
सदियों पुरानी घंडियाल देवता की ‘जात’ को पुनर्जीवित करते भिलंगना घाटी के जोगियड़ा गांव के युवा
टिहरी गढ़वाल के विकास खंड भिलंगना, ग्राम सभा जोगियड़ा के युवाओं मैं आजकल एक नया उत्साह देखने को मिला रहा है. यह उत्साह है घंडियाल देवता की जात को लेकर. कई वर्ष पूर्व ग्रामवासी गांव से कुछ दूरी पर भगवान घंडियाल देवता की एक दिवसीय जात करते थे, जिसमें सभी लोग श्रद्धापूर्वक रात्रि व्रत लेकर, क्षेत्र, गांव एवं परिवार की सुख समृद्धि के लिए घंडियाल देवता का आशीष लेते थे. चूंकि यहा स्थान गांव के ठीक ऊपर है और ऐसी मान्यता है कि यंही से घंडियाल देवता पूरे गांव पर अपनी दृष्टि रखते हैं. समय के साथ-साथ गांव के लोग नौकरी-पेशे अथवा अन्य कारणों से गांव से दूर देश—प्रदेश में चले और कुछ लोग अपनी बच्चों की पढ़ाई को लेकर गांव से पलायन कर गए. धीरे—धीरे यह परम्परा खत्म होने के कगार पर पहुंच गई.
लेकिन इस वर्ष युवाओं ने पुन: अपने ग्राम देवाता को उसी परम्परा और रीति—रिवाज के साथ पूजने का निश्चय किया, जिसके बाद सभी युवाओं ने कई वर्षों बाद यह आयोजन 26 जून, 2024 पूरे विधि-विधान से सम्पन्न करवाने का संकल्प लिया. इस ‘जात’ में घंडियाल देवता ओर हुणेश्वर महादेव शुभाशीष देंगे और अनुग्रही समस्त गांववासी रहेंगे.
गांव के बयोवृद दलपती सिंह राणा, कर्ण सिंह राणा, श्याम सिंह रावत, बद्री सिंह रौथाण, धन सिंह राणा, गोविंद सिंह राणा, दरमियान सिंह राणा आदि का कहना है कि इस तरह के आयोजन गांव की सुख समृद्धि के लिए अति आवश्यक हैं. इससे युवाओं को गांव के रीति—रिवाज और धार्मिक आस्था से जुड़ने का अवसर मिलेगा और इसी बहाने वह वर्ष में कम से कम एक दिन तो अपने ग्राम देवता की पूजा करने जरूर अपने गांव आएंगे, जिससे गांव में चहल—पहल और खुशहाली होगी.
वहीं जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि भजन रावत ने कहा कि कोरोनाकाल के दोर मैं अपने अपने गांव पहुंचे युवाओं में अपने धार्मिक संस्कृति के प्रति जागरूकता आयी है, अब सरकार को भी उत्तराखंड के पैतृक देवालयों को पुनर्जीवित करने हेतु धर्मस्व विभाग को इस ओर ध्यान देने हेतु निर्देशित करना चाहिए.
60 साल पूर्व की पैतृक संस्कृति को पुनर्जीवित करने में रणजीत राणा, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कुवांर लाल, मोहन सिंह राणा, जीत सिंह रौथाण, दलवीर सिंह राणा, बलदेव राणा, युवक मंगल दल के अध्यक्ष हिमांश सिंह भण्डारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही.