
दमखम से भरी, सुलगती कविताओं का झुंड है “कविता पर मुकदमा”
सुनीता भट्ट पैन्यूलीएक बेहद ख़ूबसूरत, मासूम-सी कविता जहां मुन्नी गुप्ता के कविता संग्रह “कविता पर मुकदमा” का संपूर्ण सार छुपा हुआ है आप सभी पाठक भी पढिय़े न..!
अपने फैसले के साथ जीना
चांद होना है
गर तुम जी सको
चांद बनकर
तो
सारा आकाश तुम्हारा है…
आकाश
“कविता पर मुकदमा” संग्रह सामान्य दैनिक जीवन की ऊहापोह और संघर्ष की अनूभूतियों का संग्रह ही नहीं हैं अपितु धुंआ निकालती, दमखम से भरी हुई, सुलगती कविताओं का झुंड है’,so जिनकी आंच की ज़द में आकर शायद समाज में कहीं बदलाव की किरण महसूस की जा सके या नये जाग्रत समाज का उन्नयन हो. उपरोक्त वर्णित कविता संदेश दे रही है कि अपने फैसलों और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना ही ओजस्वी और सफल होना है अथार्त किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए निर्भीक चरित्र और जीवन मुल्य के सिद्धांतो पर अडिगता अपरिहार्य है. यदि आप डटे रहते हैं अपने जीवन के सिद्धांत...









