Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
राष्ट्र नायक

राष्ट्र नायक

संस्मरण
बुदापैश्त डायरी-11 डॉ. विजया सती बुदापैश्त में रहते हुए हमने जाना कि 15 मार्च हंगरी के इतिहास में एक विशेष दिन है. यह 1948 की क्रान्ति की स्मृति में मनाया जाने वाला राष्ट्रीय दिवस है. इस क्रान्ति के प्रमुख because व्यक्तित्व के रूप में पेतोफ़ी शांदोर को याद किया जाता है. हंगरी की क्रान्ति और आज़ादी के इतिहास में पेतोफ़ी शांदोर का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है. पेतोफ़ी राष्ट्रीय  कवि  माने जाते हैं और हंगरी की उस राष्ट्रीय कविता के जनक भी जिसने क्रान्ति को प्रेरित किया, वह कविता जिसका स्वर है – उठो हंगरीवासियों! हम अब और अधिक गुलाम न रहेंगे. कवि पेतोफ़ी शांदोर ज्योतिष पेतोफ़ी शांदोर का लैटिन नाम अलेक्सांद्र पेत्रोविच है. दरअसल अलेक्सांद्र का हंगेरियन रूपांतर शांदोर है. साधारण ग्रामीण पिता और सेविका तथा धुलाई का काम करने वाली मां  की संतान शांदोर के लिए वह पल कठिन था जब एक पारिवा...
सोनू सूद ने साझा तो बियर ग्रिल्स ने सराहया राजेश के बनाए पोस्टर

सोनू सूद ने साझा तो बियर ग्रिल्स ने सराहया राजेश के बनाए पोस्टर

समसामयिक
हिमांतर डेस्‍क ऋषिकेश के प्रसिद्ध चित्रकार राजेश चन्द्र ने कोरोना काल के महानायक सुपरस्टार सोनू सूद का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें समर्पित एक पोस्टर बना के उन्हें ट्वीट किया, जिसे सोनू सूद ने खुद 2 बार पसन्द कर शेयर किया है. पोस्टर ट्विट होते ही वायरल हो चुका है और सोशल मीडिया में लोग उसे खूब शेयर कर रहे है. राजेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “सोनू सर मैंने अपनी माता जी को आपके बारे में बताया है कि किस तरह से आप इस समय आमजन की मुसीबतो में मदद कर रहे हैं. आप एक मसीहा से कम नही हैं. ईश्वर हर माँ को आप जैसा बेटा दे.” आपने अपने कर्मों से दिखा दिया कि क्यों मानव को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जाता है. राजेश ने बताया कि सोनू सर के पोस्टर शेयर करने पर वह बहुत खुश हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति नि:स्‍वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है तो उन्हें यह बताना बहुत जरूरी होता है कि लोग उनसे कितना प्यार ...
मन बावरा

मन बावरा

किस्से-कहानियां
लघुकथा डॉ. कुसुम जोशी मन्दी बुआ' छोटी कद काठी ,गोल मटोल, चपटी सी नाक, पक्का गेंहुआ रंग. और आदतें-"गांव में किसी से लड़ के आयेगीं, तो गाड़ी पकड़ सीधे हमारे घर और  सीढ़ीयों से ही अपने दुश्मनों में गालियों के गोले दागते हुये आयेगीं. मन्दी बुआ  बाबूजी के काका “बंशी काका  की इकलौती पुत्री थी, चौदह साल की थी जब एक खाते पीते परिवार के फौजी बेटे से शादी हो गई, सत्रह साल की थी नागालैंड में पति शहीद हो गये... फिर बंशी कका हमेशा के लिये अपने पास ले आये... ईजा बाबूजी से उनकी शिकायत करेगीं, अगर वो मन्दीबुआ को समझाने की कोशिश करें तो अपना तकिया कलाम दोहरा देगीं... “खाप ससुर का क्या जाता है, जिसके हाथ ना पांव”, तुम रह के देखों 'ददा बोज्यू' इन गांव वालों के साथ. मुहं बिचका के अपने दुश्मन के सात पुश्तो का श्राद्ध एक ही गाली में कर देगी. मन्दी बुआ  बाबूजी के काका “बंशी काका  की इकलौती पुत्री थी...
एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

संस्मरण
एम. जोशी हिमानी  हमारे देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड में भी हर खेत, हर पहाड़ का कोई न कोई नाम होता है. मेरी जन्मभूमि पिथौरागढ़ के 'नैनी' गांव के चारों तरफ के पहाड़ों के भी नाम हैं जैसे- कोट, हरचंद, ख्वल, घंडद्यो, भ्यल आदि. नैनी के पीछे सीधे खड़ा दुर्गम, बहुत ही कम पेड़ों वाला भ्यल नामक पहाड़ अनेक डरावने रहस्यों से भरा हुआ है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह पहाड़ हर तीसरे साल ‌मनुष्यों की बलि लेता है. अनेक आदमी-औरतें‌ आज तक इस पहाड़ से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं. उन दिनों जमतड़ गांव के लोग हफ्तों पहले से इलाके वालों को आगाह कर दिया करते थे कि भ्यल रात में तड़कने लगा है. वह अजीब-सी डरावनी आवाजें करने लगा है. इसलिए सब लोग सतर्क हो जाएं, भ्यल की तरफ जाना बंद कर दें. रात में पहाड़ के रोने, थरथराने का क्रम तब तक जारी रहता था जब तक पहाड़ से कोई गिर कर मर न जाए. ...
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक

