाल उत्तराखंड तैं मुख्य रूप सै गढ़वाळ और कुमौ द्वी मंडलूं मा बंट्यु च, जौनसार क्षेत्र गढ़वाळ का अधीन होणा बावजूद अपणी अलग पैचाण बणाण मा सफल रै। इले ही यु अबि बि विवादौकु बिसै च कि जौनसारी एक स्वतंत्र भाषा च कि गढ़वळी की एक उपबोली च। [उत्तराखंड को मुख्य रूप […]

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 उत्तराखंड की संस्कृति पर गुमान था कवि गुमानी को

उत्तराखंड की संस्कृति पर गुमान था कवि गुमानी को

डॉ. मोहन चंद तिवारी अगस्त का महीना आजादी,देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावनाओं से जुड़ा एक खास महीना है. इसी महीने का 4 अगस्त का दिन मेरे लिए इसलिए भी खास दिन है क्योंकि इस दिन 24 वर्ष पूर्व 4 अगस्त,1996 को गुमानी पंत के योगदान पर राष्ट्रीय समाचार पत्र ‘हिदुस्तान’ के रविवासरीय परिशिष्ट में ‘अपनी […]

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 लोक संस्कृति में रंग भरने वाला पहाड़ का चितेरा  

लोक संस्कृति में रंग भरने वाला पहाड़ का चितेरा  

ललित फुलारा भास्कर भौर्याल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. उम्र सिर्फ 22 साल है. पर दृष्टिकोण और विचार इतना परिपक्व कि आप उनकी चित्रकारी में समाहित लोक संस्कृति और आंचलिक परिवेश को भावविभोर होकर निहारते रह जाएंगे. उनके चटक रंग बरबस ही अपनी दुनिया में खोई हुई आपकी एकाग्रता, को अपनी तरफ खींच लेंगे. वो […]

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 अपनी संस्कृति से अनजान महानगरीय युवा पीढ़ी

अपनी संस्कृति से अनजान महानगरीय युवा पीढ़ी

अशोक जोशी पिछले कुछ सालों से मैं उत्तराखंड के बारे में अध्ययन कर रहा हूं और जब भी अपने पहाड़ों के तीज-त्योहारों, मेलों, मंदिरों, जनजातियों, घाटियों, बुग्यालो, वेशभूषाओं, मातृभाषाओं, लोकगीतों, लोकनृत्यों, धार्मिक यात्राओं, चोटियों, पहाड़ी फलों, खाद्यान्नों, रीति-रिवाजों के बारे में पढ़ता हूं तो खुद को गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मैंने देवभूमि उत्तराखंड के […]

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