Tag: जमीन

गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष प्रकाश उप्रेती असिस्टेंट प्रोफेसर, पीजीडीएवी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय भारत को अपनी समस्याओं से पार पाने और उनके उत्तर तलाशने के लिए बार-बार गांधी की तरफ लौटना ही होगा। आने वाले कई वर्षों तक गांधी न तो राजनीति में अप्रासंगिक हो सकते हैं न ही समाजविज्ञान में। आगत समय के संकटों को लेकर उनकी चिंता और चिंतन किसी कुशल समाजशास्त्रीय से भी महत्वपूर्ण नज़र आते हैं। ‘पर्यावरण’ शब्द का प्रयोग भले ही गांधी के चिंतन में न हो लेकिन उन्होंने इन सब समस्याओं पर चिंता और चिंतन किया है जिन्हें आज पर्यावरण के तहत देखा जाता है। गाँधी की दृष्टि एकदम साफ थी वह पर्यावरण -दोहन के खिलाफ थे।  साथ ही उनका विरोध आधुनिक ‘गमला संस्कृति’ से भी था । गांधी के लिए ‘पर्यावरण’ जीवन से अलग नहीं था । वह इसे ‘नैतिक चेतना’ से जोड़ने पर बल देते थे, संयम, स्वावलंबन, संरक्षण और स्वच्छता उसी चेतना क...
सांस्कृतिक, धार्मिक और पहाड़ी धरोहर की प्रतीक ‘पहाड़ी गागर’

सांस्कृतिक, धार्मिक और पहाड़ी धरोहर की प्रतीक ‘पहाड़ी गागर’

साहित्‍य-संस्कृति
5 ‘ज’ पर निर्भर है पहाड़ी जीवन- शैली आशिता डोभाल मानव सभ्यता में जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन का महत्वपूर्ण स्थान रहता है यानी कि हमारी जीवन-शैली 5 तरह के ‘ज’ पर निर्भर रहती है और ये सब कहीं न कहीं हमारी आस्था because और धार्मिक आयोजनों के प्रतीक और आकर्षण के केंद्र बिंदु भी होते है और सदियों से ये अपना स्थान यथावत बनाए हुए है। संस्कृति आज आपको पहाड़ की एक ऐसी धरोहर की खूबसूरती से रू-ब-रू करवाने की कोशिश करती हूं जो अपने आप में खूबसूरत तो है, हमारी समृद्ध संस्कृति और संपन्न विरासत को भी because अपने में समाए हुए है. ये महज एक बर्तन नहीं बल्कि हमारी धरोहर है, जिसे हमारे बुजुर्गों ने हमे सौंपा है. ये अपने में कहावतों को भी समाए हुए हैं, ऐसी ही एक धरोहर है जिसका पहाड़ की रसोई में महत्वपूर्ण स्थान है उसका नाम है ‘गागर’. संस्कृति गागर में सागर जैसी कहावत को सुनने से प्रतीत होता है कि...
मेरी ओर देखो

मेरी ओर देखो

अध्यात्म
भूपेंद्र शुक्लेश योगी धरती के भीतर का पानी शरीर के “रीढ़ की हड्डी के पानी” जैसा होता है, रीढ़ की हड्डी का पानी जिसे CSF (Cerebrospinal Fluid) कहते हैं जो मस्तिष्क व रीढ़ आधारित अंगों के क्रियान्वयन के लिए अमृत समान है ....! सामान्यतः मस्तिष्क में ट्यूबरक्लोसिस के संबंध जानकारी प्राप्त करने के लिए CSF जाँच की जाती है वह भी तब जब अन्य सभी मार्ग बंद हो गए हों और विषय बहुत गंभीर हों ... सोचिए ! भूमिगत जल भी पृथ्वी के आंतरिक संचालन के लिए अति आवश्यक है, बाह्य प्रयोगों हेतु तो प्रकृति ने नदी, सरोवर, झील, झरने, जल स्त्रोत, वर्षा जल आदि दिये थे जो पर्याप्त था. यदि इस FLUID को जब चाहे, जैसे चाहे वैसे निकाला जाये तो इसका परिणाम कितना भयानक होगा... इसके दुष्परिणाम स्वरूप शरीर के लकवाग्रस्त होने, स्मृति भ्रम होने के साथ-साथ अन्य रोग उत्पन्न होने की संभावना रहती है. अब इस उपरोक्त स्थिति को भू...
वड़ और एक नारी की पीड़ा

वड़ और एक नारी की पीड़ा

संस्मरण
डॉ. गिरिजा किशोर पाठक गांव की कहावत है 'वड़ (Division stone), झगड़ जड़'. जब दो भाइयों के बीच में जमीन का बंटवारा होता है तो खेतों के बीच बंटवारे के बाद विभक्त जमीन में एक लम्बा पत्थर खड़ा करके गाड़ दिया जाता है जिसे वड़ (division line) कहते हैं. भाइयों में जमीन के बंटवारे पर एक बार वड़ डल जाने पर ये हमेशा के लिए दो भाइयों की जमीन की सीमा रेखा बन जाती है. इस वड़ (सीमा रेखा) के कारण खेती किसानी में परिवारों में बहुत झगड़े, लड़ाइयां, मुकदमे देखने को मिलते हैं क्योंकि अस्थाई तौर पर गाड़े गए पत्थर की जो मर्यादा रखते हैं वो सीमा का उल्लंघन नहीं करते और खुराफाती इसको मनमाने ढंग से खिसका कर विवाद पैदा करते हैं. हमारे गांव में 2 ऐसे महत्वपूर्ण/खुराफाती पुरुष थे जिनका काम अल्मोड़ा, सोर और बागेश्वर जाकर अपनी नई जमीन के लिए दरख्वास्त (fresh application) लगाना होता था. वड़ के झगड़े पर राजस्व कोर्...