Month: August 2020

ट्यूलिप के फूल कहानी संग्रह

ट्यूलिप के फूल कहानी संग्रह

पुस्तक-समीक्षा
कॉलम: किताबें कुछ कहती हैं… डॉ. विजया सती सुपरिचित लेखिका एम.जोशी हिमानी का नवीनतम कहानी संग्रह है– ट्यूलिप के फूल जो भावना प्रकाशन दिल्ली से 2020 में प्रकाशित हुआ. इससे पहले लेखिका एक कविता संग्रहों के अतिरिक्त उपन्यास ‘हंसा आएगी जरूर’ और कहानी संग्रह ‘पिनड्रॉप साइलैंस’ भी दे चुकी हैं. जीवन के आरंभिक पंद्रह वर्ष पहाड़ में जीकर चालीस से भी अधिक वर्ष महानगर में बिताने वाली कथाकार के रग-रग में पहाड़ सांस लेता है. वर्तमान जीवन की हलचल, विडंबनाओं, सुख-सुविधाओं के बावजूद लेखिका का मन अतीत में लौटता रहता है. वास्तव में इस जीवन-क्रम ने ही लेखिका को अनुभवों का अपार संसार दिया है – उनकी सभी कहानियां उनके जिए हुए जीवन से जुड़ी हैं, इसलिए उनमें अनुभव का ताप है. पहाड़-गाँव-शहर, घर-बाहर-कार्यालय, व्यक्ति-समाज-अर्थ तंत्र  ...इन सबके बीच आवाजाही से बनी हैं उनकी कहानियां. ट्यूलिप के फूल संकलन में ...
पर्यावरण आंदोलन और पहाड़ी महिलाएं

पर्यावरण आंदोलन और पहाड़ी महिलाएं

आधी आबादी
भावना मसीवाल पहाड़ का जीवन देखने में हमें जितना शांत और खूबसूरत लगता है, अपने भीतर वह बहुत सी हलचलों और दबावों को समेटे है. यह दबाव एक ओर प्रकृति का प्रकोप है जो भूकंप और बाढ़ के रूप में देखा जाता है तो दूसरी ओर पहाड़ पर बढ़ता मानवीय हस्तक्षेप है जो केदारनाथ, बद्रीनाथ और रूद्रप्रयाग के विध्वंस का जीवंत उदाहरण है. पहाड़ के जीवन को जिसने न केवल प्रभावित किया बल्कि पहाड़ को मैदानों और शहरो की तरफ पलायन को मजबूर किया. यह पलायन केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे पहाड़ी समाज का रहा. पहाड़ी समाज पूर्णतः प्रकृति पर आश्रित है मगर भूमंडलीकरण के बढ़ते प्रभाव ने प्रकृति प्रदत्त उनकी यह जीविका छीन ली है. आज पलायन बढ़ रहा है. कारण आर्थिक बेरोजगारी है जिसका परिणाम सबसे अधिक महिलाओं के जीवन पर रहा. उत्तराखंड में आज भी महिलाएं अकेली पहाड़ पर रहने को मजबूर हैं और पुरुष शहर जाकर कमाने को. पहाड़ के बारे में कहा जाता ह...
राष्ट्र नायक

राष्ट्र नायक

संस्मरण
बुदापैश्त डायरी-11 डॉ. विजया सती बुदापैश्त में रहते हुए हमने जाना कि 15 मार्च हंगरी के इतिहास में एक विशेष दिन है. यह 1948 की क्रान्ति की स्मृति में मनाया जाने वाला राष्ट्रीय दिवस है. इस क्रान्ति के प्रमुख because व्यक्तित्व के रूप में पेतोफ़ी शांदोर को याद किया जाता है. हंगरी की क्रान्ति और आज़ादी के इतिहास में पेतोफ़ी शांदोर का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है. पेतोफ़ी राष्ट्रीय  कवि  माने जाते हैं और हंगरी की उस राष्ट्रीय कविता के जनक भी जिसने क्रान्ति को प्रेरित किया, वह कविता जिसका स्वर है – उठो हंगरीवासियों! हम अब और अधिक गुलाम न रहेंगे. कवि पेतोफ़ी शांदोर ज्योतिष पेतोफ़ी शांदोर का लैटिन नाम अलेक्सांद्र पेत्रोविच है. दरअसल अलेक्सांद्र का हंगेरियन रूपांतर शांदोर है. साधारण ग्रामीण पिता और सेविका तथा धुलाई का काम करने वाली मां  की संतान शांदोर के लिए वह पल कठिन था जब एक पारिवा...
सोनू सूद ने साझा तो बियर ग्रिल्स ने सराहया राजेश के बनाए पोस्टर

