Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
कब पूरा होगा गांधी जी के ‘ग्राम स्वराज’ का अधूरा सपना?

कब पूरा होगा गांधी जी के ‘ग्राम स्वराज’ का अधूरा सपना?

समसामयिक
गणतंत्र दिवस पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारीआज 26 जनवरी का दिन पूरे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. 26 जनवरी सन् 1950 को देश का संविधान लागू किया गया because और हमारे देश भारत को गणतंत्र देश के रूप में घोषित किया गया था.उसी उपलक्ष में भारत देश के प्रत्येक नागरिक के द्वारा गणतंत्र दिवस को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है.माथा भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में यह दिन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 31 दिसम्बर,1929 को पं.जवाहर so लाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासकों के सामने यह मांग रखी गई थी, कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी,1930 तक भारत को 'डोमेनियम स्टेटस' नहीं प्रदान करेगी तो भारत अपने को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर देगा. किन्तु अंग्रेज सरकार पर इस घोषणा का कोई असर न...
आन-बान और शान की प्रतीक हैं टोपियां…

आन-बान और शान की प्रतीक हैं टोपियां…

साहित्‍य-संस्कृति
सुनीता भट्ट पैन्यूलीसर्द मौसम है, कभी बादल सूर्य को आगोश में ले लेते हैं कभी सूरज देवता बादलों को पछाड़कर धूप फेंकते यहां-वहां नज़र आ जाते हैं, कभी पेड़ो के झुरमुट में, कभी आसमान so में प्रचंड चमकते, कभी खेतों के पीछे, कभी पहाड़ियों में धीरे-धीरे सरकते कभी नदी का माथा  चूमते किंतु इस धूप में ताबिश नहीं है बनिस्बत इसके सर्दी की धूप में कहीं न कहीं नमी भी है. जरा-सी धूप मलने का मन हो देह में तो एक चुभन भरी हवा चेहरे को छूकर, सर्र से कानों से होकर गुज़र जाती है.माथा फिर क्या किया जाये? नमी और कोहरे भरे दिन से धूप का आंख-मिचौली करना कहां सुकून दे पाता है ठिठुरते शरीर को. झट से ओढ़ लिये जाते हैं शाल, स्कार्फ, so कैप या टोपी तब कहीं जाकर निजात मिल पाती है ठंड से. कड़कड़ाती ठंड  हो और दांत किटकिटा रहे हों ऐसे में टोपी, स्कार्फ़ मफलर पहनने का ख़्याल न आये तो सर्दी का मजा लेना बेईमानी है....
आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

पर्यावरण
निशांतआज से ठीक एक साल पहले, 23 जनवरी 2020 को, चीन ने जब वुहान शहर में तालाबंदी लागू की थी, तब शायद पहली बार पूरी दुनिया ने कोविड को एक महामारी की शक्ल में संजीदगी से लिया था. खूबसूरती साल भर बाद आज कोविड-19 न सिर्फ पूरी दुनिया में ज़बरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है, बल्कि इस ग्रह पर लगभग सभी की ज़िन्दगी को भी बदल चुका है. इस महामारी ने विश्व को because सोचने पर मजबूर कर दिया है और पुराने सभी मानदंडों को भी चुनौती भी दे दी है. इस वैश्विक महामारी ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिल कर एक यौगिक संकट उत्पन्न कर दिया है. साथ ही प्रकृति के साथ मानव विकास को because संरेखित करने की आवश्यकता की याद दिला दी है, जो आने वाले वर्ष के लिए नई उम्मीदें प्रदान करता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष  में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़े. खूबसूरतीकोविड-19 के नाश...
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस

स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस

इतिहास
125वीं जन्मजयंती पर नेताजी को ‘भारतराष्ट्र’ का शत् शत् नमनडॉ. मोहन चंद तिवारीआज भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिवीर नेता सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जन्म जयंती है.समूचा देश नेता जी की इस जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मना रहा है. यह भी स्वागत योग्य है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी शिक्षण संस्थानों से कहा है कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की because इस 125वीं जयंती को मनाने के लिए ऑनलाइन व्याख्यान, वेबिनार, खेल गतिविधियों और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करें. यूजीसी ने अपने पत्र में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा है कि वे राष्ट्र के प्रति नेताजी की अदम्य भावना और निःस्वार्थ सेवाओं के उपलक्ष्य में साल भर शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन करें.नेता जी'नेताजी' के नाम से विख्यात सुभाष चन्द्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्व...
गोपाल की ईमानदारी व परिश्रम का हर कोई कायल है…

