Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
शंहशाह: लक्ष्मी पूजन कर गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करते थे!

शंहशाह: लक्ष्मी पूजन कर गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करते थे!

ट्रैवलॉग
मुगलों का जश्ने-ए-चराग मंजू दिल से… भाग-22 मंजू काला “जश्ने- ए-चराग” के संदर्भ में कुछ कहने से से पहले मैं दीपावली की व्याख्या कुछ अपने अनुसार करना चाहूंगी चाहुंगी. दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है. इसके उत्सव में घरों के द्वारों व मंदिरों पर लक्ष प्रकाश की श्रंखलाओं को because प्रज्वलित किया जाता है. गृहस्थ चाहे वह सुदूर हिमालय का हो या फिर समुद्र तट पर मछलियाँ पकड़ने वाला हो, सौदा सुलफ का इंतमजात करते हैं तो गृहवधुएं घरों की विथिकाओं और दालानों को अपने धर्म व परंम्परा के अनुसार सुंदर आलेपनों व आम्रवल्लिकाओं से सुसज्जित किया करती हैं. पहाडी़ घरों के ओबरे जहाँ उड़द की दाल के भूडो़ं से महक उठते हैं तो वहीं राजस्थानी रसोड़े में मूंगडे़ का हलवा, सांगरे की सब्जी व प्याज की कचौड़ी परोसने की तैया...
उत्तराखंड गौरव पुरस्कार की शुरुआत 9 नवंबर से, उत्तराखंड महोत्सव के रूप में आयोजित होगा राज्य स्थापना दिवस

उत्तराखंड गौरव पुरस्कार की शुरुआत 9 नवंबर से, उत्तराखंड महोत्सव के रूप में आयोजित होगा राज्य स्थापना दिवस

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में बताया कि राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा. एक सप्ताह तक आयोजित होने वाले इस महोत्सव के दौरान राजधानी से because लेकर न्याय पंचायत स्तर तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखंड गौरव पुरस्कार प्रदान किये जाने की भी बात कही, जिसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित लोगों को पुरस्कृत किये जाने की व्यवस्था की जाए. ज्योतिष उन्होंने अधिकारियों को कार्यक्रमों की संख्या नहीं, गुणवत्ता एवं गरिमा पर ध्यान देने की बात कही. मुख्यमंत्री ने वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों से जनपदों में because आयोजित हाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त करते हुए निर्देश दिये कि सभी अधिकारी प्रधान...
राज्यपाल ने किया ललित शौर्य की पुस्तक का विमोचन

राज्यपाल ने किया ललित शौर्य की पुस्तक का विमोचन

पिथौरागढ़
हिमांतर ब्यूरो, पिथौरागढ़ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने युवा साहित्यकार ललित शौर्य की पुस्तक द मैजिकल ग्लब्ज का विमोचन किया. कार्यक्रम लोक निर्माण विभाग के अतिथि आवास गृह में आयोजित किया गया. because शौर्य की पुस्तक का विमोचन करते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि ललित शौर्य बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. युवाओं को अपनी ऊर्जा सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों में लगानी चाहिए. अच्छा बाल साहित्य आज की आवश्यकता है. बाल साहित्य से बच्चों के भीतर मानवीय गुणों का समावेश होता चला जाता है. बच्चा कहानियां पढ़ते-पढ़ते संस्कारों का पाठ भी सीख जाता है. ललित शौर्य नई पीढ़ी को अच्छी सौगात दे रहे हैं. विज्ञान लेखन चुनौतीपूर्ण है. लेकिन वह इस कार्य को बखूबी कर रहे हैं. ज्योतिष पुस्तक के लेखक ललित शौर्य ने बताया कि यह पुस्तक उनकी हिंदी में लिखी जादुई दस्ताने का अंग्रेजी रूपांतरण है. जिसका अनुवाद ...
विजय प्रताप सिंह ने सफलता पूर्वक संपन्न किया हिमालय से हिन्द महासागर साइकिल अभियान

विजय प्रताप सिंह ने सफलता पूर्वक संपन्न किया हिमालय से हिन्द महासागर साइकिल अभियान

