Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
साहित्य के निकष ‘अज्ञेय’

साहित्य के निकष ‘अज्ञेय’

स्मृति-शेष
अज्ञेय के जन्म दिवस पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्ररवि बाबू ने 1905 में एकला चलो की गुहार लगाई थी कि मन में विश्वास हो तो कोई साथ आए न आए चल पड़ो चाहे , खुद को ही समिधा क्यों न बनाना पड़े - जोदि तोर दक केउ शुने ना एसे तबे एकला चलो रे । हिंदी के कवि , उपन्यासकार , सम्पादक , प्राध्यापक , अनुवादक , सांस्कृतिक यात्री , और क्रांतिकारी सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन के लिए जिस ‘ अज्ञेय ‘ उपनाम को बिना पूर्वापर सोचे जैनेंद्र जी द्वारा अचानक चला दिया गया वह इनके पहचान का स्थायी अंग बन गया या बना दिया गया । प्रेमचंद जी द्वारा ‘ जागरण ‘ में प्रकाशित कहानी के लेखक के रूप में अज्ञेय नाम दिए जाने के बाद उसे हिंदी के अनेक साहित्यकारों द्वारा उसे एक विभाजक और एक क़िस्म के अनबूझ आवरण रूप में ग्रहण कर लिया गया और प्रचारित भी किया गया । यह अलग बात है कि उस आकस्मिक नामकरण ने वात्स्यायन जी के लिए जीवन ...
स्मृतियों के उस पार…एक थी सुरेखा…

स्मृतियों के उस पार…एक थी सुरेखा…

आधी आबादी
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेषसुनीता भट्ट पैन्यूलीवर्तमान के वक्ष पर यदि मैं किसी ऐसी स्मृति का शिलालेख दर्ज़ करूं जहां किसी स्त्री का दर्द है,संघर्ष है परिवार और समाज के साथ विरोध है ,एकाकीपन है,आंसू हैं और सबसे अहम अपने मान-सम्मान के संरक्षण हेतु दु:साहस है सामाजिक परंपराओं को तोड़ने का, साथ ही पूरे दलगत समाज से टक्कर लेने का तो मुझे यह गुमान बना रहेगा कि मैंने हाशिये पर पड़ी उस स्त्री के स्याह पक्ष को उभारा है जिस की स्थिर सोच ने सहसा गतिमान होकर ठान ली स्त्री स्वायत्ता, आत्मगौरव और जीवन जीने की स्वैच्छिकता को सामाजिक पायदान पर स्वीकार्यता दिलाने की। एक स्त्री का आदर्श आचरण परिवार और समाज की उन्नति का आधार है किंतु यदि स्त्री समाज और परिवार के विकास की धूरी है तो समाज और परिवार को भी स्त्री मन और उसके स्वभाव की तह तक पहुंच कर उसके अस्तित्व को अंगीकार करना होगा। आज अंतरर...
ढांटू: रवांई—जौनपुर एवं जौनसार-बावर में सिर ढकने की अनूठी परम्‍परा

ढांटू: रवांई—जौनपुर एवं जौनसार-बावर में सिर ढकने की अनूठी परम्‍परा

साहित्‍य-संस्कृति
निम्मी कुकरेतीउत्तराखंड के रवांई—जौनपुर एवं जौनसार-बावर because क्षेत्र में सिर ढकने की एक अनूठी परम्‍परा है. यहां की महिलाएं आपको अक्‍सर सिर पर एक विशेष प्रकार का स्‍कार्फ बाधे मिलेंगी, जो बहुत आकर्षक एवं मनमोहक लगता है. स्थानीय भाषा में इसे ढांटू कहते हैं. यह एक विशेष प्रकार के कपड़े पर कढ़ाई किया हुआ या प्रिंटेट होता है, जिसमें तरह—तरह की कारीगरी आपको देखने को मिलेगी. यहां की महिलाएं इसे अक्सर किसी मेले—थौले में या ​की सामूहिक कार्यक्रम में अक्सर पहनती हैं.उत्तराखंड ढांटू का इतिहास यहां के लोगों का मानना है कि वे because पांडवों के प्रत्यक्ष वंशज हैं. और ढांटू भी अत्यंत प्राचीन पहनावे में से एक है. इनके कपड़े व इन्हें पहनने का तरीका अन्य पहाड़ियों या यूं कहें कि पूरे भारत में एकदम अलग व बहुत सुंदर है. महिलाएं इसे अपनी संस्कृति और सभ्यता की पहचान के रूप में पहनती हैं. आज भी इ...
धर्म को आडम्बरों से मुक्त करने वाले परमहंस

