Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
गीता का संदेश…

गीता का संदेश…

अध्यात्म
गीता जयंती  (25 दिसम्बर) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र आज के दौर में चिंता, अवसाद और तनाव निरन्तर बढ रहे हैं. बढती इछाओं की पूर्ति न होने पर क्षोभ और कुंठा होती है. तब आक्रोश और हिंसा  का तांडव शुरू होने लगता है. because दुखद बात तो यह है कि सहिष्णुता और धैर्य कमजोर पड़ने लगे हैं. आपसी रिश्ते, भरोसा और पारस्परिकता की डोर टूटती सी दिख रही है. धन सम्पदा भी बढ रही है, शायद ज्यादा तेजी से और अधिक मात्रा में. पर हर कोई बेचैन सा दिख रहा है. किसी के मन को शांति नहीं है, चैन नहीं है. इसकी खोज में लोग दौड़ लगा रहे हैं. वे पहाड़ों  पर जाते हैं, सिद्ध और संत महात्मा की खोज में लगे रहते हैं, नशा करते हैं, मदिरा का सेवन करते हैं और किस्म किस्म के व्यसन में जुट जाते हैं. अच्छे जीवन की तलाश जारी है पर प्रसन्नता दूर ही भागती रहती है. त्तृप्ति नहीं मिलती. कुछ और पाने की दौड़ लगी रहती है और संतुष्टि नही...
उत्तराखंड आंदोलन के जननायक इन्द्रमणि बडोनी   

उत्तराखंड आंदोलन के जननायक इन्द्रमणि बडोनी   

स्मृति-शेष
जन्मजयंती पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 24 दिसम्बर उत्तराखंड राज्य आंदोलन because के जननायक श्री इन्द्रमणि बडोनी जी की जन्मजयंती है.उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास में बडोनी जी ‘पहाड के गांधी’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. उत्तराखंड मगर दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इस जननायक की जन्मजयंती पर जिस कृतज्ञतापूर्ण हार्दिक संवेदनाओं के साथ उत्तराखंड की जनता के द्वारा इस महानायक को याद किया जाना चाहिए था but उस तरह की जनभावनाओं का उत्तराखंड समाज में अभाव ही नजर आता है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड की राजनीति आज किस प्रकार की वैचारिक शून्यता और अवसरवाद के दौर से गुजर रही है? because इतिहास साक्षी है कि जो कौम या देश अपने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भुला देता है वह ज्यादा दिनों तक अपनी स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकता. नदी उत्तराखंड की सम्पूर्ण जनता अपने because इस मह...
विकास की बाट जोहते सुदूर के गाँव…

विकास की बाट जोहते सुदूर के गाँव…

पिथौरागढ़
उतकै-उतकै नहीं! डॉ. गिरिजा किशोर पाठक   उत्तराखंड का राज्य पक्षी यद्यपि हिमालयन मोनाल है लेकिन जनमानस का सबसे लोकप्रिय पक्षी है घूघूती. घूघूती पर यहाँ के सैकड़ों गाने, कथाएं, किवदंतियाँ है. घूघूती के बोल “के करू पोथी उतकै-उतकै” (क्या करू बेटा बस इतना सा ही और इतना ही है) यह एक कहानी से भी जुड़ा है. उतकै-उतकै माने जिसमें परिवर्तन/बृद्धि नहीं हुई है परिश्रम के वाबजूद. घूघूती के ये बोल उतकै-उतकै, उत्तराखंड के सुदूर सीमांत गांवों के विकास की यात्रा पर फिट बैठते हैं. इस बार एक लंबे अंतराल के बाद सुदूर हिमालय की तलहटी में बसे अपने सीमांत गाँव डौणू, बेरीनाग, जिला पिथौरागढ़ 1 माह के प्रवास की तैयारी के साथ पहुच गया. सोच था जिन संस्थानों और संस्थाओं को वेब स्पीच देनी होगी वहीं से दे दूंगा. कुछ जाड़े के अहसास के साथ जीने का आनंद भी आ जाएगा. 1982 की फरवरी में मेरी छोटी बहिन का ब्याह हुआ था तब जाड़...
अमलावा नदी में दो तैरती मछलियां

