औद्योगिक भांग की खेती को लेकर विभागों एवं एजेंसियों में तालमेल का अभाव जे.पी. मैठाणी उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां औद्योगिक भांग के व्यावसायिक खेती का लाइसेंस इसके कॉस्मेटिक एवं औषधिय उपयोग के लिए दिया जाने लगा है, लेकिन दूसरी तरफ औद्योगिक भांग के लो टीचीएसी (टेट्रा हाइड्रा कैनाबिनोल)
इतिहास
प्रकाश चंद्र गांधी अभ्यास, गतिशीलता, संयम और जिद का नाम है। गांधी एक दिन की मूर्तिपूजा और पुष्पांजलि के विषय नहीं है बल्कि हर दिन के अभ्यास का विषय हैं। गांधी सवाल और चुनौती भी हैं तो जवाब भी हैं। इसलिए भारत को अपनी समस्याओं से पार पाने और उनके उत्तर तलाशने के लिए बार-बार […]
नवीन नौटियाल उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में विभिन्न जातियों का वास है। गढ़वाल की जातियों का इतिहास भाग-2 में गढ़वाल में निवास कर रही क्षत्रिय/राजपूत जातियों के बारे में बता रहे हैं नवीन नौटियाल क्षत्रिय/राजपूत : गढ़वाल में राजपूतों के मध्य निम्नलिखित विभाजन देखने को मिलते हैं- 1. परमार (पँवार) :- परमार/पँवार जाति के लोग […]
नवीन नौटियाल उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में विभिन्न जातियों का वास है। इस श्रृंखला में गढ़वाल में निवास कर रही ब्राह्मण जातियों के बारे में बता रहे हैं नवीन नौटियाल गढ़वाल में प्राचीन समय से ब्राह्मणों के तीन वर्ग हैं। इतिहासकारों ने ये नाम सरोला, निरोला (नानागोत्री या हसली) तथा गंगाड़ी दिए हैं। राहुल […]
उत्तराखंड का जलियावाला बाग तिलाड़ी कांड सकलचन्द रावत आज रवाँई जौनपुर की नई पीढ़ी के किशोर कल्पना ही नहीं कर सकते कि सन 1930 में रवाँई की तरुणाई को आजादी की राह पर चलने में कितनी बाधाओं का सामना करना पड़ा था। पौरुष का इतिहास खामोश था, वक्त की वाणी मूक थी, लेखक की कृतियां गुमशुम […]
— दिनेश रावत वसुंधरा के गर्भ से सर्वप्रथम जिस पादप का नवांकुर प्रस्फुटित हो जीवजगत के उद्भव का आधार बना है, लोकवासियों द्वारा उसे आज भी पूजा-अर्चना में शामिल किया जाता है. इसे लोकवासी ‘छामरा’ के रूप में जानते हैं। लोककाव्य के गुमनाम रचनाकार ऐसी काव्यमयी रचनाएं लोक को समर्पित कर गए, जो कालजयी होकर […]
– जोसेफ डाल्टन हूकर कम्बचैन या नांगो के विपरीत दिशा को जाने वाली घाटी की ओर उसी नाम से पर्वत के दक्षिणी द्वार के ऊपर एक हिमोढ़ (Moraine) से कुछ मील नीचे एक चीड़ के जंगल में हमने रात बिताई. यह रिज यांगमा नदी को कम्बचैन से अलग करती है. यांगमा आगे लिलिप स्थान के […]
(गुरु पद्मसंभव की तिब्बत यात्रा से पूर्ण मध्य एशियाई बौद्ध समाज में कई मत-मतांतरों का जन्म हो चुका था. ह्वेनसांग मूलत: चीन के तांग राजवंश का बौद्ध धर्म गुरु था. चीन में तब महायान और हीनयान दो मुख्य बौद्ध धाराएं थीं. जीवन शाश्वत है या नहीं, इस विषय पर इन दोनों में गहरा मतभेद था. […]
Recent Comments