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आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित  विचार मंथन सत्र आयोजित

आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित  विचार मंथन सत्र आयोजित

देहरादून
उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) (Uttarakhand Science Education and Research Centre(USERC)) द्वारा राष्ट्रीय हिमालयन अध्ययन मिशन परियोजना के अन्तर्गत राज्य में आजीविका वर्धन हेतु बांस एवं रिंगाल संसाधनों पर आधारित काश्तकारों के सामाजिक आर्थिक उन्नयन हेतु उनके द्वारा बनाये जाने वाले पारम्परिक उत्पादों के मूल्यवर्धन, क्षमता विकास एवं विपणन हेतु श्रृंखला विकास की प्रक्रिया पर आधारित एक विचार मंथन सत्र का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में यूसर्क की निदेशक प्रो. (डा.) अनिता रावत ने कहा कि यूसर्क द्वारा बताया कि यूसर्क राज्य के विकास से सम्बन्धित विज्ञान, शिक्षा एवं तकनीकी के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं के द्वारा दुर्गम क्षेत्र तक लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने बासं व रिंगाल के संसाधनों के काश्तकारों को आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन होने के साथ पर्यावरणीय दृष्ट...
बुद्ध का स्मरण संतप्त जीवन की औषधि है

बुद्ध का स्मरण संतप्त जीवन की औषधि है

साहित्‍य-संस्कृति
बद्ध पूर्णिमा पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  हम सभी अच्छी तरह जीना चाहते हैं परन्तु दिन प्रतिदिन की उपलब्धियों का हिसाब लगाते हुए संतुष्टि नहीं होती है. दिन बीतने पर खोने पाने के बारे में सोचते हुए और जीवन में अपनी भागीदारी पर गौर करते हुए आश्वस्ति कम और आक्रोश, because घृणा, असहायता, कुंठा और शिकायतों का ढेर लग जाता है. मन के असीम स्वप्न और सीमित भौतिक यथार्थ के बीच प्रामाणिक, समृद्ध और पूर्ण जीवन की तलाश तमाम भ्रांतियों और अंतर्विरोधों से टकराती रहती है. आज जब सब कुछ ऊपर नीचे हो रहा है तो क्या सोचें और क्या चुनें यह मुश्किल चुनौती होती जा रही है. दी हुई परिस्थितियों में कुशलतापूर्वक कैसे जियें यह इस पर निर्भर करता है कि हमारी दृष्टि कैसी है. हम स्वयं अपने शरीर की और अपने because विचारों की चेतना भी रखते हैं और अपने अनुभवों की समझ भी विकसित करते रहते हैं. हम कहाँ स्थित हैं ? क्या पाना...
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य के लिए  टिहरी की भिलंगना घाटी के “सूर्य प्रकाश सेमवाल” को मिले मौका

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य के लिए  टिहरी की भिलंगना घाटी के “सूर्य प्रकाश सेमवाल” को मिले मौका

टिहरी गढ़वाल
बिजेंद्र सिंह रावत "दगड़या" उत्तराखंड के "उत्तरायणी" पर्व को विगत 20 वर्षो से दिल्ली एनसीआर और राष्ट्र स्तर पर पहचान दिलाने वाले कर्मयोगी, यशस्वी , समाज सेवी मानव भाई "सूर्य प्रकाश सेमवाल" को इस बार भाजपा की और से टिहरी राज्य सभा सांसद के लिए आगे आना चाहिए. समाज सेवा भावना , अपनी जड़ों से प्रेम , अपनी पहाड़ की संस्कृति व परंपराओं के सरक्षण व सवर्धन के लिए सदैव प्रथम पंक्ति में खड़े होने वाले सेमवाल जी एक उच्च शिक्षाधारी और शिक्षा के क्षेत्र में भी ठोस नाम है.  इनका पूरा जीवन  राष्ट्रवादी सोच का रहा है औरसंघ के एक स्वयंसेवक के रूप में राष्ट्रभक्ति का संस्कार लेकर कई अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारका  जिला में संपर्क प्रमुख, बौद्धिक प्रमुख  और प्रचार प्रमुख के दायित्व के बाद वर्तमान में समरसता प्रकल्प में संयोजक. विश्व हिंदू परिषद के संस्कृत विभाग ...
जीवन का प्रयोजन है आत्म विस्तार  

