Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
भगवान महावीर का पुण्य स्मरण 

भगवान महावीर का पुण्य स्मरण 

अध्यात्म
महावीर जयंती पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्र‘जैन’ वह है जो ‘जिन’ का अनुयायी हो और जिन वह होता है जो राग-द्वेष से मुक्त हो. जैन साधु निर्ग्रन्थ  होते हैं यानी अपने पास गठरी में रखने योग्य कुछ भी नहीं रखते. निवृत्ति  और मोक्ष पर बल देने वाली श्रमण ज्ञान परम्परा  सांसारिक जीवन को चक्र की तरह  उत्थान पतन के  क्रम में चलता हुआ देखती  है  जिसमें  अपने कर्म से अलग किसी  ईश्वर की भूमिका नहीं है. ‘तीर्थ’ जन्म मृत्यु के चक्र से उद्धार के  मार्ग को कहते हैं और तीर्थंकर वह होता है  जो उस मार्ग को प्रशस्त करे. श्री ऋषभ देव वर्तमान जैन परम्परा के प्रथम तीर्थंकर थे.  तेइसवें पार्श्वनाथ थे और इस श्रृंखला में अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर हुए . तीर्थंकरछठीं सदी ईसा पूर्व आज के बिहार के में पटना के निकट कुंडलपुर में तकालीन विदेह के इक्ष्वाकु राजवंश में सिद्धार्थ और त्रिशला के पुत्र के रूप में इन...
समुना-2 पोस्ट के ताजा पास बर्फ के एवलांच से 10 लोगों की मौत एवं 8 लापता, राहत एवं बचाव कार्य जारी

समुना-2 पोस्ट के ताजा पास बर्फ के एवलांच से 10 लोगों की मौत एवं 8 लापता, राहत एवं बचाव कार्य जारी

चमोली
हिमांतर ब्यूरो, देहरादूनजनपद चमोली के जोशीमठ विकास खंड से लगभग 70 किलोमीटर आगे मलारी है, मलारी से एक सड़क सुमना की ओर जाती है.  समुना-2 पोस्ट के पास ताजा बर्फ के because एवलांच में बदल जाने से सीमा सड़क संगठन (BRO), आर्मी (Army) तथा आईटीबीपी (ITBP) के कैंप परिक्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. मरने वालों में अधिकर सीमा सड़क संगठन के मजदूर हैं, जो सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए थे.इस क्षेत्र में बीआरओ को 402 मजदूर because सीमा सड़क के निर्माण में लगे हुए थे. अभी तक 10 लोगों के शव मिल चुके हैं और 8 लोग लापता लोगों की खोजबीन जारी है. भटकोटी सीमा सड़क संगठन के 402 मजदूरों में से 377 मजूदर सुरक्षित बताए जा रहे हैं.  9वीं पर्वतीय ब्रिगेड के बिग्रेडियर कृशाणु शाह ने बताया कि समुना-2 क्षेत्र में शुक्रवार को दोपहर 2 because बजे और शाम के 4 बजे दो एवलांच आने की खबर मिली थी, उसके बाद सेना द्वारा राहत ए...
मालिनी का आंचल…

मालिनी का आंचल…

पुस्तक-समीक्षा
नीलम पांडेय ‘नील’डा. डी. एन. भटकोटी जी के प्रबंध काव्य संग्रह मालिनी (भरत-भारत) पूर्व लिखित गघ एवं काव्य संग्रह से काफी भिन्न और नवीन है. पूर्व में लिखित अधिकतर काव्य संग्रह में जिस प्रकार दुष्यन्त केन्द्र बिन्दु थे, उसी प्रकार मालिनी (भरत-भारत) काव्य संग्रह में शकुन्तला प्रधान नायिका है. डा. भटकोटी जी ने शकुन्तला को प्रधानता देते हुऐ, because एक पहाड़ की स्त्री के रूप में उसकी मनःस्थिति का अवलोकन किया है. समस्त काव्यखंड की अन्र्तवस्तु, अभिव्यक्ति, शिल्प तथा भाव स्तर बेहद अलग है, या यूँ कहें कि यह अपनी परम्परागत शैली को बनाऐ रख कर की गयी नवीनतम विधा है. भटकोटी उक्त संग्रह में रचनाकार का लम्बा रचनात्मक संर्घष नजर आता है, यहां पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है कि आदरणीय डी. एन. भटकोटी जी लिखते हुऐ अपने मन की सतह पर उग आयी विचारों की तहों को खोलने के प्रयास में रहते हैं, जिनमें उनका खुद का ग...
‘पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाता है’

‘पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाता है’

पर्यावरण
अश्विनी गौड़बस यूँ ही समझ लीजिये कि हम पृथ्वी की धरातलीय प्रकृति से हम जितना दूर जाएँगे हम पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्य से उतना ही विमुख होते जाएंगे.पर्यावरण को नजदीक से जानना,परखना so और अनुभव करना हो, तो प्रकृति की प्रकृति को समझिए.भूमिः देवता,  पृथ्वी देवता, वसवों देवता, आदित्य देवता जैसे मंत्रों का जाप करते हमारे वेद पुराण सनातन काल से ही पृथ्वी दिवस मनाने की प्रेरणा देते आ रहे है. सत्तर के दशक से अमेरिका पर्यावरण और पृथ्वी दिवस because मनाने की कवायद कर रहा है जो कि सराहनीय पहल है पर क्या 22 अप्रैल का दिन मना कर ही हम अपनी जिम्मेदारी इतिश्री कर लें? पर्यावरणआज अदृश्य वाइरस से पृथ्वी का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी होने का दंभ so भरता मानव रक्त में ऑक्सीजन की हीमोग्लोबिन के साथ कमी से डरा-मरा पड़ा है. ऑक्सीजन की प्राकृतिक फैक्ट्री  सदाबहार हरे भरे जंगल को वनाग्नि की भेंट ...
‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

पर्यावरण
 ‘पृथ्वी दिवस’ पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारीआज 22 अप्रैल का दिन अंतरराष्ट्रीय जगत में ‘पृथ्वी दिवस’ (Earth Day) के रूप में मनाया जाता है. पृथिवी के पर्यावरण को बचाने के लिए ‘पृथ्वी दिवस’ की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में की गई थी. ‘पृथ्वी दिवस’ की अवधारणा सभी पहाड़, नदियों, वनस्पतियों, महासागर, ग्राम-नगरों because के पर्यावरण संतुलन की चिंता को अपने आप में समाहित किए हुए.भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो पूरे ब्रह्माण्ड में पर्यावरण की शांति 'पृथ्वी दिवस’ का मूल विचार है.अंतरराष्ट्रीय जगतमैंने अपने शोधग्रंथ "अष्टाचक्रा अयोध्या : इतिहास और परंपरा" (उत्तरायण प्रकाशन, दिल्ली, 2006) में 'भारतराष्ट्र' की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए 'पृथु वैन्य' के because इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की है.और यह बताने का प्रयास किया है कि हमारे भारत में पृथिवी की रक्...
राम और उनका राम राज्य

राम और उनका राम राज्य

लोक पर्व-त्योहार
राम नवमी पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्रआज सामाजिक जीवन की बढ़ती जटिलता और चुनौती को देखते हुए श्रीराम बड़े याद आ रहे हैं जो प्रजा वत्सल तो थे ही अपने निष्कपट आचरण द्वारा पग-पग पर नैतिकता के मानदंड स्थापित करते चलते थे और सत्य की स्थापना के लिए बड़ी से बड़ी परीक्षा के लिए तैयार रहते थे. लोक का आराधन तथा because  प्रजा का सुख उनके लिए सर्वोपरि था परन्तु आज राजा और प्रजा दोनों संकट के दौर से गुजर रहे हैं. आज के समाज में रिश्तों में दरार, कर्तव्य से स्खलन, मिथ्यावाद, अन्याय और भेद-भाव के साथ नैतिक मानदंडों से विमुखता के मामले जिस तरह बढ़ रहे हैं वह चिंताजनक स्तर पर पहुँच रहा है. विशेष रूप से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदस्थ और संभ्रांत कहे जाने वाले लोगों का आचरण जिस तरह संदेह  और  विवाद के घेरे में आ रहा है वह भारतीय समाज के लिए घातक साबित हो रहा है.किताबी तिलिस्म यह स्थिति इस...
कब पूरा होगा रामराज्य का अधूरा सपना?

कब पूरा होगा रामराज्य का अधूरा सपना?

लोक पर्व-त्योहार
राम नवमी पर विशेषडॉ. मोहन चन्द तिवारीरामनवमी का पर्व प्रतिवर्ष भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है. धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म हुआ था. राम के जन्म से देव, ऋषि, किन्नर, चारण सभी आनंदित हो उठे थे. तब से लेकर हम प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल because नवमी को हर्षोल्लास के साथ श्रीराम जन्मोत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं. रामनवमी के दिन ही संतश्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की भी रचना आरंभ की.आज तो आनन्द भयो राम घर आवना भगवान श्रीराम के जीवन का उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था ताकि आम जनता शांति और निर्भयता के साथ जीवन यापन कर सके, उसके साथ किसी but प्रकार से अन्याय, अत्याचार और भेदभाव न हो. पौराणिक मान्यता के अनुसार राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता ...
पंचायत व्यवस्था में महिलाओं की आत्मनिर्भरता

