उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस 2020
- आदेश सिंह राणा
केदारखण्ड और मानसखण्ड,
देवभुमि है मेरी उत्तराखंड.
पहाड़ों और फूलों की घाटी,
वीर धरा है मेरी राज्य की माटी.
प्रदेश में मेरे मिलता है ऐसा सुकून,
लगता है माँ का आँचल.
देवभूमि के नाम से विख्यात है,
यह है अपना प्यारा उत्तरांचल.
गढ़वाल और कुमाऊँ दो खंड है,
तेरह जिले है पहचान इसके.
हिम शिखरों से सुसज्जित है,
निवास यहाँ है सब देवों की.
ऋषियाँ की है तप स्थली,
मुनियाँ की यह जप स्थली है.
पंच बदरी पंच केदार,
पंच मठ है यहाँ पंच प्रयाग.
वीरों की यह भूमि है,
सैन्य धाम है उत्तराखंड.
बलदानियों ने यहाँ जन्म लिया है,
पूरी दुनिया हमने नाम किया है.
चारों दिशाओं में चार धाम हैं,
माँ गंगा जी उदगम है यहाँ.
यमुना जी भी निकल है यहाँ से,
स्वर्ग जाने का मिलता है पथ यहाँ.
सैकड़ों नदियाँ बहती है यहाँ से,
जो देतें है पूरे भारत को प्राण.
अनेक झरनों और तालों से,
अनेक जीवों का करती है कल्याण.
पाँच जनजातीयाँ निवासी है,
राजी, थारू, बोक्सा, और भोटिया
रहते यहाँ जौनसारी है.
लेखों और अभिलेखों से जुड़ा हुआ,
मिलता है इतिहास हमारा.
पुराणों में मिलता है वर्णन,
देवों ने था उत्तराखंड को निहारा.
पाँड़वों ने यहाँ किया विचरण,
राम-लखन ने भी तप किया था.
देवों ने यहाँ तपस्या करके,
अपने लिए वरदान लिया था.
मेरे गढ़वाल और और कुमाऊँ की
संस्कृति है बड़ी ही निकाली.
पूरा भारत में अलग ही पहचान है,
पर्यटन से है यहाँ खुशहाली.
उत्तरकाशी, उत्तराखंड