देहरादून
जे पी मैठाणी, देहरादून उत्तराखंड की राजधानी से 8 अक्टूबर 2021 को आरम्भ हुआ साहसिक साइकिल अभियान 26 अक्टूबर 2021 को भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी में समाप्त हुआ। कुल 19 दिन के इस अभियान में विजय प्रताप सिंह ने 3027 किलोमीटर की दुरी तय की जिसमे 201 घंटे की साइकिलिंग शामिल है। एडवेंथ्रिल के संस्थापक विजय प्रताप सिंह जो की उत्तराखंड में विगत 5 वर्षो से साहसिक खेलो तथा पर्यटन को काफी बढ़ावा दे रहे हैं ने बताया की इस अभियान का उद्देश्य पुरे देश के युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपनी सेवाओं से अवगत करना था जिसमे फिटनेस तथा साहसिक खेलो का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। विजय प्रताप सिंह ने कहा की इस सोलो साइकिल अभियान में उन्होंने बहुत ही कठिनायों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया और अंत में शाबित किया क्यों साहसिक खेल हमारी ज़िंदगी में महत्वपूर्ण हैं। विजय प्रताप सिंह जिन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ...
सदियों पुरानी परम्परा है दीपावली उत्सव मनाने की 

सदियों पुरानी परम्परा है दीपावली उत्सव मनाने की 

लोक पर्व-त्योहार
दीपावली पर विशेष डॉ. विभा खरे जी-9, सूर्यपुरम्, नन्दनपुरा, झाँसी-284003 दीपावली का उत्सव कब से मनाया जाता है? इस प्रश्न का कोई निश्चित उत्तर पौराणिक और ऐतिहासिक ग्रंथों में नहीं मिलता हैं, लेकिन अनादि काल से भारत में कार्तिक because मास की अमावस्या के दिन दीपावली के उत्सव को मनाने की परम्परा हैं. कई पुरा-कथाएँ, जो नीचे उल्लिखित हैं, इस उत्सव को मनाने की पुरातन परम्परा पर प्रकाश डालती हैं, जिनसे विदित होता हैं कि सत्य-युग से इस उत्सव को मनाने का प्रचलन रहा हैं. भगवान विष्णु द्वारा बलि पर विजय दैत्यों को पराजित करने के उद्देश्य से वामन रूपधारी भगवान विष्णु ने जब दैत्यराज बलि से सम्पूर्ण धरती लेकर उसे पाताल लोक जाने को विवश किया तथा उसे वर माँगने के लिये कहा, तब दैत्यराज बलि ने भगवान विष्णु से वर माँगा कि प्रतिवर्ष धरती पर उसका राज्य तीन दिनों तक रहे तथा देवी लक्ष्मी उसके साथ हो, जि...
प्रकाश पर्व है जीवन का आमंत्रण

प्रकाश पर्व है जीवन का आमंत्रण

लोक पर्व-त्योहार
दीपावली पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  लगभग दो सालों से चली आती कोविड की महामारी ने सबको यह बखूबी जना दिया है कि जगत नश्वर है और जीवन और दुनिया सत्य से ज्यादा आभासी है. ऎसी दुनिया में आभासी because (यानी वर्चुअल!) का राज हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. सो अब आभासी दुनिया हम सब के बीच बेहद मजबूती से इस तरह पैठ-बैठ चुकी है कि वही सार लगती है शेष सब नि:सार है. उसमें सृजन और संचार की अतुलित संभावना सबको समेटती जा रही है. अब उसकी रीति-नीति के अभ्यास के बिना किसी का काम चलने वाला नहीं है. उसकी साक्षरता और निपुणता जीवन-यापन की शर्त बनती जा रही है. ऐसे में अब उत्सव और पर्व भी लोक-जीवन में यथार्थ से अधिक आभासी स्तर पर ही ज्यादा जिए जाने लगे हैं. ज्योतिष पढ़ें- मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षण आवश्यक है शरद ऋतु भारत में उत्सवों की ऋतु है because और प्रकृति में उमड़ते तरल स्नेह के साथ कार्तिक का म...
लाटी का उद्धार

लाटी का उद्धार

किस्से-कहानियां
नीमा पाठक केशव दत्त जी आज लोगों के व्यवहार से बहुत दुखी और खिन्न थे मन ही मन सोच रहे थे ऐसा क्या अपराध किया मैंने जो लोग इस तरह मेरा मजाक उड़ा रहे हैं. जो लोग रोज झुक झुक कर because प्रणाम करते थे वे ही लोग आज मुंह पर हँस रहे थे. हर जगह धारे में, नोले में, चाय की दुकान में, खेतों में, बाजार में उन्हीं की चर्चा थी. और तो और उनके खुद के स्कूल में चार लोगों को इकठ्ठा देख कर उनको लग रहा था यहाँ भी सब उन्हीं की चर्चा कर रहे हैं. लोगों का अपने प्रति ऐसा व्यवहार उनको गहरा आघात पहुंचा गया. उन्होंने दुखी होकर घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, स्कूल नहीं जाने के भी बहाने ढूंढने लगे. ज्योतिष उनकी पत्नी उनके इस तरह के व्यवहार को जानने की कोशिश कर रही थी, तो पांडेय जी बोले, “लछुली तूने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, मेरा लोगों में मुंह दिखाना मुश्किल हो गया है अब तो मेरा मन नौकरी पर जाने का भी नहीं है.”  उसी स...
कुमाऊं की ओखलियों में संरक्षित है वैदिक सभ्यता का इतिहास