पंचायत व्यवस्था में महिलाओं की आत्मनिर्भरता

साहित्‍य-संस्कृति
सुनीता भट्ट पैन्यूलीपंचायती राज व्यवस्था में  महिलाओं की सहभागिता और उनका प्रतिनिधित्व महिला सशक्तिकरण,स्वायत्ता और स्थानीय स्वशासन की ओर एक ओजस्वी कदम माना गया because अभी हाल ही की यूनिसेफ की एक  रिपोर्ट ने उत्तर-प्रदेश  में पंचायती चुनावों के बीच, पंचायती व्यवस्था में महिलाओं की सहभागिता  और उनके दायित्व निर्वहन की समस्या को उजागर किया है.यह कैसी व्यवस्था और दोगलापन है स्त्री सशक्तीकरण का? जहां  स्त्री केवल महिला ग्राम प्रधान का मुखौटा पहने  हुए है यानी पद का झुनझुना तो पकड़ा दिया जाता है स्त्री को किंतु अधिकार सारे पुरुष के हाथ में  हैंपंचायती चुनाव ग्राम पंचायत में अपने क्षेत्र के प्रतिनिधित्व व स्व विकास हेतु महिलाओं को जो 1/3 अधिकार मिला है उसके तहत महिलाएं पारिवारिक दबदबे, रसुकता या आरक्षण की but वजह से चुन तो ली जाती हैं  किंतु उसके सभी अधिकार व दायित्व पति, पुत्र, ...
अवसाद पैदा करने वाले इस दौर में अपने बच्चों से बात कीजिये

अवसाद पैदा करने वाले इस दौर में अपने बच्चों से बात कीजिये

समसामयिक
कमलेश चंद्र जोशीदेश बहुत गंभीर समस्याओं से गुजर रहा है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर क़हर बनकर देश पर टूट पड़ी है जिस वजह से तस्वीर और भयावह होती जा रही है. तमाम दोस्तों से बात करता हूँ तो पता चलता है किसी को नौकरी नहीं मिल रही तो किसी की नौकरी जा चुकी है या फिर सैलरी में कट लग चुका है because और किस दिन नौकरी से निकाल दिये जाएँ इसका भी पता नहीं है. जब वह जमीनी हकीकत बताते हैं तो एक सिहरन सी पैदा होने लगती है. असंगठित क्षेत्र के लघु मध्यम उद्योग व छोटी कंपनियों में से बहुतायत में ताले लग चुके हैं. जमीनी हकीकत अगर सरकारी कागजों में उतर पाती तो समझ आता कि जीडीपी रसातल पर पहुँच चुकी है. रोजगार के जो आंकड़े कागजों पर हैं वो सिर्फ दिखावटी हैं. जीडीपी रसातल बेरोजगारी पिछले 45 वर्षों के उच्चतम शिखर पर है. सर्विस सेक्टर की बात करूँ तो तमाम प्राइवेट कंपनियों ने पिछले साल ही मार्च-अप्रैल माह मे...
साप्ताहिक राशिफल: जानिए कैसा रहेगा आपका यह सप्ताह, 19 से 25 अप्रैल का राशिफल

साप्ताहिक राशिफल: जानिए कैसा रहेगा आपका यह सप्ताह, 19 से 25 अप्रैल का राशिफल

साप्ताहिक राशिफल
आचार्य यमुना पुत्र सुरेश उनियालमेष : मेष राशि के जातकों को इस सप्ताह अनजान भय सताता रहेगा. इस सप्ताह आय के मुकाबले खर्च की अधिकता बनी रहेगी. कार्यक्षेत्र में भी जिम्मेदारियों का अत्यधिक बोझ रहेगा. अति व्यस्तता के चलते परिवार के लिए भी समय न निकाल पाने के चलते मन में खिन्नता बनी रहेगी. अनावश्यक because यात्रा करने से बचें और खान-पान पर विशेष ध्यान दें, अन्यथा पेट संबंधी दिक्कत हो सकती है. सप्ताह के अंत में कार्यक्षेत्र में अथवा स्वजनों के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है. प्रेम संबंध सामान्य बने रहेंगे. कठिन समय में जीवनसाथी का पूरा साथ मिलेगा. परीक्षा-प्रतियोगिता की तैयारी में जुटे छात्रों को सफलता के लिए अत्यधिक श्रम की आवश्यकता रहेगी.कार्यक्षेत्र वृषभ : वृष राशि के जातकों को इस सप्ताह इस बात का पूरा ख्याल रखना होगा कि कहीं हवन करते समय हाथ न जल जाये. दूसरों के मामलों में दख...