सोनू सूद ने साझा तो बियर ग्रिल्स ने सराहया राजेश के बनाए पोस्टर

समसामयिक
हिमांतर डेस्‍क ऋषिकेश के प्रसिद्ध चित्रकार राजेश चन्द्र ने कोरोना काल के महानायक सुपरस्टार सोनू सूद का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें समर्पित एक पोस्टर बना के उन्हें ट्वीट किया, जिसे सोनू सूद ने खुद 2 बार पसन्द कर शेयर किया है. पोस्टर ट्विट होते ही वायरल हो चुका है और सोशल मीडिया में लोग उसे खूब शेयर कर रहे है. राजेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “सोनू सर मैंने अपनी माता जी को आपके बारे में बताया है कि किस तरह से आप इस समय आमजन की मुसीबतो में मदद कर रहे हैं. आप एक मसीहा से कम नही हैं. ईश्वर हर माँ को आप जैसा बेटा दे.” आपने अपने कर्मों से दिखा दिया कि क्यों मानव को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जाता है. राजेश ने बताया कि सोनू सर के पोस्टर शेयर करने पर वह बहुत खुश हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति नि:स्‍वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है तो उन्हें यह बताना बहुत जरूरी होता है कि लोग उनसे कितना प्यार करते...
मन बावरा

मन बावरा

किस्से-कहानियां
लघुकथा डॉ. कुसुम जोशी मन्दी बुआ' छोटी कद काठी ,गोल मटोल, चपटी सी नाक, पक्का गेंहुआ रंग. और आदतें-"गांव में किसी से लड़ के आयेगीं, तो गाड़ी पकड़ सीधे हमारे घर और  सीढ़ीयों से ही अपने दुश्मनों में गालियों के गोले दागते हुये आयेगीं. मन्दी बुआ  बाबूजी के काका “बंशी काका  की इकलौती पुत्री थी, चौदह साल की थी जब एक खाते पीते परिवार के फौजी बेटे से शादी हो गई, सत्रह साल की थी नागालैंड में पति शहीद हो गये... फिर बंशी कका हमेशा के लिये अपने पास ले आये... ईजा बाबूजी से उनकी शिकायत करेगीं, अगर वो मन्दीबुआ को समझाने की कोशिश करें तो अपना तकिया कलाम दोहरा देगीं... “खाप ससुर का क्या जाता है, जिसके हाथ ना पांव”, तुम रह के देखों 'ददा बोज्यू' इन गांव वालों के साथ. मुहं बिचका के अपने दुश्मन के सात पुश्तो का श्राद्ध एक ही गाली में कर देगी. मन्दी बुआ  बाबूजी के काका “बंशी काका  की इकलौती पुत्री थी...
एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

संस्मरण
एम. जोशी हिमानी  हमारे देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड में भी हर खेत, हर पहाड़ का कोई न कोई नाम होता है. मेरी जन्मभूमि पिथौरागढ़ के 'नैनी' गांव के चारों तरफ के पहाड़ों के भी नाम हैं जैसे- कोट, हरचंद, ख्वल, घंडद्यो, भ्यल आदि. नैनी के पीछे सीधे खड़ा दुर्गम, बहुत ही कम पेड़ों वाला भ्यल नामक पहाड़ अनेक डरावने रहस्यों से भरा हुआ है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह पहाड़ हर तीसरे साल ‌मनुष्यों की बलि लेता है. अनेक आदमी-औरतें‌ आज तक इस पहाड़ से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं. उन दिनों जमतड़ गांव के लोग हफ्तों पहले से इलाके वालों को आगाह कर दिया करते थे कि भ्यल रात में तड़कने लगा है. वह अजीब-सी डरावनी आवाजें करने लगा है. इसलिए सब लोग सतर्क हो जाएं, भ्यल की तरफ जाना बंद कर दें. रात में पहाड़ के रोने, थरथराने का क्रम तब तक जारी रहता था जब तक पहाड़ से कोई गिर कर मर न जाए. उसके...
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक

स्मृति-शेष
विपिन त्रिपाठी की पुण्यतिथि (30 अगस्त) पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी “गांव से नेतृत्व पैदा होने तक मैं गांव में रहना पसंद करूंगा. सत्ता पगला देती है. समाजवादी बौराई सत्ता से दूर रहें.”                                 -विपिन त्रिपाठी 30 अगस्त को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक और द्वाराहाट क्षेत्र के विकास पुरुष श्री विपिन त्रिपाठी जी की पुण्यतिथि है. उत्तराखण्ड की आजादी और वहां की जनता के मौलिक अधिकारों के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष करने वाले जननायकों में कुछ ही ऐसे नेता हैं जिन्हें देवभूमि उत्तराखण्ड का गौरव माना जा सकता है, उनमें द्वाराहाट क्षेत्र के संघर्षशील नेता, जुझारू पत्रकार, ‘द्रोणांचल प्रहरी’ के संपादक, कर्मठ समाज सेवी, क्षेत्र के विधायक और उक्रांद के अध्यक्ष रहे स्व. विपिन त्रिपाठी जी का नाम सबसे ऊपर आता है. उत्तराखंड आंदोलन समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जन आंदोलनो...