धर्म को आडम्बरों से मुक्त करने वाले परमहंस

स्मृति-शेष
श्रीरामचन्द्र दास की जन्मजयंती पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी"धार्मिक मूल्यों के इस विप्लवकारी युग में जिस तरह से परमहंस श्री रामचन्द्रदास जी महाराज ने अपने त्याग और तपस्या के आदर्श मूल्यों से समाज का सही दिशा में मार्गदर्शन किया because तथा धार्मिक सहिष्णुता एवं कौमी एकता का प्रोत्साहन करते हुए श्री रामानन्द सम्प्रदाय की धर्मध्वजा को ही नहीं फहराया बल्कि देश के सभी धार्मिक सम्प्रदायों के मध्य सौहार्द एवं सामाजिक समरसता की भावना को भी मजबूत किया. उसी का परिणाम है कि आज देश में संतों के प्रति श्रद्धा और विश्वास की भावना जीवित है." -श्री बलराम दास हठयोगी, प्रवक्ता, ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद्’ उत्तराखंड 3 मार्च को परमहंस श्री रामचन्द्रदास जी महाराज की 78वीं  जन्म जयंती है. उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में द्वाराहाट स्थित ‘भासी’ नामक गांव में माता मालती देवी और पिता because बचीराम सती ज...
किरण नेगी के हत्यारों को फांसी देने की मांग को लेकर उत्तराखंडी समाज ने निकाला कैंडल मार्च

किरण नेगी के हत्यारों को फांसी देने की मांग को लेकर उत्तराखंडी समाज ने निकाला कैंडल मार्च

समसामयिक
तमाम समाजिक संगठनों और लोगों ने उत्तराखंड एकता मंच से न्याय के लिए गुहार लगाईपंकज ध्यानी, नई दिल्लीदिल्ली-एनसीआर में काम कर रहे सामाजिक संगठन और उत्तराखंड के लोगों ने जंतर मंतर में कैंडल मार्च निकाला. सभी ने एक स्वर में मांग की है कि उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी के साथ जिन दरिन्दों ने गैंगरेप किया और हैवानियत की सारी हदें पार की, इन दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए.उत्तराखंड कैंडल मार्च में उत्तराखण्ड की बेटी किरन नेगी के माता-पिता ने कहा कि हमें देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का न्याय हमारे हक में होगा.उत्तराखंड आपको बता दें की उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी 9 फरवरी 2012 को गुड़गांव स्थित कंपनी से काम करके अपनी तीन सहेलियों के साथ रात करीब 8:30 बजे नजफगढ़, छावला कला कॉलोनी पहुंची थी कि तभी कार में सवार तीन ...
उड़ान

उड़ान

कविताएं
डॉ. दीपशिखावो भी उड़ना चाहती है. बचपन से ही चिड़िया, तितली और परिंदे उसे आकर्षित करते. वो बना माँ की ओढ़नी को पंख, मारा करती कूद ऊँचाई से. उसे पता था वो ऐसे उड़ नहीं पायेगी फिर भी रोज़ करती रही प्रयास.एक ही खेल बार-बार. उसने उम्मीद ना छोड़ी, एक पल नहीं, कभी नहीं. उम्मीद उसे आज भी है, बहुत है मगर अब वो ऐसे असफल प्रयास नहीं करती. लगाती है दिमाग़ कि सफल हो जाए अबकी बार और फिर हर बार.फिर भी आज भी वो उड़ नहीं पाती, बोझ बहुत है उस पर जिसे हल्का नहीं कर पाती. समाज, परिवार, रिश्ते, नाते, रीति-रिवाजों और मर्यादाओं का भारी बोझ.तोड़ देता है उसके कंधे. और सबसे बड़ा बोझ उसके लड़की, औरत और माँ होने का. किसी पेपर वेट की तरह उसके मन को हवा में हिलोरें मारने ना देता. कभी-कभी भावनाओं की बारिश में भीग भी जाते हैं उसके पंख.उसके नए-नए उगे पंख. जो उसने कई सालों की मेहनत के बाद उगा...
मिलिए, उत्तराखंड के उस शख्स से जिनका पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में लिया नाम

