देहरादून के बासमती चावल की दुनियाभर में रही है धाक! मंजू दिल से… भाग-20 मंजू काला आज धानेर खेते रोद्र छाया लुको चोरी खेला रे भयी लुको चोरी खेला रे! (ठाकुर जी का रविंद्र संगीत) प्राचीन समय से ही भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है. चावल की दुनियाभर में तकरीबन […]
मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. so आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की […]
बिहाय के पकवान मंजू दिल से… भाग-11 मंजू काला भांवर परत हे, भांवर परत हे हो नोनी दुलर के, so हो नोनी दुलर के होवत हे दाई, मोर but रामे सीता के बिहाव होवत हे दाई, मोर because रामे सीता के बिहाव एक भांवर परगे, because एक भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because हो […]
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