श्राद्ध की आस्था में पर्यावरण व जीवन

श्राद्ध की आस्था में पर्यावरण व जीवन

सुनीता भट्ट पैन्यूली पितृपक्ष या श्राद्ध हमारे अपने जो अब जीवित नहीं हैं या हमारे पास नहीं हैं. because उनको याद करने का अवसर हैं. हमारी हिंदू परंपरा में इन दिनों दिवंगत  पूर्वजों का श्राद्ध व पिंडदान किया जाता है.ऐसा माना जाता है कि पितरों की पूजा अर्चना करने से उनकी हम पर विशिष्ट कृपा […]

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 पितृपूजा: वैदिक धर्म की विराट ब्रह्मांडीय अवधारणा

पितृपूजा: वैदिक धर्म की विराट ब्रह्मांडीय अवधारणा

पितृपक्ष: धर्मशास्त्रीय विवेचन-2 डॉ. मोहनचंद तिवारी मैंने पिछले लेख में भारतीय काल गणना के अनुसार पितृपक्ष के बारे में बताया था कि धर्मशात्र के ग्रन्थ  ‘निर्णयसिन्धु’ के अनुसार आषाढी कृष्ण अमावस्या से पांच पक्षों के because बाद आने वाले पितृपक्ष में जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तब पितर जन क्लिष्ट होते हुए अपने पृथ्वीलोक […]

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 सराद बाबू का…

सराद बाबू का…

नीमा पाठक इस साल बचुली बूबू दो तीन महीनों के लिए अपने मैत आई थी. कितना कुछ बदल गया था पहाड़ में अब हरे भरे ऊँचे पहाड़ भी जगह  जगह उधरे पड़े थे. पहाड़ों के बीच में because गगन चुम्बी बिजली या मोबाईल के टावर खड़े थे. जंगल में चरती गाएँ भी अब कहीं नजर नहीं […]

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 पितृपक्ष: आखिर इस बार 17 दिनों के क्यों हुए श्राद्ध

पितृपक्ष: आखिर इस बार 17 दिनों के क्यों हुए श्राद्ध

पितृपक्ष में श्राद्ध एक धर्मशास्त्रीय विवेचन डॉ. मोहन चंद तिवारी इस साल पितृपक्ष सोमवार 20 सितंबर से प्रारम्भ हो चुका है और 6 अक्टूबर को समाप्त होगा. पितृपक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है. इसकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है, जबकि because समाप्ति अमावस्या पर होती है. आमतौर पर पितृपक्ष 16 दिनों […]

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 भारतीय काल गणना में ‘अधिमास’ की अवधारणा

भारतीय काल गणना में ‘अधिमास’ की अवधारणा

डॉ. मोहन चंद तिवारी इस वर्ष 18 सितंबर से ‘अधिमास’ प्रारंभ becauseहो चुका है,जो 16 अक्टूबर को समाप्त होगा.और 17 अक्टूबर से नवरात्र प्रारम्भ होंगे. यह ‘अधिमास’,’अधिक मास’, ‘मलमास’ और ‘पुरुषोत्तम मास’ आदि नामों से भी जाना जाता है. ‘अधिमास’ के कारण इस बार दो आश्विन मास पड़े हैं. साथ ही चतुर्मास भी पांच महीनों का हो गया […]

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 वैदिक पितृपूजा का ऐतिहासिक और धार्मिक विकास क्रम

वैदिक पितृपूजा का ऐतिहासिक और धार्मिक विकास क्रम

धार्मिक मान्यता के अनुसार सत्य और श्रद्धा से किया गया कर्म ‘श्राद्ध’ कहलाता डा. मोहन चंद तिवारी  सामान्य तौर पर पितृपक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध-तर्पण आदि कृत्य पूर्वजों, माता-पिता और आचार्य के प्रति सम्मान का भाव है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सत्य और श्रद्धा से किया गया कर्म ‘श्राद्ध’ कहलाता है और जिस कर्म […]

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 हिंदी का श्राद्ध अर्थात ‘हिंदी दिवस’  

हिंदी का श्राद्ध अर्थात ‘हिंदी दिवस’  

हिन्‍दी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष प्रकाश उप्रेती हर वर्ष की तरह आज फिर से हिंदी पर गर्व और विलाप का दिन आ ही गया है. हिंदी के मूर्धन्य विद्वानों को इस दिन कई जगह ‘जीमना’ होता है. मेरे एक शिक्षक कहा करते थे कि “14 सितंबर को हिंदी का श्राद्ध होता है और हम […]

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 पितृपक्ष में पितरों का ‘श्राद्ध’ क्यों किया जाता है? 

पितृपक्ष में पितरों का ‘श्राद्ध’ क्यों किया जाता है? 

डॉ. मोहन चंद तिवारी इस साल 1 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है,जिसका समापन 17 सितंबर, 2020 को होगा. भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक सोलह दिनों का पितृपक्ष प्रतिवर्ष ‘महालय’ श्राद्ध पर्व के रूप में मनाया जाता है. ‘निर्णयसिन्धु’ ग्रन्थ के अनुसार आषाढी कृष्ण अमावस्या से पांच पक्षों के […]

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 पितृपक्ष : पितरों की समाराधना का पर्व

पितृपक्ष : पितरों की समाराधना का पर्व

डॉ. मोहन चंद तिवारी इस वर्ष 1 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है, जिसका समापन 17 सितंबर, 2020 को होगा. उल्लेखनीय है कि भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक सोलह दिनों का पितृपक्ष पूरे देश में ‘महालय’ श्राद्ध पर्व के रूप में मनाया जाता है.आमतौर पर पितृपक्ष 16 दिनों का […]

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 पितरों के प्रति आस्था का पर्व – श्राद्ध एवं हवीक

पितरों के प्रति आस्था का पर्व – श्राद्ध एवं हवीक

भुवन चन्द्र पन्त पितरों के निमित्त श्रद्धापूर्वक किये जाने वाला कर्म ही श्राद्ध है. दरअसल पितर ही हमें इस धरती पर लाये, हमारा पालन पोषण किया और हमें अपने पांवों पर खड़े होने के लिए समर्थ किया. लेकिन उनसे ऊपर भी हमारे ऋषि थे, जो हमारे आदिपुरूष रहे और जिनके नाम पर हमारे गोत्र चले […]

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