समसामयिक

दुनिया में पहली बार हुई वायु प्रदूषण से किसी की मौत!

दुनिया में पहली बार हुई वायु प्रदूषण से किसी की मौत!

समसामयिक
मौत के सात साल बाद कोर्ट ने भी आख़िर माना कि वायु प्रदूषण ने ही ली थी बच्ची की जान! निशांत दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि तमाम सबूतों और गवाहों के बयानात के मद्देनज़र किसी कोर्ट ने वायु प्रदूषण को किसी इन्सान की मौत का ज़िम्मेदार घोषित किया है. प्रदूषण मामला ब्रिटेन का है जहां 9 साल की एला because दुनिया की पहली इंसान है जिसके मृत्यु प्रमाण पत्र पर वायु प्रदूषण को उसकी मौत के कारणों में दर्ज किया गया है. इससे यह सवाल मजबूती से खड़ा हो गया है कि क्या इस बच्ची की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई? यह मामला स्वास्थ्य, स्वच्छ हवा और जीवन जीने के उस अधिकार के बीच संबंधों की तरफ भी ध्यान खींचता है, जिसकी ब्रिटेन तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून दोनों में ही because गारंटी दी गई है. साथ ही यह मामला स्पष्ट करता है कि एला दुनिया के विभिन्न शहरों और ग्रामीण एलाकों में विकसित तथा विकासशील द...
योगी आदित्यनाथ फिर नंबर वन…

योगी आदित्यनाथ फिर नंबर वन…

समसामयिक
‘शिखर पर उत्तराखंडी टॉप-50’ वार्षिक रैंकिंग जारी हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून उत्तराखंड के बेटे-बेटियां किस तरह देश के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग पदों पर रहते हुए महती भूमिका निभा रहे हैं, यह समूचा विश्व देख रहा है. आज राजनीति और कूटनीति, रक्षा और सुरक्षा, गीत-संगीत, कला, योग पर्यावरण, साहित्य और सेवा, हर क्षेत्र में पहाड़ के सपूत सफलता के नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं. हिल-मेल पत्रिका ने पहाड़ के ऐसे ही सपूतों पर आधारित अपनी वार्षिक ‘शिखर पर उत्तराखंडी टॉप-50’ रैंकिंग जारी कर दी है. उत्तराखंडी यह सिलसिला देश की राजनीति के फलक पर तेजी से चमक बिखेर रहे यूपी के मुख्यमंत्री और पौड़ी के बेटे योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाए गए जनरल बिपिन रावत, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल नि...
किसानों का असली दुश्मन, जलवायु परिवर्तन

किसानों का असली दुश्मन, जलवायु परिवर्तन

समसामयिक
निशांत फ़िलहाल देश में किसानों का because आन्दोलन मीडिया की सुर्खिया बटोर रहा है. किसानों से जुड़ी हर रिपोर्ट में एमएसपी और आढ़ती शब्द जगह बनाए हुए हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन एक ऐसा शब्द युग्म है जिसका प्रयोग किसानों और किसानी के संदर्भ में ज़्यादा से ज़्यादा होना चाहिए. मीडिया इसकी वजह यह है कि भारतीय किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन जलवायु परिवर्तन है. लेकिन समस्या यह है कि इस दुश्मन को न किसान देख पा रहे हैं हैं उन्हें मीडिया दिखा रही है. because फ़िलहाल, ताज़ा ख़बर ये है कि भारतीय किसान पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चपेट में हैं. औसत वार्षिक तापमान बढ़ने से फसल की पैदावार/ उपज में गिरावट आई है और बेमौसम बारिश और भारी बाढ़ से फसल क्षति के क्षेत्र में वृद्धि हो रही है. यह सारी जानकारी आज क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट से मिलती है. इस ब्रीफिंग रिपोर्ट में बताया गया है कि कै...
घड़ी परीक्षा की  है पर हिम्मत न हारें  

