Tag: River

नदी कभी वापस नहीं लौटती…

नदी कभी वापस नहीं लौटती…

साहित्‍य-संस्कृति
पुरातन वर्ष एक दस्तावेज़ भी है हमारे अनुभव हमारी स्मृतियों का जिसमें अनगिनत अनगढा, अनसुलझा, so कुछ तुर्श, कुछ सड़ा-गला, कुछ थोड़ा बहुत उपयोगी भी है यह हमें तय करना है कि नवीनता की ड्योढी पर हमें क्या-क्या साथ लेकर पांव रखना है. सुनीता भट्ट पैन्यूली समय धारा प्रवाह बहती because अविरल नदी है जिसकी नियति बहना है, जो किसी के लिए नहीं ठहरती, हां विभिन्न कालखंडों में विभाजित विविध घाटों के पड़ावों से टकराकर अपने होने का आभास कराती हुई जा पहुंचती है उस भवसागर में  जिसका प्रारब्ध उस अदृश्य शक्ति ने या विधि के विधान ने सुनिश्चित किया है. जहां न अंत है, न आरंभ है, न अफसोस की गुंजाइश है, न हर्ष का पारावार, न किंतु-परंतु, न सवाल-जवाब, न उल्लसिता की कोई परिभाषा. because सब कुछ छुटता चला जाता है. साथ बहकर चली आती हैं उस नदी के साथ तो वह हैं स्मृति खंड जिसके दांये-बांये से होकर समय रूपी नदी...