अमलावा नदी में दो तैरती मछलियां

संस्मरण
स्मृतियों के उस पार... सुनीता भट्ट पैन्यूली पहाड़, नदी because और खेत पहाड़ी लोग और उनके जीवन के बीच बना हुआ अनंत  सेतु है जिस पर आवाजाही किये बिना पहाड़ी लोग जीवन की जटिलता को भोगकर स्वयं के लिए सुगम रास्ता नहीं बना सकते. कहना ग़लत न होगा पहाड़, नदी, और खेत तप-स्थल हैं because पहाड़ियों के अभ्यास करने के जिनके इर्द-गिर्द उनके स्वप्न, उनकी उम्मीदें उनके जीवन के उद्देश्य धीरे-धीरे अंगड़ाई लेते हैं फिर पूरे वेग के साथ कुलांचे मारते हैं. नदी पहाड़ ने बहुत कुछ दिया है मैदान को, because पहाड़ ने स्वच्छ हवा दी है, स्वच्छ पानी दिया है, ताजा अनाज, फल और सब्जियां दी हैं  साथ ही समृद्धि  भी दी है. यही नहीं पहाड़ के प्रति हमें कृतार्थ होना चाहिए क्योंकि पहाड़ ने  देश व समाज को नई-नई प्रतिभायें  भी दी हैं. नदी आप यदि बस में बैठकर शहर से गांवों की because ओर जा रहे हैं तो आपको शहर और गा...
पुस्तक ‘रवाँई क्षेत्र के देवालय एवं देवगाथाएं’ लोकार्पित

पुस्तक ‘रवाँई क्षेत्र के देवालय एवं देवगाथाएं’ लोकार्पित

साहित्यिक-हलचल
पुस्तक लोकार्पण हिमांतर ब्‍यूरो, उत्तरकाशी सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) के तत्वाधान में देवभूमि उत्तराखण्ड के पश्चिमोत्तर रवाँई क्षेत्र में होने वाले प्रमुख लोकोत्सव देवलांग because के अवसर पर ‘देवडोखरी’ (बनाल) में because अवस्थित रा.उ.मा.विद्यालय के सभागार में दिनेश रावत की पुस्तक ‘रवाँई के देवालय एवं देवगाथाएँ’ का  लोकार्पण उत्‍तरकाशी जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद प्रसाद सिमल्टी, साहित्यकार महाबीर रवांल्टा, पं. महीशरण सेमवाल, सुखदेव रावत, पं. शांति प्रसाद सेमवाल, पूर्व ब्लाक प्रमुख रचना बहुगुणा, पूर्व जिला पंचायत because सदस्य नानई चंदी पोखरियाल, इ. चन्द्र लाल भारती एवं समिति के शशि मोहन रावत की उपस्थिति में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया. सामाजिक कार्यक्रम के दौरान सुखदेव रावत ने because उपस्थितजनों का स्वागत संबोधन किया तो b...
सौ साल के इस टूटते हुए ‘दुर्गाभवन’ की स्मृतियां

सौ साल के इस टूटते हुए ‘दुर्गाभवन’ की स्मृतियां

संस्मरण
हर परिवर्तन के साक्षी बने हुए हैं हिमाच्छादित हिमालय शिव स्वरूप नीलम पांडेय ‘नील’ काफी समय बाद बस से यात्रा की. because यात्रा देहरादून से रानीखेत की थी. मैदान से पहाड़ों की बसों में बजाए जाने  वाले गीत कुछ इस प्रकार होते हैं, एक उदाहरण के तौर पर जैसे देहरादून से हरिद्वार तक देशी छैल छबीले गीत, हरिद्वार से नजीबाबाद तक निरपट धार्मिक गीत, नजीबाबाद से हल्द्वानी तक 80 के दशक के रोमांटिक गीत और हल्द्वानी से रानीखेत तक सिर्फ पहाड़ी गीत. पूरी रात, मैं इन गीतों से लगभग ऊब चुकी थी because और अब पूरी रात की यात्रा के बाद बस पहुंचने वाली ही थी. पूरी रात बहुत पहले यहां रात्रि को because चौकीदार घुमा करता था. ‘जागते रहो-जागते रहो’ की आवाज सुनाई देती थी, लेकिन शायद अब ऐसा कुछ नहीं है.  मुझे लगा साढ़े पांच बजे के बाद शायद कुछ लोग सुबह की सैर पर निकलते तो होंगे, लेकिन  कोई प्राणी सड़क पर दिख...
राजनीति के अखाड़े में खेती के दांव पेंच  

