पत्तों पर कारीगरी का हुनर… जया वर्मा के जज्बे को नमन!

Jaya verma leaf artist

शशि मोहन रवांल्टा

शशि मोहन रवांल्टा

बात दिल्ली के डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली की है और मौका हिल-मेल फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘रैबार’ कार्यक्रम का. वहां पर लगे स्टॉल्स पर जब भ्रमण किया तो वहां पर एक साधारण सी दिखने वाली महिला से पीरुल वुमेन के नाम ख्याति प्राप्त मंजू आर. शाह ने परिचय करवाया. उन्होंने कहा, ये जया वर्मा हैं और पत्तों पर चित्रकारी करती हैं, उनके द्वारा विभिन्न प्रकार के बेहद आकर्षक और शानदार चित्र वहां मौजूद थे. दूर से देखने पर लगा कि ये कागज पर उकेरे हुए हैं लेकिन जैसे ही बाबा नीम करौली महाराज की एक फोटो को हाथ में लिया और गौर से देखा तो वह पीपल के पत्ते पर बनी आकृति दिखी. उनकी यह चित्रकारी अद्भुत है. उनसे बातचीत करके उनके बारे में जाना.

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के डीडीहाट (जया मूल रूप से बागेश्वर जिले के कंडा गांव की हैं और डीडीहाट में उनका ससुराल है) की रहने वाली जया वर्मा एक लीफ आर्टिस्ट हैं. वे अपने हुनर से पीपल के पत्तों पर चित्रकारी करके शानदार तस्वीर उकेर देती हैं. अपनी बेजोड़ और अनूठी कला के माध्यम से वह न केवल उत्तराखंड में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक विशेष पहचान बना चुकी हैं. जया वर्मा प्रकृति के प्रति बेहद संवेदनशील हैं, उनकी, रचनात्मकता और कला के प्रति समपर्णता उनकी यह संवेदनशीलता दर्शाती है.

Raibaar

जया वर्मा की बचपन से ही चित्रकला के प्रति गहरी रुचि रही है, वे बताती हैं कि- वह बचपन से ही ड्राइंग करती आ रही हैं, उनकी यह रुचि समय और लगातार अभ्यास के साथ बेहतर होती गई. शुरुआत में उन्होंने फैब्रिक पेंटिंग में अपनी प्रतिभा दिखाई, लेकिन बाद में कैनवास पेंटिंग, वुड पेंटिंग, और ग्लास पेंटिंग में भी महारत हासिल की. वह बताती हैं कि वह पिछले चार-पांच सालों से लीफ आर्ट पर ही विशेष कार्य कर रही हैं, जिसने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है.

क्या है लीफ आर्ट

लीफ आर्ट एक अनूठी कला है जिसमें पत्तों को कैनवास के रूप में उपयोग करके चित्रकारी या डिज़ाइन बनाए जाते हैं. इसमें सूखे या हरे पत्तों पर पेंटिंग की जाती है, या पत्तों की प्राकृतिक बनावट और जाली (veins) का उपयोग करके जटिल और सुंदर कृतियां बनाई जाती हैं.

जया ने अपनी कला की प्रक्रिया के बारे में बताती हैं कि वे लीफ आर्ट बनाने के लिए मुख्यत: दो तकनीकों का उपयोग करती हैं-

1. पत्तों की जाली पर पेंटिंग: इस प्रक्रिया में, पत्तों को पानी में भिगोकर उनकी जाली निकाली जाती है. इसके बाद, सूखे हुए पत्तों की जाली पर सावधानीपूर्वक पेंटिंग की जाती है. यह प्रक्रिया नाजुक होती है, क्योंकि पत्ते बेहद नाजुक हो जाते हैं.
2. हरे पत्तों पर पेंटिंग: दूसरी तकनीक में, हरे पत्तों पर सीधे पेंटिंग की जाती है, और फिर उन्हें सुखाया जाता है. इस प्रक्रिया में 2-3 दिन का समय लगता है, क्योंकि पत्तों को सावधानीपूर्वक सुखाना पड़ता है ताकि उनकी बनावट और रंग बरकरार रहे.
ये दोनों तकनीकें जया की धैर्य और कौशल को दर्शाती हैं. पत्तों की प्राकृतिक बनावट और रंगों का उपयोग करके वे अपनी कृतियों में जीवंतता लाती हैं.

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कला के प्रति रुझान

जया वर्मा का जन्म उत्तराखंड में हुआ, और उन्होंने बचपन से ही चित्रकला के प्रति गहरी रुचि दिखाई. उनके अनुसार, वे बचपन से ही ड्राइंग करती थीं, और यह रुचि समय के साथ और मजबूत होती गई. शुरुआत में, जया ने फैब्रिक पेंटिंग में अपनी प्रतिभा दिखाई, लेकिन बाद में उन्होंने कैनवास पेंटिंग, वुड पेंटिंग, और ग्लास पेंटिंग में भी महारत हासिल की. हालांकि, पिछले दो-तीन वर्षों से उन्होंने लीफ आर्ट पर ध्यान केंद्रित किया, जो उनके लिए एक नया और रोमांचक अनुभव रहा.

उत्तराखंड में लीफ आर्ट एक नई कला के रूप में उभरी है, और जया ने इसे अपनाकर इस क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई. उनकी कला को देखकर लोग आश्चर्यचकित होते हैं, क्योंकि पत्तों जैसे साधारण माध्यम से इतनी जटिल और सुंदर कृतियां बनाना आसान नहीं है.

उपलब्धि

जया वर्मा को उत्तराखंड की पहली लीफ आर्टिस्ट होने का गौरव हासिल है. वे स्थानीय और राष्ट्रीय फलक पर एक लीफ आर्टिस्ट होने के नाते काफी ख्याति प्राप्त हैं. उनकी इस कला को राष्ट्रीय और अतंराष्ट्रीय मंचों पर भी काफी सराहा गया है. उनकी इन कलाकृतियों को प्रदर्शनियों में भी प्रदर्शित किया गया है, और उनकी अनूठी शैली ने कई लोगों को प्रेरित किया है. रतन टाटा और सोनू सूद जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा उनकी प्रशंसा ने उनकी कला को और अधिक लोकप्रिय बनाया है. उन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत सफलता हासिल की, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को भी बढ़ावा दिया. उनकी कृतियां स्थानीय कला को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में एक सार्थक कदम है.

शिक्षा

जया ने एम.ए., बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है और एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने अब तक 1,442 बच्चों को लीफ आर्ट और गेहूं की डंठल से कला बनाने का प्रशिक्षण दिया है, जिससे कई बच्चों को आत्मनिर्भरता की दिशा में मार्गदर्शन मिला है.

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भविष्य की योजनाएं

जया वर्मा बताती हैं कि वह कला को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं ताकि नई पीढ़ी लीफ आर्ट की तरफ आकर्षित हो और इस कला को अपनाएं. वह चाहती हैं कि इसे एक लोकप्रिय कला के रूप में पहचान मिले, इसके लिए वे कार्यशालाएं और प्रदर्शनियां आयोजित करने की योजना बना रही हैं, जिससे युवा कलाकारों को इसके बारे में सिखाया जा सके. वह कहती हैं- “मैं अपनी कला को और अधिक आकर्षक, लोकप्रिय एवं सरल बनाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही हूं, विभिन्न प्रकार के पत्तों और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके अपनी कृतियों को और अधिक विविध और आकर्षक बनाना चाहती हूं.”

जया वर्मा एक ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनात्मकता और मेहनत के बल पर लीफ आर्ट को उत्तराखंड में एक नई पहचान दी है. उनकी कला पर्यावरण, सौंदर्य, और रचनात्मकता का एक अनूठा संगम है.

वह कहती हैं कि – साधारण चीजों से भी असाधारण रचनाएं बनाई जा सकती हैं, बशर्ते हमारे पास धैर्य, जुनून और समर्पण हो. जया वर्मा सभी उभरते कलाकारों के लिए एक प्रेरणा हैं. हमें उनकी इस सफलता गर्व है.

पीपल के पत्ते पर मेरी यह तस्वीर Jaya Verma जया वर्मा जी द्वारा बनाई गई इसके लिए जया वर्मा एवं Manju R. Sah पीरुल वुमेन मंजू आर. शाह जी का हार्दिक आभार.

आप भी यदि पीपल के पत्तों पर अपनी तस्वीर बनवाना चाहते हैं तो आप जया वर्मा जी से संपर्क कर सकते हैं.

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