मिलिए, उत्तराखंड के उस शख्स से जिनका पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में लिया नाम

बागेश्‍वर
ललित फुलाराप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में उत्तराखंड के बागेश्वर निवासी जगदीश कुन्याल के पर्यावरण संरक्षण और जल संकट से निजात दिलाने वाले because कार्यों की सराहना की. पीएम मोदी ने कहा कि उनका यह कार्य बहुत कुछ सीखाता है. उनका गांव और आसपास का क्षेत्र पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए एक प्राकृतिक जल स्त्रोत पर निर्भर था. जो काफी साल पहले सूख गया था. so जिसकी वजह से पूरे इलाके में पानी का संकट गहरा गया. जगदीश ने इस संकट का हल वृक्षारोपण के जरिए करने की ठानी. उन्होंने गांव के लोगों के साथ मिलकर हजारों की संख्या में पेड़ लगाए और सूख चुका गधेरा फिर से पानी से भर गया.कौन हैं जगदीश कुन्याल दरअसल, जगदीश कुन्याल पर्यावरण प्रेमी हैं और उन्होंने अपनी निजी प्रयास से इलाके में हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया जिसकी वजह से सूख चुके पानी के गधेरे में जल bec...
दर्द में डूबी नज्म

दर्द में डूबी नज्म

स्मृति-शेष
डॉ. कुसुम जोशीनन्ही-सी हेमसुन्दरी  के समझ में नही आ रहा था कि घर में ये गहमागहमी, इतना झमेला, भारी कामदार रंगबिरंगी साड़ियों की सरसराहट, श्रृगांर.  घर में भीड़ भीड़, because उलूक ध्वनि, अभी तो उसे पढ़ना था. जब भी बाबा, दादा, काका मिलते बड़ी-बड़ी बातें होती, बाल विवाह का विरोध. स्त्री शिक्षा की अनिवार्यता पर बातें होती, विधवा विवाह, सति प्रथा व धर्म की अव्यवहारिक परम्परा का विरोध. पर मेरी उम्र भी नही देखी, मुझे तो अभी पढ़ना था. so और मुखर्जी बाबू का बेटा जदुनंदन मुखर्जी भी तो अभी ज्यादा बड़ा नही, अभी तो पढ़ रहा है? कितने प्रश्न थे हेम के मन में. हेमसुन्दरी के पिता ने प्रेम विवाह किसी पारसी थियेटर  (क्या हेमसुन्दरी के पिता ने प्रेम but विवाह किसी पारसी थियेटर में काम करने वाली सुन्दरी से किया था? जो उनका परिवार उनकी बेटी का विवाह आनन फानन में कर देना चाहता था.) विरोध दर्ज करवाया था उ...
पिता की ‘छतरी’ के साथ चलने का सुख

पिता की ‘छतरी’ के साथ चलने का सुख

संस्मरण
बाबू की पुण्यतिथि (27 फरवरी, 2015) पर स्मरण चारु तिवारीपिता के सफर में जरूरी हिस्सा थी छतरी दुःख-सुख की साथी सावन की बूंदाबादी में जीवन की अंतिम यात्रा में मरघट तक so विदा करते पिता को एक तरफ कोने में बैठी सुबकती रही मेरे साथ रस्म-पगड़ी के बाद मेरे साथ but आई सड़क तक पिता का हाथ थामे चुपचाप रास्ते भर so सींचकर मस्तिष्क की भुरभुरी मिट्टी अंकुरित करती रही स्मृतियों के अनगिनत बीज भादो की तेज because बारिश में छोटे बच्चे-सा so दुबका लेती है गोदी में फिर भी पसीज जाता है मन छत पर अतरती सीलन-सा तपती धूप में बैठकर but मेरे कंधे पर चिढ़ाती है अंगूठा दिखाकर तमतमाते so सूरज का मुंह जब होता हूं आहत दुनियादारी के दुःखों से अनेक पैबन्द because लगीं पिता की छतरी रखती है मेरे सिर पर आशीर्वाद भरे हाथ करवट बदलते मौसम में उत्तराखंड मौसम पहचानता है जिस तरह पतझड़ के बाद...