राजनीति के अखाड़े में खेती के दांव पेंच  

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र किसान आंदोलन को एक  पखवाड़ा बीत चुका  है और गतिरोध ऐसा कि जमी बर्फ पिघलने का नाम ही नहीँ ले रही है. आज खेती किसानी के सवालों को ले कर राजधानी दिल्ली को चारों because ओर से घेर कर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चल कर आए हजारों किसानों का केन्द्रीय सरकार के कानूनों के खिलाफ धरना-आन्दोलन  बदस्तूर जारी है. सरकारी पक्ष के साथ पांच छह दौर की औपचारिक बातचीत में so कृषि से जुडे तीन बिलों के विभिन्न पहलुओं पर घंटों विस्तृत  चर्चा हुई पर अभी तक कोई हल नहीं निकला और दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई बात नहीं बन पाई है. बीच में आन्दोलन के समर्थन के लिए ‘भारत बंद’ का भी आयोजन हुआ जिसका देश में मिला-जुला असर रहा. अब आन्दोलन को और तेज करने और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है . केन्द्रीय सरकार किसानों के मन  में कृषि के कार्पोरेट हाथों में दिये जाने की शंका बनी ...
केतली मे धुरचुक

केतली मे धुरचुक

ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-8 मंजू काला यूँ तो पालम पुर, हिमाचल की सुरम्य उपत्यकाओं में बसा हुआ एक छोटा सा पर्वतीय स्थल है. हिमाचल की इस छोटी सी सैरगाह को “धौलाधार” के साये में पली कांगड़ा घाटी के so नाम से भी जाना जाता है. समुद्र तल से 1205 मीटर की ऊँचाई पर स्थित because पालमपुर सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है. कहा जाता है कि पालमपुर की उत्पत्ति स्थानीय बोली के “पुलम” शब्द से हुई थी. जिसका अर्थ पर्याप्त जल होता है. जानिए गा के यहाँ जल की कोई कमी नहीं है… हर तरफ पानी के चश्मे, सोते और झरने मौजूद हैं! शायद इसीलिए यहाँ की because हवाओं में शीतलता के साथ नमीं भी है. यही एक विशिष्टता है जो कि चाय की खेती के लिए पूरी तरह से मुफीद है. शीतलता पालमपुर की इसी विशिष्टता को भांपकर 1849 में because डॉ. जमसन ने यहाँ पहली बार चाय की खेती की थी... जो कि कालांतर में वैश...
टिहरी में कांग्रेस को बड़ा झटका

टिहरी में कांग्रेस को बड़ा झटका

समसामयिक
जिला पंचायत सदस्य व जिला नियोजन समिति टिहरी के सदस्य अमेन्द्र बिष्ट ने पहनी 'आप' की टोपी इन्‍द्र सिंह नेगी, देहरादून   टिहरी में कांग्रेस के ओबीसी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष, so जनपद में कांग्रेस का सक्रिय युवा, जानकार, संवेदनशील व लगभग सभी वर्गो में समान रूप से लोक प्रिय चेहरा जिला पंचायत सदस्य व जिला नियोजन समिति टिहरी के सदस्य अमेन्द्र बिष्ट ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की but उपस्थिति में कांग्रेस को अलविदा कह विधिवत् आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर टोपी पहन ली है. अमेन्द्र बिष्ट के इस दाव से कयास लगाया जा सकता है कि वे विधानसभा चुनाव- 2022 में धनोल्टी विधानसभा से प्रत्याशी होगें. विधानसभा अमेन्द्र पिछले कुछ समय से because गोपनीय ढंग से अपनी टीम की राय लेने में व्यस्त थे, भाजपा में पहले से ही नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है जहां उनके लिए कोई सम्भावना नजर नहीं आ रही ...
दुनिया में पहली बार हुई वायु प्रदूषण से किसी की मौत!

दुनिया में पहली बार हुई वायु प्रदूषण से किसी की मौत!

समसामयिक
मौत के सात साल बाद कोर्ट ने भी आख़िर माना कि वायु प्रदूषण ने ही ली थी बच्ची की जान! निशांत दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि तमाम सबूतों और गवाहों के बयानात के मद्देनज़र किसी कोर्ट ने वायु प्रदूषण को किसी इन्सान की मौत का ज़िम्मेदार घोषित किया है. प्रदूषण मामला ब्रिटेन का है जहां 9 साल की एला because दुनिया की पहली इंसान है जिसके मृत्यु प्रमाण पत्र पर वायु प्रदूषण को उसकी मौत के कारणों में दर्ज किया गया है. इससे यह सवाल मजबूती से खड़ा हो गया है कि क्या इस बच्ची की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई? यह मामला स्वास्थ्य, स्वच्छ हवा और जीवन जीने के उस अधिकार के बीच संबंधों की तरफ भी ध्यान खींचता है, जिसकी ब्रिटेन तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून दोनों में ही because गारंटी दी गई है. साथ ही यह मामला स्पष्ट करता है कि एला दुनिया के विभिन्न शहरों और ग्रामीण एलाकों में विकसित तथा विकासशील द...