Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
प्रकृति व जीवन के नए सृजन का आधार है माहवारी

प्रकृति व जीवन के नए सृजन का आधार है माहवारी

आधी आबादी
भावना मासीवाल  बचपन से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है. स्वस्थ तन जो बीमारियों से कोसो दूर है और स्वस्थ मस्तिष्क जो जीवन के प्रति आशान्वित है. because स्वस्थ होना केवल तन का ही नहीं मस्तिष्क का भी अधिकार है. स्त्री के संदर्भ में स्वस्थ होना उसकी प्रोडक्टिविटी तक सीमित है. उससे अधिक स्वास्थ्य संबंधित शिक्षा उसे शायद ही कभी बचपन से अब तक मिली हो. बचपन जो अपने साथ बहुत सारे सपने संजोता है और उनमें जीता है. आज भी यादमुझे आज भी याद है 2002 अर्थात 18 साल पहले विद्यालय परिवेश में बारहवीं की विज्ञान की पुस्तक में रिप्रोडक्शन का एक अध्याय था और हमें कहा गया इसे आप सभी खुद पढ़ ले. because कन्या विद्यालय जैसे खुले परिवेश में पाठ का नहीं पढ़ाना उस विषय से संबंधित सामाजिक मनोविज्ञान को दिखाता है. गांधीस्त्री के बचपन की दुनिया फैंटेसी की होत...
भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त क्रांति का बीजमंत्र

भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त क्रांति का बीजमंत्र

इतिहास
‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 79वीं वर्षगांठ पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारीअगस्त के महीने का भारत की आजादी के आंदोलनों से बहुत पुराना संबंध है. हमें जब आजादी नहीं मिली थी तब आज से 79 वर्ष पूर्व सन् 1942 में इसी महीने में नौ अगस्त को गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए “भारत छोड़ो आंदोलन” (क्विट इंडिया मूमेंट)  के रूप में अपनी आखिरी मुहिम चलाई थी जिसे भारत के because इतिहास में “अगस्त क्रांति” के नाम से भी जाना जाता है. वर्ष 2017 में देश नौ अगस्‍त को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मना चुका है. उस उपलक्ष्य में संसद के दोनों सदनों में एक दिन की विशेष बैठक का आयोजन किया गया था और इस दिन संसद के नियमित कामकाज को छोड़कर सांसदों द्वारा केवल देश की आज़ादी प्राप्त करने में 'भारत छोड़ो' आंदोलन की भूमिका के महत्व पर गम्भीरता से चर्चा की गई थी. महात्मा गांधी महात्मा गांधी जी के नेतृत्व म...
विभाण्डेश्वर महादेव को अतिप्रिय है श्रावण मास में पूजा-अर्चना

विभाण्डेश्वर महादेव को अतिप्रिय है श्रावण मास में पूजा-अर्चना

अध्यात्म
डॉ. मोहन चंद तिवारीकुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले में द्वाराहाट से आठ कि.मी.की दूरी पर स्थित विभांडेश्वर महादेव उत्तराखंड का प्रसिद्ध तीर्थधाम है. स्कंदपुराण के मानसखंड में भी इस शैव तीर्थ के विशेष because माहात्म्य का वर्णन मिलता है.मान्यता है कि भगवान शिव के विश्राम के दौरान यहां शिव का दायां हाथ पड़ा था. इस तीर्थ क्षेत्र की विशेष महिमा यह है कि मंदिर में विद्यमान त्रिजुगी धूनी त्रेतायुग से लगातार प्रज्ज्वलित रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार सुरभि, नंदिनी और गुप्त सरस्वती की त्रिवेणी के संगम पर स्थित इस मंदिर को उत्तराखंड की काशीधाम की मान्यता प्राप्त है.ज्योतिष ऐतिहासिक दृष्टि से विभाण्डेश्वर महादेव मंदिर शक सम्वत 376 (ईसवी सन 301) में स्थापित हुआ था. मंदिर का वर्तमान स्वरूप 11वीं सदी में कत्यूरी शासकों द्वारा निर्मित किया गया.चंद because राजाओं के शासन काल में भी मंदिर में नियमि...
हैदराबाद निजाम की सेना से कुमाऊँ रेजिमेंट तक, कुमाउँनियों की सैनिक जीवन यात्रा