गोपाल की ईमानदारी व परिश्रम का हर कोई कायल है…

संस्मरण
गोपाल आ गया है…प्रकाश चन्द्र पुनेठामैं अपने एक मंजिले भवन को परिवार के सदस्यों की भविष्य में संख्या बढ़ने के बारे में सोचता हुआ दुमंजिला बनवा रहा था. इस कार्य के लिए मजदूरों की आवश्यकता थी. पिथौरागढ़ में स्थानीय मजदूर न के बराबर मिलते है. अतः यहां मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व पड़ोसी देश नेपाल उपलब्ध हो पाते हैं. बिहार के अधिकतर कुशल मजदूर हैं. राजमिस्त्री, कारपेन्टर, पेन्टर व लोहा काटने वाले कुशल मजदूर अधिकतर बिहार राज्य के मिलते है. वर्तमान में जहां भी भवन निर्माण कार्य हो रहा हैं वहां बिहार के मजदूरों का अधिपत्य हैं. अकुशल मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश या नेपाल के मिलते है. शारीरिक श्रम में एक नेपाली मजदूर अन्य क्षेत्रों के मजदूरों की अपेक्षा अधिक सक्षम होते हैं. नेपालजब मेरा मेरा मकान पूर्ण रुप से निर्मित हो गया. सब मजदूर अपनी मजदूरी लेकर संतुष्ट होकर चले गए. किन्तु गोपा...
‘लोक में पर्व और परम्परा’

‘लोक में पर्व और परम्परा’

पुस्तक-समीक्षा
‘जी रया जागि रया, यो दिन यो मास भेंटने रया, दुब जस पनपी जाया’अरुण कुकसालहिमालयी क्षेत्र एवं समाज के जानकार लेखक चन्द्रशेखर तिवारी की नवीन पुस्तक ‘लोक में पर्व और परम्परा’ कुमाऊं अंचल के सन्दर्भ में एक सामाजिक, सांस्कृतिक so और पर्यावरणीय विवेचन प्रस्तुत करती है. कुमाऊंनी जनजीवन के जीवन-मूल्यों एवं जीवंतता को यह पुस्तक खूबसूरती से बताती है. कुमाऊं अंचल के पर्व, परम्परा और संवाहक खंडों के फैलाव में 8 अध्यायों की यह पुस्तक है. पर्व खंड में- हरेला, सातूं-आठूं और गंगा दशहरा, परम्परा खंड में- कुमांऊ के विवाह संस्कार, नौल-धार और कुमाऊं के वस्त्राभूषण तथा संवाहक खंड में- लोकगायिका नईमा खान उप्रेती और कबूतरी because देवी के बारे में इस किताब में बेहतरीन जानकारी है. किताब में समाज वैज्ञानिक के बतौर चन्द्रशेखर तिवारी ने अपनी लेखकीय दृष्टि को पूरी तरह से शोधपरख रखा है. किताब का प्रकाशन...
जहां न्‍याय के लिए गुहार लगाने पहुंचते हैं लोग…

जहां न्‍याय के लिए गुहार लगाने पहुंचते हैं लोग…

साहित्‍य-संस्कृति
कुमाऊंनी से कुछ अलग है न्याय देवता गोरिल की गढ़वाली जागर कथा न्यायदेवता गोरिल पर एक शोधपूर्ण लेखडॉ. मोहन चंद तिवारीकुमाऊं और गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों में 'ग्वेल देवता', ‘गोलज्यू’ ,‘गोरिल' आदि विभिन्न नामों से आराध्य न्याय देवता की लोकगाथा के विविध संस्करण प्रचलित हैं और उनमें इतनी भिन्नता है कि कभी कभी उनमें परस्पर तारतम्य बिठाना भी बहुत कठिन कार्य हो जाता है. because लोकगाथाओं की सामान्य प्रवृत्ति रही है कि विभिन्न क्षेत्रीय मान्यताओं और जनश्रुतियों के आधार पर इनका निरंतर कथाविकास होता रहता है. जागर लगाने वाले क्षेत्रीय जगरियों के द्वारा भी कथा में अपनी तरफ से कुछ नया जोड़ देने के कारण न्याय देवता ग्वेल की कथा के साथ समय समय पर कई अवांतर कथाएं भी जुड़ती गई हैं. मूल कथा को क्षेत्रीय भेद और स्थानीय मान्यताओं के कारण भी कई तरह के मोड़ दे दिए गए हैं. इसलिए यह पता लगाना कठिन है कि न्य...
वेब सीरिज: आखिर कब तक ऐसे तांडव होते रहेंगे?