जीवन का प्रयोजन है आत्म विस्तार  

साहित्‍य-संस्कृति
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस के किष्किंधा काण्ड में प्रश्न करते हैं कि शरीर धारण करने का क्या परिणाम है और कहते हैं  इसका प्रयोजन राम भक्ति है : धरे कर यह फलु भाई, because भजिय राम सब काम बिहाई . यहाँ  शरीर की उपादेयता या देह धारण करने की फलश्रुति सब कुछ छोड़ कर श्रीराम के भजन में प्रतिपादित करती है. शरीर का अर्थ है एक भौतिक रचना जो गोस्वामी जी के शब्दों में ‘क्षिति (भूमि), जल, पावक (अग्नि), गगन (आकाश) समीरा (वायु) ’ के सूत्र के अंतर्गत निर्मित और संचालित होती है. यह शरीर हमें एक ठोस आधार प्रदान करता है और ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की सहायता से हम विभिन्न कार्य संपादित करते हैं. मानस (अंत:करण), बुद्धि और अहंकार मिल कर हमारे लिए सोचना और कल्पना करना संभव बनाते हैं. ज्योतिष कालिदास की मानें तो शरीर ही धर्माचरण का प्रमुख साधन है: शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम ! ...
चोखी ढाणी : राजस्थान की समृद्ध विरासत और रंगीली संस्कृति की झलक

चोखी ढाणी : राजस्थान की समृद्ध विरासत और रंगीली संस्कृति की झलक

ट्रैवलॉग
सुनीता भट्ट पैन्यूली कुछ यात्रायें किसी मनोरंजन व मन के परिवर्तन के लिए नहीं वरन अपनी  संतति के प्रति ज़िम्मेदारियों के वहन हेतु भी होती हैं.इस प्रकार की परिसीमित, निर्धारित व व्यवस्थित  यात्राओं में घुमक्कड़ी की कोई रूपरेखा या because बुनावट नहीं होती है किंतु फिर भी आनन-फानन में समय की तंगी और बोझिलता के बीच भी यदि समय हम पर कृपालु होकर स्वयं हमें सुखद क्षण दे देता है कुछ मनोरंजन के लिए तो और भी सोने पर सुहागा. ज्योतिष यदि समय का अभाव है और किसी एक राज्य से because दूसरे राज्य में विशेष काम से गये हैं तिस पर  वहां की संस्कृति को एक ही दिन में जानने की जिज्ञासा हो तो कतई संभव नहीं है उसका पूर्ण होना. ज्योतिष ख़ैर हमने ऐसी कोई परिकल्पना भी नहीं की थी because क्योंकि हमारी यात्रा औचक थी.क्या किया जाये?अनायास ही उठे हुए कदमों को जाना तो होता है मंज़िल की ओर किंतु कभी-कभी वे ठिठक भी जाते...
अल्मोड़ा अंग्रेज आयो… टैक्सी में

अल्मोड़ा अंग्रेज आयो… टैक्सी में

साहित्‍य-संस्कृति
विनोद उप्रेती ‘वागाबोंड’ अल्मोड़ा में अंग्रेज टैक्सी से आया या घोड़े पर, यह तो काल-यात्रा से ही पता लगेगा लेकिन उसका यहां तक पहुंचना, औपनिवेशिक विस्तार के बहुत बड़े आख्यान का छोटा सा हिस्सा भर है. जब अंग्रेज अल्मोड़ा आ रहा था, तब वह because सातों महाद्वीपों पर कहीं न कहीं और भी जा रहा था. ग्लोब के हर हिस्से में अपनी श्रेष्ठता की गंद मचाता वह कुदरत पर विजय हासिल करने के दंभ में चोटियों पर झंडे गाड़ रहा था, सागरों में नावें तैरा रहा था, और मछलियाँ मार रहा था.  पाताल से हीरे-जवाहरात चुरा रहा था, और जंगली जानवरों की खाल उतार जूते और बेल्ट बना रहा था. ज्योतिष इस ताकतवर लालची की भूख अनंत थी जो आज दुनियाभर के शासकों को संक्रमितकर धरती का नाश कर रही है. लेकिन इस ब्लैकहोल जैसी ताकत के पीछे-पीछे अन्वेषकों की जमातें भी संसार भर में घूमने लगीं. because हालाँकि इन खोजियों में से अधिकतर उसी रोग के मरीज ...
शास्त्र और सुघड़ के बरक्स लोक और अनगढ़

शास्त्र और सुघड़ के बरक्स लोक और अनगढ़

पुस्तक-समीक्षा
प्रकाश उप्रेती ‘उम्मीद’ और ‘सपना’ दोनों शब्द हर दौर में नए अर्थों के साथ because अपनी उपस्थिति साहित्य में दर्ज कराते रहे हैं. वेणु गोपाल की एक कविता है- "न हो कुछ / सिर्फ एक सपना हो/ तो भी हो सकती है/ शुरुआत/ और/ ये शुरुआत ही तो है कि / यहाँ एक सपना है". वेणु यह सपना 20वीं सदी के अंतिम दशक में देख रहे थे. उस दशक को देखें तो वेणु का यह 'सपना' सिर्फ सपना नहीं है बल्कि वही उम्मीद है जो 21वीं सदी के दूसरे दशक में नरेंद्र बंगारी जगाते हैं. ज्योतिष इधर नरेंद्र बंगारी का कविता संग्रह 'कठिन समय में उम्मीद' नाम से प्रकाशित हुआ. 'उम्मीदों' के संग्रह की पहली कविता ही 'काश!' की पीड़ा से आरम्भ होती है. यही समय का अंतर्विरोध भी है.  इस कविता का शीर्षक 'काव्य' है. because यह कविता काव्य के 'शास्त्र' पक्ष की बजाय व्यावहारिक/ लोक पक्ष को उद्घाटित करती है. वैसे भी इस कविता संग्रह का केंद्रीय स्वर भाषा,...
विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए रवांई की कई शख्सियतों का सम्मान

विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए रवांई की कई शख्सियतों का सम्मान

उत्तरकाशी
युवा सामाजसेवी रूद्रा because एग्रों स्वायत्त सहकारिता के संस्थापक नरेश नौटियाल की पहल लाई रंग  नीरज उत्तराखंडी, देवसारी नौगांव रूद्रा एग्रो स्वायत्त सहकारिता और सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा)  ने  नौगांव ब्लाक के देवसारी गांव में नागरिक अभिनंदन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया. ज्योतिष समारोह में होटल मैनेजमेंट सर्टीफिकेट वितरण, रवांई के पारम्परिक पकवानों because गढ़ भोज की प्रर्दशनी, विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य का निशुल्क परीक्षण दवा वितरण एवं because ई-श्रमिक कार्ड  बनवाने की सुविधा क्षेत्रवासियों को उपलब्ध करवाई गई. होटल मैनेजमैंट कोर्स करने वाले 250 छात्रों को  वितरित किये गये  प्रमाणपत्र. ज्योतिष इन शख्शियतों को किया गया कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट because कार्य के लिए - श्रीमती सुनीता राणा एवं श्रीमती प्रमिला राणा . स्वास्थ्य के क्षेत्र मे...
रवांई के देवालय एवं देवगाथाएं!- रवांई के लोक की अनमोल सांस्कृतिक विरासत से साक्षात्कार…

रवांई के देवालय एवं देवगाथाएं!- रवांई के लोक की अनमोल सांस्कृतिक विरासत से साक्षात्कार…

पुस्तक-समीक्षा
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान! शिक्षक, लेखक, कवि, लोकसंस्कृतिकर्मी और लोक से because जुड़े दिनेश रावत नई-नई पुस्तक रवांई के देवालय एवं देवगाथाएं को पढने का सौभाग्य मिला. पांच अध्याय में लिखी गयी इस पुस्तक में आपको रवाई घाटी की अनमोल सांस्कृतिक विरासत को करीब से जानने का मौका मिलेगा साथ ही यहाँ की अनूठी परम्पराओं की जानकारी भी मिलेगी जिन्हें आपने आज तक नहीं सुना होगा. तु आया देवा, शांख क सबद, तु आया देवा ढोलू की नाद तु आया देवा, अंग मोड़ी-मोड़ी, तु आया देवा बांगुडी बांदुऊ… ज्योतिष लेखक दिनेश रावत ने देवताओं की स्तुति से ही इस because किताब की शुरुआत की है. लोक के प्रति गहरी समझ और लोक संस्कृति के सच्चे साधक की यही एक निशानी होती है. जिसके बाद किताब के अगले पन्नो में साहित्यकार डॉ प्रयाग जोशी और साहित्यकार व रवांई की पहचान महाबीर रवाल्टा जी द्वारा पुस्तक की उपयोगिता और महत्ता के बारे में ...
विश्व पृथ्वी दिवस: जीना है तो धरती की भी सुनें

विश्व पृथ्वी दिवस: जीना है तो धरती की भी सुनें

पर्यावरण
विश्व पृथ्वी दिवस पर (22 अप्रैल 2022) विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  जाने कब से यह धरती मनुष्यसमेत सभी प्राणियों, जीव - जंतुओं और वनस्पतियों आदि के लिए आधार बन कर जीवन और भरण-पोषण का भार वहन करती चली आ रही है. कभी मनुष्य भी (आज की तरह का) कोई विशिष्ट प्राणी न मान कर अपने को प्रकृति का अंग समझता था. मनुष्य की स्थिति शेष प्रकृति के अवयवों के  एक सहचर  के रूप में थी.  मनुष्य को प्रकृति के रहस्यों ने बड़ा आकृष्ट किया because और अग्नि, वायु, पृथ्वी, शब्द आदि सब में देवत्व की प्रतिष्ठा होने लगी और वे पूज्य और पवित्र माने गए. प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखते हुए उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखा गया . उसके  उपयोग को सीमित और नियंत्रित करते हुए त्यागपूर्वक भोग की नीति अपनाई गई. विराट प्रकृति ईश्वर की उपस्थिति से अनुप्राणित होने के कारण मनुष्य उसके प्रति स्नेह और प्रीति के रिश्तों से अभिभूत ...