Tag: पर्यावरण

देहरादून में संस्कृति सम्मान से सम्मानित हुए प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट

देहरादून में संस्कृति सम्मान से सम्मानित हुए प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट

देहरादून
सम्मान में 2 लाख 51 हजार की नकद राशि के साथ सम्मान चिन्ह से अंगवस्त्र हरनोट ने हिमाचल को समर्पित किया यह सम्मान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, देहरादून में आयोजित 'नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान' समारोह में प्रतिभाग किया. मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान से हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार एस.आर हरट को सम्मानित किया. प्रख्यात साहित्यकार और सोशल एक्टिविस्ट एस आर हरनोट को उत्तराखंड लोक समाज द्वारा, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान से नवाजा गया. पुरस्कार में सम्मान चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र के साथ 2 लाख 51 हजार रुपए की नकद राशि भी दी गई. उत्तराखंड लोक समाज के बैनर तले विभिन्न संगठन मिलकर यह सम्मान प्रदान करते हैं. लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के अद्वितीय योगदान को देखते हुए उनके...
देवभूमि उत्तराखंड भारत का प्राणतत्व तो हिमालय विश्व का प्रेरक –  डॉ. हरीश रौतेला

देवभूमि उत्तराखंड भारत का प्राणतत्व तो हिमालय विश्व का प्रेरक –  डॉ. हरीश रौतेला

देहरादून
  अपनी धरोहर न्यास द्वारा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में द्विदिवसीय धरोहर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. देहरादून के सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में धरोहर संवाद के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख डॉ.हरीश रौतेला थे, जिन्होंने पहाड़ के हरेला पर्व को वैश्विक बनाने के ठोस प्रयास किए हैं. डॉ. हरीश रौतेला ने कहा कि भारत में उत्तराखंड की भूमिका प्राणतत्व सदृश है और लगभग 2600 किमी.क्षेत्र में फैले हिमालय से निकलने वाली गंगा,यमुना,सरस्वती और सिंधु सभ्यता के उद्गम होने के कारण सम्पूर्ण विश्व के लिए सकारात्मक ऊर्जा के प्रेरणा स्रोत हैं. उत्तराखंड की लोक संस्कृति और बोली भाषाएं भी हमारी धरोहर हैं. हमारी परंपराएँ,मेले,त्यौहार और लोक संस्कृति तभी जीवंत रहेंगे जब इनसे जुड़े लोग रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर होंगे और हम अपने गीत संगीत,परिधान और ...
हरेला की पूर्व संध्या पर हरियाली का संदेश, वुडलैंड स्कूल में बच्चों ने किया पौधारोपण

हरेला की पूर्व संध्या पर हरियाली का संदेश, वुडलैंड स्कूल में बच्चों ने किया पौधारोपण

नैनीताल
  पौधारोपण कार्यक्रम में बच्चों ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प हल्द्वानी. उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला की पूर्व संध्या पर वुडलैंड स्कूल कमलुवागांजा में प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता का सुंदर संगम देखने को मिला। सेल्फ रिलायंस इनिशियेटिव संस्था के तत्वावधान में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में बच्चों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर हरियाली का संदेश दिया। कार्यक्रम में संस्थाध्यक्ष तनुजा जोशी, मिथुन जायसवाल, स्कूल प्रबंधक रंजना धामी, प्रिंसिपल मनप्रीत कौर, स्कूल की शिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। बच्चों में कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। कई बच्चे अपने घरों से पौधे लेकर आए थे—यह स्वयं में एक सकारात्मक संकेत था कि आज की पीढ़ी पर्यावरण के प्रति सजग हो रही है। लगाए गए जीवनदायी पौधे सभी ने मिलकर आंवला, बेलपत्र, कनेर, गुलमोहर, जामुन...
विकसित भारत के लिए पर्यावरण संरक्षण का लें संकल्प

