Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
सांच ही कहत और सांच ही गहत है!

सांच ही कहत और सांच ही गहत है!

स्मृति-शेष
कबीर जयन्ती 24 जून  पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्रआज जब सत्य और अस्तित्व के प्रश्न नित्य नए-नए विमर्शों में उलझते जा रहे हैं और जीवन की परिस्थितियाँ विषम होती जा रही हैं सत्य की पैमाइश और भी because जरूरी हो गई है. ऐसा इसलिए भी है कि अब ‘सबके सच’ की जगह किसका सच और किसलिए सच के प्रश्न ज्यादा निर्णायक होते जा रहे हैं. इनके विचार सत्ता, शक्ति और वर्चस्व के सापेक्ष्य हो गए हैं. इनके बीच सत्य अब कई-कई पर्तों के बीच ज़िंदा (या दफ़न!) because रहने लगा है और उस तक पहुँचना एक असंभव संभावना because सी होती जा रही है. शायद अब के  यथार्थप्रिय युग में सत्य होता नहीं है,  सिर्फ उसका विचार ही हमारी पहुँच के भीतर रहता है. सत्य की यह मुश्किल किसी न किसी रूप में पहले भी थी जब तुलनात्मक दृष्टि से सत्य-रचना पर उतने दबाव न थे जितने आज हैं.संस्कृति सत्य के लिए साहस की जरूरत के दौर में कबीर का स्मरण ...
उत्तराखंड की लोककला ऐपण को नए कैनवास पर उकेर कर बनाया ब्रांड ‘चेली ऐपण’

उत्तराखंड की लोककला ऐपण को नए कैनवास पर उकेर कर बनाया ब्रांड ‘चेली ऐपण’

अभिनव पहल
आशिता डोभाल संस्कृति और सभ्यताओं because का समागम अगर दुनिया में कहीं है तो वह हमारी देवभूमि उत्तराखंड में है, जो हमारी देश—दुनिया में एक विशेष पहचान बनाते हैं, इसके संरक्षण का जिम्मा वैसे तो यहां के हर वासी का है पर इस लोक में जन्मे कुछ ऐसे साधक और संवाहक हैं जो इनको संजोने और संवारने की कवायद में जुटे हुए हैं.संस्कृति हम जब कहीं जाते हैं, तो वहां की संस्कृति और सभ्यता को देखने की ललक जब हमारे मन को लालायित करती है, सबसे पहले हम वहां देखते हैं कि लोक के प्राणदायक because वो कर्मयोगी कौन हैं जिनके तप और संकल्प से ये पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पास धरोहर के रूप रहती है. ऐसे ही एक संस्कृति के सच्चे साधकों में है— नमिता तिवारी, जो पिछले दो दशक से अपने काम को नए—नए कलेवर और कैनवास पर अपनी कला के हुनर की छाप छोड़ रही है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत है प्रेरणादायक सिद्ध होगी.परिवार 'संकल्प...
प्रकृति परमेश्वरी के प्रति सायुज्य यानी समर्पणभाव ही योग है

प्रकृति परमेश्वरी के प्रति सायुज्य यानी समर्पणभाव ही योग है

योग-साधना
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारीभारत के लिए यह गौरव का विषय है कि विश्व आज फिर से अपने पूर्वजों के योग चिंतन की प्रासंगिकता को स्वीकार कर रहा है.अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य होना चाहिए कि भारत के ज्ञान की इस अमूल्य धरोहर की रक्षा के लिए ऐसा कुछ करे,जिससे कि व्यक्ति और राष्ट्र दोंनों लाभान्वित हों because  और समूचा विश्व जो आज भुखमरी,कुपोषण, आर्थिक विषमता,आतंकवाद,अकाल, सूखा,ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, कोरोना महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की विभीषिकाएं झेल रहा है उनसे भी मुक्त हो सके. तभी अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रचारित किया जाने वाले सूक्ति वाक्य ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’की भावना को सही मायनों में विश्व पटल पर चरितार्थ किया जा सकेगा.योगभारत के सन्दर्भ में प्रकृति परमेश्वरी के साथ स...
योग ही है आज का युग धर्म