हैदराबाद निजाम की सेना से कुमाऊँ रेजिमेंट तक, कुमाउँनियों की सैनिक जीवन यात्रा

इतिहास
प्रकाश चन्द्र पुनेठा विश्व के इतिहास का अध्यन करने से ज्ञात होता है कि इतिहास में उस जाति का नाम विशेषतया स्वर्ण अक्षरों से उल्लेखित किया गया है, जिस जाति ने वीरतापूर्ण कार्य किए हैं. विश्व के but इतिहास में अनेक प्रकार की युद्ध की घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता हैं. इन युद्ध की घटनाओं में वीरतापूर्ण संधर्ष करने वाले वीर व्यक्तियों की गाथा का वर्णन अधिक किया गया है. शक्तिशाली, साहसी तथा वीर व्यक्तियों ने अपने स्वयं के जीवन का बलिदान देकर अपने कुल, परिवार व जाति का नाम वीर जाति में सम्मिलित किया गया हैं. हमारे देश में भी अनेक वीर जातियों का नाम उनके वीरतापूर्ण कार्यो से, व आत्मबलिदान से हमारे देश के इतिहास में दर्ज हैं. इन बहादुर जातियों ने रणक्षेत्र हो या खेल का क्षेत्र दोनो जगह अपनी श्रेष्ठता का झंडा बुलंद किया हैं.नेपाल किसी शक्तिशाली राष्ट्र की शक्ति का आभास उस राष्ट्र की सेना के अ...
मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी…

मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी…

कविताएं
विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह (1 अगस्त से 7 अगस्त) इस बार की थीम 'स्‍तनपान की रक्षा करें- एक साझा जिम्‍मेदारी' है। इस थीम का उद्देश्‍य लोगों को स्‍तनपान के लाभ बताना और उसके प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसी उपलक्ष्य नीलम पांडेय 'नील' की कवितामां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी.....मां, तेरे दूध की पहली धार को, सिर्फ दूध नहीं कहूंगी। प्रेम की बयार कहूंगी, मेरे चेहरे पर होने वाली स्नेह बारिश की, पहली सी फुहार कहूंगी। मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी। सुरक्षा का टीका कहूंगी, आजीवन तेरे स्नेह का मेरे लिए उपहार कहूंगी, तेरे ममत्व को बेमिसाल कहूंगी। मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी। रक्षा का चक्र कहूंगी, जीवन को वरदान कहूंगी, तेरे दूध की हर बूंद को दृढ़ विश्वास कहूंगी।मां, तेरे दूध को सिर्फ दूध नहीं कहूंगी। स्तन चूसन की पीड़ा को ढक, मन्द मन्द मुस्कान त...
भारतराष्ट्र का गुणगान रवींद्रनाथ टैगोर का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’

भारतराष्ट्र का गुणगान रवींद्रनाथ टैगोर का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’

स्मृति-शेष
गुरुदेव रवींद्र की पुण्यतिथि पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारीआज 7 अगस्त को गांधी जी को 'महात्मा' का सम्मान देने वाले कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार रवींद्रनाथ टैगोर की 80वीं पुण्यतिथि है. 7 अगस्त 1941 को गुरुदेव का निधन हो गया था. वे ऐसे मानवतावादी विचारक थे, जिन्‍होंने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी अनूठी मौलिक प्रतिभा का परिचय दिया. रवींद्रनाथ टैगोर भारत ही नहीं एशिया के प्रथम व्‍यक्ति थे, जिन्‍हें नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था. उन्हें 1913 में उनकी कृति 'गीतांजली' के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. कहा जाता है कि नोबेल पुरस्कार गुरुदेव ने सीधे स्वीकार नहीं किया. उनकी ओर से ब्रिटेन के एक राजदूत ने पुरस्कार लिया था और फिर उनको दिया था. टैगोर ने कविता, साहित्य, दर्शन, नाटक, संगीत और चित्रकारी समेत कई विधाओं में अपनी मौलिक प्रतिभा का ...
सधे कदम, बुलंद हौसले, युवाओं को आपसे बहुत उम्मीदें हैं अनुराग 

