बारहमासा : विरह और मिलन की क्रियाओं का चित्रण!

बारहमासा : विरह और मिलन की क्रियाओं का चित्रण!

मंजू दिल से… भाग-29 मंजू काला फ़ागुन महीना… फूली सरसों… आम झरे.. अमराई…. मै अंगना में चूप- चूप देखूँ ऋतु बसंत की आई…..!!!!!   ऋतु …बसन्त की आई! फ़ागुन का महीना… सरकती ठंड की फुरफुरी,  गुन- गुन-गुनाता मौसम,  सप्तपदी के फेरों सीं “दें” लगाती ऋतुएँ औऱ वनों के बीच बुराँश कचनार-   आह  टेशू  भी फूल […]

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 राग-बसंत बहार  और बावरा बैजू

राग-बसंत बहार  और बावरा बैजू

मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की वार्ताकार भी हैं. […]

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 हिमालयन अरोमा: चुलु की चटनी और चांदनी चौक

हिमालयन अरोमा: चुलु की चटनी और चांदनी चौक

हिमालयन अरोमा भाग-2 मंजू काला हैदराबाद की गलियों में घूमते हुए मैंने कई बार ‘डोने’ बिरयानी का स्वाद चखा है, ‘बिरडोने’ बिरयानी दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध बिरयानी रेसिपी है। यहां डोने बिरयानी में डोने शब्द का इस्तेमाल किया गया है। डोने एक कटोरी के आकार का पात्र होता है जिसे पत्तों से तैयार किया […]

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 हिमालयन अरोमा: हिमालयी  ग्वैरिल उर्फ कचनार 

हिमालयन अरोमा: हिमालयी  ग्वैरिल उर्फ कचनार 

हिमालयन अरोमा भाग-1 मंजू काला बासंती  दोपहरियों में हिमालय के because आंगन में विचरण करते  हुए  मैं  अक्सर दुपहरी  हवाओं के साथ अठखेलियाँ  करते कचनार के  पुष्पों को निहारती हूँ! जब मधुऋतु का यह मनहर पुष्प पतझड़ में  हिमवंत को सारे पत्ते न्योछावर कर नूतन किसलयों की परवाह किए बगैर वसंतागमन के पूर्व ही खिलखिल हँसने […]

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 हिमालय के सावनी गीत…

हिमालय के सावनी गीत…

मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की वार्ताकार भी हैं. […]

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 क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

देहरादून के बासमती चावल की दुनियाभर में रही है धाक! मंजू दिल से… भाग-20 मंजू काला आज धानेर खेते रोद्र छाया लुको चोरी खेला  रे भयी लुको चोरी खेला रे! (ठाकुर जी का रविंद्र संगीत) प्राचीन समय से ही भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है. चावल की दुनियाभर में तकरीबन […]

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 हिंदुस्तान की कर्नाटकी…

हिंदुस्तान की कर्नाटकी…

मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. so आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की […]

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 छत्तीसगढ़ : पौराणिक काल का कौशल प्रदेश…

छत्तीसगढ़ : पौराणिक काल का कौशल प्रदेश…

बिहाय के पकवान मंजू दिल से… भाग-11 मंजू काला भांवर परत हे, भांवर परत हे हो नोनी दुलर के, so हो नोनी दुलर के होवत हे दाई, मोर but रामे सीता के बिहाव होवत हे दाई, मोर because रामे सीता के बिहाव एक भांवर परगे, because एक भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because हो […]

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