विकसित भारत के लिए पर्यावरण संरक्षण का लें संकल्प

दिल्ली-एनसीआर
नई दिल्ली. प्रकृति के सम्मान और प्रदूषण मुक्ति के लिए केवल सरकारों और स्वैच्छिक संस्थाओं की ओर न ताक कर प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध होना होगा. ये विचार पर्वतीय लोकविकास समिति एवं भारत संस्कृत परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण गोष्ठी एवं सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो. गणेश भारद्वाज ने आज ललित महाजन सरस्वती बाल विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में व्यक्त किए. अतिविशिष्ट अतिथि दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक निदेशक प्रो.जय प्रकाश दुबे ने कहा कि हमारी संस्कृति प्रकृति को पूज्य मानने वाली रही है. संस्कृत भाषा आज भी प्रकृति के सम्मान और पर्यावरण सुरक्षा का प्रभावी माध्यम है,इसको व्यवहार में लाने की आवश्यकता है. रक्षा मंत्रालय के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.नीलांबर पांडे ने ...
गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष प्रकाश उप्रेती असिस्टेंट प्रोफेसर, पीजीडीएवी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय भारत को अपनी समस्याओं से पार पाने और उनके उत्तर तलाशने के लिए बार-बार गांधी की तरफ लौटना ही होगा। आने वाले कई वर्षों तक गांधी न तो राजनीति में अप्रासंगिक हो सकते हैं न ही समाजविज्ञान में। आगत समय के संकटों को लेकर उनकी चिंता और चिंतन किसी कुशल समाजशास्त्रीय से भी महत्वपूर्ण नज़र आते हैं। ‘पर्यावरण’ शब्द का प्रयोग भले ही गांधी के चिंतन में न हो लेकिन उन्होंने इन सब समस्याओं पर चिंता और चिंतन किया है जिन्हें आज पर्यावरण के तहत देखा जाता है। गाँधी की दृष्टि एकदम साफ थी वह पर्यावरण -दोहन के खिलाफ थे।  साथ ही उनका विरोध आधुनिक ‘गमला संस्कृति’ से भी था । गांधी के लिए ‘पर्यावरण’ जीवन से अलग नहीं था । वह इसे ‘नैतिक चेतना’ से जोड़ने पर बल देते थे, संयम, स्वावलंबन, संरक्षण और स्वच्छता उसी चेतना क...
मार्च 2025 तक राज्य के शत प्रतिशत गांव में कचरा प्रबंधन का कार्य शुरू करना हमारा लक्ष्य: मुख्यमंत्री

मार्च 2025 तक राज्य के शत प्रतिशत गांव में कचरा प्रबंधन का कार्य शुरू करना हमारा लक्ष्य: मुख्यमंत्री

देहरादून
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर विश्वकर्मा पूजन कर सबको दी शुभकामनाएं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को देहरादून के परेड मैदान में 'स्वच्छता ही सेवा-2024' कार्यक्रम में प्रतिभाग किया एवं क्रॉस कंट्री मैराथन दौड़ को फ्लैग ऑफ कर रवाना किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित सभी लोगों को स्वच्छता की शपथ दिलाई एवं 'एक पेड़ मां' के नाम अभियान के अंतर्गत परेड मैदान परिसर में पौधरोपण भी किया. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बालिकाओं को किशोरी किट का वितरण भी किया. इससे पहले मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर विश्वकर्मा पूजन किया और सभी को विश्वकर्मा दिवस की शुभकामनाएं प्रदान की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिवस पर शुभकामनाएं देते हुए प्रभु से उनके दीर्घायु की कामना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छता के प्रति सजगता, निष्ठा और नेतृत...
सिर्फ सेल्फ़ी के लिए नहीं, अब पौधे ग्रीन क्रेडिट के लिए लगाएं

सिर्फ सेल्फ़ी के लिए नहीं, अब पौधे ग्रीन क्रेडिट के लिए लगाएं

पर्यावरण
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी)' कार्यान्वयन नियमों के मसौदे को सार्वजनिक करते हुए एक बेहतर और पर्यावरण हित में एक साहसिक कदम उठाया है. इस अभूतपूर्व पहल का उद्देश्य एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार का लाभ उठाते हुए उसमें शामिल विभिन्न हितधारकों द्वारा स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करना है. ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू करके, सरकार घरेलू कार्बन बाजार का पूरक बनाना चाहती है और कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों को 'ग्रीन क्रेडिट' नामक प्रोत्साहन की एक अनूठी इकाई के माध्यम से उनके द्वारा किए गए पर्यावरण के संदर्भ में टिकाऊ या सस्टेनेब्ल कार्यों के लिए पुरस्कृत करना चाहती है. क्या है नया? पारंपरिक कार्बन क्रेडिट प्रणालियों के विपरीत, ग्रीन क्रेडिट सिस्टम पर्यावरणीय दायित्वों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने के लिए CO2 ...
‘प्रकृति को पूजने और पर्यावरण सुरक्षा की प्रेरणा देता है उत्तरायणी पर्व’