घड़ी परीक्षा की  है पर हिम्मत न हारें  

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र आज कोरोना की महामारी ने ठण्ड because और प्रदूषण के साथ मिल कर आम आदमी की जिन्दगी की मुश्किलों को बहुत बढ़ा दिया है. बहुत कुछ अचानक हो रहा है और उसके साथ जुड़ी चिंता, परेशानी, कुंठा, व्यथा  दुःख की विभीषिका की तरह चल रही है. प्रिय जन को खोना, नौकरी छूट जाना, गंभीर रोग, दुर्घटना, त्रासदी जैसे भयानक अनुभव से गुजर कर उठना और आगे बढ़ना एक कठिन चुनौती होती है पर वह असंभव नहीं है. इस दौरान ऎसी कई कहानियां भी सुनने, पढने या देखने को मिल रही हैं जिनमें लोग कठिन परिस्थिति से उबर कर आगे बढ़ते हैं. so ऐसी स्थिति में जब खुद को पाते हैं तो क्या करें? अपनी व्यथा से कैसे पेश आएं?  ऐसे सवालों का कोई सीधे-सीधे उत्तर नहीं है. इस हाल में प्रतिरोध या जूझने की क्षमता (रेसीलिएंस) का विचार मदद करता है. जूझने का दम हो तो आदमी जीवन की कठिन परिस्थिति मे या कहें तनाव या त्रासद घड़ी से उबर कर  वापस ...
सर्दियों के इस मौसम में पर्यटकों के स्वागत को तैयार है औली

सर्दियों के इस मौसम में पर्यटकों के स्वागत को तैयार है औली

समसामयिक
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून उत्तराखंड में because बहुत से पर्यटन स्थल हैं जो अपनी प्राकृतिक सुदंरता से सैलानियों को चकित कर देते हैं. उत्तराखंड पर्यटन का ऐसा ही एक नगीना है औली. परिलोक सा खूबसूरत औली शांत प्रकृति की गोद में स्थित है. यहां से हिमालय के शिखरों का भव्य नजारा भी दिखाई देता है और स्कीइंग के लिए अनुकूल ढलानें भी रोमांचित करती हैं. औली में पर्यटकों को जो मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव प्राप्त होता है वही इस because बात का साक्ष्य है कि औली भारत के सर्वश्रेष्ठ चुनिंदा विंटर डेस्टिनेशंस में से एक है. उत्तराखंड देश में सर्दियों के मौसम की because आमद हो चुकी है, ऐसे में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के चमोली जिले में स्थित औली स्की रिजॉर्ट और हिल स्टेशन सर्दियों के पर्यटन हेतु पर्यटकों का स्वागत करने को बिल्कुल तैयार है. औली ‘‘उत्तराखण्ड because राज्य में औली विशेष रूप से सर्दियों में...
उत्तराखंड की वादियों से गुमानी पंत ने उठाई थी,आज़ादी की पहली आवाज

उत्तराखंड की वादियों से गुमानी पंत ने उठाई थी,आज़ादी की पहली आवाज

समसामयिक
संविधान दिवस (26 नवम्बर) पर विशेष डॉ.  मोहन चंद तिवारी मैं पिछले अनेक वर्षों से अपने लेखों द्वारा लोकमान्य गुमानी पन्त के साहित्यिक योगदान की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रूप से चर्चा करता आया हूं. उसका एक कारण यह भी है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उत्तराखंड की भाषाओं को मान्यता दिलाने के लिए सर्वाधिक साहित्यिक प्रमाण लोककवि गुमानी पंत द्वारा आज से दो सौ वर्ष पूर्व रचित कुमाउंनी साहित्य है,जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय धरातल पर देश की भाषाई एकता को स्थापित करने के लिए गढ़वाली, कुमाउंनी आदि उत्तराखंड की भाषाओं के अलावा नेपाली और संस्कृत भाषाओं में साहित्य रचना की.पर विडंबना यह है कि आज उत्तराखंड की वादियों में बोली जाने वाली खसकुरा नेपाली भाषा को तो आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है किंतु  उसी भाषापरिवार से सम्बद्ध कुमाउंनी, गढ़वाली और जौनसारी को संवैधिनिक मान्यता नहीं मिल पाई ...
कोरोना काल में स्वास्थ्य की चुनौती के निजी और सार्वजनिक आयाम 

कोरोना काल में स्वास्थ्य की चुनौती के निजी और सार्वजनिक आयाम 

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र आजकल  का समय  स्वास्थ्य की दृष्टि से एक  घनी चुनौती बनता जा रहा है जब पूरे विश्व में में मानवता के ऊपर एक ऐसी अबूझ महामारी का असर पड़ रहा है जिसके आगे अमीर गरीब सभी देशों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.  सभी परेशान है और उसका कोई हल दृष्टि में नहीं आ रहा है. इस अभूतपूर्व कठिन घड़ी का एक व्यापक वैश्विक परिदृश्य है जहाँ पर  किसी दूर बाहर के देश से पहुंच कर एक विषाणु  चारों ओर संक्रमण  फैला रहा है और जान को जोखिम में डाल रहा because है और  उस पर काबू पाने की कोई हिकमत कारगर नहीं हो रही है. पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में हम अपने को कैसे स्वस्थ रखें यह  बड़ी चुनौती  बन रही है. पर जब हम विचार करते हैं तो यह प्रश्न खड़ा होता है कि हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कितने तत्पर हैं? यह सही है कि स्वास्थ्य केवल अपने ऊपर ही नहीं बल्कि व्यक्ति और परिवेश इन दोनों की पारस्परिक अंत...
राजनीति में लोकतांत्रिक संस्कार की जरूरत