कुमाऊं की ओखलियों में संरक्षित है वैदिक सभ्यता का इतिहास

इतिहास
डॉ. मोहन चंद तिवारी मेरे लिए दिनांक 28 अक्टूबर,2020 का दिन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि इस दिन रानीखेत-मासी मोटर मार्ग में लगभग 40 कि.मी.की दूरी पर स्थित सुरेग्वेल के निकट 'मुनिया चौरा' में पुरातात्त्विक महत्त्व की महापाषाण कालीन तीन ओखलियों के पुनरान्वेषण में मुझे सफलता मिल पाई. सुरेग्वेल से एक किमी दूर 'मुनिया चौरा' गांव के पास एकदम खड़ी चढ़ाई वाले अत्यंत दुर्गम और बीहड़ झाड़ियों के बीच पहाड़ की चोटी पर because हजारों वर्षों से गुमनामी के हालात में स्थित इन ओखलियों तक पहुंचना बहुत ही कठिन कार्य था.अलग अलग पत्थरों पर खुदी हुई ये महापाषाण काल की तीन ओखलियां चारों ओर झाड़ झंकर से ढकी होने के कारण भी जन सामान्य के लिए अज्ञात ही बनी हुई थीं. ज्योतिष पर दिनांक 28 अक्टूबर,2020 को मैं मुनिया because चौरा के निवासी श्री बचीराम छिमवाल और अपने जोयूं ग्राम के बंधुओं श्री लीलाधर तिवारी,श्री दिनेश तिव...
ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

पर्यटन
जेपी मैठाणी सरकार की उदासीनता के बावजूद शोध अध्ययन कर किया जा रहा है प्रचारित-प्रसारित देहरादून से लगभग 265 किमी0 की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 4000 फीट (1300 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है एक पर्यटक स्थल पीपलकोटी. पीपलकोटी अपनी खूबसूरत घाटी, पीपल के पेड़ों,  सीढ़ीनुमा खेतों के साथ-साथ अच्छी व्यवस्था वाले होटलों, ढाबों, पर्यटक आवास गृह के लिए जाना जाता है. because पीपलकोटी में ही प्रदेश के पहले बायोटूरिज़्म पार्क (जिसकी स्थापना 1999-2001 में हुई थी) भी स्थित है. पुरातन समय से ही पीपलकोटी बद्रीनाथ यात्रा मार्ग की एक प्रमुख चट्टी/ पड़ाव रहा है. ज्योतिष पीपलकोटी से अनेक ट्रैकिंग रूट्स जो कि कम जाने जाते हैं या नहीं जाने जाते हैं उनका प्रचार-प्रसार एवं मार्केटिंग का कार्य आगाज़ संस्था कर रही है. इन्हीं में से एक because महत्वपूर्ण ट्रैकिंग पीपलकोटी से हस्तशिल्प ग्राम किरूली होते हुए...
हंगरी से उत्तराखंड की विहंगम यात्रा

हंगरी से उत्तराखंड की विहंगम यात्रा

ट्रैवलॉग
पीटर शागि सहायक व्याख्याता, ऐल्ते विश्वविद्यालय, बुदापैश्त, हंगरी एवं ठेठ घुमक्कड़ पहाड़ है ही अलग. मेरे हंगरी से फिर तो निश्चित ही. दुना-डेन्यूब के किनारे बसे मेरे बुदापेश्त से हम लोग कुछ ऐसी ललचाई आँखों से उनकी ओर देखते हैं, जैसे दिल्ली शहर. इतने साल पहले भारत में because जब पहला लंबा समय बिताया था, मैदान के कई शहरों के अजूबों को देखने के बाद हिमालय की ओर देखा. हिमाचल और उत्तराखंड मेरे नसीबों में रहा, सचमुच यह सोचने पर देवभूमि पधारने और ऊपर वाले की बरकत मिलने की अनुभूति होती है. जब भी याद करूँ. ज्योतिष यूँ तो हंगरी के इर्द-गिर्द कारपैथ के पहाड़ हैं, ट्रांसिलवानिया (आज रोमानिया) का माहौल बहुत कुछ कुमाऊँ जैसा है और स्लोवाकिया की तात्रा शृंखला भी आपको गढ़वाल का आभास करवाएगी. because आज भी कहीं-कहीं गडरिये अपने भेड़ों के झुंड बुग्याल ले जाते हुए दिखते हैं. ऊँची-ऊँची, काली-काली, काई, खाई, ची...