स्मृति-शेष
विपिन त्रिपाठी की पुण्यतिथि (30 अगस्त) पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी “गांव से नेतृत्व पैदा होने तक मैं गांव में रहना पसंद करूंगा. सत्ता पगला देती है. समाजवादी बौराई सत्ता से दूर रहें.”                                 -विपिन त्रिपाठी 30 अगस्त को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के जननायक और द्वाराहाट क्षेत्र के विकास पुरुष श्री विपिन त्रिपाठी जी की पुण्यतिथि है. उत्तराखण्ड की आजादी और वहां की जनता के मौलिक अधिकारों के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष करने वाले जननायकों में कुछ ही ऐसे नेता हैं जिन्हें देवभूमि उत्तराखण्ड का गौरव माना जा सकता है, उनमें द्वाराहाट क्षेत्र के संघर्षशील नेता, जुझारू पत्रकार, ‘द्रोणांचल प्रहरी’ के संपादक, कर्मठ समाज सेवी, क्षेत्र के विधायक और उक्रांद के अध्यक्ष रहे स्व. विपिन त्रिपाठी जी का नाम सबसे ऊपर आता है. उत्तराखंड आंदोलन समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जन आंदोलनो...
‘खोपड़ा’ यही तो नाम मेरे गाँव का है

‘खोपड़ा’ यही तो नाम मेरे गाँव का है

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—46 प्रकाश उप्रेती आज बात 'खोपड़ा' की. ये मेरे 'गाँव' का नाम है. गाँव मेरे लिए सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि पूरा जीवन है. गाँव सुनते ही चेहरा खिल उठता है. आँखों के सामने 'वारे-पारे' (आमने-सामने) बाखे because और हमारी 'बीचेक कुड़ी' (बीच वाला घर) तैरने लगती है. गाँव सुनते ही 'भ्यार-भतेर' (अंदर-बाहर) जाती ईजा, पानी लेने 'नोह' जाते 'नन' (बच्चे), घास काटने जाती 'काखि'(चाची), 'भौजि' (भाभी) और 'स्यार पन' खेतों में काम करती 'ज्येठी' (ताई) और 'अम्मा' (दादी) नज़र आते हैं. ज्योतिष आँखों ने जब देखना शुरू किया तो उस गाँव को देखा जिसके 'भ्योव' घसियारियों से गूंजते, स्यार आपसी बातचीत से चहकी रहती, 'खो' बच्चों के खेलने से और घर बुबू की 'हड़कत:' से डोलता था. पूरा गाँव अलग-अलग तरह की आवाजों से गूँजता रहता था. शाम को कोई पानी लेने डब्बा बजाते हुए जाता, कोई बाजार जाने के लि...
‘पत्थरों का उपासक, प्रकृति का पुजारी’

‘पत्थरों का उपासक, प्रकृति का पुजारी’

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. अरुण कुकसाल ‘सबकी अपनी जीवन कहानी होती है और सबका अपना संघर्ष होता है, सबके अपने सौभाग्य और सफलताएं होती हैं, तो अवरोध और असफलताएं भी. फिर भी हर जीवन अपने जमाने से प्रभावित होता है. अनेक जीवन अपने जमाने को जानने और बनाने में बीत जाते हैं और उनके जीवन को जमाना यों ही सोख लेता है... ऐसा ही इन पन्नों में एक सामान्य सा पर असाधारण जीवन पसरा है. कितना तो गुम भी गया होगा, पर जितना आ सका है पठनीय है और प्रेरक भी... किसी आत्मकथा को पढ़ना उस व्यक्ति को जानने-समझने के साथ उसके अन्तःमन में छिपे-दुबके अनेकों व्यक्तियों को जानना-समझना भी होता है. व्यक्ति जो दिखता है और व्यक्ति जो होता है, में एक छोटा-लम्बा जैसा भी हो पर फासला होता है. यही फासला व्यक्ति के सुख-दुःख और सफलता-असफलता का कारक भी है. आत्मकथा की शब्द-यात्रा पाठक को इन्हीं कारकों और उनसे उपजे व्यक्तित्वों से परिचय कराती है.  ...
यूसर्क द्वारा एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार

यूसर्क द्वारा एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार

समसामयिक
हिमांतर ब्‍योरो उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) एवं अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के संयुक्त तत्वाधान में “Psychological Well-being among Youth” विषय पर एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन गया. अन्तर्राष्ट्रीय वेबीनार के मुख्य अतिथि प्रो. एन. के. जोशी, कुलपति, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल ने अपने सम्बोधन में वेबिनार के आयोजन को महत्वपूर्ण बताया एवं वर्तमान में काविड-19 से युवाओं पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के बारे में विस्तार से समझाया एवं विषय को समय की आवश्यकता बताया. वेबिनार के संरक्षक एम्स के निदेशक पदमश्री प्रो. रविकान्त एवं यूसर्क के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत के द्वारा सभी विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं आभार प्रकट किया गया. वेबिनार में यूनाइटेड किंगडम के प्रख्यात सलाहकार एवं मनोचिकत्सक डॉ. मोहन चावला के द्वारा मानसिक स्वा...