गोपाल आ गया है… प्रकाश चन्द्र पुनेठा मैं अपने एक मंजिले भवन को परिवार के सदस्यों की भविष्य में संख्या बढ़ने के बारे में सोचता हुआ दुमंजिला बनवा रहा था. इस कार्य के लिए मजदूरों की आवश्यकता थी. पिथौरागढ़ में स्थानीय मजदूर न के बराबर मिलते है. अतः यहां मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व […]
‘जी रया जागि रया, यो दिन यो मास भेंटने रया, दुब जस पनपी जाया’ अरुण कुकसाल हिमालयी क्षेत्र एवं समाज के जानकार लेखक चन्द्रशेखर तिवारी की नवीन पुस्तक ‘लोक में पर्व और परम्परा’ कुमाऊं अंचल के सन्दर्भ में एक सामाजिक, सांस्कृतिक so और पर्यावरणीय विवेचन प्रस्तुत करती है. कुमाऊंनी जनजीवन के जीवन-मूल्यों एवं जीवंतता को […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—61 प्रकाश उप्रेती गाँव में किसी को कानों-कान खबर नहीं थी. शाम को नोह पानी लेने के लिए जमा हुए बच्चों के बीच में जरूर गहमागहमी थी- ‘हरि कुक भो टेलीविजन आमो बल’ because (हरीश लोगों के घर में कल टेलीविजन आ रहा है). भुवन ‘का’ (चाचा) की इस […]
प्रकाश उप्रेती मूलत: उत्तराखंड के कुमाऊँ से हैं. पहाड़ों में इनका बचपन गुजरा है, उसके बाद पढ़ाई पूरी करने व करियर बनाने की दौड़ में शामिल होने दिल्ली जैसे महानगर की ओर रुख़ करते हैं. पहाड़ से निकलते जरूर हैं लेकिन पहाड़ इनमें हमेशा बसा रहता है। शहरों की भाग-दौड़ और कोलाहल के बीच इनमें ठेठ […]
मंजु पांगती “मन” यात्राएं कई प्रकार की होती हैं. because जीवन यात्रा, धार्मिक यात्रा, पर्यटन यात्रा, प्रेम यात्रा. जीवन में जब ये यात्राएं घटित होती हैं तो परिवेश में दृष्टिगोचर होती ही हैं. इन सब के साथ एक यात्रा और और होती है हर समय होती है जो दिखाई नहीं देती महसूस की जाती […]
लधु कथा डॉ. कुसुम जोशी रात को खाना खात हुऐ जब बेटी because अपरा के लिये आये रिश्ते का जिक्र भास्कर ने किया तो… अपरा बिफर उठी, तल्ख लहजे में बोली “आप को मेरी शादी के लिये लड़का ढूढ़ने की जरुरत नही.” फोन क्यों…? मम्मी पापा so दोनों साथ ही बोल पड़े… “मैंने अपने लिये […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—54 प्रकाश उप्रेती सर्दियों के दिन थे.because हम सभी गोठ में चूल्हे के पास बैठे हुए थे. ईजा रोटी बना रही थीं. हम आग ‘ताप’ रहे थे. हाथ से ज्यादा ठंड मुझे पाँव में लगती थी. मैं थोड़ी-थोड़ी देर में चूल्हे में जल रही आग की तरफ दोनों पैरों […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—53 प्रकाश उप्रेती पहाड़ में पानी और ‘नौह’ की because बात मैंने पहले भी की है लेकिन आज उस नोह की बात जिसे मैंने डब-ड़बा कर छलकते हुए देखा है. उसके बाद गिलास से पानी भरते हुए और कई सालों से बूँद-बूँद के लिए तरसते हुए भी देखा है. […]
उत्तराखंड के चम्पावत जिले से 25 becauseकिलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ट्रैक गौरव कुमार बोहरा हाँ, यह सच है, जिंदगी का हर लम्हाbecause बहुत छोटा-सा है. कितने दिन, महीने और साल निकल गये, पता ही नही चला. जो बात समझ में आई वह यह कि कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने […]
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—49 प्रकाश उप्रेती आस्था, विश्वास का केंद्र बिंदु है. पहाड़ के लोगों की आस्था कई तरह के विश्वासों पर टिकी रहती है. ये विश्वास जीवन में नमक की तरह घुले होते हैं. ऐसा ही “जागर” को लेकर भी है. because “जागर” आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर भी है. ‘हुडुक’ […]
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