शिवरात्रि विशेष : भारत में प्रेम का प्रतीक हैं अर्धनारीश्वर शिव!
अरूप में रूप: शिव- सौंदर्यम
मंजू दिल से… भाग-27
मंजू काला
खेले मसाने में
होरी
चिदंबर
खेले मसाने में होरी
भूत- पिशाच बटोरे
दिगंबर
खेले मसाने में होरी!
शिव का नाद करने से पहले मै एक विचत्र होली का वर्णन करना चाहती हूँ! वह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, वो भी काशी के मणिकर्णिका घाट पर! रंग एकादशी के दूसरे दिन काशी में स्थित श्मशान पर चिताओं की भस्मी के साथ होली खेलने की एक अनूठी परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत शंकरजी से ही मानी जाती है।
मान्यताओं के अनुसार- जब भगवान शिव, पार्वती का गौना कराने के लिए आये थे तो उनके साथ भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि थे, और उन्होंने वहीं मणिकर्णिका पर होलिकोत्सव - श्मशान पर चिताओं की भस्मी से खेल कर मनाया!
लखि सुंदर फागुनी छटा के
मन से रंग-गुलाल हटा के
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर...