Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
काकड़ीघाट: स्वामी विवेकानंद, ग्वेल ज्यू और चंदन सिंह जंतवाल

काकड़ीघाट: स्वामी विवेकानंद, ग्वेल ज्यू और चंदन सिंह जंतवाल

ट्रैवलॉग
ललित फुलारायह काकड़ीघाट का वही because पीपल वृक्ष है, जहां स्वामी विवेकानंद जी को 1890 में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. असल वृक्ष 2014 में ही सूख गया था और उसकी जगह इसी स्थान पर दूसरा वृक्ष लगाया गया है, जिसे देखने के लिए मैं अपने एक साथी के साथ यहां पहुंचा था. काकड़ीघाट पहुंचते ही हमें चंदन सिंह जंतवाल मिले, जिन्होंने अपनी उम्र 74 साल बताई. वह ज्ञानवृक्ष से ठीक पहले पड़ने वाली चाय की दुकान के so सामने खोली में बैठे हुए थे, जब हमने उनसे पूछा था कि विवेकानंद जी को जिस पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, वह कहां है? सामने ही चबूतरा था, जहां लोग ताश और कैरम खेल रहे थे. विशालकाय पाकड़ वृक्ष को देखते ही मेरा साथी झुंझलाया 'यह तो पाकड़ है... पीपल कहां है?' काकड़ीघाट जंतवाल जी मुस्कराये because और आगे-आगे चलते हुए हमें इस वृक्ष तक ले गए. तब तक मैंने ज्ञानवृक्ष का बोर्ड नहीं पढ़ा था और उनसे ...
सुभाष जिनके जीवन से जुड़ी हैं ना जाने कितनी रहस्य की परतें

सुभाष जिनके जीवन से जुड़ी हैं ना जाने कितनी रहस्य की परतें

पुस्तक-समीक्षा
रत्ना श्रीवास्तवआजादी की लड़ाई के becauseदौरान देश के शीर्ष नेताओं में थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस. 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में उनके निधन की खबर आई. लेकिन इसके बाद लगातार ये खबरें भी आती रहीं कि वो जिंदा हैं. ये दावे 80 के दशक तक होते रहे. ऐसा लगता है कि नेताजी का जीवन ना जाने कितनी ही रहस्य की परतों में लिपटा हुआ है. आजादी अलग-अलग देशों की आला soखुफिया एजेंसियों ने अपने तरीकों से इस तारीख से जुड़ी सच्चाई को खंगालने की कोशिश की. कुछ स्वतंत्र जांच भी हुई. कई देशों में हजारों पेजों की गोपनीय फाइलें बनीं. तमाम किताबें लिखीं गईं. रहस्य ऐसा जो सुलझा भी लगता है और अनसुलझा भी. butदरअसल जापान से ये खबर आई कि 18 अगस्त 1945 को दोपहर ढाई बजे ताइवान में एक दुखद हवाई हादसे में नेताजी नहीं रहे. हालांकि हादसे के समय, दिन, हकीकत और दस्तावेजों को लेकर तमाम तर्क-वितर्क, दावे और अविश्वास जारी हैं. ...
…यूरोपियन महिलाएं एशियन को वोट देना नहीं चाहती!

…यूरोपियन महिलाएं एशियन को वोट देना नहीं चाहती!

संस्मरण
स्व. कला बिष्ट की एथेंस (यूनान) यात्रा का रोचक वृत्तांत, भाग—2स्व. कला बिष्ट 07 अक्टूबर, 1992 महिलाओं की समस्या परbecause वर्कशॉप चल रही है, जिसमें ग्रुप डिस्कसन हो रहा है. मुख्य विषय निम्न हैं:-गर्ल चाइल्ड व because महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक अधिकार. महिलाओं को because पुरूषों के समान शिक्षा. बढ़ती because जनसंख्या पर रोक.उत्तराखंड इस दिन 1.30 बजे म्यूनिसिपल हॉल में पहुंचते हैं, जहां मेयर की ओर से दोपहर के भोजन में हमें आमंत्रित किया गया है. यह हॉल भी कलात्मक ढंग से सजाया गया है. because अब तक जितने मेयर हो चुके हैं, उनकी मूर्तियां काले-सफेद रंग की मिट्टी से बनी हैं. इतनी साकार लगती हैं कि जैसे अभी बोल पड़ेंगी. यहां भी छत की सीलिंग को कलात्मक ढंग से सजाया गया है. बताते हैं कि मेयर के कार्यालय में 41 सदस्य हैं, जिनमें से 19 महिलाऐं हैं. सदस्यों का चुनाव 4 व...
सर्दियों के इस मौसम में पर्यटकों के स्वागत को तैयार है औली

सर्दियों के इस मौसम में पर्यटकों के स्वागत को तैयार है औली

समसामयिक
हिमांतर ब्यूरो, देहरादूनउत्तराखंड में because बहुत से पर्यटन स्थल हैं जो अपनी प्राकृतिक सुदंरता से सैलानियों को चकित कर देते हैं. उत्तराखंड पर्यटन का ऐसा ही एक नगीना है औली. परिलोक सा खूबसूरत औली शांत प्रकृति की गोद में स्थित है. यहां से हिमालय के शिखरों का भव्य नजारा भी दिखाई देता है और स्कीइंग के लिए अनुकूल ढलानें भी रोमांचित करती हैं. औली में पर्यटकों को जो मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव प्राप्त होता है वही इस because बात का साक्ष्य है कि औली भारत के सर्वश्रेष्ठ चुनिंदा विंटर डेस्टिनेशंस में से एक है. उत्तराखंड देश में सर्दियों के मौसम की because आमद हो चुकी है, ऐसे में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के चमोली जिले में स्थित औली स्की रिजॉर्ट और हिल स्टेशन सर्दियों के पर्यटन हेतु पर्यटकों का स्वागत करने को बिल्कुल तैयार है. औली‘‘उत्तराखण्ड because राज्य में औली विशेष रूप से सर्दियों में...
उत्तराखंड की वादियों से गुमानी पंत ने उठाई थी,आज़ादी की पहली आवाज

उत्तराखंड की वादियों से गुमानी पंत ने उठाई थी,आज़ादी की पहली आवाज

समसामयिक
संविधान दिवस (26 नवम्बर) पर विशेषडॉ.  मोहन चंद तिवारीमैं पिछले अनेक वर्षों से अपने लेखों द्वारा लोकमान्य गुमानी पन्त के साहित्यिक योगदान की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रूप से चर्चा करता आया हूं. उसका एक कारण यह भी है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उत्तराखंड की भाषाओं को मान्यता दिलाने के लिए सर्वाधिक साहित्यिक प्रमाण लोककवि गुमानी पंत द्वारा आज से दो सौ वर्ष पूर्व रचित कुमाउंनी साहित्य है,जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय धरातल पर देश की भाषाई एकता को स्थापित करने के लिए गढ़वाली, कुमाउंनी आदि उत्तराखंड की भाषाओं के अलावा नेपाली और संस्कृत भाषाओं में साहित्य रचना की.पर विडंबना यह है कि आज उत्तराखंड की वादियों में बोली जाने वाली खसकुरा नेपाली भाषा को तो आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है किंतु  उसी भाषापरिवार से सम्बद्ध कुमाउंनी, गढ़वाली और जौनसारी को संवैधिनिक मान्यता नहीं मिल पाई ...
मृगया की शौकीन गुजरी रानी “मृगनयनी”

मृगया की शौकीन गुजरी रानी “मृगनयनी”

ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-6मंजू कालायदि आप ग्वालियर जाऐगा because तो ग्वालियर दुर्ग के भूतल भाग में  स्थित गुजरी महल को जरूर देखिएगा! तोमर वंश के यशस्वी राजा मानसिंह तोमर गुर्जर ने अपनी प्रियतमा गूजरी रानी मृगनयनी के लिये सन् 1486-1516 ई. में यह महल बनवाया था. गूजरी महल 71 मीटर लम्बा because एवं 60 मीटर चैड़ा आयताकार भवन है, जिसके आन्तरिक भाग में एक विशाल आंगन है. गूजरी महल का बाहरी रूप आज भी प्रायः पूरी तरह से सुरक्षित है. महल के प्रस्तर खण्डों पर खोदकर बनाई गई कलातम्क आकृतियों में हाथी, मयूर, झरोखे आदि एवं बाह्य भाग में गुम्बदाकार छत्रियों की अपनी ही विशेषता है तथा मुख्य द्वार पर निर्माण संबंधी फारसी शिलालेख लगा हुआ है! प्यारे पढ़ें— बज उठेंगी हरे कांच की चूडियाँ…! सम्पूर्ण महल को रंगीन because टाइलों से अलंकृत किया गया..है! कहीं-कहीं प्रस्तर पर बड़ी कलात्मक नयनाभिराम पच्चीकारी भी...
… मेरे नहीं कहने पर बिन्दी की ओर ईशारा कर कहता है- “ओ हिन्दी”

… मेरे नहीं कहने पर बिन्दी की ओर ईशारा कर कहता है- “ओ हिन्दी”

संस्मरण
भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल की संस्थापक प्रधानाचार्य स्व. कला बिष्ट ने वर्ष 1992 में ऑल इण्डिया वीमेन्स कान्फ्रेंस की सचिव की हैसियत से देश की 8 महिलाओं के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती शोभना रानाडे के नेतृत्व में एथेन्स (यूनान) में प्रतिभाग किया. so अवसर था ’इन्टरनेशनल एलाइन्स ऑफ वीमेन्स’ की 29वीं कांग्रेस का अधिवेशन. स्व. कला बिष्ट को ही नैनीताल में सर्वप्रथम ऑल इण्डिया वीमेन्स कान्फ्रेंस की शुरुआत का श्रेय जाता है. 04 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 1992 तक की यूनान यात्रा का स्व. कला बिष्ट का रोचक यात्रा-वृतान्त कान्फ्रेंस की पत्रिका ’’साक्षी’’ के 1994 के अंक में प्रकाशित हो चुका है. एथेन्स की धरती पर उनके क्या खट्टे-मीठे अनुभव रहे, उनके उस यात्रा वृतान्त को शब्दशः हिमांतर में प्रकाशित किया जा रहा है, प्रस्तु​त है उनकी पहली किस्तस्व. कला बिष्ट की एथेंस (यूनान) यात्रा का रोचक वृत...
‘देवोत्थान’ एकादशी देवों के जागने का पर्व

‘देवोत्थान’ एकादशी देवों के जागने का पर्व

लोक पर्व-त्योहार
ऋतुविज्ञान का भी पर्वडॉ. मोहन चंद तिवारी"उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते. त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम्." अर्थात् हे गोविंद, निद्रा को छोड़कर जागिए. प्रभो! यदि because आप ही सोए रहेंगे, तो इस संसार को कौन जगाएगा? यह संसार भी सोया ही रहेगा.सरकारी आज 25 नवंबर 2020, को कार्तिक so मास शुक्ल पक्ष की 'देवोत्थान' एकादशी है.आज के दिन श्रीहरि भगवान् विष्णु चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार,भगवान् विष्णु साल के चार माह शेषनाग की शैय्या पर सोने के लिये क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को वे उठ जाते हैं. इसलिए इसे देवोत्थान, देवउठनी या देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन से ही सनातन हिन्दू धर्म में विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.एकादशी'देवोत्थान' but एकादशी के दिन ही भगवान् विष्णु के स्व...
सहारनपुर जाने वाली बसों की हड़ताल सुनकर…

सहारनपुर जाने वाली बसों की हड़ताल सुनकर…

संस्मरण
जवाबदेही की अविस्मरणीय यात्रा - भाग-5सुनीता भट्ट पैन्यूलीमेरे माथा ठनकने को पतिदेव ने तनिक भी विश्राम न करने दिया कार में बैठे और आईएसबीटी से कार सहारनपुर रोड की ओर घुमा दी मेरे यह पूछने पर कि यह because आप क्या कर रहे हो? कहने लगे तुम्हें कालेज पहुंचाने जा रहा हूं और यह कहकर कार की गति और बढ़ा दी. मैंने कहा अरे आप ऐसे कैसे? नाईट सूट में ही मुझे सहारनपुर परीक्षा दिलवाने ले जायेंगे? उनके यह कहने पर कि यह समय तर्क-वितर्क का नहीं है but बस तुम चुपचाप बैठी रहो क्योंकि सीमित समय में मुझे सहारनपुर पहुंचाने का तनाव पतिदेव के माथे पर साफ़ नज़र आ रहा था. परिस्तिथि ऐसी बन पड़ी थी कि so मेरे पास तर्क करने की कोई वजह भी नहीं थी. समय कम था अत: कालेज समय से पहुंचने के दबाव में बिना एक-दूसरे से बात किये हम सहारनपुर की ओर चले जा रहे थे रास्ता आज और दिन की अपेक्षा बहुत लंबा महसूस हो रहा था. सत्...
कोरोना काल में स्वास्थ्य की चुनौती के निजी और सार्वजनिक आयाम 

कोरोना काल में स्वास्थ्य की चुनौती के निजी और सार्वजनिक आयाम 

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्रआजकल  का समय  स्वास्थ्य की दृष्टि से एक  घनी चुनौती बनता जा रहा है जब पूरे विश्व में में मानवता के ऊपर एक ऐसी अबूझ महामारी का असर पड़ रहा है जिसके आगे अमीर गरीब सभी देशों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.  सभी परेशान है और उसका कोई हल दृष्टि में नहीं आ रहा है. इस अभूतपूर्व कठिन घड़ी का एक व्यापक वैश्विक परिदृश्य है जहाँ पर  किसी दूर बाहर के देश से पहुंच कर एक विषाणु  चारों ओर संक्रमण  फैला रहा है और जान को जोखिम में डाल रहा because है और  उस पर काबू पाने की कोई हिकमत कारगर नहीं हो रही है. पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में हम अपने को कैसे स्वस्थ रखें यह  बड़ी चुनौती  बन रही है. पर जब हम विचार करते हैं तो यह प्रश्न खड़ा होता है कि हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कितने तत्पर हैं? यह सही है कि स्वास्थ्य केवल अपने ऊपर ही नहीं बल्कि व्यक्ति और परिवेश इन दोनों की पारस्परिक अंत...