सधे कदम, बुलंद हौसले, युवाओं को आपसे बहुत उम्मीदें हैं अनुराग 

देश—विदेश
अरविंद मालगुड़ीहमारा देश हर मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रहा है तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी हम भारत को दुनिया का बेहतरीन देश बना सकते हैं. ऐसे में देश के  युवाओं so की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है. ऐसे में युवा कार्य और खेल मंत्रालय की ज़िम्मेदारी हर युवा तक पहुंचने और भारत में खेल की संस्कृति को युवाओं के बीच आगे बढ़ाने की है. देश के सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बन कर जहाँ अनुराग ठाकुर ने बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है और साथ ही एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी ले ली है क्योंकि हर युवा उनकी तरफ देख रहा है.नेता जी युवा कार्य और खेल मंत्रालय के युवा मंत्री जो विनम्र और जोशीले स्वभाव के लिए जाने जाते हैं उनके कन्धों पर देश के युवाओं की उम्मीदों का भार है. और उनकी कार्यशैली और उनका जोश इस उम्मीद को और बढ़ा देता है. अनुराग इस कार्य में पहले ही दिन से लगे हुए हैं.  ओलम्पिक में भारत की टीम को जिस तरह उन्...
द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारीआज तक संजीवनी क्यों नहीं मिली क्योंकि संजीवनी बूटी का जो वास्तविक पर्वत द्वाराहाट स्थित दुनागिरि है, वहां इस दुर्लभ बूटी को खोजने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ. दूसरी खास so बात यह है कि उत्तराखंड सरकार हो या पतंजलि योगपीठ इन्होंने कभी रामायण, महाभारत, पुराण आदि ग्रन्थों में संजीवनी बूटी के पौराणिक भूगोल और रामायण की घटनाओं का गम्भीरता से अध्ययन ही नहीं किया. इतिहास बताता है कि संजीवनी बूटी तो महाभारत काल में ही लुप्त हो चुकी थी. फिर भी संजीवनी बूटी की खोज में रुचि रखने वाले टीवी चैनलों और विद्वानों के लिए आज भी प्रासंगिक है मेरा चार वर्ष पहले लिखा गया यह लेख. नेता जी 29 सितंबर, 2008 को टीवी चैनल- आईबीएन-7 के माध्यम से जब योगगुरु बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के स्वामी बालकृष्ण द्वारा गढ़वाल जिले के 'द्रोणागिरी' पर्वत पर जाकर रामायणकालीन संजीवनी बूटी के मि...
हिमालयी सरोकारों की तरफ बढ़ते क़दमों के निशान बिखेरती पत्रिका!

हिमालयी सरोकारों की तरफ बढ़ते क़दमों के निशान बिखेरती पत्रिका!

देहरादून
      मनोज इष्टवाल अभी कल ही की तो बात है जब कैनाल रोड स्थित एक कैफ़े में हिमांतर पत्रिका के तीसरे एडिशन का लोकार्पण हुआ. हिमांतर की टीम चूंकि इसे पर्यटन या फिर यूँ कहें यात्रा because विशेषांक के रूप में 86 पृष्ठों का एक दस्तावेज जब सामने लाया तो मन मचलता हुआ उसके मुख पृष्ठ पर गया, जहाँ खड़ी पहाड़ी चट्टान पर एक शख्स आसमान की ओर बाहें फैलाए खड़ा मानों बादलों में छुपी दूसरी चोटी कोप ललकार रहा हो कि देख इस फतह के बाद अगली फतह तुझ पर निश्चित है. सच कहूँ तो यात्राएं होती ही ऐसी हैं एक के बाद एक.... शिवालिक श्रेणियों से मध्य हिमालय और मध्य हिमालय से लेकर उतुंग हिमालय तक.ज्योतिष लगभग 30 लोगों के एक समूह का ऐसा विकल्प जो प्रश्न खड़ा करे कि क्या “हिमांतर” के साहस के आगे भी कुछ दुस्साहसी खड़े हैं? होंठ मुस्कराकर गोल हुए और सीटी बजाने लगे because क्योंकि तब तक “उत्तरा” और “पहाड़” ने आकर अपनी जुबान ख...
प्रेमचन्द का भारत-बोध

प्रेमचन्द का भारत-बोध

स्मृति-शेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं के सिद्धहस्त कथाकार मुंशी प्रेमचंद का तीन दशकों का लेखन भारत की सामुदायिक समरसता का एक अद्भुत दस्तावेज प्रस्तुत करता है. बीसवीं सदी के आरंभिक काल की उनकी रचनाएं आम आदमी की ख़ास उपस्थिति को रेखांकित करती हैं. मोहक आख्यान के कथा-सूत्रों से अपने पाठक को बाँध कर चलने वाली उनकी कहानियां आदर्श और यथार्थ के बीच आवाजाही करते हुए एक संतुलित मानवीय दृष्टि विकसित करने की कोशिश करती हैं. उनके कथा-शिल्प की कलात्मक झंकृति एक अनोखे सौन्दर्य-बोध का संकेत देती हैं . वे साधारण सी साधारण वस्तु या घटना के व्याज से सहज और सीधा होते हुए भी हृदयस्पर्शी  चित्र उअस्थित करते है. उसकी ग्र्याह्यता का दायरा समाज के बड़े व्यापक वर्ग को सहज ही अपना मुरीद बना लेता है . होरी, घीसू-माधो या हामिद जैसे उनके रचे पात्र पाठकों के  मनो जगत में अविस्मरणीय प्रतीक बन बन कर जीते रह...