‘प्रकृति को पूजने और पर्यावरण सुरक्षा की प्रेरणा देता है उत्तरायणी पर्व’

लोक पर्व-त्योहार
पर्वतीय लोकविकास समिति द्वारा 19 वें उत्तरायणी महोत्सव का आयोजन हिमांतर ब्यूरो दक्षिण दिल्ली के पालम क्षेत्र के डीडीए ग्राउंड साध नगर में पर्वतीय लोकविकास समिति द्वारा राष्ट्रीय उतरायणी अभियान के अंतर्गत 19 वें उत्तरायणी महोत्सव का आयोजन किया गया.आचार्य महावीर नैनवाल और पं. ओम नारायण शुक्ला द्वारा सर्वप्रथम प्रकृति के सम्मान,पर्यावरण चेतना और विश्व शांति के लिए सृष्टि रक्षा महायज्ञ किया गया. समारोह का उद्घाटन करते हुए दक्षिण दिल्ली के सांसद श्री रमेश विधूड़ी ने कहा कि उत्तरायणी पर्व हमें प्रकृति को पूजने और पर्यावरण सुरक्षा की प्रेरणा देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व को भारत के इस संदेश और प्रतिबद्धता को धरातल पर उतारते हुए 2030 तक कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी के मुख्य वक्ता चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली ने कहा कि उत्तरा...
श्राद्ध की आस्था में पर्यावरण व जीवन

श्राद्ध की आस्था में पर्यावरण व जीवन

समाज
सुनीता भट्ट पैन्यूली पितृपक्ष या श्राद्ध हमारे अपने जो अब जीवित नहीं हैं या हमारे पास नहीं हैं. because उनको याद करने का अवसर हैं. हमारी हिंदू परंपरा में इन दिनों दिवंगत  पूर्वजों का श्राद्ध व पिंडदान किया जाता है.ऐसा माना जाता है कि पितरों की पूजा अर्चना करने से उनकी हम पर विशिष्ट कृपा बनी रहती है. ज्योतिष हमारा यह भी विश्वास है कि अपने पितरों को श्राद्ध देकर हम उनके निमित्त जो भी because ब्राह्मण को दे रहे हैं वह उन तक ज़रूर पहुंच जायेगा. यह तो हम नहीं जानते है कि पहुंचता है या नहीं किंतु यह निश्चित है कि  सच्चे हृदय से पितरों को याद करके जब उनको तर्पण दिया जाता है तो हमारी श्रद्धाऐं उन तक तो ज़रूर पहुंचती ही होंगी. ज्योतिष पितृ ऋण को चुकाने because और कृतज्ञता प्रकट करने का कर्म भी है श्राद्ध श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौऐ को खिलाने का विधान भी है यह प्रशंसनीय है कि  because इसम...
युवा लेखक ललित फुलारा की कहानी ‘घिनौड़’ और ‘पहाड़ पर टैंकर’ पर एक विमर्श…

युवा लेखक ललित फुलारा की कहानी ‘घिनौड़’ और ‘पहाड़ पर टैंकर’ पर एक विमर्श…

साहित्यिक-हलचल
अरविंद मालगुड़ी पिछले दिनों ललित फुलारा की कहानी 'घिनौड़' और 'पहाड़ पर टैंकर' पढ़ी. इन दोनों ही कहानियों को मैंने छपने से पहले और छपने के बाद एक नहीं, दो-दो बार पढ़ा है. 'घिनौड़' (गौरेया) जहां एक वैज्ञानिक सोच वाली मनोवैज्ञानिक कहानी है, वहीं 'पहाड़ पर टैंकर' जड़ों से कट चुके उत्तराखंड के नौजवानों को जड़ों की तरफ लौटने की प्रेरणा देनी वाली. 'घिनौड़' को लेकर उत्तराखंड के कहानीकार और वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी ने टिप्पणी की 'कहानी लिखी तो अच्छी है, शिल्प एवं भाषा की दृष्टि से. शुरुआत रोचक है लेकिन अधूरी सी लगी. आखिर कथा पहुँची कहाँ?' यह बात सही है कि इस कहानी को पढ़ते हुए पाठकों को लगता है कि पिरदा और उनके बच्चे घनु की कहानी को आगे पहुंचाया जा सकता था. पर हो सकता है कि लेखक ने कहानी को वहीं इसलिए छोड़ा हो कि पाठक खुद ही अंदाजा लगा लें कि पिरदा और घनु की जिंदगी में आगे क्या हुआ होगा? पिरदा ...