राजनीति में लोकतांत्रिक संस्कार की जरूरत

समसामयिक
गिरीश्वर  मिश्र राजनीति सामाजिक जीवन की व्यवस्था चलाने की एक जरूरी आवश्यकता है जो स्वभाव से ही व्यक्ति  से मुक्त हो कर लोक की ओर उन्मुख होती है. because दूसरे शब्दों में वह सबके लिए साध्य न हो कर उन बिरलों के लिए ही होती है जो निजी सुख को छोड़ कर लोक कल्याण के प्रति समर्पित होते हैं. स्वतंत्रता संग्राम के दौर में राजनीति में जाना सुख की लालसा से नहीं बल्कि अनिश्चय और जोखिम के साथ देश की सेवा की राह चुनना था. स्वतंत्रता मिलने के बाद धीरे-धीरे राजनीति की पुरानी स्मृति धुंधली पड़ने लगी और नए अर्थ खुलने लगे जिसमें देश. लोक और समाज हाशिए पर जाने लगे और अपना निजी हित प्रमुख होने लगा. यह प्रवृत्ति हर अगले चुनाव में बलवती होती गई और अब सत्ता, अधिकार और अपने लिए धन संपत्ति का अम्बार लगाना ही राजनीति का प्रयोजन होने लगा है. विचारधारा राजनैतिक विचारधारा because और आदर्श तो अब पुरानी या दकियानूसी...
चुनाव के बहाने वजूद तलाशते प्रवासी पहाड़ी!

चुनाव के बहाने वजूद तलाशते प्रवासी पहाड़ी!

समसामयिक
शशि मोहन रावत ‘रवांल्‍टा’ आज लॉक डाउन के लगभग सात माह बाद अपने पुराने साथी से मुलाकात हुई. रात साढ़े ग्यारह बजे चाय पी गई और उसके बाद वो दूसरे रूम में सोने चला गया, क्योंकि सात माह से गांव में रहने के कारण जल्दी सोना उसकी आदत में शुमार हो गया है. मैं चाय पी लेता हूं तो नींद तकरीबन 1 घंटे बाद ही आती है. 12 बजे करीब बिस्तरbecause पर लेटा ही था कि— मेरे फोन की घंटी बजी. मैं चौंका. इतनी रात किसका फोन आया होगा? अचानक से दिमाग में कई तरह के ख्याल आने लगे. चूंकि नंबर नया था इसलिए और समय भी अधिक हो चुका था तो फोन उठाना भी जरूरी समझा. फोन फोन उठाते ही— हैलो, कौन? हां भाई प्रवासी क्या हाल हैं? अनयास ही मुंह के निकाला, तू बता भाई because घरवासी. अबे... तू इतनी रात को कैसे फोन कर रहा है ? और वो भी नए नंबर से? फोन बोला, फेसबुक पर तेरी because पोस्ट देखी तो समझ गया कि तू अभी सोया नहीं होगा....
थानो के जंगल को बचाने के लिए एकजुट हुए दूनघाटी के लोग

थानो के जंगल को बचाने के लिए एकजुट हुए दूनघाटी के लोग

समसामयिक
पर्यावरण बचाओ संदेशों के साथ घर—घर से युवा स्वयं अपनी तख्तियां बनाकर आए थे हिमांतर ब्यूरो, देहरादून देहरादून जौलीग्रांट के हवाई अड्डे के because विस्तार प्रक्रिया के दौरान थानो के रिजर्व वन क्षेत्र से लगभग 10 हजार पेड़ काटे जाएंगे. उत्तराखंड सरकार की मंशा यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की है. जबकि राज्य में पूर्व से ही गौचर, पिथौरागढ़, पंतनगर के अलावा चिन्यालीसौड़ में हवाई प​ट्टियां हैं, इनमें से पिथौरागढ़ की हवाई पट्टी को मध्यम आकार के विमानों के लिए सही नहीं माना गया है. क्योंकि इसमें कुछ तकनीकी खामियां बताई गई थी. देहरादून इनसे इतर, उत्तराखंड की सरकार थानो वन because क्षेत्र की तरफ हवाई अड्डे का विस्तार करना चाहती है. इसके लिए सरकार ने पहले ही अनापत्ति दे दी है. लगभग 217 एकड़ की वन भूमि जिस पर 10 हजारे से अधिक हरे वृक्ष हैं, उस भूमि का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है...