योग ही है आज का युग धर्म

योग-साधना
विश्व योग दिवस (21 जून) पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्रयोग का शाब्दिक अर्थ सम्बन्ध (या जोड़ ) है और उस सम्बन्ध की परिणति भी. इस तरह जुड़ना , जोड़ना, युक्त होना, संयुक्त होना  जैसी प्रक्रियाएं योग कहलाती हैं जो शरीर, मन और सर्वव्यापी चेतन तत्व के बीच सामंजस्य स्थापित करती हैं. कुल मिला कर योग रिश्तों को पहचानने की एक अपूर्व वैज्ञानिक कला है जो मनुष्य को उसके अस्तित्व के व्यापक सन्दर्भ में स्थापित करती है. सांख्य दर्शन का सिद्धांत इस विचार-पद्धति की आधार शिला है जिसके अंतर्गत पुरुष और प्रकृति की अवधारणाएं  प्रमुख है. पुरुष शुद्ध चैतन्य है और प्रकृति मूलत: (जड़) पदार्थ जगत है. पुरुष प्रकृति का साक्षी होता है. वह शाश्वत, सार्वभौम, और अपरिवर्तनशील है. वह द्रष्टा और ज्ञाता है. चित्शक्ति भी वही है. प्रकृति जो सतत परिवर्तनशील है उसी से हमारी दुनिया या संसार रचा होता है. ज्योतिष हमारा शरीर भी ...
जानिए— स्वास्थ्य, कारोबार, रिलेशनशिप कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्ताह?

जानिए— स्वास्थ्य, कारोबार, रिलेशनशिप कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्ताह?

साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल (21 से 27 जून)  मेष- इस सप्ताह आपके लिए बहुत खूबसूरत रहेगा. आप परिवार की जिम्मेदारियों को समझेंगे. घरेलू कार्य में योगदान देंगे. आपके काम में मजबूती आएगी. इनकम भी बढ़ेगी. यात्रा के लिए सप्ताह का मध्य उत्तम रहेगा. आपके काम में बरकत आएगी because और आप आगे बढ़ेंगे.करियर-बिजनेस: इस सप्ताह अचल संपत्ति, कृषि, बीज, संपत्ति की खरीद-बिक्री, लौह अयस्क के सौदे आदि में नौकरी कर रहे लोग उत्कृष्ट प्रगति कर सकते हैं. अंतिम दो दिनों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें.भागीदारी के मामलों में आगे बढ़ने के लिए समय बेहतर है. किसी मामले में अचानक और बड़े बदलाव करने का विचार बार-बार आएगा.ज्योतिष रिलेशनशिप: इस सप्ताह प्रेम संबंधों में आगे बढ़ने के लिए अभी अच्छा समय है. जो लोग पहले से ही रिलेशनशिप में हैं वे कहीं घूमने जाने का प्लान कर because सकते हैं. विवाहित जातक सप्ताह के मध्य में उत्कृष...
स्मृतियों के उस पार…

स्मृतियों के उस पार…

संस्मरण
पिता की स्मृतियों को सादर नमनसुनीता भट्ट पैन्यूली समय बदल जाता है किंतु जीवन की सार्थकता जिन बिंदुओं पर निर्भर होती है उनसे वंचित होकर जीवन में क्यों, कैसे, किंतु और परंतु रूपी प्रश्न ज़ेहन में उपजकर  बद्धमूल रहते हैं हमारी चेतना में और झिकसाते रहते हैं  हमें ताउम्र मलाल बनकर लेकिन क्या कर सकते हैं ?जो समय रेत की तरह फिसल जाता है वह  मुट्ठी में कभी एकत्रित नहीं होता.  इंसानी फितरत या उसकी मजबूरी कहें कि चाहे कितना बड़ा घट जाये, जीवन के कथ्य तो वही रहते हैं किंतु जीने के संदर्भ बदल जाते हैं.नेता जी 8 अगस्त  से 10अगस्त 2015 के मध्य पिता के जन्मदिन का होना और उनकी विदाई की अनभिज्ञता के इन दो दिनों में  पिता के साथ मेरे उड़ते -उड़ते  संवाद आज तक कहीं ठौर ही नहीं बना पाये शायद इसीलिए  20 जून को पितृ दिवस पर मेरी पनीली आंखों में सावन का अषाढ़ कुछ अजीब सा हरा हो जाता है.नेता जी आज ...
मेघ पिता है धरती माता, ‘पितृदेवो भव’

मेघ पिता है धरती माता, ‘पितृदेवो भव’

समसामयिक
‘फादर्स डे’ 20 जून पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारीआज 20 जून को महीने का तृतीय रविवार होने के कारण ‘फादर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है. ‘फादर्स डे’ पिताओं के सम्मान में मनाया जाने वाला दिवस है जिसमें पितृत्व (फादरहुड) के because प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाने की भावना संन्निहित रहती है. दुनिया के अलग अलग देशों में अलग अलग दिन और अलग अलग परंपराओं के कारण ‘फादर्स डे’ मनाया जाता है.नेता जी सबसे पहला ‘फादर्स डे’ अमेरिका की सोनोरा स्मार्ड डोड ने अपने पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट की याद में 19 जून,1910 को मनाना शुरू किया था. क्योंकि उस साल इसी दिन जून का because तीसरा रविवार था. तबसे अमेरिका में जून के तीसरे रविवार को ‘फादर्स डे’ मनाया जाने लगा. जर्मनी में ‘फादर्स डे’ (वेतरताग) मनाने की परंपरा चर्च और यीशू मसीह के स्वर्गारोहण से जुड़ी हुई है. यह हमेशा ‘होली थर्स डे’ यानी पवित्र गुरुवार क...
अचानक याद आना एक गीत का

