
शिक्षकों में चाहिए सर्जनात्मक ऊर्जा और उत्साह!
शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर विशेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
पूर्व कुलपित, वर्धा विश्वविद्यालय
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद सरकारी नीतियों में शिक्षा के विकास को भी जगह मिली और देश में महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की संख्या में क्रमश: लगभग 92 प्रतिशत और 58 प्रतिशत की आशातीत बढ़ोत्तरी हुई. यद्यपि अभी भी उनकी संख्या जरूरत के मुताबिक अपर्याप्त है तब भी यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक पहल और बड़ी उपलब्धि थी. इसके चलते उच्च शिक्षा का विस्तार हुआ. युवाओं की शिक्षा में रुझान बढ़ी और नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई और पूर्णत: शिक्षित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में हम आगे बढ़े. लेकिन इस मात्रात्मक बदलाव के समानांतर शिक्षा की गुणवत्ता की चुनौती बढ़ती गई जो शिक्षा के बढ़ते विशिष्टीकरण ( स्पेशलाइजेशन) के दौर में और भी उलझती गई. ऊपर से गुणवत्ता में कमी को संसाधनविहीनता के प...