- भारत चौहान
कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है, हनोल में प्रकटीकरण के पश्चात बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं जबकि चालदा
महाराज जौनसार बावर, उत्तरकाशी एवं हिमाचल प्रदेश में प्रवास करते हैंज्योतिष
चालदा महाराज की प्रवास यात्रा के इतिहास की लंबी कढ़ी है परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त किया एक भाग साटी बिल (तरफ) मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र जिसके वजीर दीवान सिंह जी है जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी है और दूसरा भाग पासी बिल
मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र. जिसके वजीर जयपाल सिंह जी है जो ठडीयार गांव के निवासी है. (यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि चालदा महाराज के वजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं. कहां पर कब प्रवास होना है यह तय करने का अधिकार वजीर को हैं अर्थात वजीर को बोलांदा महासू भी कहा जाता है!)ज्योतिष
इसी अनुसार चालदा महाराज 12 वर्ष तक साटी तरफ प्रवास करेंगे और ठीक 12 बरस पासी, तरफ प्रवास करेंगे ! परंतु यह निश्चित है कि जब साठी तरफ का प्रवास पूर्ण हो जाएंगे तो एक रात के लिए महाराज हनोल रुकेंगे इसी प्रकार जब पासी साइट का प्रवास पूर्ण होगा उसके बाद भी एक रात्रि के लिए महाराज हनोल रुकते हैं.
और फिर नए सिरे से प्रवास का क्रम जारी होता है.ज्योतिष
चालदा महाराज की प्रवास यात्रा बावर क्षेत्र के कोटी गांव से प्रारंभ होती है. और हर स्थान पर महाराज के रुकने की समय सीमा भी निर्धारित की गई है परंतु परिस्थितिवंश महाराज के निर्धारित स्थानों (गांव) पर रुकने की सीमाएं आगे पीछे भी हो जाती है. महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम कोटि से प्रारंभ होता है और टोस नदी के पार
देवघार खत के मुन्धोल में 1 साल के लिये विराजित होते हैं. इसके पश्चात हिमाचल प्रदेश के थ्रोच में 1 वर्ष, जानोगी चोपाल 1 वर्ष, कोटी कनासर 1 वर्ष, मोहन खत 1 वर्ष, समालटा 1 वर्ष, हाजा दसोऊ पसगांव (जेस्ट खत मानी जाती है) 2 वर्ष, मसक खत भरम 1 वर्ष, किस्तुड खत लखोऊ 1 वर्ष, और फिर वापस चालदा महाराज पुणः कोटी बावर प्रवास पर आते हैं. जहां 6 माह तक रुकते हैं.ज्योतिष
इसके पश्चात पासी तरफ की यात्रा प्रारंभ होती है एक रात हनोल रुकने के पश्चात देवता टडीयार उत्तरकाशी के लिए प्रस्थान करते हैं. फिर यात्रा का क्रम प्रारंभ होता है बुटाणु बंगाण पीगंल पट्टी 1
वर्ष, जीवां कोटीगाड 1 वर्ष, बामसु मासमोर पट्टी 1 वर्ष, वितरी गांव फतेहपुर वक्त 2 वर्ष, खसधार हिमाचल प्रदेश 2 वर्ष, भरसाठा धार जुब्बल हिमाचल प्रदेश 1 वर्ष, सराजी जुब्बल हिमाचल प्रदेश 1 वर्ष, बुटाणु उत्तरकाशी 1 वर्ष, और फिर एक रात के लिए टडीयार और तत्पश्चात एक रात के लिए चालदा महाराज हनोल मे प्रवास करेंगे. 24 वर्ष में यात्रा का यह क्रम पूरा होता है इसके पश्चात फिर कोटि बावर से चालदा महाराज की यात्रा का दूसरा चक्र प्रारंभ होता है.ज्योतिष
(उपरोक्त जानकारी हुणा भाट परिवार के
सदस्य एवं हनोल मंदिर समिति के सचिव मोहनलाल सेमवाल जी से मौखिक वार्तालाप से प्राप्त की गई है!)