अचानक याद आना एक गीत का

साहित्‍य-संस्कृति
चारु तिवारी‘गरुड़ा भरती, कौसाणी ट्रेनिंगा...!’ उन दिनों हमारे क्षेत्र बग्वालीपोखर में न सड़क थी और न बिजली. मनोरंजन के लिये सालभर में लगने वाला ‘बग्वाली मेला’ और ‘रामलीला’. बाहरी दुनिया से परिचित होने का because एक माध्यम हुआ- रेडियो. वह भी कुछ ही लोगों के पास हुआ. सौभाग्य से हमारे घर में था. रेडियो का उन दिनों लाइसेंस होता था. उसका हर साल पोस्ट आॅफिस से नवीनीकरण कराना पड़ता था. इसी रेडियो की आवाज से हम दुनिया देख-समझ लेते. हमारे सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम थे- ‘उत्तरायण’ और ‘गिरि गुंजन’. बाद में ‘बिनाका गीतमाला’, ‘क्रिकेट की कैमेंट्री’, ‘रेडियो नाटक’, ‘वार्ताओं’, ‘बीबीसी’ और समाचारों से भी हमारा रेडियो के साथ नाता जुड़ा, लेकिन शुरुआती दिनों में कुमाउनी गीत सुनना ही हमारी प्राथमिकता थी. .पासिंग आउट परेड उन दिनों एक गीत बहुत प्रचलित था- ‘गरुड़ा भरती कौसाणी ट्रैनिंगा, देशा का लिजिया लड़ैं में ...
“बोल्ड परीक्षा’’

“बोल्ड परीक्षा’’

संस्मरण
डॉ. अमिता प्रकाश जी! आप चैंकिए मत! थी यह बोर्ड परीक्षा ही, लेकिन हम चैड़ूधार के सभी छात्र-छात्राओं उर्फ छोर-छ्वारों के लिए पांचवी की बोल्ड परीक्षा ही होती थी. वैसे तो परीक्षा हर because साल होती रही होगी, पर हमें उसका आभास कभी हुआ ही नहीं. बिल्कुल तनावमुक्त व भयमुक्त परीक्षा होती थी हमारी. रोज की तरह स्कूल गए ,गुर्जी ने जो कुछ लिखने को कहा लिखा,  कॉपी गुर्रजी को थमाई , थोड़ी देर खेला कूदा, और फिर अगले दिन के लिए गुर्र जी जो कुछ लिखने के लिए देने वाले होते उसका रिवीजन उर्फ रट्टाफिकेशन जोर-जोर से होता. कानों में उंगली देकर और जोर से हिल हिल कर. एक खास बात यह जरुर होती कि इस रट्टाफिकेशन के दिनों में विद्यालय के जो तीन अन्य कमरे हमेशा बंद रहते थे वह खुल जाते.पासिंग आउट परेड कक्षा 5 को अलग कमरा, कक्षा 4 को अलग तथा कक्षा 3 को अलग कमरा आवंटित हो जाता. गुरुजी हर कक्षा को याद करने के लिए सामग्र...
सुदूर गाँव के लड़के का सेना में अफ़सर बनने का सफ़र

सुदूर गाँव के लड़के का सेना में अफ़सर बनने का सफ़र

चम्‍पावत
कमलेश चंद्र जोशीउत्तराखंड के युवा हमेशा से ही भारतीय सेना में अपनी सेवाएँ दिये जाने के लिए जाने जाते रहे हैं. खासकर गरीब व मध्यम परिवारों के बच्चे जब अपनी ऑफिसर because ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना की पासिंग आउट परेड से गुजरते हैं तो वह क्षण न सिर्फ देश व राज्य के लिए गौरव का पल होता है बल्कि उन अफसरों के माता-पिता के लिए जिंदगी बदलने वाला सबसे अनमोल पल भी होता है जिनके लिए सेना में अफसर होना एक तरह का स्वप्न जैसा है. हर वर्ष ‘इंडियन मिलिट्री अकादमी’ (IMA) से ऐसे सैकड़ों ऑफ़िसर because निकलते हैं जो राष्ट्र की सेवा के लिए ट्रेनिंग ले रहे होते हैं. पासिंग आउट परेड इस वर्ष की पासिंग आउट परेड के बाद देश को 341 जाबांज अफसर मिले हैं जिनमें से 37 उत्तराखंड राज्य से ही हैं. ऑफिसर बनने के इस सफर का सबका अपना-अपना संघर्ष व दुश्वारियाँ होती हैं because लेकिन जब कोई बच्चा उत्तराखंड के किसी जि...