वेब सीरिज: आखिर कब तक ऐसे तांडव होते रहेंगे?

सोशल-मीडिया
शिव तांडव करते हैं तो प्रकृति कांपने लगती है...ललित फुलारासमझ नहीं आ रहा कि सैफ़ अली ख़ान ने अभी तक वेब सीरीज़ 'तांडव' को लेकर बयान क्यों नहीं दिया? माफ़ी क्यों नहीं मागी? खेद क्यों because नहीं जताया? उन्हें धार्मिक भावनाओं को लेकर अच्छी समझ होनी चाहिए. क्योंकि मां से हिंदू और पिता से मुस्लिम संस्कार मिले होंगे. दोनों धर्मों का सम्मान और दोनों धर्मों की मान्यताओं का सम्मान because उनसे बेहतर कौन जानता है? पहली पत्नी हिंदू और दूसरी पत्नी भी हिंदू. फिर भी वह समझ नहीं पाए कि उन्होंने जाने और अनजाने क्या होने दिया और क्या कर दिया?मैं सोच रहा हूं कि अगर तांडव की स्क्रिप्ट में because इस्लाम के सच्चे रसूल पैगंबर मोहम्मद साहब की वेशभूषा में उन्हीं के नाम वाले किसी चरित्र के मुंह से अपशब्द वाले संवाद शूट हो रहे होते, तो सैफ़ की धार्मिक चेतना और धार्मिक समझ किस तरह because से रिएक...
उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-34डॉ. मोहन चंद तिवारीउत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-5 उत्तराखंड की जल समस्या because को लेकर मैंने पिछली अपनी पोस्टों में परम्परागत जलप्रबंधन और वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े गुल,नौलों और धारों पर जल विज्ञान की दृष्टिसे प्रकाश डाला है. इस लेख में  परम्परागत ऐतिहासिक नौलों और उनसे उभरती जलसंस्कृति के बारे में कुछ जानकारी देना चाहूंगा.वाटर हारवैस्टिंग कुमाऊं,गढ़वाल के अलावा हिमाचल प्रदेश और नेपाल में भी जल आपूर्ति के परंपरागत प्रमुख साधन नौले ही रहे हैं. ये नौले हिमालयवासियों की समृद्ध-प्रबंध परंपरा और लोकसंस्कृति के प्रतीक हैं. कौन नहीं जानता है कि अल्मोड़ा नगर,जिसे चंद राजाओं ने 1563 में राजधानी के रूप में बसाया था,वहां परंपरागत जल प्रबंधन के मुख्य because वहां के 360 नौले ही थे. इन नौलों में चम्पानौला, घासनौला, मल्ला नौला, कपीना नौला, सुनारी नौला, उमापति का न...
दुनिया वार्म हो रही है इसीलिए मौसम कोल्ड हो रहा है!

दुनिया वार्म हो रही है इसीलिए मौसम कोल्ड हो रहा है!

पर्यावरण
निशांतपिछला साल भले ही मानव इतिहास का सबसे गर्म साल रहा हो, लेकिन फ़िलहाल कई देशों में, 2021 की शुरुआत काफ़ी सर्द रही है. जहाँ because पड़ोसी देश चीन में, बीजिंग ने तो 20 वर्षों में सबसे कम तापमान दर्ज किया, तो स्पेन में, मैड्रिड ने हाल ही में, 1971 के बाद से सबसे तीव्र, एक भारी स्नोस्टॉर्म का अनुभव किया. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि एक तरफ़ दुनिया इतनी गर्म हो रही है तो दूसरी तरफ़ अचानक इतनी सर्दी भी पड़ रही है? आपको पढ़ कर अटपटा because लग सकता है लेकिन असलियत ये है कि अब सर्दियाँ अचानक इतनी भीषण इसलिए हो रही हैं क्योंकि दुनिया गर्म हो रही है.भीषण अंग्रेजी में इस छोटी अवधि की एकाएक आई शीत लहर कोल्ड स्नेप कहते हैं.  हैरत की बात ये है कि ये कोल्ड स्नैप्स उसी समय हो रहे हैं जब मौसम संबंधी एजेंसियां बताती हैं कि 2020 अब तक के सबसे गर्म सालों में था. यह घोषणा एक ग्लोबल वार्मिंग प्रवृत्ति की...